#जाने_कहां_गए_वो_दिन😪
क्या आप भी बचपन मे नाना-नानी,मामा-मामी, दादा-दादी या चाचा-चाची के परिवार के साथ गर्मियों की छूटियो में छत पर पानी छिड़कर खाट पर या छत पर दरी-बिस्तर बिछा कर सोये हो,
तब घर में बिजली केवल पीले से चमकने वाले 0,40,60 और 100 वॉट के पीतल की टोपी वाले फिलामेंट
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बल्ब के लिए होती थी। पंखे अमीरों के घर में ही होते थे
बहुत ही यादगार दिन थे वे कभी न भूलने वाले
तब सभी के छत लगभग एक ऊँचाई के थें।
एक नियम होता था।
पहले बालटी मे पानी भरकर दो तल्ले पर छत पर पानी का छिड़काव।💦
नीचे से बिस्तर छत पर पहुँचाना ।
उसे बिछाना ताकि बिस्तर ठंडा हो जाए।
👇
खाने के बाद, पानी की छोटी सुराही और गिलास भी छत पर ले जाना। कभी कभी रेडियो पर आकाशवाणी पर हवा-महल का प्रोग्राम सुनते थे या पुराने गीत माला के पुराने गाने।
लेट कर आसमान देखना, तारे गिनना, उनके झुंड के आकार बनाना,छत पर लेटे लेटे ही हमने सप्तऋषि मंडल ,ध्रुव तारा और असंख्य तारों
👇
को देखा और समझा
आते-जाते हवाई जहाज को देखना ।
सुबह सुरज के साथ उठना पड़ता था। गरमियों मे सुबह-सुबह कोयल की कूक , चिड़ियों का चहचहाना , मोर की आवाज़ या मुर्गे की आवाज़ भी सुनने को मिलती थी।
फिर बिस्तर समेट कर छत से नीचे लाना। सुराही भी।
पहले किसी की छत पर कोई लेटा हो,
👇
खासकर महिला, तो दुसरे छत के लोग स्वंय हट जाते थे। यह एक अनकहा शिष्टाचार था।
रात में अचानक आंधी या बारिश आने पर पड़ोस के घर की पक्की सीढ़ियों से उतर कर नीचे आते थे क्योंकि अपने पास बांस की कुछ छोटी पुरानी ढुलमुल 10' फीट की सीढ़ी थी जिसका कभी भी गिरने डर रहता था और 14' फीट की
👇
ऊंची छत पर उतरने चढ़ने के लिए छत की मुंडेर को पकड़ कर लटक कर चढ़ना और उतरना होता था।
रात में पड़ी हल्की ठंड और ओस के कारण कपड़े बिस्तर सील जाते थे।😝
उस समय इतने मच्छर नहीं होते थे जो छत पर सोने में बाधा उत्पन्न करते ।
अब आसपास ऊँचे घर बन गए।
आसपास और हम , दोनो बदल गए हैं।😥😥
👇
जब से हर घर मे AC, फ्रिज, कूलर और हर कमरे में पंखे आ गए है तब से ये सुनहरा दौर गायब हो गया हैं,,,
पहले का बचपन गजब का था झाबर ,कबड्डी, गुल्ली डंडा, तक खेलते थे अब तो सब कुछ विलुप्त हो गया अब तो केवल यादें ही रह गई हाय मेरा बचपन सब कुछ छूट गया😢

खोता जा रहा है बचपन....
👇
अब शहतूत खुद ही टूट कर
गिर जाते हैं डाली से,
क्योंकि कोई बचपन उन्हें पत्थर
मार कर तोड़ने नहीं आता,
इंतज़ार में रहते हैं तोड़ने की
बेरी पर पके बेर,
जाने कहाँ गए वो बचपन के
बेर तोड़ने वाले शेर,
अब माली डंडा लेकर बच्चों के
पीछे नहीं भागता,
कोई बच्चा अब बाग में आम
तोड़ने नहीं जाता
👇
कौन जाता है अब किसी के
घर कॉपी माँगने,
सब कुछ तो ऑनलाइन ही
है मिल जाता,
अब नहीं आते शिक्षक घरों में
चाय के बहाने,
शिकायत लगाने कान खींचने
मुफ्त पढ़ाने,
अब नहीं खेलते बच्चे देर शाम
तक छुपन छुपाई,
नहीं ढूँढती रहती पड़ोसियों के
यहाँ चाची ताई,
अब कहाँ डालती हैं बच्चों की
👇
टोली होली के रँग,
अब सब बच्चे व्यस्त रहते हैं
मोबाइल के सँग,
अब कौन देखता है रामायण
महाभारत,
नानी दादी नहीं सुनाती कहानी
ना ही बच्चे करें शरारत,
सब कुछ बदल गया
अब खोता जा रहा बचपन।

• • •

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More from @Bairagi_Panddit

Mar 18
आज लाला कन्हैया के आँखन मे काजल लगाने को दिन है !
नन्द बाबा की बहन सुनन्दा देवी जो कन्हैया की बुआ लगती है चटकती मटकती आयी और यशोदा जी से बोली की..
सुनन्दा जी -भाभी जी लाला को काजल लगावे का हक हमारो है।
श्री यशोदा जी -हाँ बीबी जी लगाओ आप ही लगाओ।
सुनन्दा जी -ऐसे नही लगाऊँगी
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मेरो को भी नेग चाहिये।
यशोदा जी -- हाँ बीबी जी आपको भी नेग मिलेगो।
सुनंदा जी -- देखो भाभी जब लाला के नाल छेदन के समय नाल काटने वारी दासी नेग के लिये मचल गई की....
व्रजरानी बहुत दिन बाद लाला हुआ है नेग सोच समझकर देना तो आपने अपने गले का नौलखा हार उतार कर उसे पहना दी ...
👇
वाते कमती मुझे मत करियो नही तो ननद भाभी दोनन की झगड़ा बन जायेगी और हमेशा के लिये ननद भौजाई की शिकायत बनी रहेगी।
यशोदा जी --नही नही बीबी जी वाते बढ़ चढ़के मिलेगो।
फिर सुनन्दा बुआ ने लाला श्यामसुन्दर को काजल लगाई और सोच रही है की देखे भाभी क्या देती है...
ज्योंही सुनन्दा बुआ ने
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Mar 18
#ऑस्कर_वाली_परफॉर्मेंस @rihanna @Malala
मलाला:"हाईईई रिहाना कैसी है रे तू?तेरे को क्यों बुलाया इधर?"🧐
रिहाना:"अरे मैं तो गाते गाते नाचती एक्टिंग करती हूं,दो चार पिच्चर भी करी है मैंने,तू बता तू क्या कर रही इधर?
इधर फार्मर प्रोटेस्ट नहीं है इंडिया की तरह,एक्टर लोग को बुलाया है
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समझी क्या?😎
मलाला: "चल हट क्यूटी कलूटी,तू भूल रही है,पाकिस्तान की सबसे बड़ी अदाकारा है मैं,मेरी एक्टिंग इतनी रियल थी कि मेरे को नोबल भी मिल गया,वैसे मेरे को और ग्रेटा @GretaThunberg को फिर इंडिया का विरोध करने का पैसा आ गया है,2024 के आस पास अपन लोग फुल इंटरनेशनल विरोध करेंगे
👇
मोदी और हिंदुत्ववादी सरकार का.."
रिहाना:"मैंने बोला है,सोरोस @georgesoros अंकल को,मेरा पैसा बढ़ा दे इस बार,खालिस्तान वाले एजेंडे पर बोलूंगी मैं,मिया @miakhalifaभी साथ देगी मेरा फुल टू,यू नो हाउ मच पंजाबी मेन लव मी?दिलजीत @diljitdosanjh याद है? पागल लड़का,क्यूट है बहुत एंड ही
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Mar 17
*भगवान का प्रेम...*
*एक सुन्दर कथा...*
"जो ठाकुर जी को याद करते हैं, ठाकुर जी भी उनको याद करते हैं और रोते हैं उनके लिए"*
एक व्यक्ति प्रतिदिन मंगला दर्शन के लिए कृष्ण मंदिर में जाया करता था। भगवान् के दर्शन के बाद ही अपने नित्य जीवन कार्य का आरंभ करता था। कई वर्ष तक यह नियम
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चलता रहा।
एक दिन जैसे ही वह मंदिर पहुँचा तो उसने मंदिर के श्रीप्रभु के द्वार बंद पाये। वह व्याकुल हो गया। अरे ऐसा कैसे हो सकता है?
उसके हृदय को ठेस पहुंची। वह पास ही एक स्थान पर बैठ गया। उनकी आँखों से आँसू बहने लगे, और व्याकुल हृदय से आंतरिक पुकार उठी।
" हे बांके बिहारी जी ,
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हे गिर्वरधारी जी।
जाए छुपे हो कहाँ,
हमरी बारी जी...।।"
बहते आंसू और हृदय की व्याकुलता ने उसे तड़पा दिया। पूरे तन में विरह की अग्नि जल उठी।
इतने में कहीं से पुकार आयी...
ओ तुने कहाँ लगायी इतनी देर,
अरे ओ बांवरिया! बांवरिया! बांवरिया मेरे प्रिय प्यारे!
वह आसपास देखने लगा, कौन
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Read 9 tweets
Mar 17
जेनाभाई ठक्कर का बेटा मोहम्मद अली जिन्ना कैसे बना?
जिन्ना के पिता का नाम जेनाभाई ठक्कर और दादा का नाम पूंजाभाई ठक्कर था। पिता एक समृद्ध व्यापारी थे। जिन्ना की माता का नाम मीठीबाई था। कायद-ए-आजम जिन्ना के माता-पिता बिज़नेस के सिलसिले में कराची जाकर बस गए थे। वहीं पर जिन्ना
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का जन्म हुआ।
जिन्ना के पूर्वज लोहाना ठक्कर जाति के थे। पूंजाभाई ने जब झींगा मछली बेचने का काम शुरू किया, तब लोहाना-ठक्कर जाति के लोगों ने उनके परिवार को बहिष्कृत कर दिया। इसके बाद परिवार ने इस्लाम धर्म अपना लिया और खोजा मुसलमान बन गए।
कराची में मुस्लिम आबादी के बीच रहते हुए
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जेनाभाई अपने बेटे का नाम कुछ ऐसा रखना चाहते थे, जिससे कि वह सुरक्षित रहे।
इस योजना के तहत जेनाभाई और मीठीबाई ने अपने बेटे का नाम मोहम्मद अली रखा। लेकिन साथ ही गुजरात में जिस तरह नाम के पीछे पिता का जोड़ा जाता है, उस परंपरा को भी जारी रखा। इस पूरा नाम हुआ- मोहम्मद अली जेनाभाई।
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Read 5 tweets
Mar 17
मीरा का मान रखने के लिये स्वयं श्री कृष्ण ने स्त्री रूप धारण किया l
राणा सांगा के पुत्र और अपने पति राजा भोजराज की मृत्यु के बाद जब संबन्धीयो के मीरा बाई पर अत्याचार अपने चरम पे जा पहुँचे तो मीरा बाई मेवाड़ को छोड़कर तीर्थ को निकल गई। घूमते-घूमते वे वृन्दावन धाम जा पहुँची।
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जीव गोसांई वृंदावन में वैष्णव-संप्रदाय के मुखिया थे। मीरा जीव गोसांई के दर्शन करना चाहती थीं, लेकिन उन्होंने मीरा बाई से मिलने से मना कर दिया। उन्होंने मीरा को संदेशा भिजवाया कि वह किसी औरत को अपने सामने आने की इजाजत नहीं देंगे। मीराबाई ने इसके जवाब में अपना संदेश भिजवाया
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कि ‘वृंदावन में हर कोई औरत है। अगर यहां कोई पुरुष है तो केवल गिरिधर गोपाल। आज मुझे पता चला कि वृंदावन में कृष्ण के अलावा यहां कोई और भी पुरुष है।
जीव गुसाईं ने सुबह जब भगवान कृष्ण के मंदिर के पट खोले तो हैरत से उनकी आँखें फटी रह गई, सामने विराजमान भगवान कृष्ण की मूर्ति घाघरा
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Read 9 tweets
Mar 17
स्वरा भास्कर एक D ग्रेड की को The वाली बाई हैं जिसने आज तक कोई भी हिट फिल्म नहीं दिया है।
लेकिन फिर भी इसकी निकाह की रिसेप्शन पार्टी में भारत भर के हिंदू विरोधी नेता इकट्ठे हुए...अखिलेश यादव राहुल गांधी अरविंद केजरीवाल जया बच्चन उद्धव ठाकरे एमके स्टालिन जैसे दिग्गज राजनेता और
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मुख्यमंत्री पूर्व मुख्यमंत्री आये
स्वरा भास्कर की एकमात्र खूबी यह है कि यह अपने ट्विटर पर तथा मीडिया में हिंदुओं के खिलाफ अनर्गल प्रलाप के लिए जानी जाती हैं और धुर भाजपा विरोधी हैं और कई बार भाजपा और हिंदू विरोध में यह गलत बयानी करते भी पकड़ी जाती हैं
जब किसी बलात्कार केस में
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अपराधी कोई सेकुलर नामधारी हिंदू होते हैं तब यह महीनों तक उस पर विलाप करती हैं लेकिन जब बलात्कार केस में मुस्लिम आरोपी होते हैं तब यह एकदम चुप रहती हैं
लेकिन तारीफ करनी चाहिए कि हिंदू विरोधियों ने अपना कितना शानदार इकोसिस्टम बना रखा है भारत में कई राष्ट्रवादी लोगों के
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