लंदन में भारत के दूतावास पर गोरों ने सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं कर रखे थे जिसके कारण खालिस्तानीयों ने भारतीय दूतावास पर हमला करके तोड़फोड़ की और तिरंगे का अपमान किया।
इसके जवाब में आज भारत ने लंदन के दूतावास से सारी सिक्योरिटी और बैरिकेटिंग हटा दी।
भारत की इस तीखी प्रतिक्रिया👇
के बाद अब यूके की सरकार ने लंदन में भारतीय दूतावास के बाहर बैरिकेटिंग और 3 लेयर सिक्योरिटी तैनात कर दी है!
ये नया भारत है... जैसा करोगे वैसा ही जवाब मिलेगा...
जय श्री राम
इस घमंड को तो अब त्याग ही दीजिए कि 76 वर्ष के लोकतंत्र में आप अभी तक बादशाह हैं ?
एक दो नहीं अनेक मामलों में जमानत पर हैं आप !
लोकतंत्र और राजशाही और तानाशाही ; तीनों अलग अलग चीज हैं!
तानाशाही का जमाना मुगलों और अंग्रेजों के साथ बीत गया,रजवाड़ों और रियासतों की परंपरा सरदार पटेल👇
ने ध्वस्त कर दी !
इसके बाद पूर्व राजाओं की अकड़ तोड़ने के लिए आपकी दादी ने प्रीविपर्स बंद कर दिए , तमाम सुविधाएं वापस ले ली !
मतलब राजशाही गई तानाशाही गई , फिर आप क्यों खुद को राजकुमार समझे जा रहे हैं ? लोकतंत्र में राजा भोज और गंगू तेली के अधिकार एक समान हैं !
लोकतंत्र में आपको
बोलने की आजादी है , बोलते रहिए । सबसे बड़ी पार्टी के औपचारिक सबसे बड़े नेता तो खड़गे हैं पर सब जानते हैं कि असली नेता तो आप हैं श्रीमान ? सार्वजनिक जीवन में संघर्ष करना पड़ता है , पार्टी को आगे ले जाना पड़ता है ।
आप बोलने के लिए उतने ही आजाद हैं , जितने अन्य नेता , यहां तक कि
ललित मोदी नीरव मोदी यानी सारे चोर और भ्रष्ट सिर्फ मोदी ही क्यों होते है
एक पूरे समुदाय को दो लोगों की वजह से भ्रष्ट और चोर कह देना राहुल गांधी को बहुत महंगा पड़ा
पूर्णेश मोदी बहुत बधाई के पात्र हैं जिन्होंने एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और राहुल गांधी पर क्रिमिनल मानहानि का केस 👇
किया और आज अंततः राहुल गांधी अदालत के द्वारा दोषी करार दे दिए गए हैं
आज राहुल गांधी ने अपने बचाव में कहा कि मैंने जानबूझकर यह बयान नहीं दिया था मेरे इरादे खराब नहीं थे मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ता हूं चुनावी सभा में मेरे मुंह से यह बात निकल गई हालांकि मैं कुछ और कहना चाहता था
लेकिन कोर्ट ने राहुल गांधी के इस दलील को नहीं माना और कहा कि आप एक बड़े पद पर हैं सार्वजनिक जीवन में हैं आपको बहुत सोच समझकर बोलना चाहिए
और थोड़ी देर में कोर्ट राहुल गांधी को सजा सुनाएगा हालांकि कोर्ट ने कहा है कि आप लिखित रूप से माफी मांग लीजिए लेकिन राहुल गांधी के वकील का कहना
अंग्रेजो के नौकर जस्टिस "आगा हैदर" ने भगत सिंह के पूरे केस की सुनवाई की थी और सजा भी लिखी थी. और सजा सुनाने के समय छुट्टी पर चले गए.सजा सुनाने का काम अंग्रेजों के एक अन्य नौकर जस्टिस शादीलाल ने किया था. आगा हुसैन और शादीलाल दोनों कांग्रेस से जुड़े हुए थे.
इससे पहले वीर सावरकर👇
को भी कालापानी की सजा किसी अंग्रेज ने नहीं बल्कि अंग्रेजों के एक नौकर जस्टिस नारायण गणेश चंदावरकरे ने सुनाई थी जो कांग्रेस का पूर्व अध्यक्ष था.
जनरल डायर को जलियावाला बाग़ काण्ड से वरी करने वाली हंटर कमेटी का सदस्य पं.जगत नारायण मुल्ला मोती लाल नेहरू के घनिष्ठ मित्र और उनके छोटे
भाई नन्दलाल नेहरू के समधी थे
इसी कमेटी के दूसरे सदस्य सर चिमन सीतलवाड़ भी मोतीलाल नेहरू के ख़ास मित्र थे. देश आजाद होने के बाद जवाहरलाल नेहरू ने उनके पुत्र एम.सी.सीतलवाड़ को भारत का पहला अटार्नी जनरल(1950 से 1963)बनाया था चिमन सीतलवाड़ तीस्ता चिमन सीतलवाड़ के सगे परदादा थे.
पूरी दुनिया के आतंकवादी घटनाओं को छोड़ दीजिए सिर्फ भारत में ही अब तक जितने भी आतंकवादियों को फांसी की सजा सुनाई गई है उनकी कुल संख्या 1990 है
और कुछ आतंकवादियों को फांसी पर लटका भी दिया गया है जैसे कसाब और याकूब मेमन और अफजल गुरु, मोहम्मद आमिर उर्फ अशफाक, मकबूल बट,
और भारत 👇
में 3000 से ज्यादा आतंकवादियों को आजीवन कारावास की सजा सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सुना दी गई है इन आतंकवादियों में कांग्रेस के बड़े नेता और गुजरात के पूर्व मंत्री मोहम्मद सुरती भी शामिल है तथा केरल का बड़ा मुस्लिम नेता अब्दुल नसीर मदनी भी शामिल है
लेकिन आज तक कभी राहुल गांधी ने 👇
यह बात नहीं कहा कि जितने भी आतंकवादियों को फांसी की सजा सुनाई गई है या जितने भी आतंकवादियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है यह सब के सब मुस्लिम क्यों है ?
लेकिन सिर्फ 2नाम यानी ललित मोदी नीरव मोदी और के नाम पर उन्होंने समूचे मोदी समुदाय को चोर बता दिया समूचे हिंदुओं को चोर
#राहुलगांधी_झूठा_है
काल का चक्र बड़ा निर्मोही होता है ..
SC ने कहा कि जो भी सांसद विधायक #अपराधी सिद्ध होगा उसकी #सदस्यता रद्द कर दी जाएगी।
मनमोहन सिंह ने इसके खिलाफ अध्यादेश जारी कर दिया। मनमोहन विदेश में थे और पप्पू इधर अगला प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रहा था।
अचानक 👇
एक दिन मीडिया को बुलाता है और उस #अध्यादेश को फाड़कर फेंक देता है।
सारे दरबारी इसकी इस "बहादुरी" पर तालियाँ पीटते हैं और मनमोहन सिंह को बड़ा बुरा लगता है कि एक प्रधानमंत्री के फैसले को अदना सा सांसद कैसे फाड़कर फेंक सकता है।
खैर..समय का पहिया चलता रहता है। आज इसी पप्पू को सजा
हो गयी। अब इसी तरह की सजा में लालू प्रसाद की सदस्यता चले गयी थी। अब इस पर तलवार लटक चुकी है। अब लोकसभा अध्यक्ष को फैसला करना है।आज मनमोहन सिंह जी अंदर ही अंदर अपनी बेज्जती के बदले पर हंस रहे होंगे।
लेकिन दरबारियों और दरबारी मीडिया की मुश्किल बढ़ गयी है। अब वापिस उस चीज को डिफेंड