Surendra Chaudhary Profile picture
Mar 27 7 tweets 3 min read Twitter logo Read on Twitter
भारत के बारे में दस ऐसी जानकारी जिन्हें पढ़कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जायेगा
(1) जब साइंस नाम भी नहीं था तब भारत में नवग्रहों की पूजा होती थी।
(2) जब पश्चिम के लोग कपडे पहनना नहीं जानते थे, तब भारत रेशम के कपडों का व्यापार करता था।
(3) जब कहीं भ्रमण करने का कोई साधन स्कूटर मोटर साईकल, जहाज वगैरह नहीं थे। तब भारत के पास बडे बडे वायु विमान हुआ करते थे।(इसका उदाहरण आज भी अफगानिस्तान में निकला महाभारत कालीन विमान है जिसके पास जाते ही वहाँ के सैनिक गायब हो जाते हैं। जिसे देखकर आज का विज्ञान भी हैरान है)
4) जब डाक्टर्स नहीं थे। तब सहज में स्वस्थ होने की बहुत सी औषधियों का ज्ञाता था, भारत देश सौर ऊर्जा की शक्ति का ज्ञाता था भारत देश। चरक और धनवंतरी जैसे महान आयुर्वेद के आचार्य थे भारत देश में।
(5) जब लोगों के पास हथियार के नाम पर लकडी के टुकडे हुआ करते थे। उस समय भारत देश ने आग्नेयास्त्र, प्राक्षेपास्त्र, वायव्यअस्त्र बडे बडे परमाणु हथियारों का ज्ञाता था भारत……

(6) हमारे इतिहास पर रिसर्च करके ही अल्बर्ट आईंसटाईन ने अणु परमाणु पर खोज की है…
(7)आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके नासा अंतरिक्ष में ग्रहों की खोज कर रहा है।
(8)आज हमारे इतिहास पर रिसर्च से रशिया और अमेरीका हथियार बना रहा है।
(9)आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके रूस, ब्रिटेन,अमेरीका,थाईलैंड,इंडोनेशिया देश बचपन से ही बच्चों को संस्कृत सिखा रहे हैं स्कूलों में।
(10) आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके वहाँ के डाक्टर्स बिना इंजेक्शन, बिना अंग्रेजी दवाईयों के केवल ओमकार का जप करने से लोगों के हार्ट अटैक, बीपी, पेट, सिर, गले छाती की बडी बडी बिमारियाँ ठीक कर रहे हैं। ओमकार थैरपी का नाम देकर इस नाम से बडे बडे हॉस्पिटल खोल रहे हैं।
अपने इतिहास पर गौरव करने की बजाय हम अपने इतिहास को भूलते जा रहे हैं। हम अपनी महिमा को भूलते जा रहे हैं। हम अपने संस्कारों को भूलते जा रहे हैं।

अब भी समय है अगर आप अपना अस्तित्व चाहते है तो अपनी मिटती हुई संस्कृति को बचाने का बीड़ा उठाइये।

#सनातन_धर्म_ही_सर्वश्रेष्ठ_है 🚩

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with Surendra Chaudhary

Surendra Chaudhary Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @surendrapalsin3

Mar 28
#कैकेयी नहीं बल्कि ये रूपवती राजकुमारी थी रामायण की मुख्य खलनायिका..?

सीताराम की कथा में सबसे महत्वपूर्ण प्रसंग वनवास से लेकर रावण वध तक का है. और, सीता राम के वनवास का कारण प्रत्यक्ष रूप में कैकेयी दिखती हैं, तो अप्रत्यक्ष रूप से कैकेयी के कान भरने वाली मंथरा है. Image
लेकिन इस $मंथरा की क्या कहानी है? आपके लिए यह जानना दिलचस्प होगा कि सच में #मंथरा क्या दासी थी या कोई राजकुमारी..
आम तौर पर सह पात्र समझी जाने वाली कुबड़ी #मंथरा (Manthara) को कुछ कथा वाचक रामकथा की मुख्य खलनायिका तक करार देते हैं । Image
क्योंकि उसी की वजह से सीता और राम (Ram & Sita) को वनवास भोगना पड़ा. लेकिन, कैकेयी (Kaikeyi) की दासी मंथरा के बारे में आप कितना जानते हैं? वह कबसे कैकेयी की दासी थी? उससे पहले की कथा क्या थी? क्या वह हमेशा से कुरूप थी?
Read 21 tweets
Mar 27
जो बेटी घर से भाग कर शादी नही,अपनी हवस के लिए परिवार को त्याग देती,वो बेटी इस पिता की कहानी को पढ़े।
घर से भागी हुई बेटियों का पिता इस दुनिया का सबसे अधिक टूटा हुआ व्यक्ति होता है, पहले तो वो महीनों तक घर से निकलता ही नही और फिर जब निकलता है तो हमेशा सिर झुका कर चलता है,
आस पास के मुस्कुराते चेहरों को देख उसे लगता है जैसे लोग उसी को देख कर हँस रहे हों, जीवन भर किसी से तेज स्वर में बात नहीं करता, डरता है कहीं कोई उसकी भागी हुई बेटी का नाम न ले ले, जीवन भर डरा रहता है, अंतिम सांस तक घुट घुट के जीता है, और अंदर ही अंदर रोता रहता है।
जानते हैं भारतीय समाज अपनी बेटियों को लेकर इतना संवेदन शील क्यों है,
भारतीय इतिहास में हर्षवर्धन के बाद तक अर्थात सातवीं आठवीं शताब्दी तक बसन्तोत्सव मनाए जाने के प्रमाण मौजूद हैं, बसन्तोत्सव बसन्त के दिनों में एक महीने का उत्सव था
Read 11 tweets
Mar 27
अस्सी नब्बे के दसक में विदेशों में भारत और भारतीयों की पहचान बस टैक्सी ड्राइवर, कुली, संपेरों और मदारियों के देश की ही थी.

उसकी एक बड़ी वजह थी - फ़िल्में. सिटी ऑफ़ जॉय जैसी फ़िल्में बनती थीं जिसमें भूखे नंगे भिखारी दिखाये जाते थे.
फ़िल्म के आरम्भ और अंत में कैप्शन होता था कुछ डालर दान दे दो तो भारत में किसी को महीने भर का ख़ाना मिल जाएगा. जेम्स बॉण्ड की मूवी थी ऑटोपसी. शूटिंग भारत में हुई थी. लेकिन भारतीय या तो नौकर की भूमिका में थे या साँप बंदर खाने वाले. यहाँ तक कि हीरोइन भी विदेशी रखी थी.
फ़िल्में समाज का आईना होती हैं,फ़िल्मो ही समाज के बारे में राय बनाती हैं.हॉलीवुड फ़िल्में देख एक आमधारणा है कि अमेरिका में तो बस गौरी लड़कियाँ तैयार खड़ी रहती हैं चुम्मी देने के लिए.हक़ीक़त में गौरी लड़की के नाज, नख़रे झेल पाना आम देशी के बस का नहीं.पर फ़िल्मों ने छवि बना दी.
Read 6 tweets
Mar 27
आखिर कोई तो बात होगी राहुल गांधी में? जो देश विदेश की वामपंथी लॉबी, दुनियाभर में फैले अर्बन नक्सल्स, बीबीसी, कैंब्रिज और अमेरिकी अखबार उनके मुरीद हो रहे हैं? जेएनयू, जामिया, जादवपुर, अलीगढ़ और हैदराबाद उस्मानिया विश्व विद्यालयों के छात्र, देसी विदेशी टूल किट्स, कांग्रेस पार्टी
और देश का एक सामाजिक हिस्सा, सब राहुल के मुरीद कैसे हो गए, चाहे वे चीन हो या पाकिस्तान? कुछ तो होगा, पर आखिर ऐसा क्या है राहुल में!

राहुल ने एक हिस्से पर पकड़ तो बनाई है। इसके बावजूद वे विपक्ष द्वारा सामूहिक रूप से प्रोजैक्ट नहीं हो पा रहे। जब भी मोदी के विकल्प की बात आती है,
तमाम विरोधी पार्टियां होंठ सिल लेती हैं। ममता, अखिलेश, केसीआर, केजरीवाल, नीतीश, शरद पवार आदि नेताओं ने एक बार भी नहीं कहा कि राहुल हमारे नेता होंगे। मजेदार बात यह कि राहुल की उम्मीदवारी से चेन्नई में स्टालिन के जन्मदिन मंच पर खड़गे भी इंकार कर आए।
Read 9 tweets
Mar 27
एक घंटे में 60 मिनट और एक मिनट में 60 सेकंड ही क्यों होते हैं ?

ये तो आप जानते हैं कि एक घंटे में 60 मिनट होती है और एक मिनट में 60 सेकेंड्स होती है। लेकिन,कभी आपने सोचा है कि आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई होगी और सबसे पहले 60 के आधार पर गणना किसने की होगी।ये जानना काफी दिलचस्प है Image
कि आखिर सबसे पहले 60 वाले इस कंसेप्ट की किस तरह शुरुआत हुई और सबसे पहले इसकी शुरुआत किसने की थी। इसके बाद आप समझ पाएंगे कि समय में एक घंटे में 60 मिनट और 60 सेकेंड्स का कंसेप्ट किस तरह से शुरू हुआ।

डीडब्ल्यू हिंदी की एक रिपोर्ट के अनुसार, बेबीलोन के लोगों द्वारा विकसित की गई
यह एक प्राचीन प्रणाली पर आधारित होता है, जो मेसोपोटामिया की सभ्यता में रहते थे। रिपोर्ट के अनुसार, उन लोगों ने बाएं हाथ के अंगूठे से चार अगुंलियों के 12 हिस्सों को गिना था, जिसे एक पवित्र अंक माना था। इसके बाद उन्होंने रात और दिन को इस 12 के आधार पर बांट दिया। हालांकि,
Read 9 tweets
Mar 27
आरआरआर मुवी के गाने को ऑस्कर पुरस्कार मिला | भारतीय होने के नाते गौरव की बात है | नहीं तो पहले गरीबी दिखाकर /बेचकर ही पुरस्कार मिला करता था |

पहले दक्षिण की मुवीज,खासकर अतिशय एक्शन सींस देखकर सोचती थी कुछ ज़्यादा नहीं हो गया?मतलब कुछ भी?
पर अब सोचती हूँ इसमें बुरा क्या है ? भारतीय धर्म,संस्कृति को नीचा दिखानेवाले,क्लब,दारू,पार्टी और अश्लील शब्द बोलनेवाले,गलत नैरेटिव सेट करनेवाले रीढ़हीन कहानियों और चरित्रों को देखकर अगर युवा भटकता है मतलब उसका पक्का असर होता है |
तो आरआरआर जैसी मुवीज देखकर मन में वीर रस भर जाये तो इसमें दिक्कत क्या है भला?

सच बताइए अंत में जब विस्फोट से भरा बिल्डिंग ढहता है तो क्या आपलोगों को अच्छा नहीं लगता? ऐसा नहीं लगता कि दुश्मनों का अहंकार का क़िला
चकनाचूर हो गया है ? जोश नहीं चढ़ जाता?
Read 8 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(