#कैकेयी नहीं बल्कि ये रूपवती राजकुमारी थी रामायण की मुख्य खलनायिका..?
सीताराम की कथा में सबसे महत्वपूर्ण प्रसंग वनवास से लेकर रावण वध तक का है. और, सीता राम के वनवास का कारण प्रत्यक्ष रूप में कैकेयी दिखती हैं, तो अप्रत्यक्ष रूप से कैकेयी के कान भरने वाली मंथरा है.
लेकिन इस $मंथरा की क्या कहानी है? आपके लिए यह जानना दिलचस्प होगा कि सच में #मंथरा क्या दासी थी या कोई राजकुमारी..
आम तौर पर सह पात्र समझी जाने वाली कुबड़ी #मंथरा (Manthara) को कुछ कथा वाचक रामकथा की मुख्य खलनायिका तक करार देते हैं ।
क्योंकि उसी की वजह से सीता और राम (Ram & Sita) को वनवास भोगना पड़ा. लेकिन, कैकेयी (Kaikeyi) की दासी मंथरा के बारे में आप कितना जानते हैं? वह कबसे कैकेयी की दासी थी? उससे पहले की कथा क्या थी? क्या वह हमेशा से कुरूप थी?
मंथरा दासी नहीं,कैकेयी की बहन थी?
इस सवाल के जवाब पर आप बेशक सोच में पड़ सकते हैं. और अगर आपसे कहा जाए कि ऐसा संभव है कि दोनों बहनें थीं और बहनें होते हुए अच्छी सहेलियां भी. इसलिए कैकेयी अयोध्या नरेश दशरथ से विवाह के बाद मंथरा को अपने साथ ले आई थीं
कि दोनों एक दूसरे के बगैर रह नहीं सकती थीं. यह सुनकर आप चौंकेंगे लेकिन प्रश्न यह भी उठेगा कि ऐसा था तो मंथरा कुरूप कैसे हुई.
एक कथा के अनुसार मंथरा को दासी नहीं बल्कि कैकेयी की चचेरी बहन बताया गया.
मंथरा राजकुमारी रेखा थी?
कैकेयी अस्ल में, कैकेय राज्य के राजा अश्वपति की बेटी थीं. यह कैकेय राज्य वर्तमान समय के काकेशियस या कश्मीर या अफगानिस्तान और पंजाब के बीच का एक स्थान बताया गया है. राजा अश्वपति का एक भाई वृहदश्रव था और उसकी बेटी थी मंथरा।
कथा में इस रेखा को विशालाक्षी यानी बड़े नेत्रों वाली और बेहद बुद्धिशाली बताया गया है. साथ ही, यह भी कि उसे अपने रूप और बुद्धि का अहंकार भी था. घमंड ने कर दिया कुरूप?
इस कथा में यह भी बताया गया है कि राजकुमारी रेखा अपने रूप को हमेशा बरकरार रखने की लालसा में..
किसी अनुचित चीज़ का सेवन कर लिया था, जिससे उसका शरीर झुक गया और वह कुरूप हो गई. कुरूप होने का एक कारण यह भी बताया जाता है कि वह एक शरबत के सेवन के कारण त्रिदोष का शिकार हुई थी और उसका शरीर तीन जगहों से तिरछा हो गया था.
नाम ऐसे पड़ा मंथरा;
इस व्याधि की शिकार होने के कारण राजकुमारी रेखा को कुबड़ी मंथरा कहा जाने लगा. मंथरा का अर्थ मंथर यानी खराब बुद्धि के कारण पड़ा क्योंकि शारीरिक व्याधि के बाद वह मानसिक रूप से भी खीझ की शिकार हो गई थी और उसका व्यवहार जगहंसाई के कारण अक्सर बुरा हो जाता था.
लेकिन कैकेयी ने साथ नहीं छोड़ा
राजकुमारी रेखा के कुरूप हो जाने के बाद भी कैकेयी का जुड़ाव उससे बना रहा इसलिए वह विवाह के बाद उसे अपने साथ अयोध्या ले गई. अयोध्या में भी उसकी कुरूपता के कारण वहां उसका परिहास किया जाता था और उसे कैकेयी की दासी ही समझा जाता था.
इससे उपजी खिन्नता के कारण ही मंथरा ने अयोध्या के अमंगल के लिए राम के वनवास के लिए कैकेयी को भड़काया था.
मंथरा को एक कथा में बेहद खूबसूरत और बुद्धिमान राजकुमारी बताया गया है.
कितनी विश्वसनीय है यह कथा? पौराणिक कथाओं के साथ कई किंवदंतियां
इस तरह जुड़ी हुई हैं कि कई बार भेद करना मुश्किल होता है कि वास्तविकता क्या थी. इसी तरह, इस कथा के किसी प्रामाणिक स्रोत का खुलासा नहीं है. यह कथा कथा के ही तौर पर बताई गई है इसलिए इसे किंवदंती समझा जा सकता है. वैसे, मंथरा के बारे में ग्रंथों के हिसाब दो अन्य रोचक कथाएं मिलती हैं.
इंद्र के वज्राघात से हुई कुरूप
लोमश रामायण में उल्लेख बताया जाता है कि श्रीराम वनवास के बाद लोमश ऋषि अवध आये थे, तब मंथरा की कथा सुनाई थी. मंथरा प्रह्लाद के पुत्र विरोचन की पुत्री थी. जब विरोचन ने देवताओं पर विजय हासिल की तो देवताओं ने ब्राह्मण भिक्षु रूप धरा और उसकी आयु मांग ली
दैत्य बिना सरदार के हो गये. मंथरा की सहायता से दैत्यों ने देवताओं को हराया और तब देवता भगवान विष्णु की शरण में गये. फिर विष्णु की आज्ञा से इन्द्र ने वज्र से वार किया. मंथरा चिल्लाती हुई पृथ्वी पर गिरी तो कूबड़ निकल आया.विष्णु से बदले के लिए पुनर्जन्म
यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई.
लोमश ऋषि के अनुसार मंथरा अपनी पीड़ा में विष्णु को कोसती रही लेकिन उसके अपनों ने भी उसे ही दोषी माना. भगवान विष्णु के अन्यायों के कारण उनसे बदला लेने की बात कहते हुए उसकी मृत्यु हुई. लेकिन बदला लेने की वासना के कारण वह अगले जन्म में कैकेयी की दासी बनी
और विष्णु के अवतार राम के सुखमय जीवन को तबाह करने का कारण बनी. लोमश ऋषि के अनुसार मंथरा की यह कथा कृष्णप्रिया कुब्जा की कथा है, यानी कुब्जा का पूर्वजन्म मंथरा है.
पौराणिक कथा के अनुसार कृष्ण की चहेती कुब्जा का पूर्वजन्म थी मंथरा
हिरणी का पुनर्जन्म
पुराणों के हवाले से एक कथा और बताई जाती है.एक संत लिखते हैं कि एक बार कैकेयी के पिता ने शिकार करते समय एक मृग यानी हिरण का वध किया तो उसकी हिरणी रोती हुई अपनी माता के पास गई.उसने सब वृत्तान्त सुन राजा के निकट आकर कहा कि तुम मेरे दामाद को छोड़ दो,
मैं यक्षिणी होने के कारण इसे जीवित कर लूंगी. राजा ने यह वचन सुन उसको तलवार मार दी, तब उसने मरते समय श्राप दिया कि 'जैसे तुमने मेरे प्राण लिये, इसी तरह मैं तुम्हारे दामाद के प्राण लूंगी. यही हिरणी अगले रूप में मन्थरा हुई .
यही हिरणी अगले रूप में मन्थरा हुई और राम को वनवास दिलाने का कारण बनकर एक तरह से दशरथ की मृत्यु का भी कारण बनी.
गंधर्वी का अवतार थी मंथरा?
धार्मिक कथाओं के कई आधार हैं. इसका प्रमाण आपको इतनी कथाओं से मिल गया होगा. एक और कथा की मानें तो रावण और राक्षसों के हाहाकार से डरकर देवता
ब्रह्मा के पास पहुंचे. ब्रह्मा ने देवताओं से कहा कि तुम सब रीछ और वानर रूप में पृथ्वी पर अवतार लो और विष्णु अवतार की सहायता करो. तब, देवताओं ने दुंदुभी नाम की गंधर्वी से पृथ्वी पर जन्म लेकर कैकेयी की दासी रूप में भगवान राम के वन जाने की भूमिका रचने को कहा.
गंधर्वी एक कुब्जा के रूप में जन्म लेकर मंथरा रूप में राम के वनवास का कारण बनी.
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देवानंद के बड़े भाई फिल्म निर्माता चेतन आनंद द्वारा 1965 में बनी फिल्म 'हकीकत' को भारतीय सिनेमा में युद्ध पर बनी सबसे कालजयी मूवी माना जाता है। इस फिल्म को बनाने से पहले चेतन आनंद महज 25 हजार रुपए का इंतजाम न होने के कारण बेहद परेशान थे और फिर कैसे उनकी परेशानियां दूर हुईं
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साफ़ सुथरी कॉमेडी फिल्म अंगूर
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बंगाल विश्व की एकमात्र सभ्यता है जिसे खुद बंगालियों ने ही लूटा है। आज महाराष्ट्र सबसे अमीर राज्य है तो उसका एक बहुत कारण बंगाल की बर्बादी भी है।
बात 1947 की है जब कोलकाता को एशिया का लंदन कहा जाता था। बिरला, टाटा, फिलिप्स, जेके ग्रुप जैसे ब्रांड किसी समय दिल्ली मुंबई नही
बल्कि कोलकाता से चलते थे। 1977 में कांग्रेस की हार हुई और कम्युनिस्ट पार्टी का आगमन हुआ। ज्योति बसु मुख्यमंत्री बने और सिलसिला शुरू हुआ बंगाल के बर्बाद होने का।
बंगाली मजदूरो ने कम्युनिस्टों के बहकावे में आकर हड़तालें शुरू कर दी,
आदित्य बिड़ला को कोलकाता की सड़क पर नंगा घूमने को मजबूर किया गया, मित्तल ग्रुप की कारो में धमाके किये। इन सबका फायदा उठाया महाराष्ट्र की सरकारों ने क्योकि उन दिनों मुंबई को कोलकाता की सिस्टर सिटी कहा जाता था।
महाराष्ट्र की सरकारों ने बंगाल की इंडस्ट्रीज को फ्री में बसाया।
5000 साल पहले ब्राह्मणों ने हमारा बहुत शोषण किया ब्राह्मणों ने हमें पढ़ने से रोका। यह बात बताने वाले महान इतिहासकार यह नहीं बताते कि,100 साल पहले अंग्रेजो ने हमारे साथ क्या किया। 500 साल पहले मुगल बादशाहों ने क्या किया।।
हमारे देश में शिक्षा नहीं थी लेकिन 1897 में शिवकर बापूजी तलपडे ने हवाई जहाज बनाकर उड़ाया था मुंबई में जिसको देखने के लिए उस टाइम के हाई कोर्ट के जज महा गोविंद रानाडे और मुंबई के एक राजा महाराज गायकवाड के साथ-साथ हजारों लोग मौजूद थे जहाज देखने के लिए।
उसके बाद एक डेली ब्रदर नाम की इंग्लैंड की कंपनी ने शिवकर बापूजी तलपडे के साथ समझौता किया और बाद में बापू जी की मृत्यु हो गई यह मृत्यु भी एक षड्यंत्र है हत्या कर दी गई और फिर बाद में 1903 में राइट बंधु ने जहाज बनाया।
जब धर्मेंद्र की दरियादिली से पूरी हुई एक अधूरी फिल्म ।
धर्मेंद्र जब मुंबई अभिनेता बनने आए और फिल्मों में काम करने के लिए स्ट्रगल कर रहे थे तब उनको एक फिल्म मिली शोला और शबनम। शोला और शबनम के कुछ प्रिंट धर्मेंद्र ने मशहूर निर्माता निर्देशक बिमल रॉय को दिखाए
बिमल रॉय ने वो प्रिंट में धर्मेंद्र की अदाकारी देख कर धर्मेंद्र को उनकी अपनी फिल्म बंदिनी में अभिनेय करने का मौका दिया और बंदिनी धर्मेंद्र के लिए मील का पत्थर साबित हुई और लगातार उनको फिल्मे मिलने लगी जिससे वो एक बड़े स्टार बन गए।
काफी साल बाद बिमलरॉय धर्मेंद्र को लेकर चैताली नाम की एक फिल्म बना रहे थे।लेकिन फिल्म आधी ही बनी थी की बिमलरॉय की मृत्यु हो गई।बिमलरॉय की पत्नी इस फिल्म को पूरा करना चाहती थी लेकिन पैसों की समस्या को लेकर नहीं बना पा रही थी क्योंकि फिल्म से जुड़े सभी लोगो ने उनको बोल दिया था