#अवलोकितेश्वर, बुद्ध और तारा के शिल्प से प्रेरित है लक्ष्मण, राम और सीता के चित्र| #बुदुरुवगला बौद्ध विहार जो आज #श्रीलंका का प्राचीन विहार है| यह विहार महायानी बुद्धिजम से प्रेरित है|
यहा बोधिसत्व की लागभग 7 मूर्तीया है| यह मूर्तीया साधारणतः 9-10 शताब्दी मे बनाई गई है|
इन,
मूर्तियो मे एक खास मूर्ति है, जो बुद्ध, बोधिसत्व अवलोकितेश्वर और बोधिसत्व तारा की है|
इस शिल्प के मध्यमे बुद्ध खड़े है उनके दाएं बाजू मे बोधिसत्व तारा तथा बाये ओर अवलोकितेश्वर है|
भारत मे ब्राह्मणो द्वारा राम , लक्ष्मण और सीता इन पात्रो को रामायण मे रेखांकित किया गया| इन पात्रो
की अनेक चित्र भी आधुनिक काल मे बनाई गई|
वास्तविकता मे राम, लक्ष्मण और सीता काल्पनिक पात्र है, उन्हे चित्रित करना संभव नही था, इसलिए बुद्ध, अवलोकितेश्वर और तारा के इस शिल्प का उपयोग राम, लक्षण और सीता के रुप मे किया गया| रामायण वास्तव मे जातक कथाओकी चोरी मात्र है|
रामायण का राम
वास्तव मे दशरथ जातक के बोधिसत्व से चुराया गया पात्र है और हनुमान यह महाकपी जातक से चुराया हुवा पात्र है|
#WamanMeshram
छत्रपति क्रांति सेना और भारत मुक्ति मोर्चा द्वारा आयोजित छत्रपति शिवाजी महाराज के जयंती के अवसर पर राज्यस्तरीय विशाल सभा
दि:-8अप्रैल2023,
समय:-सांम 4 से 10 बजे तक,
स्थान:-अंजुमन हाइस्कूल मैदान, माई मोहल्ला, छ.शिवाजी महाराज ग्रामीण अस्पताल के सामने, जुन्नर, पुणे, MH
विषय:-
🎯छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्मतारिख और जन्म वर्ष के विवाद के पीछे मूल वजह छत्रपति शिवाजी महाराज तथा माँसाहेब जिजाऊ का चरित्रहनन करना है| -एक गंभीर चर्चा
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अथवा👈
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🎯छत्रपति शिवाजी महाराज की असली जन्मतारिख 8अप्रैल1627 को बदलकर 19फरवरी1630 यह तारीख असंवैधानिक तरीके से
आरएसएस-भाजपा के ब्राह्मणो ने महाराष्ट्र तथा देश की जनता पर थोपी है| -एक गंभीर चर्चा
उद्घाटक:- मा.न्यायमूर्ति टी.वी.नलवाड़े (पूर्व न्यायाधीश, मुंबई हाईकोर्ट,महाराष्ट्र)
विशेष मार्गदर्शक:- इतिहासचार्य एड.अनंतराव दारवटकर (पूणे, महाराष्ट्र)
डॉ.विलास खरात (राष्ट्रीय महासचिव, भारत
सम्राट असोक की जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित करने वाले भारत के पहले और अब तक के आखिरी मुख्यमंत्री माननीय श्री नीतीश कुमार है|
मुख्यमंत्री ने जब चैत शुक्ल अष्टमी को सम्राट असोक की जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित किया, तब तूफान खड़ा हो गया कि अशोक की जन्म - तिथि इतिहासकारो को नही पता तो
मुख्यमंत्री कैसे जान गए?
दरअसल जो सम्राट असोक का आदर्श जिया है, वो जानेगा कि उनकी जन्म - तिथि कब है?
कंबोडिया के राजा जयवर्मन सप्तम ने सम्राट असोक के आदर्शों को अपने जीवन मे उतारा था| बौद्ध धम्म के प्रचार हेतु उन्होने भी अपने बेटे को असोक की भाँति श्रीलंका भेजा था|
राजा जयवर्मन
सप्तम को कंबोडिया का सम्राट असोक कहा जाता है|
राजा जयवर्मन सप्तम चैत शुक्ल अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक जो उत्सव समारोह मनाते थे, वह सम्राट असोक का जन्मोत्सव समारोह ही था|
- @563Rajendra
Rajendra Prasad Singh
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जजो की भर्ती पर बड़ा खुलासा/संसद मे कानून मंत्री ने खोले राज/कोलेजियम की वजह से बहुजनो की हकमारी/SC-ST-OBC को नही बनने दिया जा रहा जज/SHAMBHU ON JUDGE EXAM AND HC-SC
ब्राह्मणो के धर्म शास्त्रो मे एक प्रसंग आता है कि द्रोणाचार्य नामक ब्राह्मण ने एक
प्रतिभासंपन्न--एकलव्य (आदिवासी व्यक्ति) का अँगूठा काटा था|
गुरु दक्षिणा के नाम पर भोले भाले ईमानदार आदिवासी का|
21 वी सदी मे भी द्रोणाचार्य के वंशज आदिवासियो के साथ वही इतिहास दोहरा रहे है|
क्या आदिवासी समुदाय के बुद्धिजीवियो को अपने समुदाय पर हो रहे अन्याय व अत्याचारो को जड़ से
💐 *बाबासाहब अम्बेडकर के आंदोलन को , बाबासाहब का महापरिनिर्वाण होने के बाद ब्राह्मणो के द्वारा बाबासाहब के आंदोलन से जुड़े हुए लोगो को साम, दाम, दंड और भेद की नीतियां अपना कर खत्म कर दिया था,*
*👍 उसे फिर से पुनर्जीवित करने के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान करने वाले महापुरुष के
द्वारा कही गई बातो पर बुद्धिजीवियो को थोड़ा चिंतन करके,*
*👍 अपने अन्दर समझ का विकास करके, उन पर अमल करना चाहिए|*
😢 *नोट:- महापुरुषो की जय जयकार करने से एवम महापुरुषो के त्याग, कुर्बानी एवम संघर्ष के बारे मे बड़े बड़े मंचो पर लक्छेदार एवम जोशीला भाषण देने की बजाय, महापुरुषो के
त्याग, कुर्बानी एवम संघर्ष के इतिहास से प्रेरणा लेकर, अमल (अनुसरण ) करने की जरूरत है|*
👌 *तथा महापुरुषो के नाम पर, जातियो के नाम पर चल रहे समस्त संगठनो को मिलजुलकर संगठित शक्ति का निर्माण करना चाहिए|*
*छात्र नेता दीपक रैकवार ने की बेरोजगारी पर कविता लिखकर सरकार से बड़ी मांग*
भर्ती निकले तो इम्तहान नही
परीक्षा हो तो परिणाम नही
परिणाम निकले तो Joining का नाम नही,
आखिर क्यों युवाओ का
सम्मान नही?
बस करो मजाक अब युवा मागे हिसाब अब,
बात करो, संवाद करो
दो हमारे प्रश्नो का जवाब अब
क्यों हर भर्ती पंचवर्षीय योजना है?
किस नए भारत की ये परियोजना है?
कैसी ये परीक्षा प्रणाली है?
आपने युवाओ की छीन ली जवानी है।
क्यों पेपर मे गलत सवाल डालते फिर 100-100 ₹ का व्यापार करते Rank List का नही प्रावधान करते
Waiting List का नही समाधान करते साहत : दो-चार हो तो बोलू..
अरे आप तो जुल्म हज़ार करते
जागो सरकार जागो, बस यही कहना है
हमारी समस्याओ पर ध्यान दो
1 वर्ष के भीतर पूरी प्रक्रिया हो
भाषण नही, बस नौकरियाँ हो
युवाओ से भी कुछ कहना है, अब और नही सहना है
बुलंद अपनी आवाज़ करो
आज कुछ ऐसी हूँकार भरो आ जाए चाहे सैलाब अब
रुकना नही, झुकना नही
ब्राह्मण इतिहासकारो ने सिंधु सभ्यता मे मिले महिला के मूर्ति को और उसके इतिहास को छिपाकर रखा क्यों कि ब्राह्मण जानते थे सिंधु सभ्यता उनकी नही है| ब्राह्मणो ने उस महिला को डांसिंग गर्ल कहकर उपहास किया| बुद्ध ने खोई हुई सिंधु सभ्यता को ही आगे चलाया है| एक ऐसा ज्ञान जो बहुजनो के हित
का ज्ञान है उसे धम्म के नाम से प्रस्तुत किया| यही वह धम्म है जिसे सम्राट अशोक ने दुनिया को बाटा तो बुद्ध धम्म विश्व धर्म हुआ| ब्राह्मणो ने पनि सिंधुजनो से जैसे घृणा की वैसे ही बुद्ध धम्म से घृणा की| ब्राह्मणो ने जैसे हिंसा के जरिये सिंधु सभ्यता खत्म की वैसे ही शुंग ने बृहद्रथ
मौर्य की हत्या की और हिंसा के जरिये ही ब्राह्मणवाद को थोपा| पटना ( प्राचीन नाम- पाटलिपुत्र) मे एक महिला की सुंदर मूर्ति नदी मे मिली| वह मूर्ति अब पटना संग्रहालय मे है| वह मूर्ति किसकी है और वह कौन है इसपर ब्राह्मण इतिहासकारो ने पर्दा डाला हुआ है| अब हमे खोजबीन करने के बाद वह