Exploring the Similarities in Themes, Collaborations, Use of Violence and Music: Vetrimaaran and Quentin Tarantino’s Impactful Filmographies!" #Vetrimaaran#ViduthalaiPart1#Tarantino 🧵⬇️
Vetrimaaran and Tarantino are both highly acclaimed film directors known for their attention to detail and gripping narratives. While Vetrimaaran's films deal with social issues in India and Tarantino's films are often genre-bending and pay homage to classic films.
Vetrimaaran's films "Visaranai" and "Asuran" and Tarantino's "Django Unchained" and "Kill Bill" films deal with characters seeking revenge against their oppressors. In Vetrimaaran's "Visaranai" and Tarantino's "Pulp Fiction," violence is used to highlight the harsh realities.
Both directors also use music to enhance the emotional impact of their films, with Tarantino's iconic soundtracks and Vetrimaaran's use of traditional Indian music adding a layer of cultural richness to their works.
In Vetrimaaran's "Asuran" and Tarantino's "Kill Bill" films, music and violence are often intertwined, with fight scenes choreographed to the rhythm of the soundtrack.
Both directors have also collaborated with certain actors, such as Dhanush and Samuel L. Jackson, who have become synonymous with their respective filmographies.
In Vetrimaaran's "Vada Chennai" and Tarantino's "Reservoir Dogs," music is used to set the tone for the film, with the opening credits accompanied by memorable tracks that immediately immerse the audience into the story.
Both directors also have a penchant for violence, with graphic and intense scenes often used to highlight the consequences of one's actions. Vetrimaaran's use of violence is often grounded in realism, while Tarantino's is more stylized and exaggerated, with blood and gore.
While Vetrimaaran and Tarantino have distinct narration styles, both directors are masters of their craft and have made a significant impact on the film industry with their thought-provoking and visually stunning films.
So, if you're a fan of movies that explore the depths of the human experience through the use of violence and music, Vetrimaaran and Tarantino's filmographies are definitely worth checking out! #ViduthalaiPart1
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आप पर्सनल अटैक बंद करो। आपका पर्सनल तो मैं फिर किसी दिन खोलूँगा।
फ़िलहाल तो ये बताओ कि राष्ट्रपति भवन के अंदर कुछ साल पहले जब इफ़्तार और अजान हुई थी जिसमें कानून से लेकर हर क्षेत्र के लोग शामिल हुए थे तब तुम चुप क्यों रहे?
इसी साल सुप्रीम कोर्ट के अंदर ईद मिलन हुआ तो कितना भाईचारा था। आधा दर्जन से ज़्यादा जज आए थे। तुम क्यों नहीं नहीं बोले?
होली का उत्सव हमें वहाँ नहीं दिखता। हमारी दुर्गा माता और मनसा देवी को वहाँ जगह नहीं मिलती। बुद्ध पूर्णिमा नहीं मनाते उधर। दीवाली पर मिलकर पटाखे नहीं फोड़ते जज और वकील सुप्रीम कोर्ट में।
लेकिन नमाज़ कर लेते हैं और सेक्युलरिज्म सुरक्षित रहता है।
चुप क्यों हो?
सुन लो। ऐसा वाला भाईचारा नहीं चाहिए जिसमें वो “भाई” बनें और हम “चारा!”
भारत में हिंदू भी अपना त्यौहार मनायेगा और दूसरे के न्यौते पर उनके घर जाएगा। लड्डू खाएगा। सब अपने त्यौहार मनाएँगे।
पीएम साहब प्रधानमंत्री के साथ एक नागरिक भी हैं। चीफ़ जस्टिस भी तो बेचारे नागरिक हैं। दो प्राइवेट लोग एक दूसरे के बुलावे पर गणपति पूजा साथ मना ही लिए तो किसी को मिर्च 🌶️ क्यों लग रही है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी तो चीफ़ जस्टिस के साथ रोज़ा इफ़्तार किए थे। वहाँ बात भी हुई थी। तुम तब भी नहीं बोले थे।
मैं तो नास्तिक हूँ। तथागत गौतम बुद्ध और कबीर के विचार के क़रीब हूँ। पर मेरे एक दोस्त ने गणपति पर बुलाया है। मैं हर साल जाता हूँ। इस बार भी जाऊँगा। एक दिन के लिए शाकाहारी भी बन जाऊँगा।
ठीक है?
अब ये बताओ कि नोएडा में जब बहनजी तुम्हारे घर के सामने पार्क में बाबा साहब की मूर्ति लगवा रही थीं तो तुम लोग विरोध करने सुप्रीम क्यों गए थे?
क्या फ़ायदा हुआ? आज तुम घर से निकलते हो तो बाबा साहब की मूर्ति को देखते हुए और सुप्रीम कोर्ट पहुँचते हो तो वहाँ भी बाबा साहब की मूर्ति।
विरोध करके क्या मिला?
🔔
आप लोगों की इलाहाबाद की कोठी से लेकर धर्मशाला की ज़मीन का हिसाब है मेरे पास। 85,000 रुपए में इलाहाबाद की सिविल साइंस मे 7,818 स्क्वैयर फुट में फैला महल नहीं ख़रीदा जाता। वह भी 2010 में।
सब पता है।
भारत तोड़ो गैंग की मेंबरी छोड़ दो। यही देश हित में ठीक रहेगा।
85,000 रुपए को सुधारकर 95,000 रुपया पढ़ें। 5,000 रुपए का एडवांस पहले से दिया हुआ था। इतनी सी रक़म में इलाहाबाद की सिविल साइंस मे 7,818 स्क्वैयर फुट में फैला महल प्रशांत के परिवार ने 2010 में ख़रीदा।
@pbhushan1 सिर्फ ये कह दें कि मैंने ग़लत कहा है।
प्रशांत इन दिनों सबको नैतिकता समझा रहे हैं।
नैतिकता बच्चे के हाथ की जूजी नहीं है कि जब मन किया खेल लिए।
जूजी मतलब। अरे नूनी। अब और कैसे बताएँ? आप लोग भी अजब करते हो।
ये एक प्रसिद्ध कवि की कविता है। उसमें जूजी ही लिखा है।
@pbhushan1 एक सीडी विवाद इनका भी है। वह केस अब भी चल ही रहा है। बेहद गंभीर आरोप हैं। अभी तो भूषण परिवार की नैतिकता की जाँच चल रही है। दूसरों को नैतिकता न सिखाएँ तो बेहतर।
योगेन्द्र यादव जी, आपने ये गंदा काम कर दिया। आप “सेक्युलर जोंबी” बन चुके हैं।
भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा और घिनौना अजमेर सेक्स स्कैंडल और ब्लैकमेल कांड, जिसमें 11 से 20 साल की सौ से ज्यादा बच्चियों और युवतियों की आपत्तिजनक फ़ोटो निकालकर लंबे समय तक शोषण किया, उस केस में 32 साल बाद 6 लोगों को सुनाई गई उम्र क़ैद की सजा अख़बारों में पहले पेज पर उन दानवों की फ़ोटो के साथ छापी गई तो आपको तकलीफ़ हुई!
ग़ज़ब हैं आप। धन्य हैं।
मुझे लगता है कि @RahulGandhi बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं। ये गांधी, पटेल की कांग्रेस नहीं है। उनको सलाहकार बदल लेना चाहिए। राष्ट्रवाद की ओर लौटना चाहिए। एनजीओ और मार्क्सवादी लोग कांग्रेस को पता नहीं क्या बना देंगे। बना चुके हैं।
सेक्युलर जोंबी लोगों का समूह बना रहे हैं ये लोग, जिनके हिसाब से अपराध इसलिए कम हो जाएगा क्योंकि पीड़ित लड़कियाँ हिंदू और सभी अपराधी मुसलमान हैं।
फिर ये कहा जाएगा कि हिंदू-मुसलमान किया जा रहा है। सांप्रदायिकता फैल रही है।
हिंदू-मुसलमान तो आप कर रहे हैं योगेन्द्र जी। आप चाहते थे कि इसे अंदर के पन्नों पर सिर्फ़ कोर्ट की सुस्ती के तौर पर रिपोर्ट किया जाए क्योंकि अपराधी मुसलमान हैं!
आप किस हद तक सांप्रदायिक हो गए योगेन्द्र जी। किशन पटनायक की कांग्रेस विरोध की विरासत का आपने ये किया?
ये है आपकी इंसानियत?
ये थी घटना और सजा। क्या ये खबर सिर्फ़ इसलिए पहले पन्ने पर न छपे कि बच्चियाँ हिंदू और अपराधी मुसलमान थे। योगेंद्र जी की सोच कहाँ पहुँच रही है।
मीडिया के एक बड़े हिस्से ने इस खबर को दबा दिया। जबकि इस दिन इससे बड़ी खबर देश में हो नहीं सकती।
Yesterday, @narendramodi raised the issue of subverting RTE-mandated 25% SC-ST-OBC-EWS reservations in public schools through minority status. Read this thread 🧵 for the backdrop.
This is from my opinion piece in @ThePrintIndia on 21 May.
#Minoritism_to_Kill_Reservations
The National Commission for Minority Educational Institutions Act 2004 gives authorities the power to grant minority status to schools established by minority groups. Initially, fewer than 600 institutions received this status annually. #Minoritism_to_Kill_Reservations
After 2009, the number of institutions granted minority status surged dramatically, with over 1,400 annually and peaking at nearly 2,000 in 2012. #Minoritism_to_Kill_Reservations
- About 80 per cent of Rajkot’s localities have no Dalit (Scheduled caste) inhabitants.
- Around 60 per cent of Kolkata’s localities do not have a single Dalit resident.
- Around 20 per cent of Bengaluru’s colonies have no Dalit residents.
(Census 2011)
These are some of the findings of a 2018 paper titled ‘Isolated by Caste: Neighbourhood-Scale Residential Segregation in Indian Metros’ published by the Indian Institute of Management Bangalore and authored by @nav_bharathi Deepak Malghan and Andaleeb Rahman.
Mauritius Financial Services Minister Debunks Hindenburg's Adani Claims; Hindenburg Reaps Profits Amidst Dubious Report: A Call for Indian Politicians to Rethink Their Stance
In response to a parliamentary question, Minister Seeruttun clarified that Mauritian law does not permit the operation of shell companies. All global business companies licensed by the Financial Services Commission (FSC) are required to meet… twitter.com/i/web/status/1…
Minister Seeruttun outlined the stringent criteria for companies registering in Mauritius. Companies must conduct their core income-generating activities in or from Mauritius, be managed and controlled from the country, maintain a principal bank account in Mauritius, and keep… twitter.com/i/web/status/1…