@RailMinIndia पता चला है कि आज 3 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंस में रेलमंत्री @AshwiniVaishnaw ने रेलवे विजिलेंस के कार्यकालाप पर गंभीर प्रश्न उठाए। कहा कि विजिलेंस विभाग केवल प्रोसीजरल लेप्स या त्रुटि पर केस बनाना बंद करे। यह देखना ज़रूरी है कि किसी निर्णय के पीछे मंशा क्या थी..
अनाप-शनाप विजिलेंस मामलों के कारण कई बड़े प्रोजेक्ट्स में देरी हुई है और बोल्ड निर्णय लेने वाले अधिकारियों की अनावश्यक प्रताड़ना हुई है।
अधिकारियों का कहना है कि सुनने में तो मंत्री जी का यह वक्तव्य बहुत अच्छा लगता है, पर ख़ाली भाषण देने से व्यवस्था में सुधार हो सकता तो आज..
रेलवे की छवि और दक्षता कुछ और ही होती। उनका कहना है कि आवश्यकता है कि विजिलेंस अधिकारियों और इंस्पेक्टरों की छापामार और फाइल उठा ले जाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जाए। जिस बात की शिकायत हो, या जिस पर शंका हो, उसी की जॉंच की जाए, न कि 500 पृष्ठों की फाइल में से कॉमा-फुलस्टॉप..
की गलती निकाल कर केस थोपे जाएं।
यह कहना भी आसान है कि #genuine_mistake और सही मंशा वाले मामलों को तूल न दिया जाए। कौन तय करेगा कि जेनुइन मिस्टेक और सही मंशा क्या थी? #PHODs और #DRMs के मंतव्य को विजिलेंस केस दर्ज करने में अहमियत दी जाए।
सबसे अधिक जरूरी है कि रेलवे विजिलेंस..
मैनुअल से वे प्रावधान हटाए जाएं जो @CVCIndia मैनुअल से अलग हैं। विजिलेंस अधिकारियों द्वारा प्रोसीजर भंग करने पर और उनकी गलत मंशा नजर आने पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। @DoPTGoI और #CVC द्वारा तय समयसीमा के अंदर जांच पूरी न करने वाले विज़िलेंस अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई..
सुनिश्चित की जाए। यदि समय सीमा के अंदर इंक्वायरी पूरी न हो तो विजिलेंस क्लीयरेंस ऑटोमैटिक दे दिया जाए, ठीक उसी तरह जैसे चार्जशीट इशू न होने तक कोई प्रमोशन प्रभावित न होता!
अर्थात प्रोसीजर को सरल किया जाए, और रेल में भी #CVOs बाहर से डेपुटेशन पर लाए जाएं! @PMOIndia@srinandjha
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#अधिकारी_वेंडर_नेक्सस का नया स्वरूप-अधिकारी स्वयं बना वेंडर!
हालांकि जानकारी वेरीफाइड है,तथापि व्यक्तियों और कंपनियों के नाम रिडेक्ट किए गए हैं,सूचना कुछ इस प्रकार है-
2. He invested huge corrupt money in the firm M/s ###/Haridwar whose owner is Mr S# ##. This firm is approved vendor for supplying electric locomotive items and electrical coaching items.
3. Mr ### opened a firm R###/Okhla industrial Area, Delhi whose real owner is his son Mr M### with joint partnership with S### owner of M/s ###/Haridwar.
4. M/s R### used to supply and do turnkey projects of Signalling work/items.