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#ReporterDiary
मनीष कश्यप प्रकरण की रिपोर्टिंग में मैंने पहला वाक्य लिखा था-
“#मनीष_कश्यप की गिरफ़्तारी #राष्ट्रीय_स्वयंसेवक_संघ की बर्बादी या यूँ कह लें कि संघ के पतन का सबसे बड़ा कारण बनेगी.”
कथित पत्रकार मनीष तो गिरफ़्तार पहले ही किया जा चुका है और अब तमिलनाडु पुलिस ने जाँच
और पूछताछ के बाद उसपर #रासुका (#NSA) की धाराएँ लगाकर मेरी रिपोर्टिंग को एक मज़बूत आधार दे दिया है.
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक़ इस मामले में जिस प्रकार तमिलनाडु पुलिस की जाँच आगे बढ़ रही है और उसे सबूत मिल रहे हैं, उस हिसाब से अब अगली तैयारी #आरएसएस/#भाजपा एवं इसके शीर्ष पदों
पर आसीन कुछ लोगों के खिलाफ भी रासुका की धाराएँ दायर करने की सूचना है. इस जाँच की जद में #बागेश्वर_धाम वाले बाबा से लेकर #मध्यप्रदेश_सरकार एवं #भारत_सरकार के कुछ अहम मंत्री शामिल हैं.
सरकारें इस प्रकरण में आरएसएस की भूमिका को पूरे देश और दुनिया के सामने रखेंगी, मेरी रिपोर्टिंग पर सवाल उठाने वाले इस वाक्य को लिखने पर मजबूर होंगे कि,
“मनीष कश्यप की गिरफ़्तारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पतन का सबसे प्रमुख कारण है.”
मुझे मालूम है कि अब भी कुछ लोगों को लग रहा
होगा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वैश्विक एवं राष्ट्रीय स्तर पर एक बेहद मज़बूत संगठन है, इसलिए मनीष कश्यप जैसे मामूली व्यक्ति की गिरफ़्तारी और उसके खिलाफ रासुका लगने से इस संगठन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. वैसे लोगों के लिए मैं एक सूचना साझा करना चाहता हूँ,
“तमिल बनाम बिहारी और
मनीष कश्यप प्रकरण की जाँच में तमिलनाडु पुलिस ने पता लगाया है कि इस पूरे षड्यंत्र में देशभर के लगभग 900 यूट्यूब चैनल्स/सोशल मीडिया हैंडल्स ने भूमिका निभायी है और ये सारे भाजपा तथा आरएसएस द्वारा पोषित एवं संरक्षित हैं.”
यह एक छोटी सी जानकारी आपको सोचने पर विवश कर देगी कि यह
षड्यंत्र कितना बड़ा था और किस स्तर पर हो रहा था. यह जानकारी इस बात की भी तस्दीक़ कराती है कि आरएसएस और भाजपा ने सोशल मीडिया को अपने कंट्रोल में रखने के लिए कितना बड़ा गैंग बना रखा है.
#नोट- इस मामले में मेरी अबतक की रिपोर्टिंग यदि आपको अच्छी लगी हो तो लाइक करें, फ़ॉलो करें और सब्सक्राइब करें हमारा यूट्यूब चैनल @dpillarnews. ट्विटर का पता है- @Dpillar_News. बहुत जल्द हमारी रिपोर्टिंग आपको यहाँ देखने, सुनने और पढ़ने को मिलेगी. #ManishKashyapnews
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समाचारों में किसके कहने पर छपा जातियों का ग़लत कोड?
नीरज प्रियदर्शी,
पटना से @Dpillar_News के लिए,
बिहार से प्रकाशित एवं प्रसारित होने वाले अख़बारों, टीवी न्यूज़ चैनलों और न्यूज वेब पोर्टल्स ने जातिगत जनगणना के लिए सरकार द्वारा तय किए जातियों के कोड की ग़लत एवं भ्रामक जानकारी
दी है. क्योंकि, सरकारी दस्तावेज़ों में जातियों का जो कोड अंकित है, वह मीडिया में छपे कोड से अलग है.
बिहार सरकार ने हालाँकि अभी अधिकारिक रूप से भी इसकी घोषणा नहीं की है कि जातिगत जनगणना के लिए किस जाति का कौन सा कोड तैयार किया गया है. मगर, इससे पहले ही प्रमुख मीडिया संस्थानों ने
ग़लत एवं भ्रामक जानकारी प्रकाशित कर कुछ ऐसे सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका हल यदि जल्दी नहीं ढूँढा गया तो बहुत संभव है कि बिहार सरकार को जातिगत जनगणना कराने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
सबसे पहले तो जिन मीडिया संस्थानों ने बिहार में जातियों का ग़लत कोड प्रकाशित