एक दो कोड़ी का आदमी जिन के खानदान ने हमेशा देश को लूटा है वह हर चुनावी सभा में मुझे बदनाम करता है। मैं आज उस से कुछ सवाल करता हूँ, उम्मीद है मीडिया उससे पूछेगी...
(1) मैं और (1/9)
मेरा परिवार भारत देश को हर साल करीब 50000/- करोड़ का टैक्स देते हैं। लाखों लोगों को रोजगार, लाखों परिवार को गुजारा करने के लिये तनख्वाह देते हैं।
गाँधी परिवार इस देश को कितने रुपये का योगदान देता है?
मैंने सुना है पूरा परिवार टैक्स चोरी करने के केस में कोर्ट से (2/9)
जमानत पर छूटा हुआ है और देश के अरबों रुपये लूट कर आपकी माँ दुनिया की चौथी सबसे अमीर महिला बन गयी है, क्या बिजनेस है आपके परिवार का...! ज़रा देश की जनता को बता दीजिये, कहाँ से आया इतना पैसा आपकी माँ के पास...! ज़रा ये भी तो बताइये?
(2) हम बैंको से लोन पिछले 40 वर्षों से (3/9)
लेते आये हैं और करोड़ों रुपये का ब्याज भी देते हैं, और हमारे जैसे हर उद्योगपति, व्यापारी और बिजनेसमेन लोन लेते हैं और गारंटी भी देते हैं... तभी बैंक गरीबों को FD पर ब्याज देते हैं।
तुम बताओ तुम्हारे जैसे नेताओं और तुम्हारे जीजा जी ने बैंको से मुफ्त (बिना ब्याज) लोन (4/9)
क्यूँ ले रखा है?क्या बिजनेस है? किस देश में बिजनेस चलता है? कितनी मलकियत किस किस देश में ले रखी है?
(3) तुम्हारे जीजा जी ने 15 साल पहले 1 लाख रुपये से कौन सा बिजनेस शुरू किया था, वो कैसे 10 साल में 10,000 करोड़ की सम्पत्ति का मालिक बन गया, कहाँ से आया उसके पास इतना पैसा (5/9)
और इतनी ज़मीनें? लन्दन में 2 बंगले और 6 फ्लैट लेने का पैसा आपके जीजा जी के पास कहाँ से आया?
मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे जब से पता चला ये परिवार विदेशी एजेंट है ये पार्टी देशद्रोहियों का समर्थन करती है मैंने काँग्रेस को जबर्दस्ती का चंदा देना बंद कर दिया है, तब से ये (6/9)
मेरे पीछे पड़े हैं, मुझे बदनाम कर रहे हैं।.वर्ना आप बताइये मुझे 5000 करोड़ की दिल्ली की एयरपोर्ट मेट्रो और मुझे मुम्बई मेट्रो का 3900 करोड़ का ठेका मनमोहन सरकार में मिला तब सरकारी कंपनी को क्यूँ नहीं दिया था?
दिल्ली में (पहले DESU) DVB का बिजली सप्लाई का ठेका जो 1200 (7/9)
करोड़ का था वो NTPC ( सरकारी कंपनी ) की जगह मुझे सोनिया गाँधी के कहने पर शीला दीक्षित ने दिया था।
2004 से 2014 के बीच UP के 3, ओडिसा, तमिलनाडु, कर्नाटक, पंजाब के कुल 8 नेशनल हाईवे और प्रोजेक्ट (25350 करोड़) मेरी कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को काँग्रेस सरकार ने क्यूँ (8/9)
दिया?
जबकि कई सरकारी कम्पनियाँ हैं जो ये काम कर सकती थीं?
"ये कुछ सच्चाई है जो जनता को नहीं पता।"
कृपया कॉपी पेस्ट और शेयर और फॉरवर्ड करके पूरे देश को इस सच्चाई की जानकारी दीजियेगा... अनिल अंबानी
समान विचार वाले दलों के साथ काम करेंगे: सोनिया गांधी। कितने विचार समान हैं मैडम, और साथ काम करने की बजाय, आपसे में Merge क्यों नहीं हो जाते।
कालचक्र कैसे घूमता है यह भी देखने वाली बात है। कभी इंदिरा गांधी के समय में सभी विरोधी दल मिलकर चुनाव लड़ने की कोशिश (1/11)
करते थे और तब विपक्ष को ताना मारा जाता था कि "तुम्हारा प्रधानमंत्री" कौन बनेगा। यह ताना स्वयं इंदिरा गांधी भी मारती थी।
लेकिन 1977 में 5 दलों ने मिलकर जनता पार्टी का गठन कर लिया और इंदिरा गांधी का सफाया हो गया जबकि उसने अपनी सत्ता को बचाने के लिए इमरजेंसी लगा कर (2/11)
देश को जेलखाना बना दिया। जनता पार्टी के घटकों ने एक नया राग छेड़ा कि जनसंघ का तो जनता पार्टी में विलय हो गया परंतु RSS का नहीं हुआ, उसे भी अपना विलय जनता पार्टी में करना चाहिए जिसे संघ ने नहीं माना और जनता सरकार अपने ही बोझ तले दब कर गिर गई क्योंकि उसके नेताओं की (3/11)
भाजपा ने राष्ट्रपति शासन लगाया है तो सुप्रीम कोर्ट ने उसमें अड़ंगा लगाया है। अपने उत्तराखंड का ही उदाहरण है।
इसलिए भाजपा दूसरा खेला करती है। वो उन लोगों को तोड़ देती है जो अपनी सरकारों में परेशान हैं। विपक्षी इसे ऑपरेशन लोटस कहते हैं लेकिन सच्चाई ये है कि इनके (1/10)
खुद के ही दुखी रहते हैं, भाजपा तो बस सहारा देती है। वैसे ये ऑपरेशन फलाना ढिमका तब नही होता जब कोई भाजपा से कांग्रेस में जाये। तब लोकतंत्र की रक्षा होती है।
ये इसलिए बता रहा हूँ कि अमित शाह बंगाल में कह रहे थे कि हमें 2024 में 35 सीट दीजिए... 2025 की जरूरत नही पड़ेगी, (2/10)
ममता की सरकार चले जाएगी। फिर न यहां दंगे होंगे, न गौहत्या, न घुसपैठ... इसके लिए उन्होंने बगल के असम का उदाहरण दिया कि आज वहां ये सब नही होता। हालांकि मीडिया ने चालाकी से चलाया कि अमित शाह ने कहा कि हमे लोकसभा में जिताओ, हम फिर हिंसा नही होने देंगे। अब इसे पढ़कर लगेगा (3/10)
जल्द ही आपको असत्यपाल मलिक के भौंके गए मेटेरियल कांग्रेस द्वारा र-रोने के नाम पर दिखने वाले हैं।
उसने कहा कि CRPF ने केंद्र से प्लेन मांगे थे लेकिन मोदी ने मना कर दिया जिस वजह से पुलवामा हुआ। उसके बाद मोदी और डोभाल ने इसे मुंह बंद करने को कहा। (अब क्यों बता रहा है (1/10)
ये इससे कोई नही पूछेगा)
अब ये जान लो कि इस बन्दे पर 300 करोड़ के हर फेर की जांच चल रही है। जल्द ही सीबीआई इसे खोपचे में लेने वाली है। इसलिए ये ड्रामा कर रहा है। इसने ये भी ड्रामा किया कि ISI इसे मारने वाली है क्योंकि इसने 370 हटाया था। इस वजह से ये Z+ सिक्योरिटी मांग (2/10)
रहा था लेकिन सरकार ने इसे नही दी। ये सरकारी बंगले के जुगाड़ में भी लगा हुआ था कि पूर्व राज्यपाल के नाते इसे दिया जाए लेकिन ऐसा कोई कानून नही है तो सरकार ने इसे नही दिया। इसके बाद इसने फर्जी किसान आंदोलन के नाम पर धमकाया कि मैं मोदी की ईंट से ईंट बजा दूँगा लेकिन कुछ नही (3/10)
शिवाजी का पत्र, गद्दार मिर्जा राजा जयसिंह के नाम...
भारतीय इतिहास में दो ऐसे पत्र मिलते हैं जिन्हें दो विख्यात महापुरुषों ने दो कुख्यात व्यक्तिओं को लिखे थे। इनमे पहिला पत्र "जफरनामा" कहलाता है... जिसे श्री गुरु गोविन्द सिंह ने औरंगजेब को भाई दया सिंह के हाथों भेजा था। यह (1/14)
दशम ग्रन्थ में शामिल है। इसमे कुल 130 पद हैं। दूसरा पत्र शिवाजी ने आमेर के राजा जयसिंह को भेजा था... जो उसे 3 मार्च 1665 को मिल गया था।
इन दोनों पत्रों में यह समानताएं हैं की दोनों फारसी भाषा में शेर के रूप में लिखे गए हैं। दोनों की पृष्ठभूमि और विषय एक जैसी है। दोनों में (2/14)
देश और धर्म के प्रति अटूट प्रेम प्रकट किया गया है। जफरनामा के बारे में अगली पोस्टों में लिखेंगे।
शिवाजी का पत्र बरसों तक पटना साहेब के गुरुद्वारे के ग्रंथागार में रखा रहा... बाद में उसे "बाबू जगन्नाथ रत्नाकर" ने सन 1909 अप्रेल में काशी में काशी नागरी प्रचारिणी सभा से (3/14)
कुबेर और रावण जैसे विद्वानों का देश श्रीलंका आज खुद को दिवालिया घोषित कर चुका है।
किसी समय लंका में कुबेर की सत्ता थी उन्होंने भारत के कितने ही छोटे राज्यो को निवेश से मदद की। लेकिन लंका में एक बड़ी संख्या ऐसे लोगो की थी जो कुबेर के इन निर्णयों से खुश नही (1/15)
थे वे नही चाहते थे कि ऋषि मुनि किसी तरह की रिसर्च करे और अन्य राज्य लंका से आगे बढ़े।
ऐसे लोगो का प्रतिनिधित्व कुबेर का भाई रावण खुद कर रहा था, अंततः कुबेर को अपदस्थ किया गया और रावण लंका का राजा बना। रावण ने ऋषि मुनियों पर अत्याचार शुरू कर दिये, अयोध्या के सूर्यवंशियों (2/15)
को छोड़कर शेष सम्पूर्ण भारत उसकी खड़क से सहम गया था।
रावण जानता था कि अयोध्या जीतना आसान नही है, मगर समस्या अहंकार की थी जो मानता था कि अयोध्या अभी रहने दो।
यही अहंकार रावण को ले डूबा, जब अयोध्या के राजकुमारों राम और लक्ष्मण ने ताड़का और सुबाहू का वध किया तब भी रावण का (3/15)
आज देश भर में आंबेडकर जयंती मनायी जायेगी... लगभग हर पार्टी ने खुद को सबसे बड़ा आंबेडकर भक्त दिखाने की कोशिश करेगी... लेकिन जरा झाँककर देखते हैं इतिहास में कौन बाबा साहेब के साथ था और कौन खिलाफ...
जब बाबा साहेब आंबेडकर ने काँग्रेस की नेहरूनीतियों से तंग आ कर काँग्रेस से (1/12)
खुद को अलग कर लोकसभा चुनाव लड़ा तो नेहरू ने जी जान लगा दी की वह लोकसभा ना पहुँच पायें... बाबा साहेब ने बंबई से चुनाव लड़ा... काँग्रेस चाहती तो वहाँ अपना उम्मीदवार नहीं उतारती लेकिन काँग्रेस ने वहाँ उम्मीदवार उतार कर बाबा साहेब को संसद तक आने से रोक दिया और यह सिर्फ एक बार (2/12)
नहीं दो बार किया। बाबा साहेब भंडारा से चुनाव लड़े वहाँ भी काँग्रेस ने बाबा साहेब को धन बल का प्रयोग कर हरा दिया।
संघ को गरीयाने वालों को पता करना चाहिये की कैसे बाबा साहेब राज्यसभा तक पहुँचे। बेशक संघ और बाबा साहेब के विचारों में कुछ विरोधाभास तो थे लेकिन समानताएँ भी थी। (3/12)