अतीक अहमद के 20 साल के बेटे ▪️असद और ▪️शूटर गुलाम को एनकाउंटर में मर गिराया गया(काबिले तारीफ है ना)
कुछ लोग इसे इसे अपनी मानसिक कुंठा, संकुचित और तो कुछ धर्म से जोड़कर ज्यादा ही खुश हो रहे हैं
विकास दुबे हो या अब अतीक अहमद
जबरन JCB का उपयोग हो या जबरन बलात्कार पीड़ित को रातों रात जलवा देना....
पीड़ितों का ट्रैक्टर से कुचला जाना
किसी पत्रकार को या पूर्व गवर्नर को कुछ सच विचार बोलने के चक्कर में जेल डलवा देना....
अमेरिका ने जब देखा की अफगानिस्तान का दीन मने जनता ही तालिबान का समर्थक है तो उसने भी उसे उसके हाल पर ही छोड़ दिया
और जब भारत में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला राज्य...38% भुखमरी गरीबी वाला...शिक्षा में सबसे पीछे....कुपोषित बच्चों की संख्या में सबसे अव्वल वाला...और भी बहुत कुछ...
अगर आप ये समझते हैं कि किसी इंटरव्यू से कोई फ़र्क पड़ेगा तो आप बहुत भोले हैं, आप साक्षात भगवन का वीडियो ले आइये जिसमें इन आरोपों का स्वीकरण हो तब भी कुछ नहीं होना क्योंकि सारी कहानी समर्थकों को पहले से पता है। अभी कुछ दिन पहले दो भक्तों का वार्तालाप चल रहा था
जिसमें ज्ञानी भक्त कुछ कम ज्ञानी को समझा रहा था -
" सत्य असत्य अच्छा बुरा कुछ नहीं होता, जब अर्जुन ने भगवान कृष्ण से शंका व्यक्त की कि युद्ध में निर्दोष और निरपराध मारे जा रहे हैं, छल का भी प्रयोग हो रहा है ये कहाँ तक उचित है तो भगवान कृष्ण ने कहा यदि हमने ये सब नहीं किया तो
राज्य दुर्योधन के पास चला जायेगा और तब इससे भी बुरा होगा, हमें वह रोकना है। इसलिए कितने पुलवामा में मरे, कितने नोटबन्दी में, कितने का सिलेंडर हुआ, कितने बेरोजगार हैं भूल जाओ हमें दुर्योधन को सत्ता से रोकना है।"
"कर भला तो हो भला।" गुप्ता जी,पेशे से व्यापारी थे।कस्बे से दुकान की दूरी महज़ 9 किलोमीटर थी
एकदम वीराने में थी उनकी दुकान
कस्बे से वहाँ तक पहुंचने का साधन यदा कदा ही मिलता था,तो अक्सर लिफ्ट मांग कर ही काम चलाना पड़ता था और न मिले तो प्रभु के दिये दो पैर, भला किस दिन काम आएंगे।
"कैसे उजड्ड वीराने में दुकान खोल धरा है पता नहि किसकी सलाह थी इससे भला तो चुंगी पर परचून की दुकान खोल लो।"
लिफ्ट मांगते, साधन तलाशते गुप्ता जी रोज यही सोचा करते।
धीरे धीरे कुछ जमापूंजी इकठ्ठा कर, उन्होंने एक स्कूटर ले लिया।
बिलकुल नया चमचमाता स्कूटर।
स्कूटर लेने के साथ ही उन्होंने एक प्रण लिया कि वो कभी किसी को लिफ्ट के लिए मना न करेंगें।।
आखिर वो जानते थे जब कोई लिफ्ट को मना करे तो कितनी शर्मिंदगी महसूस होती है।
अब गुप्ता जी रोज अपने चमचमाते स्कूटर से दुकान जाते, और रोज कोई न कोई उनके साथ जाता।
बता रहे हैं कि जब सुबह मेल खोलते हैं, इनबॉक्स में रोज 8 बैंक आसान लोन देने के लिए तैयार पाते हैं। कई बार तो एक खूबसूरत लड़की फोन करके मिन्नते करती है- बार बार देना चाहती है,
... लोन!!!
देना कुछ विदेशी भी चाहते हैं। बिना किसी वजह 1 करोड़ पाउंड और 50 लाख डॉलर डालने के लिए एकाउंट नम्बर मांग रहे हैं। पिछले 60 दिनों से आखरी दिन, आखरी दिन बोलकर इंतजार कर रहे हैं।
10 कम्पनियों के पास उनके लिए बढ़िया नौकरी के आफर हैं।
विवाहित हैं, मगर 3 मैट्रिमोनियल वेबसाइटों के पास उनकी शादी के लिए लड़कियों के उम्दा प्रोफ़ाइल हैं,
उधर डॉ बत्रा कसम खा रहे हैं कि उनके गंजाते सिर पर बाल उगाकर दम लेंगे। एक दर्जन विदेशी यूनिवर्सिटीज, इतनी प्रभावित है कि उन्हें अलग अलग विषयों में डिग्री देना चाहते हैं।
जीवन का कटु सत्य...
जीवन के *20* साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई *नोकरी* की खोज । ये नहीं वो , दूर नहीं पास । ऐसा करते करते *2 .. 3* नोकरियाँ छोड़ने एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।
फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का *चेक*। वह *बैंक* में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले *शून्यों* का अंतहीन खेल। *2- 3* वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और *शून्य* बढ़ गए। उम्र *27* हो गयी।
और फिर *विवाह* हो गया। जीवन की *राम कहानी* शुरू हो गयी।
शुरू के *2 .. 4* साल नर्म , गुलाबी, रसीले , सपनीले गुजरे । हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना, रंग बिरंगे सपने। *पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए*।
और फिर *बच्चे* के आने ही आहट हुई। वर्ष भर में *पालना* झूलने लगा। अब सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया।
बकौल जम्मू कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मालिक, पुलवामा के लिए गृह मंत्री सीधे जिम्मेवार है और पीएम सब जानकार चुप रह जाने का जिम्मेवार हैं। उन्होंने मुझे भी चुप रह जाने के लिए कहा।
सीआरपीएफ को पांच विमानों की आवश्यकता थी, विमान हमारे पास थे पर चूँकि मंजूरी के लिए इजाजत गृह मंत्री से मांगी गई, वो इजाजत नहीं मिली और जवान असुरक्षित बस से सफर करने को मजबूर हुए। इजाजत मुझसे मांगी गई होती तो मैं निश्चित ही पांच विमान उनको उपलब्ध करवा देता।
पुलवामा काण्ड हुआ जिसमें चालीस से अधिक जवान शहीद हुए।
क्या इसमें किसी को गृह मंत्री और पीएम की मिलीभगत समझ में नहीं आती ?
क्या उनमें ज़रा भी नैतिकता है कि वो पद से इस्तीफ़ा दें और किसी और अधिक गंभीर आदमी को पद सँभालने दें जिसको मामलों की तमीज और समझ हो?