मकान की नींव में सर्प और कलश क्यों गाड़ा जाता है?
श्रीमद्भागवत महापुराण के पांचवें स्कंद में लिखा है कि पृथ्वी के नीचे पाताल लोक है और इसके स्वामी शेषनाग हैं। भूमि से दस हजार योजन नीचे अतल, अतल से दस हजार योजन नीचे वितल, उससे दस हजार योजन नीचे सतल, इसी क्रम से सब लोक स्थित हैं।
अतल,वितल,सतल,तलातल,महातल,रसातल,पाताल ये सातों लोक पाताल स्वर्ग कहलाते हैं।इनमें भी काम,भोग,ऐश्वर्य,आनन्द, विभूति ये वर्तमान हैं।दैत्य,दानव,नाग ये सब वहां आनन्द पूर्वक भोग-विलास करते हुए रहते हैं।इन सब पातालों में अनेक पुरियां प्रकाशमान रहती हैं।इनमें देवलोक की शोभा से भी अधिक
बाटिका और उपवन हैं। इन पातालों में सूर्य आदि ग्रहों के न होने से दिन-रात्रि का विभाग नहीं है। इस कारण काल का भय नहीं रहता है। यहां बड़े-बड़े नागों के सिर की मणियां अंधकार दूर करती रहती हैं। पाताल में ही नाग लोक के पति वासुकी
आदि नाग रहते हैं। श्री शुकदेव के मतानुसार पाताल से तीस
बचपन में हम देखते थे कि घर के पुरुषों के बाहर जाने पर
घर की महिलाएं कभी किवाड़ तुरंत बन्द नहीं करती थी, सांकल खुली छोड़ देती थीं। कभी कभी पुरुष कुछ दूर जाकर लौट आते थे, ये कहते हुए कि कुछ भूल गया हूं और मुस्कुरा देते थे दोनों एक दूसरे को देखकर।एक बार बच्चे ने अपनी मां से पूछ लिया
कि मां पापा के जाने के बाद कुछ देर तक दरवाजा क्यों खुला रखती हो??तब मां ने बच्चे को वो गूढ़ बात बताई जो हमारी सांस्कृतिक विरासत है। उन्होंने बच्चे को कहा कि किवाड़ की खुली सांकल किसी के लौटने की एक उम्मीद होती है। अगर कोई अपना हमसे दूर जा रहा है तो हमे उसके लौटने की उम्मीद नहीं
छोड़नी चाहिए।उसका इंतजार जीवन के आखिरी पल तक करना चाहिए।आस और विश्वास से रिश्तों की दूरी मिट जाती है,इसीलिए मैं दिल की उम्मीद के साथ दरवाजे की सांकल भी खुली रखती हूं, जब भी वापस आए तो उसे खटकाने की जरूरत नहीं पड़े,वो खुद मन के घर में आ जाए।जीवन में कुछ बातें हमेशा हमे सीख देती है
मैंने हजारों बार लिखा है कि वह पहले मुसलमान होते हैं उपराष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त राज्यपाल मुख्यमंत्री गृह मंत्री उपराष्ट्रपति सब बाद में होते हैं योगी सरकार को तुरंत ही काल्विन हॉस्पिटल की सुपरिटेंडेंट डॉ नाहिदा सिद्दीकी को सस्पेंड करके गिरफ्तार करना चाहिए यह मीडिया में अपना
जेहादी एजेंडा फैला रही है इन्होंने जो एबीपी न्यूज़ से बात किया तो यह कह रही हैं कि पुलिस अतीक को यहां क्यों लेकर आई हमें बता देती वह जहां रहते हम वहीं आकरअतिक का मेडिकल कर देते
क्यों भाई अतिक क्या सजायाफ्ता कैदी नहीं है ? पुलिस कैदियों के लिए हमेशा अपनी sop यानी स्टैंडर्ड
ऑपरेटिंग प्रोसीजर को ही फॉलो करती है जिसमें साफ लिखा है किसी भी कैदी का मेडिकल हमेशा सरकारी अस्पताल में सरकारी डॉक्टर के द्वारा ही किया जाएगा और कैदी कोअस्पताल में लेकर आना होता है लेकिन डॉक्टर नाहिद हसन चाह रही थी पुलिस उन्हें बुलाए और वह खुद वहां सड़क पर जाकरअतिक का मेडिकल करें
यदि आप दरिंदे अतिक के वध के दृश्यों से परेशान हैं, तो मैं आपको पुरानी यादों की गलियों में ले चलता हूं।राजू पाल ने उपचुनाव में अतीक के भाई अशरफ को हराया था।25 जनवरी को विधायक राजू पाल कार में एक महिला के साथ अपनी टोयोटा चला रहे थे.2 स्कॉर्पियो कुछ देर से उसका पीछा कर रहे थे।
उपयुक्त समय पर दोनों स्कॉर्पियो ने उसे घेर लिया,लगभग दर्जन भर शार्प शूटरों ने नीचे उतरकर सैकड़ों गोलियां चलाईं,हां 9एमएम और एके47 से सैकड़ों राउंड मिनट तक चले 19 गोलियां राजू पाल के शरीर में लगीं और शूटर भाग गए।अशरफ के राजू पाल से चुनाव हारने के बाद अतीक काफी गुस्से में था। वह
सबसे बुरा हिस्सा नहीं है गोली मारने के बाद जो हुआ वह खून जमा देने वाला है। राजू पाल के समर्थक उनके शव को टेंपो में रखकर अस्पताल की ओर चल पड़े।अब यह खबर अतीक तक पहुंचती है। वह अपने निशानेबाजों को वापस भेज देता है15 शूटर वापस आते हैं,और फिर ऑटो का पीछा करते राजू पाल के शरीर पर
संगीतकार रामलाल..!
15अगस्त 1922 को बनारस में पैदा हुए।पुरा नाम रामलाल चौधरी। साहब गरम मिज़ाज के आदमी थे!अपने जमाने में एक कान में हिरा और दुसरे कान में पन्ना पहनते थे तो लोग उसे हिरालाल पन्नालाल कहतें थे!
तकदीर का फसाना जा कर किसे सुनाये इस दिल में जल रही हे अरमान की चिता में.
रफी साहब कीआवाज में गाया हुआ यह गीत फिल्म सहेरा का था और रामलाल उस फिल्म के संगीतकार थे।कयीं लोगोने तो उसका नाम भी नहीं सुना होगा!रामलाल का नाम शहनाई वादन और बांसुरी वादन के लिये उस जमाने में मशहूर था।फिल्म नवरंग मे तू छूपी हे कहाँ मै तडपता यहाँ.में बजती मधूर शहनाई रामलाल ने
बजायी हे!मशहूर संगीतकार राम गांगुली के भाई कमल ने रामलाल की बांसुरी और शहनाई सुनी और उसे बनारस से बंबई ले आये।रामलाल चौदह साल तक राम गांगुली के साथ रहे।राम गांगुली को राज कपुर की पहेली फिल्म आग मिली।उस फिल्म में मुकेश का गाया हुआ जिंदा हूं इस तरह के गम ए जिंदगी नहीं औरदेख चांद
Manikarnikaghat, Benares - 1905 Photograph of the Manikarnika Ghat on the River Ganges, Varanasi from the Kitchener of Khartoum Collection: 'Views of Benares. Presented by the Maharaja of Benares' by Madhao Prasad, c.1905. This is the main cremation ghat of Varanasi, presided
over by the Doms, a caste who historically and till now hold exclusive rights over the cremation ghats. In the middle of the Ghat is the Manikarnika kund (tank) which was said to have been dug by Vishnu with his discus and filled with his perspiration from the exertion of
creating the world. There are footprints of Vishnu set in a circular marble slab on the ghats. According to legend, Shiva's mani (crest jewel) and his consort Parvati's Karnika (earring) fell into the kund while bathing thus came the name of the ghat. This site is known as a