Many of her clients were Muslims who use to receive free treatments from her.
But the same people chose to throw her under the bus as she was Minister in the Modi government. Through her, they wanted to target Modi.
They wanted to stop Modi at any cost.
Maybe was just a tool to attack Modi. They ruined her life. They ruined her career. She went into depression. She suffered the worst form of torture. But she didn't give up.
She had hoped that one day the truth will trumpet.
And that day came today.
21 years after she was declared guilty by Ecosystem, 21 years of media trials, and 21 years of the worst form of torture and harassment, she is acquitted.
Truth has won. Propaganda has failed.
Gynaecologist*
You ask anyone in Naroda, even Muslims admit privately - Mayaben was targeted to target Modi. She was a step through that the ecosystem wanted to finish Modi politically.
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बालक माता के गर्भ में कौन सी स्थितिमें होता है और उसकी मनोस्थिति क्यां होती है, वह हंमेशा से सब की जिज्ञासा का विषय रहा है।
आजकल 4D/5D सोनोग्राफी के कारण गर्भ की शारीरिक स्थिति को जानना आसान हो गया है। लेकिन मनोस्थिति को जानना आज… twitter.com/i/web/status/1…
हमारे ऋषियोंने इस विषय पर गहन चिंतन किया है और अपना ज्ञान का लाभ समाज को दिया है। महर्षि पिप्पलादनें गर्भोपनिषद् में गर्भ की विविध अवस्था का वर्णन कुछ इस प्रकार किया है।
१. ऋतुकाल में संभोग से उत्पन्न गर्भ एक रात्रीमें एक छोटी बूंद जैसा होता है।
जैसे ईसाईमें बापिस्ता होता है और मुसलमानोमें सुन्नत करवाते है, वैसे ही दक्षिण भारत के वैष्णव मठोमें धर्म का छापा लगवाने की परम्परा है, जिसे तप्तमुद्रा बोलते है।
यह परम्परा का सनातनधर्म से कोई लेना देना नहीं, केवल अन्धश्रद्धा है।
इस परम्परामें आचार्य अपने कल्ट को माननेवाले अनुयायी के शरीर पर गरम ताम्बे की मुद्रा छापता है।
यह अमानुषि परम्परा के अन्दर, तांबे को अग्निमें गरम किया जाता है और अनुयायी के शरीर पर लगाया जाता है। सामान्यतः शङ्ख, चक्र, गदा आदि प्रतिको की मुद्रा बनायी जाती है।
कुछ अनुयायी अपने शरीर पर पांच मुद्रा भी बनवाते है। उनका मानना यह है की यह मुद्रा बनवाने से श्रीविष्णु को ज्ञात होगा की हम उसके भक्त है और मरण के समय वह वैकुण्ठ ले जायेगे।
इसी अन्धश्रद्धा के कारण प्रतिवर्ष लाखो अनुयायी यह यातना उठाते है।
सनातनधर्म में आजकाल अनाश्रमी लोगो की संख्या बढ रही है।
ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास यह चार आश्रममें से एक में भी स्थित ना हो, उसे अनाश्रमी कहते है।
अनेक युवान और युवती आजकल अभ्यास करने के बाद विवाह करना नहीं चाहते। अपनी नौकरी करते हुए अविवाहित रहना पसंद करते है।
वह ब्रह्मचारी नहीं है क्यु की वह आश्रम की मर्यादा का पालन नहीं करते।वह गृहस्थ भी नहीं है क्यु की उनहोने विवाह नहीं किया है। संन्यासी भी नहीं है क्यु की संसार को नहीं छोडा है।
यह लोग आश्रम व्यवस्था को जानेअंजाने में नष्ट कर रहे है। वह स्वयं की मस्ती में है, धर्म से कुछ नाता नहीं।
आश्रम व्यवस्था कै उद्धेश है की आप समाज और धर्म के लिए लाभकारी हो।
प्रथम आश्रममें ज्ञानप्राप्त कर लाभ करो, गृहस्थाश्रममें संतान और संपति अर्जीत कर लाभ दो, वानप्रस्थानमें नयी पीढी का संस्कारसिंचन करना और संन्यासमें ज्ञानप्रचार अपेक्षित है।
हिन्दू समाज के पतन का सब से बडा कारण है, हम भोजन सम्बधित आचारशुद्धता को छोड चूके है।
हम जैसा खाते है, वैसा हमारा मन बनता है। पहले के समयमें भोजन पकाते समय शुद्धता का खास ध्यान रखा जाता था। बिना नहाये किचनमें प्रवेशना भी वर्जीत था।
लेकिन आज आधुनिकता के नाम पर बिना नहाये किचनमें प्रवेशना तो छोडो, बिना नहाये भोजन भी बनाया जाता है। किचनमें काम करने से पसीना होता है, इसलिए बारबार नहाना ना पडे महिलाये सुबह नहाये बिना ही रसोई बना लेती है।
जब शुद्धता के साथ भोजन नहीं बनता, तो वह भोजन हमे शुद्ध विचार कैसे देगा?
हमारे घरमें नहाये बिना बच्चो को अन्न का दाना नहीं मिलता। और आजके आधुनिक कपल नहाना तो छोडो, ब्रश भी करे बिना नाश्ता कर लेते है। बेड टी के बाद बेडब्रेक्फास्ट एक फेशन बन गयी है, जिसमें निन्दमें से सीधा उठकर बिना नहाये या ब्रश करे लोग ब्रेकफास्ट करते है।