गुजरात के बड़े व्यापारी और पीएम मोदी के करीबी माने जाने वाले जफर सरेशवाला ने अतीक के बेटे असद को लेकर दिया बड़ा बयान। जफर सरेशवाला ने कहा: मैंने हाथ जोड़कर असद से कहा था कि इस रास्ते से दूर रहो और असद की मां को भी सलाह दी कि वह अपनी औलाद को अतीक अहमद से दूर रखें। #AtiqAhmed
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
आप इस देश के संविधान में जोड़े गए सेक्युलरिज़्म की सात दशक पुरानी स्टैण्डर्ड क्रोनॉलजी समझिए जो बारबार दोहराते हुए चरणबद्ध तरीक़े से विकसित हो कर अब एक मानक रूप धारण कर चुकी है :-पहले सड़क घेर कर नाजायज़ कब्ज़ा किया जाएगा.संविधान के प्रावधानों और उसमें दिए गए निर्देशों को जूते की
नोंक पर रखते हुए उसे ही बचाने की बात कही जाएगी.ट्रैफ़िक जाम कर के आम लोगों को महीनों तक दुःखी किया जाएगा.फिर संसद को वहाँ बुलाने की निहायत गुंडागर्दी भरी अराजक माँग की जाएगी.फिर खुल कर दंगा छेड़ा जाएगा; गाड़ियाँ, दुकानें, घर, पैट्रोल पंप जलाए जाएँगे, लोगों के सर में ड्रिल मशीन से
छेद किए जाएँगे.फिर पुलिस दंगा भड़काने वालों को पकड़ेगी,उन पर आतंकवाद के मुक़दमे दर्जकरेगी.फिर उन लोगों को सांप्रदायिकता से पीड़ित और झूठे मुक़दमों का शिकार बता कर दुनिया भर में उन्हें हीरो बनाया जाएगा.उन के नाम पर अंतर्राष्ट्रीय फ़ंड इकट्ठा होगा, किताबें लिखी जाएँगी,फ़िल्में बनाई
बात है 1948 जब होलकर राजघराने का वारिस चुनने की बात चली तो जाहिर है, बेटा ही वारिस बनेगा पर यहीं पेच फस गया।यशवंतराव द्वितिय ने 2 विवाह किए थे.एक भारतीय महिला से और एक अमेरिकन महिला से।भरतीय महिला की बेटी थी उषा राजे होलकर।जबकि अमेरिकन महिला के बेटे थे शिवाजी राजे होलकर जो
रिचर्ड होलकर के नाम से प्रसिध्द थे ।
रिचर्ड को वारिस बनाने का वक्त आया तब उस वक्त के प्रधानमंत्री नेहरू,गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल और राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने साथ मे बैठकर निर्णय किया कि होलकर का वारिस रिचर्ड नही बन सकता क्योंकि वो खुद एक विदेशी महिला की संतान है।इस लिए
वारिस बेटी उषा राजे होलकर को बनाया गया।हालांकि रिचर्ड को सम्पति में हिस्सा मिला।उनके बेटे का नाम यशवंत होलकर है।जिनकी शादी गोदरेज घराने की बेटी से हुई है।रिचर्ड की बेटी सबरीना की शादी गोआ के राजघराने में हुई है।तन मन धन से भरतीय रिचर्ड को वारिस नही बनाया गया.क्योंकि उस वक्त के pm
पाकिस्तानी मूल की एक लड़की आफिया सिद्दीकी पढ़ने में बहुत ब्रिलियंट थीआगा खान ट्रस्ट के स्कॉलरशिप पर उसने यूरोप के प्रतिष्ठित विद्यालय से न्यूक्लियर साइंटिस्ट में मास्टर्स डिग्री लिया और फिर आगा खां ट्रस्ट के स्कॉलरशिप पर उसने अमेरिका में ही न्यूरो न्यूक्लियर साइंटिस्ट में PHDकिया
वह आतंकवादियों को परमाणु बम बनाने की ट्रेनिंग देने के फिराक में थी और उसने अपने घर पर इतना युरेनियम जमा कर लिया था जिससे एक छोटा मोटा परमाणु बम बनाया जा सके
इतना ही नहीं वह 9/11 के प्रमुख आतंकी खालिद शेख मोहम्मद के संपर्क में भी थी और उसने तीन आतंकवादियों को अपने घर पर पनाह भी
दिया था वह इतनी ज्यादा कट्टरपंथी हो गई थी कि अपने वैज्ञानिक पति को तलाक देकर उसने आतंकी खालिद शेख मोहम्मद के आतंकी भतीजे से दूसरा निकाह कर लिया जबकि वह 5 बच्चों की मां थीआफिया सिद्दीकी अभी अमेरिका की एक जेल में बंद है वह पिछले कई सालों से जेल में है और अमेरिकी कानून ने उसे जब तक
सोनिया भक्ति
किसी देश के प्रधानमंत्री को किसी पद विहीन महिला के सामने इस कदर हाथ जोड़ कर नतमस्तक होते देखा है?? ये तश्वीर बहुत कुछ बयां कर जाती है, इस तश्वीर में दिखाई दे रहे कई नेता सोनिया से उम्र में बहुत बड़े हैं, राजनीती में भी सोनिया से कहीं ज्यादा माहिर हैं, फिर इनकी ऐसी
क्या मज़बूरी है जो एक विदेशी महिला के सामने इस कदर नतमस्तक हैं, इस में मुख्य मंत्री और देश को चलाने वाले कई मंत्री भी मौजूद हैं, अब सवाल ये पैदा होता है की ये मुख्य मंत्री और मंत्री क्या अपने विवेक से अपना विभाग या राज्य चलते होंगें, मुझे तो नहीं लगता और इसीलिए मै कहता हूँ की
देश एक विदेशी महिला के हाथों बंधक हो चूका है, और ये मात्र किसी का विरोध नहीं लेकिन देश के लिए बहुत बड़े खतरे की बात है, इस उम्र दराज नेताओं ने हाथ जोड़ कर एक बात तो साबित करदी की पूरी जिंदगी राजनीती करके इन्होने शिखा कुछ नहीं है, और ऊपर से जाहिर कर रहें हैं की हम तो तुम्हारे
गांधी ने विभाजन क्यों स्वीकार किया? गांधी ने नेहरू को प्रधानमंत्री क्यों बनाया? इन सब प्रश्नों में कोई दम नहीं है।यहां तक कि गांधी के अति कामुक होने और सत्य का प्रयोग को लेकर भी बातों का अच्छा डिफेंस गांधी समर्थकों के पास हैं। इसलिए गांधी के बड़े-बड़े डिसीजन और उनके आचरण को लेकर
आपके प्रश्न मजबूत सिद्ध हो ही नहीं सकते।गांधी को लेकर आपको ऐसे प्रश्न करने होंगे जिसका उत्तर वामपंथियों ने कभी लिखा नहीं आप गांधी के बंटवारा डिसीजन पर प्रश्न नहीं उठाइए,लेकिन बटवारा के बाद हिंदुओं को काट कर पाकिस्तान से भेजा जा रहा था, तो बार-बार अनशन पर बैठने वाले गांधी इसके लिए
अनशन पर क्यों नहीं बैठे?पूछिए कि खिलाफत आंदोलन से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन तक मुसलमानों को साथ रखना गांधी के लिए जरूरी था, पर पाकिस्तान बांट दिए जाने के बाद कौन सी एकता के लिए गांधी हिंदुओं की हत्या पर चुप रहे।पूछिए कि भारत छोड़ो आंदोलन आजादी से 5 वर्ष पहले ही खत्म हो गया था,फिर
पुरानी तीन घटनाएं याद दिला दूँ। लेखक यहां पहले ही स्पष्ट कर देना चाहता है कि जो घटनाएं जैसी हुईं, सिर्फ वैसी ही लिखी जा रही हैं।
1. ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व राष्ट्रपति थे। उन्हें z security प्राप्त थी। उन्होंने दिल्ली में घोषणा की - "कल मैं चंडीगढ़ पहुंचने के बाद बोफोर्स के सारे
राज खोलने वाला हूँ।" तो साहब हुआ ये कि दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग पर सामने से एक ट्रक दनदनाता हुआ आया और जैलसिंह की कार को कुचल दिया। वे वहीं मृत्यु को प्राप्त हुए। कोई जांच नहीं हुई।
2. राजेश पायलट ने कांग्रेस नेत्री की सलाह नहीं मानी। उन्होंने घोषणा की - "कल मैं कांग्रेस अध्यक्ष पद
हेतु नामांकन भरूँगा।" बस फिर क्या था, सामने से एक बस आई और उनकी कार को कुचल दिया। वो वहीं मृत्यु को प्राप्त हुए। कोई जांच नहीं हुई। इन दोनों घटनाओं में modus of operandi एक समान थी। तीसरी घटना में modus of operandi अलग थी।
3. श्रीमन्त माधवराव शिन्दे (सिंधिया) उस लोकसभा चुनाव के