अभी हाल ही में भारत के पीएसएलवी ने सिंगापुर के
2 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में स्थापित किया है।
लेकिन इस मिशन के साथ-साथ बैक टू बैक इसरो ने एक बहुत बड़ा इतिहास रच दिया। धरती से छूटने के मात्र 20 मिनट के बाद @isro के इस रॉकेट पीएसएलवी ने सिंगापुरी दो सेटेलाइट्स को अंतरिक्ष में
👇 twitter.com/i/web/status/1…
स्थापित करने के बाद धरती से 585 किलोमीटर की दूरी पर एक बहुत ही सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मिशन को भारत के इसरो ने बड़े ही सीक्रेटली अंजाम दे दिया है।
क्या था यह सीक्रेट मिशन?
इसरो के PSLV ने अपने ही एक और सैटेलाइट जीसैट-12
को जो पहले से अंतरिक्ष में स्थापित था, उसे मार
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गिराया।
अब यहां यह प्रश्न उठ सकता है कि अपने ही सैटेलाइट को मार गिराना कौन सा बड़ा मिशन है?
असल में आज की इस दुनिया में जितने भी हाई एंडेड हथियार हैं वह सब सेटेलाइट द्वारा गाइड किए जाते हैं। अगर कोई देश इन हथियारों को गाइड करने वाले सैटेलाइट्स को ही मार गिराए तो यह सभी हथियार
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एक तरह से बेबस होकर बिना इंस्ट्रक्शंस के इधर-उधर अपने आप ही गिर जाएंगे और अपने को स्वयं ही नष्ट कर लेंगे।
इस तरह के मिशन को चीन और अमेरिका भी कई बार अंजाम देने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन यह दोनों देश इस में असफल रहे हैं। या यूं कहो कि इनके द्वारा की गई कोशिश उतनी सटीकता से
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सफल नहीं हुई जितनी सटीकता से ISRO ने इसे अंजाम दिया है।
इस तरह से एक ही राकेट द्वारा सेटेलाइट को छोड़ने और उसके द्वारा पहले से स्थापित सैटेलाइट को उड़ाने के काम को मुहावरों की भाषा में कहते हैं..
"आम के आम
और
गुठलियों के दाम" एक ही खर्चे पर दो काम😍 #मोदी_है_तो_मुमकिन_है
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#आत्महत्या
एक कहानी दो औरतो की, दोनों के जीवन में एक ही घटना एक साथ घटी,दोनों का फैसला बिलकुल एक सा, और अंजाम ?
साक्षी अब जीना नहीं चाहती थीं, ख़तम कर देना चाहती थीं इस जीवन को, दिमाग में केवल यही बात घूम रही थी, फैसला हो चूका था, बस अंजाम कैसे देना है यही सोच रही थीं,
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चारो तरफ अँधेरा ही अँधेरा था,अपने ही विचारो में खोयी साक्षी फर्स पर ही बैठी न जाने कब से फर्स को ही घूरे जा रहीं थी,पति की बेवफाई ने साक्षी को अंदर तक तोड़ दिया था,उसकी कही बाते दिल और दिमाग में शूल की तरह चुभ रहे थे,इस बार तो आनंद ने हद ही कर दी,अब जीने का कोई मतलब नहीं हैं,
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न रहूंगी और न ये सब देखूंगी, दोनों बच्चे गहरी नींद में सो रहे थे, एक नजर उनको देखा, उन पर प्यार से हाथ फेरा,आँखों में आंसू का एक कतरा भी नहीं था, उसने मन ही मन एक दृढ निश्चय कर लिया था, रात के दो बज रहे थे, चारो तरफ गहरा सन्नाटा था,साक्षी धीरे से उठी और दुसरे कमरे में चली गयी,
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सामान्य भारतीय सहज व्यवहार पश्चिम में गे होने की निशानी माना जाता है. दो लड़के हाथ में हाथ पकड़े चल रहे हैं, गे हैं. एक बिस्तर पर लेटे हुवे हैं, सो रहे हैं गे हैं. दो लड़कों का साथ सोना,हाथ में हाथ डाल टहलना उसी निगाह से देखा जाता है जैसे भारत में एक लड़का लड़की एक कमरे में एक
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बिस्तर पर सो रहे हों.
उचित भी है, जैसा जज साहब ने कहा कि केवल जननांगो के आधार पर फ़ैसला नहीं हो सकता कौन पुरुष है कौन स्त्री. लड़का लड़का या लड़की लड़की को बिलकुल सामान्य कपल जैसे अधिकार हैं, ओयो में कमरे होंगे, बच्चे पैदा करेंगे, साड़ी सूट पहन रहेंगे-तो जैसे एक सामान्य लड़का
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लड़की का रिलेशन माना जाता है सेक्सुअली उसी दृष्टि से हर रिश्ते को देखा जाएगा.
होमो सेक्सुअलिटी कपल मैरिज, वेडिंग, स्पेशल अधिकार और समाज में मान्यता देने से समाज के सहज नियम बदलेंगे.
अब ऐसा नहीं हो सकेगा कि लड़कों ने मित्र के घर में रुकने का फ़ैसला लिया,रात को वहीं सो गये सब एक
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#कहानी काफल की:
चार धाम यात्रा शुरू हो चुकी है,अब देश विदेश से यात्री इस यात्रा के लिए उत्तराखंड आयेंगे तो आप सब से निवेदन है कि पहाड़ों में जहा भी आपको ये काफल का फल बिकता दिखे,इसे अवश्य खरीदे।
विटामिनों की प्रचूरता एवम फाइबर युक्त होने के कारण डाक्टर भी इसको खाने की सलाह
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दे रहे हैं,इसके बारे में एक कहानी बचपन में सुनी थी सायद पहाड़ों में रहने वाले सब ने सुनी होगी काफी समय पहले यात्रियों की बस चार धाम यात्रा पर निकली थी पहाड़ पर एक जगह ड्राइवर ने बस रोक कर यात्रियों से कहा कि चाय नाश्ता कर लो फिर चलते हैं वही पर एक व्यक्ति ये फल बेच रहा था पहली
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बार ये फल देख कर एक यात्री ने जिज्ञासावस पूछा ई का फल है भैया तो विक्रेता ने कहा हां जी काफल है यात्री ने फिर पूछा ई का फल है ? दुकानदार बोला काफल है बस फिर क्या लड़ाई सुरु हो गई तो अन्य लोग भी आ गए कि क्या हो गया यात्री ने अपने सह यात्रियों को बोला कि में इनसे पूछ रहा कि ई का
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एक बार मुख़्तार सिंह ने एक कबूतर का शिकार किया।
वह कबूतर जाकर एक खेत में गिरा,जब मुख़्तार सिंह उस खेत में कबूतर को उठाने पहुंचा, तभी एक किसान वहां आया और मुख़्तार सिंह से पूछने लगा कि वह उसकी प्रोपर्टी में क्या कर रहा है ?
मुख़्तार सिंह ने कबूतर को दिखाते हुए कहा–
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“मैंने इस कबूतर को मारा है और ये मरकर यहाँ गिर गया इसलिए मैं इसे लेने आया हूँ।”
किसान– “ये कबूतर मेरा है क्योंकि ये मेरे खेत में पड़ा है।”
मुख़्तार सिंह – “क्या तुम जानते हो तुम किससे बात कर रहे हो?”
किसान– “नहीं मैं नहीं जानता और मुझे इससे भी कुछ लेना-देना नहीं है कि
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तुम कौन हो।”
मुख़्तार सिंह– “मैं डॉन हूँ , अगर तुमने मुझे इस कबूतर को ले जाने से रोका तो मैं तुम्हे मार दूंगा और तुम्हारी जमीन जायदाद को हड़प लूंगा और रास्ते का भिखारी बना दूंगा।”
किसान ने कहा– “हम किसी से नहीं डरते … हमारे गाँव में तो बस एक ही डोनगिरी चलती है…
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#सुनो #छागल
इस पीढ़ी में बहुत कम लोग होंगे जो इस मोटे कपड़े की थैली से परिचित होंगे इसे #छागल कहा जाता है
ये नाम सुनकर कई लोग चौंक पड़ेंगे कि #पानी कपड़े की थैली में ???
ये उन दिनों की बात है जब न बाजार में बोतल बंद पानी मिलता था ना #पानी_का_व्यापार होता था न कोई कैम्प थे न
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#Milton की बोतलें थी
गर्मी में पानी पिलाना #धर्म और खुद का पानी घर से लेकर निकलना अच्छा #कर्म माना जाता था
गर्मी के दिनो मे उपयोग आने वाली ये #छागल एक मोटे कपड़े (कैनवास) का थैला होता था,जिसका सिरा एक और बोतल के मुंह जैसा होता था
और वह एक लकड़ी के गुट्टे से बंद होता था
आप में
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से किसने इसका उपयोग किया है ??? #छागल में पानी भरकर लोग,यात्रा पर जब जाते थे,कई लोग ट्रेन के बाहर खिड़की पर उसे टांग देते थे,बाहर की हवा उस कपड़े के थैले के छिद्र से अंदर जाकर पानी को ठंडा करती थी #वो_प्राकृतिक_ठंडक_बेमिसाल_थी
गर्मी में जीप में अंदर अफसर बैठे है उनकी छाग़ल
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#सभी राजनीतिक दल 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नफ़ा-नुकसान का गुणा-भाग करके रणनीति बना रहे है।
विपक्ष पुनःतीसरी-चौथी दफ़ा एकजुट होने की कोशिश कर रहा है। 2019 में चंद्र बाबू नायडू,फिर ममता,केसीआर और अब नीतीश कुमार दूसरी बार प्रयासों में विपक्षी दलों के मुखिया से
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मिल रहे है। मिलकर लड़ने का प्रस्ताव रख रहे है।
सरल भाषा में कहे,फिलहाल विपक्षी नेता आपस में मिलकर सामंजस्य बैठा रहे है। फिर ऐलान करेंगे, तब जमीन पर कार्यकर्ताओं के मिलन की बारी आएगी।
2018 और 2019 में अखलेश व मायावती ने गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा को पटखनी
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दे डाली थी। इसी सफल तर्ज़ पर 2019 में बुआ-बबुआ गठबंधन बना था। तब तमाम विपक्षी राजनीतिक पंडितों ने उत्तर प्रदेश में भाजपा को 15-20 सीट दी और कहा कि ये भी ज्यादा है अगर गठबंधन जमीनी स्तर पर पूरी तरह उतर गया तो क्लीन स्वीप है। बुआ-बबुआ तो मिल बैठे और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डाली।
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