#sick_ularism
पिता जी अपने सेक्युलर बेटे को कुछ समझाते हुए महाभारत का रेफरेंस दे रहे थे
”बेटा, Conflict को जहाँ तक हो सके, avoid करना चाहिए!
महाभारत से पहले कृष्ण भी गए थे दुर्योधन के दरबार में. यह प्रस्ताव लेकर, कि हम युद्ध नहीं चाहते तुम पूरा राज्य रखो पाँडवों को सिर्फ
पाँच गाँव दे दो, वे चैन से रह लेंगे, तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे.
बेटे ने पूछा – “पर इतना unreasonable proposal लेकर श्री कृष्ण गए क्यों थे ?
अगर दुर्योधन प्रोपोजल एक्सेप्ट कर लेता तो?
पिता- नहीं करता!!
भगवान श्री कृष्ण को पता था कि वह प्रोपोजल एक्सेप्ट नहीं करेगा
उसके मूल चरित्र के विरुद्ध था
फिर श्री कृष्ण ऐसा प्रोपोजल लेकर गए ही क्यों थे ?
वे तो सिर्फ यह सिद्ध करने गए थे कि दुर्योधन कितना अनरीजनेबल, कितना अन्यायी था.
वे पाँडवों को सिर्फ यह दिखाने गए थे,
कि देख लो बेटा!
युद्ध तो तुमको लड़ना ही होगा हर हाल में
अब भी कोई शंका है तो निकाल दो मन से,
तुम कितना भी संतोषी हो जाओ,
दुर्योधन तुमसे हर हाल में लड़ेगा ही।
“लड़ना या ना लड़ना” – तुम्हारा ऑप्शन नहीं है”
फिरभी अर्जुन को आखिर तक शंका रही
“सब अपने ही तो बंधु बांधव हैं”
श्री कृष्ण ने सत्रह अध्याय तक funda clear किया फिर भी शंका थी!
ज्यादा अक्ल वालों को शंका भी ज़्यादा होती है
दुर्योधन को कभी शंका नही थी
उसे हमेशा पता था कि “उसे युद्ध करना ही है” उसने गणित लगा रखा था
हिन्दुओं को भी समझ लेना होगा कि -
“कन्फ्लिक्ट होगा या नहीं,
यह आपका ऑप्शन नहीं है
आपने तो पाँच गाँव का प्रोपोजल भी देकर देख लिया
देश के दो टुकड़े मंजूर कर लिए,
(उस में भी हिंदू ही खदेड़ा गया अपनी जमीन जायदाद ज्यों की त्यों छोड़कर)
हर बात पर विशेषाधिकार देकर देख लिया हज के लिए सबसीडी देकर देख ली,
उनके लिए अलग नियम
कानून (धारा 370) बनवा कर देख लिए
“आप चाहे जो कर लीजिए, उनकी माँगें नहीं रुकने वाली”
उन्हें सबसे स्वादिष्ट उसी गौमाता का माँस लगेगा जो आपके लिए पवित्र है,
उसके बिना उन्हें भयानक कुपोषण हो रहा है.
उन्हें “सबसे प्यारी” वही Ms-ज़िद है,
जो हजारों साल पुराने “आपके” ऐतिहासिक मंदिरों को तोड़ कर बनायी गई है
उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी उसी आवाज से है
जो मंदिरों की
घंटियों और पूजा-पंडालों से आती है.
ये माँगें गाय को काटने तक नहीं रुकेंगी
यह समस्या मंदिरों तक नहीं रहने वाली,
यह हमारे घर तक आने वाली है
हमारी बहू-बेटियों तक जाने वाली है और जा रही
आज का तर्क सुनिए-
“तुम्हें गाय इतनी प्यारी है तो सड़कों पर क्यों घूम रही है ?”
हम तो काट कर खाएँगे
हमारे मज- हब में लिखा है !
कल कहेंगे,
”तुम्हारी बेटी की इतनी इज्जत है तो वह अपना *खूबसूरत चेहरा ढके बिना* घर से निकलती ही क्यों है ?
हम तो उठा कर ले जाएँगे.”
उन्हें समस्या गाय से नहीं है,
हमारे “अस्तित्व” से है.
तुम जब तक हो,
उन्हें कुछ ना कुछ प्रॉब्लम रहेगी.
इसलिए हे अर्जुन,
और डाउट मत पालो
कृष्ण घंटे भर की क्लास बार-बार नहीं लगाते!
25 साल पहले कश्मीरी हिन्दुओं का सब कुछ छिन गया वे शरणार्थी कैंपों में रहे, पर फिर भी वे आतंकवादी नहीं बनते
जबकि कश्मीरी मु-slim को सब कुछ दिया गया
वे फिर भी आतंकवादी बन कर जन्नत को जहन्नुम बना रहे हैं।
पिछले साल की बाढ़ में सेना के जवानों ने जिनकी जानें बचाई वो आज उन्हीं जवानों को पत्थरों से कुचल डालने पर आमादा हैं
इसे ही कहते हैं संस्कार
ये अंतर है “धर्म” और “मज- हब” में..!!
एक जमाना था जब लोग मामूली चोर के जनाजे में शामिल होनाभी शर्मिंदगी समझते थे और एक ये गद्दार देशद्रोही लोग हैं जो खुले आम पूरी बेशर्मी से एक आतंकवादी के जनाजे में शामिल होते, गुंडे माफ़िया बदमाशों को ‘शहीद’ बताते, जिस देश का खाते उसके ख़िलाफ़, दुश्मन देश के ज़िंदाबाद के नारे लगाते
सन्देश साफ़ है!
एक कौम,
देश और तमाम दूसरी कौमों के खिलाफ युद्ध छेड़ चुकी है
अब भी अगर आपको नहीं दिखता है तो…
यकीनन आप अंधे हैं !
या फिर शत प्रतिशत देश के गद्दार हैं !
आज तक हिंदुओं ने किसी को हज पर जाने से नहीं रोका
लेकिन हमारी अमरनाथ यात्रा हर साल बाधित होती है
कभी सोचा है!
नहीं थे सोचिए
इनकी असली तकलीफ़ है क्या !!
सब कर के देख लिया फिर भी असहिष्णु हम हैं ?
ये तो कमाल की धर्मनिरपेक्षता है!!
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Emergency: A dark chapter in the history of India.
(The Terrible Story Of An Actress Snehalatha Reddy Who Was Tortured Till Death).
On the night of 25th June 1975, the then Prime Minister Indira Gandhi declared the Emergency,
on the orders of Indira Gandhi, with the signing of President Fakhruddin Ali Ahmed, the Emergency was imposed on the country and suspended the fundamental rights of all citizens, which shook the nation's democratic foundations.
This emergency ended on 21 March 1977.
In 19 months, lakhs were imprisoned and tortured unnecessarily.
Thousands of column inches have been dedicated to articulating the horrors of Emergency, and the lessons it holds for future generations.
Why should the Aarti plate not be waved above the head of the Deity
The Aarti thali should not be waved above the head of the deity, but should be moved from the 'Anahat' (heart chakra) to the 'Agneya Chakra' (Ajna Chakra) of the deity.
Due to the influence of the king frequency (441Hz) arising from the aarti, friction with the ‘Sattva’ (one of the 3 gunas) particles develops in the happy versions related to the invisible divine principle (emanating from the head of the deity).
As a result, they can split before being transmitted. That is why the Aarti dish should not be placed on the head of the deity. Thus, the high-velocity frequency emitted from the Ajna chakra and the properties of the deities are supplemented by the king frequency
आयुर्वेदिक औषधियों में विराजती हैं नव दुर्गे🙏
आयुर्वेद में कुछ औषधियों को माँ दुर्गा का प्रतिरूप बताया गया है।ये नौ औषधियाँ माँ दुर्गा और शक्ति का स्वरूप होने के कारण दुर्गाकवच के नाम से भी जानी जाती हैं।
एक कवच की भांति इन औषधियों में व्यक्ति को विभिन्न रोगों से बचाकर रखने की
शक्ति होती है। आइये देखें नौदुर्गा औषधि कवच क्या हैं।
माँ शैलपुत्री : हरड़
नवदुर्गा का प्रथम रूप माँ शैलपुत्री का है जो पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के कारण दिया गया है। औषधि रूप में माँ दुर्गा हरड़ या हरीतकी के रूप में विराजमान हैं। अनेक रोगों में काम आने वाली हरड़,
आयुर्वेद की प्रमुख औषध मूल रूप से यह सात प्रकार की होती है। एक अच्छे रोगनाशक के रूप में इसे,कंजंक्टिवाइटिस गैस संबंधी परेशानी और पुराने बुखार, साइनस, एनीमिया और हिस्टीरिया आदि में प्रयोग किया जाता है ।
‘बापू, यह हैं आचार्य चतुरसेन, महान इतिहासकार और लेखक,’
जमनालाल बजाज ने महात्मा गांधी से चतुरसेन का परिचय कराते हुए आगे कहा, ‘आपने कहा था ना नवजीवन के लिए संपादक चाहिए, यह सबसे योग्य पात्र हैं, इन्हें दे दीजिए यह कार्यभार।’
‘नमस्ते बापू’ आचार्य चतुरसेन ने गांधी जी का अभिवादन किया
‘नमस्ते शब्द में वेदों की बू आती है, यह ठीक नहीं है।’ गांधी जी बोले।
‘जी,’ आचार्य चतुरसेन आगे बोले, ‘तो फिर राम—राम बापू।’
‘देखे राम—राम बोलना हिन्दू—मुस्लिम एकता के लिए सही नहीं है।’ गांधी जी ने फिर कहा।
‘वंदेमातरम बापू।’ आचार्य जी ने पुन: अभिवादन किया।
‘नहीं वंदेमातरम् भी सही नहीं है, इसमें बुतपरस्ती की बू आती है। हमें आजादी चाहिए तो ऐसी भाषा का प्रयोग करना होगा, जिससे मुस्लिमों को ठेस न पहुंचे।’
‘जय बापू।’
Swami Chinmayanandaji a renowned saint, was met by a a sick ular minded journalist, who generally bent upon showing Hinduism in poor light, vis a vis other religions, asked a question to Swamiji:
Q: Who is the founder of Islam?
A: Prophet Mohammad.
Q: Who is the founder of Christianity?
A: Jesus Christ.
Q: Who is the founder of Hinduism?
Thinking that Swamiji has been trapped in a ticklish situation with no answer,
the lady journalist enthusuastically proceeded further:
Yes. There is no
founder and hence, Hinduism is not a religion or Dharma at all.
Ans: Then, Swamiji said: You are right.
Hinduism is not a religion.
It is a Science.
She did not understand that.
Now it was turn of Swamiji to put some questions to journalist lady.
मज़ार पे चढ़ावे के पाखंड को उजागर करते हुए तुलसीदास जी ने ५०० साल पहले एक प्रश्न, हिन्दू-समाज से पूछा था, जो कि आज तक अनुत्तरित है, उन्होंने पूछा था कि बहराइच में, सैय्यद सालार मसूद की मजार पर जाने से किस अंधे को आँख मिली ? किस बाँझ को
पुत्र हुआ ? और किस कोढ़ी का शरीर सुन्दर हो गया ? उसको मेरे सामने लाओ
बहराइच में हिन्दूओं ने अपना सबसे मुख्य पूजा स्थल" गाजी बाबा की मजार को बना रखा है
मूर्ख हिंदू लाखों रूपये, हर वर्ष इस पीर पर चढाते है।जबकि इतिहास का जानकर हर व्यक्ति जनता है, कि महमूद गजनवी के उत्तरी भारत को १७ बार लूटने व बर्बाद करने के