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तक जितने रोग होते हैं वो सब कफ बिगड़ने के कारण होते हैं।
वासुकी के फूत्कार से हवाओं में भारीपन आ गया। मथानी का वेग चरम पर पहुँच गया, हर हर करते हुए पानी से नीला द्रव्य निकला,साँस खींचने में परेशानी होने लगी। बुदबुदे विशाल होने लगे।
Pitta (10am- 2pm)
चिंतित भारत ने सोवियत संघ को एक एसओएस भेजा।
कुछ 5 हजार चिमटाधारी साधु तत्काल सेना में तब्दील होकर लाखों की हबसी, जाहिल जेहादी सेना से भिड गए।
जोकि कांगड़ा से लगभग 30 किलो मीटर स्थित है
लकड़ी की पट्टियों में कीलें ही ठोंकनी होती हैं चारपाई भी भले कोई सायंस नहीं है , लेकिन एक समझदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके चारपाई बनाना एक कला है उसे रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और श्रम लगता है।
जो हिन्दू व सनातन संस्कृति से संबंधित हैं
मैं कुछ ऐसे घरों में जाती हूँ जहां जाते ही थोड़ी ही देर में वापस आने का मन होने लगता है। एक अलग तरह का नेगेटिविटी उन घरों में महसूस होती है।
बहुत सारी वजहें होंगी, जिनमें हमारे खानपान में बदलाव को सबसे खास माना जा सकता है।
एक जीव, जिसे हम आत्मा भी कहते हैं, इन 8400000 योनियों में भटकती रहती है। अर्थात मृत्यु के पश्चात वो इन्ही चौरासी लाख योनियों में से किसी एक में जन्म लेती है

लोगों ने कैमिकल युक्त सिंदूर बनाना शुरू कर दिया।
Dhritarashtra's charioteer so that he could describe him the events of the upcoming war.
इन आवश्यक मसालों के रसोई घर में रखने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.
व्यक्ति को रिश्तो का निर्वाह किस प्रकार करना चाहिए।
ताकि उनके लिए हमारे दिल मोम बन सकें जिसे काटने में उन्हें बेहद आसानी हो
The Gotra is a system which associates a person with his most ancient or root ancestor in an unbroken male lineage. So Gotra refers to the root person (मूल पुरुष) in a person's male lineage.
👆🏼This analogy is shown through the representation of various chakras namely ‘Moolaadhara’ to ‘Sahasraara’ in the body to various locations in the temple.

ये किस परम्परा का प्रतीक थी और बाद में उसका पालन बाद में क्यूँ नहीं किया गया?
जौहर की गाथाओं से भरे पन्ने, भारतीय इतिहास की अमूल्य धरोहर हैं। ऐसे अवसर एक नहीं, कई बार आये हैं जब हिन्दू वीरांगनाओं ने अपनी पवित्रता की रक्षा के लिए “जय हर-जय हर” कहते हुए हजारों की संख्या में सामूहिक अग्नि प्रवेश किया था। यही उद्घोष आगे चलकर ‘जौहर’ बन गया।