☝️मुझे इस बात को लेकर पूरा यकीन है कि मोदीजी के पास इसको लेकर कोई ना कोई रणनीति जरूर होगी😎 और इनके अमन-शांति-भाईचारा वालों को इनके ही Narrtive War में उलझाकर इनको हराएंगे😎😎😎
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☝️लेकिन एक छोटी सी समस्या है:- जो मेरे सामने बार-बार आ जाती है कि ये "पसमांदाओं का आंदोलन" कुछ सालों से ही एक्टिव हुआ है🙄 और धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है🤔
☝️इन अशराफ वर्ग(मुफ़्ती/मौलाना/उलेमा आदि-2) के कहने पर अथवा भड़काने पर #काफिरों को मारते वक़्त, दंगे-फसाद, पत्थरबाजी आदि
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के वक़्त अधिकतर पसमांदा समाज से ही मुस्लिम होते हैं***
और ये ही पसमांदा समाज अपने बुद्धि-विवेक का प्रयोग तब नहीं करता*🤔 और अशराफ वर्ग हमेशा #Safe निकल जाता है*😬
☝️यानी चोर ही पकड़े जाते हैं-चोर की नानी कभी नहीं...
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☝️और हाँ काफिरों के मारते वक़्त ना ये तो शिया हैं-ना सुन्नी-ना अहमदिया- और ना बरेलवी etc...
यह अमीर अशराफ XYZ है, जो पसमांदा जाति के मुसलमानों (जो गरीब और वंचित जाति के हैं*) को ही काफिरों को मारने के लिए उकसाते हैं तथा गैंगबाजी के वक़्त सुपारी* देते हैं,
जबकि अशराफ वर्ग के परिवार और बच्चे लंदन/दुबई/संयुक्त राज्य अमेरिका में एक अरबपति भव्य जीवन शैली जीते हैं😳 #दिलचस्प
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इस पोस्ट के लिए सबसे पहले तो मेरी सभी बड़ी व छोटी बहनें मुझे माँफ करेगीं शब्दों की मर्यादा के लिए...
क्योंकि अब कुछ ज्यादा नंगा-नाच देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा...
अब तक हम तटस्थ थे...
लेकिन अब इनका "नंगा नाच" देख कर पोस्ट तो जरूर करनी पड़ेगी...
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हुड्डा साहब ने , खेल तो पूरी रणनीति रचकर खेला है.......!!!!
गडबड ये कर दी, कि "मोहरे" ठेठ जोकर निकले । जो कुछ सिखा पढा के भेजते है , ये ऊल जूलूल बकने लगते है । ना तो तथ्यो मे कोई तारतम्य बैठता है , ना ही उन्हे पता कि कब और क्या बोलना है ।
अपनी ही कही बातो को झुठला देते है,
कल कुछ बक रहे है, अभी कुछ, खुद अपनी ही कही बातो मे फँस जाते हैं...
बहुत साल पहले की बात है, शायद 33-34 साल हो गये,
किसी गाँव मे एक दबंग चौधरी जी थे, पैसे-वैसे भरपूर थे और लठैत भी एक नंबर के , जब चाहे जिसे चाहे लठिया देते थे । गाँव के निर्विरोध प्रधान चुने गये थे ।
ये दोनों ही आम लोगों और ऐतिहासिक धरोहरों व मंदिरों को नष्ट करने के लिए "हिंसक विचारधारा" का इस्तेमाल करते हैं और साफ-2 शब्दों में कहें तो दंगे-फसाद,मारकाट,हत्याएं, पत्थरबाजी आदि सभी का प्रयोग करते हैं...
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☝️ये दोनों ही अपने ही देश के निरपराध नागरिकों को सिर्फ इसलिए मार देते हैं क्योंकि राज्य के मुखिया उनके घृणित, बेकार घटिया और उनकी अनुचित मांगों को नहीं मानते हैं...
☝️ये दोनों ही पुलिसकर्मी और सैनिक जो सिर्फ मेहनती नागरिक हैं,जो सिर्फ अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं...
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जो उन्हें उनके उच्च अधिकारियों द्वारा उन्हें सौंपा जाता है,उसी कार्य को कर रहे हैं।
☝️उन बेचारों का ये आतंकी नरसंहार तक कर देते हैं...
☝️जब तक ये अराजक तत्व हमारे समाज का हिस्सा हैं तब तक किसी भी देश में शांति हो ही नहीं सकती...
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☝️1947 में मुस्लिम अलग देश चाहते थे और इसकी शुरुआत तो 1906 मुस्लिम लीग की स्थापना के वक़्त से ही हो गयी थी...
☝️99% प्रतिशत ने एक अलग देश के लिए मतदान किया था...
☝️लेकिन इनमें से कोई नहीं गया...
☝️इतना ही नहीं, नेहरू ने सरदार पटेल जी से कहा था कि
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☝️एक भी मुसलमान भारत नहीं छोड़ेगा और गाँधी तो आपको याद ही होगा ,इसने धर्म के आधार पर हुए बंटवारें को बीच में टांग अड़ाकर पाकिस्तान को तो इस्लामिक देश बनवा दिया और दूसरे हमारे भारत देश को अपने चहेतों को रोककर धर्मशाला😬😬😬
☝️पाकिस्तान से हजारों-लाखों हिंदू माताओं -बहनों के
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साथ कैसा-2 व्यवहार हुआ था❓उनके ऊपर उनके परिवारों के ऊपर क्या बीती थी❓उन सभी का दर्द बयां करने के लिए शब्द भी कम पड़ जाते हैं😢
☝️जो किसी भी प्रकार अपने प्राण बचाकर जीवित भारत में आ गए थे, उन तक को इस काँग्रेस ने दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर दिया था...
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☝️मुसलमानों को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वो अपने भीतर कभी कोई बुराई देख नहीं पाते। उनकी पांच में से पांचों अंगुलियां सामने की ओर ही उठी रहती हैं हमेशा...
☝️मुल्ला, मौलवी, मदरसा, कारी, मुफ्ती सब मिल जुलकर एक मोमिन को ऐसा डिजाइन कर देते हैं कि जीवन भर
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☝️वह दूसरों की बुराइयां खोजता फिरता है।
☝️उसके दिमाग में ये बात भर दी जाती है कि उसके अलावा सब नापाक हैं। गंदे हैं। नजिस हैं। जहन्नमी हैं।
☝️मुल्ला मौलवी बिरादरी मूर्ख नहीं है जो मुसलमानों को इस तरह से डिजाइन करती है।
☝️वो जानते हैं कि अगर मोमिन के मन में इस्लाम को लेकर
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कोई सवाल आ गया तो जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।
☝️इसलिए वो सवाल करने वालों को सदैव ये कहकर रोक देते हैं कि लगता है तुम्हारे दिल में शैतान घर कर गया है।🙄
☝️मोमिन सवाल न पूछे इसलिए उसके आरोपों की तोप को गैर मोमिनों की ओर मोड़कर रखा जाता है।
☝️लेकिन इन सारे प्रयासों के बाद भी
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इस बात को मोदीजी हम सभी से बेहतर जानते हैं कि यह सब अल-तकिया के अलावा और कुछ नहीं है...
क्योंकि वह भी बखूबी जानते हैं कि कोई तुष्टीकरण/तृप्तिकरण काम नहीं आएगा*
मोदीजी बोहरा समुदाय से भी मिल चुके हैं,
अब बस शियाओं और अहमदिया समुदाय से मिलना बाकी है*
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और फिर निकलेगा परिणाम "वर्टिकल स्पलिट"😏😏😏
इधर मोदीजी अपने मिशन पर हैं तो वहीं दूसरी तरफ वे सभी भी अपने मकसद के लिए अपनी आबादी* बढ़ा रहे हैं और अपने मकसद के लिए षड्यंत्र रच रहे हैं...
एक बात और अशराफ Vs पसमांदा का काँग्रेस ने बखूबी प्रयोग किया है...
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इसके लिए #कांग्रेस को इन्वॉल्व करना इसलिए जरूरी है...
क्योंकि काँग्रेस चाहे भले ही कुछ भी करती थी***😳
लेकिन कभी भी इनकी शिक्षा* को लेकर इनका स्तर कभी नहीं बढ़ने दिया...
काँग्रेस ने मुस्लिमों को हमेशा से देवबंद-मदरसों-मरकजों आदि में इनको अलग व्यवस्था देकर "समान शिक्षा" से
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