🌹श्रीमद्भागवत पुराण संक्षिप्त परिचय🌹
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भागवत के विषयों का स्कन्धों के अनुसार वर्णन
🌹☘️श्रीमद्भागवत महात्म्य☘️🌹
श्रीमद्भागवत के महात्म्य में #भक्ति पुत्र ज्ञान और वैराज्ञ के कष्ट निवारण के एवं #गोकर्णोपाख्यान के माध्यम से ये बताया गया है कि श्रीमद्भागवत
के केवल श्रवण मात्र से कैसे जीव का उद्धार हो जाता है।एक प्रेतात्मा #धुंधकारी का मोक्ष श्रीमद्भागवत सप्ताह विधि से हुआ, यह श्रीमद्भागवतश्रवण की महिमा है यही इसका सार है।श्रीमद्भागवत श्रवण के श्रौता वक्ता के नियम बतायें हैं
🌹☘️प्रथमस्कन्ध☘️🌹
प्रथम स्कन्ध में महाभारत के
अन्तिम पड़ाव से द्वौपदी ने पुत्रों की निर्मम हत्या पर अश्वत्थामा को क्षमा करना,गर्भस्थ परीक्षित की रक्षा
कुन्ती ने दु:ख माँगा ,कुन्ती और भीष्म स्तुति से , ‘भक्ति-योग’ के बारे में बताया गया है और परीक्षित का जन्म, परीक्षितश्राप की कथा के माध्यम से ये बताया गया है कि एक मरते हुए
व्यक्ति को क्या करना चाहिए ? क्योकि ये प्रश्न केवल परीक्षितजी का नहीं हम सब का है क्योकि #सात दिन ही प्रत्येक जीव के पास है आठवाँ दिन है ही नहीं, इन्ही सात दिन में उसका जन्म होता है और इन्ही सात दिन में मर जाता है
🌹☘️द्वितीय स्कन्ध☘️🌹
द्वितीय स्कन्ध में परीक्षित के दो प्रश्न
योग-धारणा के द्वारा शरीर त्याग की विधि बताई गयी है,भगवान का ध्यान कैसे करना चाहिए उसके बारे में बताया गया है चतु: श्लोकी भागवत।भागवत के दस लक्षण
☘️🌹तृतीय स्कन्ध☘️🌹
तृतीयस्कन्ध में विदुर का आतित्थ्यस्वीकार करना। विदुर उद्धव भेंट व विदुरजी मैत्रेय सम्बाद, विराट पुरुष से
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कमल पर ब्रह्मा सृष्टिक्रम वर्णन, वराह अवतार हिरण्याक्ष वध
‘कपिल अवतार-माता देवहुति को उपदेश में कपिलगीता’ का वर्णन है जिसमें ‘भक्ति का मर्म’ ‘काल की महिमा’ और देह-गेह में आसक्त पुरुषों की ‘अधोगति’ का वर्णन,मनुष्य योनि को प्राप्त हुए जीव की गति क्या होती है. केवल भक्ति से ही वह
इन सब से छूटकर भगवान की ओर जा सकता है l
☘️🌹चतुर्थ स्कन्ध☘️🌹
चतुर्थस्कन्ध में ये बताया गया है दक्ष कन्याओं का वंशवर्णन सति का योगाग्नि में तनु समाप्त दक्ष यज्ञविध्वंस
भक्ति सच्ची हो तो उम्र का बंधन नहीं होता ‘ध्रुवजी की कथा’ ने यही सिद्ध किया है
वेन के शरीर के मलने से
पृथु व अर्चिदेवी अवतार
#पुरंजनोपाख्यान में इन्द्रियों की प्रबलता के बारे में बताया गया है
प्रचेताओं की कथा में नारद जी ने जीवहत्या और मांसभक्षण को एक जघन्य अपराध बताया है।
☘️🌹पंचम स्कंध ☘️🌹
पंचमस्कन्ध में प्रियव्रत चरित्र ,आग्नीध्र आख्यान, राजा नाभि के पुत्र ऋषभ देवअवतार के
100 पुत्रों में भरत चरित्र राहुगण को उपदेश
‘भरत-चरित्र’ के माध्यम से ये बताया गया है कि भरतजी कैसे एक हिरन के मोह में पड़कर अपने तीन जन्म गवा देते है
भवाटवी के प्रसंग में ये बताया गया है कि व्यक्ति अपनी इन्द्रियों के बस में होकर कैसे अपनी दुर्गति करता है भुवन कोश , किंपुरुष
भारतवर्ष आदि पृथक पृथक ग्रहस्थिति ‘नरकों का वर्णन’ बताया गया है कि मरने के बाद व्यक्ति की अपने-अपने कर्मो के हिसाब से कैसे नरको की यातना भोगनी पड़ती है।
☘️🌹षष्ट स्कन्ध🌹☘️
षष्टस्कन्ध मे भगवान के नाम की महिमा’ के सम्बन्ध में #अजामिलोपाख्या
आतुरकाल (मरणासन्न काल) में भगवान्
के नारायण नाम के उच्चारण से अजामिल जैसे पापी का उद्धार हो जाता है।
नारद को दक्ष का श्राप #नारायणकवच का वर्णन है जिससे वृत्रासुर का वध होता है नारायण कवच वास्तव में भगवान के विभिन्न नाम है जिसे धारण करने वाले व्यक्ति कों कोई परास्त नहीं कर सकता
पुंसवनविधिएक संस्कार है
जिसके बारे में बताया गया है।
🌹☘️सप्तम स्कंध☘️🌹
सप्तमस्कन्ध में शिशुपाल और दन्तवक्त्र के पूर्वजन्म , राजासुयज्ञ की कथा ,नृसिंह अवतार प्रहलादचरित्र के माध्यम से बताया गया है कि हजारों मुसीबत आने पर भी भगवान का नाम न छूटे यदि भगवान का बैरी पिता ही क्यों न हो उसे भी छोड़ देना
चाहिये। मानव-धर्म, वर्ण-धर्म, स्त्री-धर्म,ब्रह्मचर्य गृहस्थ और वानप्रस्थ-आश्रमों के नियम का कैसे पालन करना चाहिये इसका निरुपण है। कर्म व्यक्ति कों कैसे करना चाहिये #स्त्रीधर्म यही इस स्कन्ध का सार है।
🌹☘️अष्टम स्कन्ध☘️🌹
भगवान कैसे भक्त के चरण पकडे़ हुए व्यक्ति का पहले, बाद में
बाद में भक्त का उद्धार करते है ये ‘गजेन्द्र-ग्राह कथा’के माध्यम से बताया गया है समुद्र मंथन, मोहिनी अवतार ,देवासुर संग्राम वामन अवतार, के माध्यम से भगवान की भक्ति और लीलाओं का वर्णन है
मत्स्य अवतार सुन्दर कथा
☘️🌹नवम स्कन्ध☘️🌹
नवम स्कन्ध में ‘सूर्ये-वंश’ में वैवस्वतमनु
के पुत्र राजा की सुद्युम्न की, च्यवन और सुकन्या की, नाभाग के अम्बरीष की, इक्ष्वाकु वंश , हरिश्चन्द्र की राजामान्धाता की ,राजा सगर साठ हजार पुत्र कपिल श्राप के कारण गंगावतरण
भगीरथ के दिलीप के रघु के अज के इन्दुमती से दशरथ की तीन(कौशल्या आदि रानियों के राम, लक्षमण,भरत,शत्रुघ्न
सभी के दो दो पुत्र
#ययाति की कथा
राम के पुत्र कुश के वंश में मरू राजा जो आज भी कलाप ग्राम में तप कर रहें कल्कि अवतार होने तक ...
#चंद्र-वंश’ की कथाओं के माध्यम से उन राजाओ का वर्णन है भृगु वंश जिनकी भक्ति के कारण भगवान ने उनके वंश में जन्म लिया। जिसका चरित्र सुनने मात्र से
जीव पवित्र हो जाता है वह भगवान् परशुराम जी का पावन चरित्र
निमिवंश राजाजनक , भरतवंश और रन्तिदेव और पांचाल , कुरु , मगध राज वंश , तर्वसु आदि , विदर्भ वंश , वृषणी वंश वर्णन , यही इस स्कन्ध का सार है।
🌹☘️दशम स्कन्ध (पूर्वार्ध)🌹☘️
भागवत का ‘हृदय’ दशम स्कन्ध है बड़े-बड़े संत
संत महात्मा, भक्त के प्राण है ये दशम स्कन्ध भगवान अजन्मा है उनका न जन्म होता है न मृत्यु
श्रीकृष्ण का तो केवल ‘प्राकट्य’ होता है भगवान का प्राकट्य किसके जीवन में,और क्यों होता है किस तरह के भक्त भगवान को प्रिय है भक्तों पर कृपा करने के लिए कारगार में जन्म उन्हें कोई बन्धन नहीं
नीलकमल का जन्म कंस के कीचड़ में भले हो पर खिलता ब्रज के सरोवर गोकुल में
‘पूजा-पद्धति’ स्वीकार करने के लिए चाहे जैसी भी पद्धति हो,के लिए ही भगवान का प्राकट्य हुआ, उनकी सारी लीलायें, केवल अपने भक्तों के लिए थी, जिस-जिस भक्त ने उद्धार चाहा, वह राक्षस बनकर उनके सामने आता गया और
जिसने उनके साथ क्रीडा चाही वह भक्त, सखा, गोपी, के माध्यम से सामने आते गए, उद्देश्य केवल एक था – ‘श्रीकृष्ण की प्राप्ति ’ भगवान की इन्ही ‘दिव्य लीलाओं का वर्णन’ इस स्कन्ध में है जहाँ पूतना-मोक्ष ,उखल बंधन ,चीर-हरण गोवर्धन जैसी दिव्य-लीला , कंसवध उन्हीं की लीला के माध्यम से पाँचों
तत्व शुद्ध किये हैं
#तृणाव्रतवध से वायु तत्व
#नागलीला- से जल तत्व
#व्योमासुर वध आकाश तत्व
#दावाग्निपान से अग्नि तत्व
#भौमासुर वध से पृथिवी तत्व और #रास तो ‘महारास’, ‘गोपीगीत’ तो दिव्यातिदिव्य लीलायें है। इन दिव्य लीलाओं का श्रवण, चिंतन, मनन, बस यही ‘जीवन का सार’ है
🌹☘️दशमस्कन्ध (उत्तरार्ध)
दशमस्कन्ध उत्तरार्ध में भगवान की
#ऐश्वर्य_लीला’ का वर्णन है जहाँ भगवान ने #बांसुरी छोड़कर #सुदर्शनचक्र धारण किया उनकी कर्मभूमि ,रुक्मणि आदि आठ विवाह नित्यचर्या, गृहस्थ, का बड़ा ही अनुपम वर्णन है
मुचुकुन्द को दर्शन, शंबरासुर वध , स्यमन्तकमणि खोज,
शतधन्वा उद्धार,
भौमासुर मारकर कारावास से प्राप्त 16100 कन्यओं से विवाह प्रत्येक को दस दस पुत्र व एक पुत्री हुई।कृष्ण के 161080 पुत्र,
कुल सन्तान है-177188 पुत्र व पुत्री
उषाअनिरुद्धप्रेम और वाणासुर युद्ध , गो-दानी राजा नृग गिरगिट उद्धार , पौण्डकवध, द्विविद वध, जरासन्ध वध,
शिशुपाल वध , दन्तवक्त्र वध, शाल्व वध , वल्बल वध। सुदामा चरित्र आदि
सूर्यग्रहण पर्व कुरुक्षेत्र मे ग्वाल -पाडव -यादव मिलन, वृक्कासुर और भस्म कंकण, भृगु द्वारा त्रिदेव परीक्षा ,लीलाविहार
🌹☘️एकादशस्कन्ध
एकादशस्कन्ध में भगवान ने अपने ही यदुवंश कों ऋषियों का श्राप लगाकर यह बताया
कि गलती चाहे कोई भी करे मेरे अपने भी उसको अपनी करनी का फल भोगना पड़ेगा भगवान की माया बड़ी प्रबल है उससे पार होने के उपाय केवल भगवान की भक्ति है यही इस एकादश स्कन्ध का सार है
#अवधूतोपख्यान २४ गुरुओं की कथा शिक्षायें है।
🌹☘️द्वादश स्कन्ध☘️🌹
द्वादश स्कन्ध में कलियुग के राजा व अनीति वर्णन , सम्भल ग्राम में विष्णुयश ब्राह्मण दम्पती के गृह कल्कि अवतार
भागवत के सार का वर्णन है
कलि के दोषों से बचने के उपाय केवल
🌹नामसंकीर्तन🌹है।मृत्यु तो परीक्षितजी को आई ही नहीं क्योकि उन्होंने उसके पहले ही समाधि लगाकर स्वंय को भगवान
में लीन कर दिया था उनकी परमगति हुई क्योकि जिसने इस भागवतरूपी अमृत का पान कर लिया हो उसे मृत्यु कैसे आ सकती थी
🌹भागवतकथोपरान्तश्रीमद्भागवतमाहात्म्य🌹
कीर्तनोत्सव में उद्धवजी का प्रकट होना श्रीमद्भागवत में विशुद्ध भक्ति,भगवान श्रीकृष्ण के नाम लीलागुण आदि का संकीर्तन किया जाये
तो वे स्वयं ही हृदय में आ विराजते हैं और श्रवण,कीर्तन करने वाले के सारे दु:ख मिटा देते हैं ठीक वैसे ही जैसे सूर्य अन्धकार को और आँधी बादलों को तितर-बितर कर देते हैं।जिस वाणी से घट-घटवासी अविनाशी भगवान के नाम लीला, गुण,का उच्चारण नहीं होता वह वाणी भावपूर्ण होने पर भी निरर्थक है
सारहीन है
जिस वाणी से चाहे वह रस, भाव, अंलकार आदि से युक्त ही क्यों न हो, जगत् को पवित्र करने वाले भगवानश्रीकृष्ण के यश का कभी गान नहीं होता वह तो अत्यंत अपवित्र है इसके विपरीत जिसमे सुन्दर रचना भी नहीं है और जो व्याकरण आदि की दृष्टि से दूषित शब्दों से युक्त भी है परन्तु जिसके
प्रत्येक श्लोक में भगवान के सुयश नाम जड़े है वही वाणी लोगो के सारे पापों का नाश कर देती है।
जय जय श्री राधे
जय श्री कृष्ण🙏🙏☘️🌹☘️
#श्रीमद्भागवतमहापुराणजी की जय 🙏
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@Sabhapa30724463 @ShashibalaRai12 @SathyavathiGuj1 @Neelammishra24 @Pratyancha007 @brave_mam @AYUSHSARATHE3 @Prerak_Agrawal1 @babu_laltailor @Hanuman65037643 @Govindmisr यहां श्रीभगवान आत्मा की अमरता की व्याख्या करते हुए अर्जुन को कहते हैं
आत्मा को कोई शस्त्र काट नहीं सकता, अग्नि इसे जला नहीं सकती , जल इसे भिगो नहीं सकता और वायु इसे सुखा नहीं सकती।
अर्थात आत्मा जो परमात्मा का ही अंश है।उसमें स्वत परमात्मा का अंश होने के कारण अमरता का गुण है
@Sabhapa30724463 @ShashibalaRai12 @SathyavathiGuj1 @Neelammishra24 @Pratyancha007 @brave_mam @AYUSHSARATHE3 @Prerak_Agrawal1 @babu_laltailor @Hanuman65037643 @Govindmisr पृथ्वी तत्व से उत्पन्न सभी अस्त्र इस आत्मा तक पहुंच ही नहीं सकता।फिर इसे विकृत कैसे कर सकता है।
इसी प्रकार #अग्नितत्व , #जलतत्व और
#वायुतत्व की पहुंच भी आत्मा तक नहीं है इसीलिए किसी प्रकार भी इन तत्वों से इसमें विकार उत्पन्न नहीं किया जा सकता न ही इसे इनसे नष्ट किया जा सकता है
@Sabhapa30724463 @ShashibalaRai12 @SathyavathiGuj1 @Neelammishra24 @Pratyancha007 @brave_mam @AYUSHSARATHE3 @Prerak_Agrawal1 @babu_laltailor @Hanuman65037643 @Govindmisr यहां श्रीभगवान पांच महाभूतों में से चार तत्वों की बात कर रहे किंतु आकाश तत्व की नहीं।
क्योंकि ये चारों तत्व आकाश तत्व से उत्पन्न हैं वे अपने कारणभूत आकाश में कोई विकार उत्पन्न नहीं कर सकते।
आत्मा नित्य तत्व है सभी तत्वों को इसी से सत्ता स्फूर्ति मिलती है।अतः जिनसे ये सत्ता
🌺शयन का शास्त्रीय विधान🌺
बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये हितकर हैं
शरीर विज्ञान के अनुसार चित सोने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान और औधा या ऊल्टा सोने से आँखों की परेशानी होती
है।सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घंटे) के बाद ही शयन करना
संधि काल में कभी नहीं सोना चाहिए।
🌺☘️शयन में दिशा महत्व☘️🌺
दक्षिण दिशा (South) में पाँव रखकर कभी सोना नहीं चाहिए। इस दिशा में यम और नकारात्मक ऊर्जा का वास होता हैं। कान में हवा भरती है।मस्तिष्क में रक्त का संचार कम
को जाता है स्मृति-भ्रंश, व असंख्य बीमारियाँ होती है।
1- पूर्व दिशा में मस्तक रखकर सोने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
2-दक्षिण में मस्तक रखकर सोने से आरोग्य लाभ होता है
3-पश्चिम में मस्तक रखकर सोने से प्रबल चिंता होती है
4-उत्तर में मस्तक रखकर सोने से स्वास्थ्य खराब व मृत्यु
🌺🌿श्रीनाथजी की भावविभोर कथा 🌿🌺
श्रीनाथजी एक दिन भोर में अपने प्यारे कुम्भना के साथ गाँव के चौपाल पर बैठे थे। कितना अद्भुत दृश्य है।समस्त जगत के पिता एक नन्हें बालक की भाति अपने प्रेमीभक्त कुम्भनदास की गोदी में बैठ कर क्रीड़ा कर रहे हैं।
तभी निकट से ब्रज की एक भोली ग्वालन
निकली।श्रीनाथजी ने गूजरी को आवाज दी कि तनिक ईधर तो आ।
गूजरी ने कहा आपको प्यास लगी है क्या?
श्रीनाथजी ने कहा मुझे नही मेरे कुभंना को लगी है।श्रीनाथजी कुभंनदास को प्यार से कुभंना कहते हैं।कुंभनदास जी कह रहे है कि श्रीजी मुझे प्यास नही लगी है।
तब श्रीनाथजी गूजरी से कहा कि
इनको छाछ पिला। जैसे ही गूजरी ने कुभंनदास जी को छाछ पिलाई पीछेसे श्रीनाथजी ने उसकी पोटली में से चुपके से एक रोटी निकाल ली।कुंभनदास जी ने उन्हें ऐसा करते हुए देख लिया।
श्रीनाथजी ने गूजरी से बड़े प्यार से कहा कि अब तू जा।भोली ग्वालन बाबा को छाछ पिला कर अपना कार्य सम्पन्न करने को
एक बार एक शिवभक्त धनिक शिवालय जाता है।पैरों में महँगे और नये जूते होने पर सोचता है कि क्या करूँ?यदि बाहर उतार कर जाता हूँ तो कोई उठा न ले जाये और अंदर पूजा में मन भी नहीं लगेगा सारा ध्यान् जूतों पर ही रहेगा। उसे बाहर एक भिखारी बैठा दिखाई देता है। वह धनिक
भिखारी से कहता है " भाई मेरे जूतों का ध्यान रखोगे? जब तक मैं पूजा करके वापस न आ जाऊँ" भिखारी हाँ कर देता है।
अंदर पूजा करते समय धनिक सोचता है कि " हे प्रभु आपने यह कैसा असंतुलित संसार बनाया है? किसी को इतना धन दिया है कि वह पैरों तक में महँगे जूते पहनता है तो किसी को अपना पेट
भरने के लिये भीख तक माँगनी पड़ती है! कितना अच्छा हो कि सभी एक समान हो जायें!" वह धनिक निश्चय करता है कि वह बाहर आकर भिखारी को 100 का एक नोट देगा।
बाहर आकर वह धनिक देखता है कि वहाँ न तो वह भिखारी है और न ही उसके जूते ही।धनिक ठगा सा रह जाता है। वह कुछ देर भिखारी का इंतजार करता
🕉️ सत्य सनातन संस्कृति 🕉️
☘️💐सड़क पर चलने वाला साधारण दिखने वाला हर बुजुर्ग भिखारी नहीं होता
🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴कोपरगाँव (महाराष्ट्र) से अपने रास्ते पर मैंने एक बुजुर्ग दंपति को सड़क के किनारे चलते देखा जैसा कि मेरी सामान्य आदत है मैंने बस भिखारी दिखने वाले जोड़े से दोपहर
होने के कारण ऐसे ही भोजन के लिए कहा । परंतु उन्होने मनाकर दिया फिर मैंने उन्हें 100 रुपए देना चाहा पर वे उसे भी लेने से इंकार कर
दिया फिर मेरा अगला सवाल आप लोग ऐसे क्यों घूम रहे हैं
उन्होंनें उनकी जीवनी बतानी शुरू की
उन्होंने 2200 किमी की यात्रा की और अब द्वारका में अपने घर
जारहे थे
उन्होंने कहा कि मेरी दोनों आंखें एक साल पहले चली गई थीं।डॉक्टर ने कहा कि ऑपरेशन करना बेकार है तब मेरी मां ने डॉक्टर से मिलकर ऑपरेशन करने को तैयार किया तब डॉ. तैयार हुए और ऑपरेशन करना पड़ा।वह श्रीकृष्ण मंदिर गई और भगवान से मन्नत माँगी कि यदि उनकी बेटे की आँखें वापस
☘️🌹सामर्थ्य का दिखावा न करें🌹☘️
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एक राज्य में एक पंडितजी रहा करते थे वे अपनी बुद्धिमत्ता के लिए प्रसिद्ध थे उनकी बुद्धिमत्ता के चर्चे दूर दूर तक हुआ करते थे
एकदिन उस राज्य के राजा ने पंडितजी को अपने दरबार में आमंत्रित किया पंडितजी दरबार में पहुँचे
राजा ने उनसे कई विषयों पर गहन चर्चा की चर्चा समाप्त होने के पश्चात् जब पंडितजी प्रस्थान करने लगे तो राजा ने उनसे कहा
पंडितजी आप आज्ञा दें तो मैं एक बात आपसे पूछना चाहता हूँ
पंडित ने कहा ,पूछिए राजन
आप इतने बुद्धिमान है पंडितजी किंतु आपका पुत्र इतना मूर्ख क्यों हैं? राजा ने
पूछा
राजा का प्रश्न सुनकर पंडितजी को बुरा लगा उन्होंने पूछा “आप ऐसा क्यों कह रहे हैं राजन?”
पंडितजी आपके पुत्र को ये नहीं पता कि सोने और चाँदी में अधिक मूल्यवान क्या है राजा बोला
ये सुनकर सारे दरबारी हँसने लगे
सबको यूं हँसता देख पंडितजी ने स्वयं को बहुत अपमानित महसूस किया