#ग्रीस की एक अधेड़ महिला ने एक सनातनी हिन्दू से बात करते हुए कभी कहा था कि ग्रीस की सभ्यता नष्ट हो चुकी यह अब केवल खंडहर बचे हैं उस संस्कृति को मरे अब कोई दो हजार वर्ष हो गए हैं।लेकिन आप भाग्यशाली है क्योंकि आपके देश मे सब कुछ जीवित है
जो मंत्र और ऋचाएं पांच हजार वर्ष पहले गाई👇
गईं होंगी वे आज भी वैसी ही ध्वनित हो रही हैं।लेकिन अब ग्रीस में कुछ भी ग्रीक नहीं है।
उन्होंने आगे जो बात कहीं वो हमारे देश के सेकुलरों और मनुस्मृति - रामचरित मानस जलाने वालों को बहुत बुरी लग्गेगी।परन्तु उनको चुभने वाली बात सत्य है जिसे एक सर्वथा भिन्न देश की स्त्री समझ रही थी और
निर्भ्रांत होकर कह भी रही थी।
उन्होंने आगे कहा "आपके यहाँ ब्राह्मण बच गए। मैं स्तब्ध और भावुक हो जाती हूँ काश ग्रीस में ऐसा हुआ होता।ये आश्चर्य की बात है कि पूरा का पूरा समाज उस ब्राह्मण को साझा जिम्मेदारी से बचा लाया।ये बहुत बड़ी बात है और दुनिया के लिए अविश्वसनीय बात है कि
पूरा समाज उसे सीधा अन्न पहुंचाता रहा।जो भी बना, थोड़ा या अधिक,लेकिन इतना कि वो जीविका की चिंता छोड़कर अपना धार्मिक जीवन बिना बदले जी सके।
ये कमाल की बात है इन्हें आप #पांच_हजार साल से बचा लाये हैं। और गए 700 वर्ष तो समाजिक विज्ञान मे सबसे बड़े आश्चर्य के हैं।इस समय मे जब दुनिया
का कोई भी देश कोई नए मजहब के रास्ते मे पड़ा तो अपने मूल धर्म,संस्कृति और आदि मूल्यों को बचा नहीं पाया। जबकि भारत मे बच गया और अपने पूर्ण विस्तार में अपनी सदा पल्लवित होती शाखाओं के साथ जीवित है।
आश्चर्य की बात है कि जिस भारतीयता की समझ किसी ग्रीक महिला को इतनी स्पष्ट है उसको आये
दिन हमारे भारत मे नष्ट करने के कुचक्र रचे जाते हैं।आये दिन अलग अलग मत संप्रदाय और जातियों के लोग कहते रहते हैं कि ये धर्म ग्रंथ जलाओ उसे नष्ट करो।ब्राह्मणों भारत छोड़ो।हिन्दुओं की पूरी संस्कृति पत्तनोन्मुख और अवैज्ञानिक है।
आप ध्यान से देखें तो ये ज्ञात होगा कि हजारों वर्ष
कि हजारों वर्ष प्राचीन इस महान देश को तोड़ने की प्रवृति पिछले कुछ दशकों में तीव्र और सर्वाधिक रही है। और पिछले कुछ वर्षों से तो वो उफान पर ही है।
जबसे भारत मे सत्ता परिवर्तन हुआ है और एक जागरण आया है हिंदुओं को नष्ट करने और उसकी अति प्राच्य विद्या को भुलाने गरियाने का ये
ये षडयंत्र वैश्विक हो चला है।इसे बाहर की विखंडनकारी शक्तियों से खाद पानी मिलता है।
सम्पूर्ण मानव सभ्यता में #हिन्दू जैसी संघर्षशील जाति खोजने पर नहीं मिलती।
सनातन का हर पक्ष शास्त्रीय रहा। संगीत, कला, नाट्य, वास्तु, ज्योतिषी, आयुर्वेद, काम...बोले तो हर आयाम का सूत्रबद्ध विधान है। और यह शास्त्रीय विधान के मूल में लोक शास्त्र है। जिसे अंग्रेजी में "इवोल्यूशन" कहते हैं। यह सहस्रों वर्षों की साधना और डाक्यूमेंटेशन का परिणाम है👇
हैरानी की बात है कि..कैसे ऋग्वेद में सप्तसवर का उल्लेख है। सहस्रों वर्षों बाद भी हम आठवां सुर नहीं खोज पाएं। बावजूद वैदिक समाज को "नोमेड" बोले तो कबीलाई कहा गया ?
कैसे रामसेतु "मानव निर्मित" निर्माण है। वो जो भी रहे, उन्होंने ध्वनि, निर्माण विज्ञान की पराकाष्ठा को स्पर्श किया।
बावजूद हम डार्विन की "इवोल्यूशन" की बे सिर पैर की थ्योरी को अंतिम मान खुद को पराजित घोषित कर चुके हैं।
जब आपको अपनी "श्रेष्ठता" का आभास ही ना होगा, ज्ञान तो दूर की बात। आप वर्चस्व की लड़ाई कैसे लड़ेंगे ? आप तो पहले ही पराजित हैं।
"कोई नेशनल नहीं खेलेगा, हम खिलाड़ी सीधे ओलंपिक्स में जाएंगे" ये बयान है विनेश फोगाट का। एक सवाल जो पिछले दो ओलंपिक्स से उठने लगा है कि सवा सौ करोड़ से ऊपर की जनसंख्या वाले हमारे देश में मेडलों की संख्या इतनी कम क्यों है? चिंता का विषय है बजाए कि हम अपने देश में आ रहे मेडलों पर 👇
सेलिब्रेशन करें। विनेश फोगाट इस सवाल का जवाब दे रही हैं कि उन्हें कुश्ती संघ द्वारा द्वारा किए गए किसी भी प्रकार के नियम बदलाव को स्वीकार नहीं करना है।
तमाम तरह की खामियां थी पहले, हरियाणा के खिलाड़ी दूसरे दूसरे राज्यों से फर्जीवाड़ा के जरिए खेल में शामिल होते थे।दुनिया के देशो
के नियम का अध्ययन करके बृजभूषण शरण सिंह के कार्यकाल में नियम में सुधार किया गया।शौचालय में इंजेक्शन मिलने के कारण ड्रग्स के इस्तेमाल को लेकर भी पूरी चौकसी बरती गई।लेकिन फोगाट परिवार को यह सब कुछ पसंद नहीं है। लगता है जैसे फोगाट परिवार देश के लिए नहीं,अपने परिवार के लिए खेल रहा है
*1.पहला कारण-*
मंदिर जाना इसलिए जरूरी है कि वहां जाकर आप यह सिद्ध करते हैं कि आप देव शक्तियों में विश्वास रखते हैं तो देव शक्तियां भी आपमें विश्वास रखेंगी। यदि आप नहीं जाते हैं तो आप कैसे व्यक्त करेंगे की आप परमेश्वर या देवताओं की तरफ है.? यदि आप देवताओं👇
की ओर देखेंगे तो देवता भी आपकी ओर देखेंगेऔर यह भाव मंदिर में देवताओं के समक्ष जाने से ही आते हैं।
*2.दूसरा कारण:*
अच्छे मनोभाव से जाने वाले की सभी तरह की समस्याएं प्रतिदिन मंदिर जाने से समाप्त हो जाती है। मंदिर जाते रहने से मन में दृढ़ विश्वास और उम्मीद की ऊर्जा का संचार होता है
विश्वास की शक्ति से ही समृद्धि, सुख, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है।।
*3.तीसरा कारण---:*
यदि आपने कोई ऐसा अपराध किया है कि जिसे आप ही जानते हैं तो आपके लिए प्रायश्चित का समय है। आप क्षमा प्रार्थना करके अपने मन को हल्का कर सकते हैं। इससे मन की बैचेनी समाप्त होती है और आप का
महाभारत में कृष्ण भगवान द्वारा पांडवो के लिए पांच गाँव मांगे थे समय के साथ इनके नाम भी बदल गए है जो इस प्रकार है
१- श्रीपत (सिही) या इंद्रप्रस्थ-मौजूदा समय में दक्षिण दिल्ली का यह हिस्सा महाभारत में इंद्रप्रस्थ के नाम से वर्णित है
२- व्याघ्रप्रस्थ या बागपत--व्याघ्रप्रस्थ 👇
यानी बाघों की रहने की जगह, यहां सैकड़ों सालों से बाघ पाए जाते रहे है बागपत यही वह जगह है जहां कौरवों ने लाक्षागृह बनवा कर उसमें पांडवों को जलाने के लिए षड्यंत्र रचा था
३- स्वर्णप्रस्थ या सोनीपत----सोनीपत को पहले स्वर्णप्रस्थ कहा जाता था स्वर्णपथ का मतलब होता है "सोने का शहर"
४- पांडूप्रस्थ या पानीपत--भारतीय इतिहास में यह जगह बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां तीन बड़ी लड़ाइयां लड़ी गई इसी पानीपत के पास में कुरुक्षेत्र है जहां पर महाभारत का युद्ध हुआ था
५- तिलप्रस्थ या तिलपत--- तिलपत को तिलप्रस्थ कहा जाता था यह हरियाणा के फरीदाबाद जिले का एक कस्बा है
चीन, पाकिस्तान और तुर्की शायद दुनिया के यह सिर्फ 3 देश हैं जिन्होंने कभी यह नहीं कहा कि हिंदुस्तानीयों हम तुम्हारे साथ हैं।
बाकी चाहे अमेरिका हो, रुस हो, ब्रिटेन हो,फ्रांस हो, तुर्की हो,ऑस्ट्रेलिया हो, इटली हो, केनेडा हो या फिर ओपेक के 50 से ज्यादा मुस्लिम देश, सभी के सभी भारत👇
को अपनी तरफ मिलाने के लिए लालायित हैं। अपने आप को भारत का दोस्त साबित करने के लिए बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं पर सारे के सारे एक नंबर के बदमाश है जितनी मीठी मीठी बातें ऊपर से कर रहे हैं उतने ही जोर शोर से भारत को डिस्टैबलाइज करने के लिए भारत के खिलाफ अपने सभी हथकंडे भी अपना रहे है
चाहे अमेरिका की हिडनबर्ग की रिपोर्ट हो या फिर जर्मनी की पत्रिका में छपा कार्टून हो, चाहे कनाडा में बैसाखी के ऊपर निकला खालीस्तानियों का जुलूस हो या फ्रांस द्वारा चीन में जाकर उसका साथ देने की बात हो, चाहे रूस और यूक्रेन को लेकर अमेरिका और यूरोपियन यूनियन का भारत पर दबाव डालना हो