9 साल पहले की बात है..
चौधरी जी के बेटे ने जिद पकड ली थी के मन्नू माली किसी काम का नही है इसलिये उसे हटाकर नूरा माली को काम पर रखते है..
पिछले दो साल से आम की फसल कम हुई थी और तो और बिन्नू राय मुनीम ने हिसाब भी लगाया था, के अगर आम नीलामी में बेचे होते तो इत्ता सारा
पैसा मिलता.. मन्नू की नाक के निच्चे चोरी हो रही है...
नूरा ने 56 इंची छाती ठोक पीट कर कहा था, कि बाग में 12 महीने बहार ला दूँगा.. ऐसी नई तकनीक है, के सर्दियों में भी आम आवेंगे.. यूँ करूँगा त्यों करूँगा..
बन्दे का इत्ता कॉन्फिडेंस देख कर चौधरी जी ने नूरा को काम पर रख लिया.. अब बूढ़े भी तो हो गए थे.. बेटे की बात नही मानते तो क्या करते ?
वैसे भी अब तो वो ही चौधरी है, उन्हें तो अब रिटायर हो जाना है..
अब नूरा के काम का तरीका कुछ ऐसा था ---
पहला साल: मई का महीना
"छोटे चौधरी जी, देखिये मेरे आते ही मैने हर पेड़ से 70 पेटी ज्यादा फल लिए.."
"किलो में बता कितने बढाये"
"लो कल्लो बात !! ये भी कोई तरीका है फल गिनने का ? मेरा ही तरीका सही है फल तो पेटी में ही गिनेंगे.."
"तो मुझे कैसे पता चलेगा के तूने बढ़वाए के घटवाये.."
"मैं जो कह रहा हूँ , मेरी बात पर भरोसा नही है ?"
दूसरा साल :
"रे नूरे, पेटीयों के हिसाब से पैसे तो कम मिल रहे है ?
बाग में चोरी तो नै हो रही?"
"छोटे चौधरी जी, आपने देखा किसी चोर को ?"
तो फिर कैसे इल्जाम लगा रहे है? मुझपर भरोसा नहीं है क्या ??"
ढाई साल: नवंबर का महीना
"छोटे चौधरी, पता चल गया पिछले दो साल से क्या गड़बड़ थी ?"
" क्या पता चला ? "
"बाग में चूहे बढ़ गए थे, मैं तो कहूँ, मन्नू माली ने ही बढ़वाए थे !!"
"तो तूने क्या किया ?"
"आग लगा दी जी नीचे पत्तो को.."
"अबे ये क्या कर दिया ?
दो साल बाद अभी तो आम में ढंग के फूल लगे थे !!!
फसल बर्बाद कर दी य
तूने तो हरामी..?"
"लो कर लो बात !! भलाई का तो जमाना ही नही रहा.. आप बस्स एक फसल पर रोते रहो..
(ताली पीटते हुए)
जरा लम्बा सोचिए.. अगली फसल देखोगे आप, आपकी चार पुश्ते आम खाएंगी आम!"
इस सदमे में, चौधरी साहब गुजर गए, और छोटे चौधरी अब पूरे चौधरी बन गए..
तीसरा साल :
"रे नूरे, आम..?"
"मैं क्या चौधरी जी, आप आम पर ही अटके है ?"
आम से गुठलियां भी निकलती है के नहीं ?
अगर उन गुठलियों से 200 रुपये भी मिल जाते है, तो उसे भी फसल कहोगे के नही कहोगे ?"
चौथा साल :
"रे नूरे, हरामखोर कर क्या रहा है तू ?
बाग तो उजड़ता ही जा रहा है । बर्बाद कर दिया मेरे बाग को.."
नूरा -
"देखिये चौधरी जी, इल्जाम नही सुनूंगा ... ये सब आपके पुरखों का किया कराया है.. आपके परदादा ने ये बाग लगाते वक़्त मणिलाल माली की जगह भोलाभाई माली को काम पर रखा होता, तो आज आपको यह दिन न देखना पड़ता !!
ऐसे लगाते है बाग ?
ये होते है आम के पेड़ ?
आम ही क्यों लगाए ?
अमरूद का जमाना है और आम लगाए ?
और आज जो मैं आपके पुरखों की 70 साल पुरानी गलतियां सुधारने जा रहा हूँ, तो आप मुझपर ही इल्जाम लगा रहे
है ??
मजदूर दिवस ।
किस बात की शुभकामनायें??
जिनके हाथों में छाले और,पांवों में बिवाई है
इन्ही के दम से रोंनक आपकी कोठी में आई है
निश्चित रूप से धरती पर अगर कोई जीता जागता भगवान है तो,वह मजदूर है ।ये सड़कें, हाइवे, फैक्ट्रीं ,विशाल अट्टालिकाएं, बड़ी-बड़ी कोठियां
ये पैसों से नहीं किसी के खून-पसीने और लहुलुहान हाथों ने बनाईं हैं ।ईश्वर ने दुनियाँ बनाई और मजदूर ने दुनियाँ सजाई ।जिस तरह से एक स्त्री एक मकान को घर बनाती है, ठीक उसी तरह ।
हम जब झमाझम बारिश में घरों में दुबके रहते हैं, हम जब कड़कडाती ठंड में रजाइयों में घुसे होते हैं,
हम जब चिलचिलाती धूप में ए सी और कूलर की हवा में सो रहे होते हैं। तब भी एक मजदूर खुले आसमान के नीचे काम कर रहा होता है ।मैंने देखा है बहुत सारे नेता और अधिकारी जहाँ किसी पेपर पर एक हस्ताक्षर मात्र करने के हजारों रूपये डकार जाते हैं ,वहाँ लोग इन मजदूरों को
राजनीति क्या होती है इस पोस्ट के माध्यम से बताने की कोशिश कर रहा हूँ:-
एक बनिया था 5 रुपए की एक रोटी बेचता था। उसे रोटी की कीमत बढ़ानी थी लेकिन बिना राजा की अनुमति कोई भी अपने दाम नहीं बढ़ा सकता था। लिहाजा राजा के पास बनिया पहुंचा, बोला राजाजी मुझे रोटी का दाम 10 करना है।
राजा बोला तुम 10 नहीं 30 रुपए करो, बनिया बोला महाराज इससे तो हाहाकार मच जाएगा, राजा बोला इसकी चिंता तुम मत करो, तुम 10 रुपए दाम कर दोगे तो मेरे राजा होने का क्या फायदा, तुम अपना फायदा देखो और 30 रुपए दाम कर दो, अगले दिन बनिये ने रोटी का दाम बढ़ाकर 30 रुपए कर दिया,
शहर में हाहाकार मच गया, तभी सभी जनता राजा के पास पहुंचे, बोले महाराज यह बनिया अत्याचार कर रहा है, 5 की रोटी 30 में बेच रहा है, राजा ने अपने सिपाहियों को बोला उस गुस्ताख बनिए को मेरे दरबार में पेश करो, बनिया जैसे ही दरबार में पहुंचा, राजा ने गुस्से में कहा गुस्ताख तेरी यह मजाल
उसका नाम चुटकला था, यूँ लोग उसे देख सुनकर खुश होते थे पर उसे लगता कि ये न्याय नहीं है, हमेशा लोग उस पर हँसते हैं, उसका भी मन है, वह किसे देखकर हँसे। वह आत्महत्या करना चाहता था, किसी ने कहा कि वह राजा से मिले हो सकता है वह कुछ यत्न करे।
हालांकि उसे पता था कि राजा चौथी फेल है, पर उसे विश्वास था कि औपचारिक शिक्षा सब कुछ नहीं होती इसलिए वह चल दिया। रास्ते में उसे एक मुर्गा मिला जिसके सारे पंख नुचे हुए थे।
" बड़े अजीब मुर्गे हो किस देश के हो?", चुटकले ने कहा।
" मैं पूरे विश्व का हूँ, स्टालिन, माओ, चर्चिल, हिटलर,रूजबेल्ट सभी की कहानियों वाला मुर्गा।", मुर्गे ने कहा
" तो क्या तुम्हारे पंख उन्हीं ने नोंचे थे?
" नहीं वहाँ तो मैं सिर्फ कहानियों में था,इंसाफ माँगने चौथी फेल राजा के पास गया था कि क्यों मुझे ही हर कहानी में नुचवाया जाता है,
सासाराम में मिला सम्राट अशोक का लघु शिलालेख। जैसा देख सकते हैं, यह देवनागरी संस्कृत में लिखा हुआ है।
वामपन्थी इतिहासकार जेम्स प्रिंसेप ने अशोक के शिलालेखों को पढ़ा। दरअसल यह उनका षड्यंत्र था। जिस रात कुछ दक्षिनपंथी इतिहासकार पढ़ने वाले थे,
उसके ठीक पहले जेम्स ने मुगलों की मदद से स्क्रिप्ट चुराकर खुद पढ़ ली।
इतिहास में हमेशा दक्षिणपंथी इतिहासकारों के साथ इस तरह के अत्याचार होते रहे है। दरअसल राणा प्रताप का साथ देने के कारण अकबर इनसे खखुआ गया था, और उसने खुद को जिताने वाले वामपन्थी इतिहासकारों को तमाम सुविधाएँ
मुहैया कराई,यही कारण है कि जहां तहां पांडवों, तथा रामजी के द्वारा आश्रय के लिए बनाई गई गुफाओ में बौद्ध अवशेष प्लांट कर दिए गए। फिर वामपंथियों ने उन्हें आसानी से स्तूप, विहार आदि का अवशेष घोषित कर दिए।
इसी तरह जगह जगह गड़ी भीम की लाठी को अशोक का स्तम्भ करार दे दिया गया।
आस्था से हटकर भी इन तीन शब्दों मे सभी धर्मो का सार देखा जा सकता है ।
शिव का अर्थ होता है कल्याण करने वाला उन्ही का शंकर स्वरूप होता है दमन करने वाला ( शम + कर ) और जो भला करता है वो शिव है जिसका साक्षात दर्शन मां मे कर सकते है
क्योकि मां से ज्यादा किसी का भला सोचने वाला कोई दूसरा हो ही नहीं सकता ।
दूसरा कल्याण ईश्वर धरती मां के रूप में करता है जिसमे कुदरत ने अपनी सभी नैमते मिला दी है । धरा के रूप में सबसे सुंदर जगह इंसान की अपनी जमीन ( गाँव, बस्ती और देश ) होता है
बेशक दुनियां घूम लो मगर सकून अपने घर पर ही मिलता है
इस प्रकार प्रसाधन श्रेष्ट ने स्वीकार किया है कि वो शिव अर्थात जो सत्य है अर्थात जो सुंदर है उसके "गले में लिपटे साँप है"
मेरी धरती मां, मेरा देश सबसे सुन्दर,सबसे सत्य शिव स्वरूप जो मेरा कल्याण करता है उसके गले में लिपटा साँप ?