#धर्मसंसद
आज एक ट्वीट बहस में ऐसा फंसा कि देर हो गई। आप सभी नियमित लेखकों ने ने अच्छा उत्तर दिया है। सदैव ही की नीलम मिश्रा ने परिश्रम के साथ लिखा है।बहन शशिबाला राय सत्यवती गोविंद मिश्र प्रेरक अग्रवाल ने बहुत सुन्दर वर्णन किया है। विशेषकर प्रसंशा करना चाहूंगा
बहनों शशिबाला राय सत्यवती और प्रेरक अग्रवाल की क्योंकि यह लोग केवल गूगल सर्च पर आधारित नहीं रहते बल्कि उत्तर में वेदों पुराणों धर्म शास्त्रों का उद्धरण देते हुए सप्रमाण उत्तर देते हैं। थोड़ा सा प्रयास और लोग भी करें तो अच्छा होगा।जैसा विद्वान उत्तर दाताओं ने
बताया है कि विदुषी अपाला ऋषि अत्रि की पुत्री थी जो अंत तक माता-पिता के साथ रहीं। जानते ही होंगे कि महासती अनुसुइया की परीक्षा लेने ब्रह्मा विष्णु महेश आए थे।वरदान में माता अनुसूया ने कहा था कि आप तीनों मेरी कोख से जन्म लें। इस तरह ऋषि अत्रि अनुसुइया के तीन पुत्र
भगवान दत्तात्रेय ऋषि दुर्वासा और चंद्रमा पैदा हुए पर दुर्भाग्य से तीनों ने माता को मातृ सुख नहीं दिया। दत्तात्रेय अधोरपंथ के संचालक हो गए और गिरनार पर्वत पर चले गए आश्रम बसाकर। चंद्रमा ने ऐसी तपस्या की कि देवता हो गए और पृथ्वी के एक उपग्रह पर जा बसे जिसे उनके
ही नाम पर चंद्रमा कहा जाता है।बचे शिवजी के साक्षात अवतार ऋषि दुर्वासा तो संन्यास धारण कर लिए।ऐसे में माता-पिता की सेवा के लिए बच गई एकमात्र पुत्री अपाला। थोड़े ही दिनों बाद अपाला को श्वेत कुष्ठ दिखाई देने लगा पर स्वभाव से संकोची अपाला ने किसी को बताना उचित नहीं समझा
वैसे भी श्वेत कुष्ठ रोग ऐसा होता है जो सीधे चेहरे या शरीर के ऐसे अंग पर प्रारंभ में ही दिखाई नहीं देता।इस कारण उनके विवाह में कोई समस्या नहीं हुई। एक ज्ञानी मुनि कृशाश्व के साथ विवाह संपन्न हो गया। परंतु समय के रोग बढ़ता गया इसके कारण मुनि कृशाश्व ने उन्हें छोड़ दिया
और अपाला पिता के पास वापस लौट गईं।अब उनका ध्यान वेदाध्ययन की उन्मुख हो गया। बाल्य काल से धर्म कर्म में रुचि थी।ऋषि अत्रि ने आपाला से इंद्र की आराधना करने के लिए कहा क्योंकि इंद्र या फिर अश्विनी कुमार ही इस रोग को ठीक करने के लिए सक्षम थे।अपाला ने इंद्र की आराधना
शुरू कर दिया। प्रसन्न होकर इंद्र आए। इंद्र को सोम रस बहुत पसंद हैं।उस समय पर जैसे कि शशिबाला राय ने बताया है कि सोमरस बनाने के लिए जड़ी बूटी को सिलबट्टे पर पीसकर बनाया जाता है पर आपाला ने अपने ज्ञान से एक अद्भुत उपाय निकाला।सोम की जड़ी को दांतों से कूंच कर रस निकालने के बाद
इंद्र को पीने के लिए दिया। इंद्र इस बालिका के अद्भुत तरीके से दंग रह गए। प्रसन्न होकर इंद्र ने कहा पुत्री वरदान मांगो।अपाला ने कहा कि मुझे पहले ही की तरह स्वस्थ कर दीजिए। इंद्र ने ऐसा ही किया। इससे आपाला रोग मुक्त हो गई।इधर यह समाचार जब पति कृशाश्व को मिला तो वे
पश्चाताप करने लगे।लजाते लजाते ससुराल में आये और अपाला को साथ लेकर चलने के लिए कहा। माता-पिता जानते थे कि विवाहित पुत्री अधिक दिनों तक पितृगृह में नहीं रह सकती तो प्रसन्नता पूर्वक
अपाला को पति के साथ विदा कर दिया। इन्हीं अपाला ने कालांतर में ऋग्वेद के सप्तम मंडल
की ९ ऋचाओं को प्राप्त किया और आमर हो गई। धन्यवाद जय
अतीक और मुख्तार अंसारी की कार्य प्रणाली में कुछ समानता थी तो कुछ अंतर भी था। दोनों ने अपने अपने प्रतिद्वंद्वी विधायकों की हत्या कर दिया था। इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा चुनाव में जब राजू पाल ने अतीक के भाई अशरफ को हरा दिया था उसके छ महीने के भीतर ही अतीक अहमद ने
राजू पाल की दिनदहाड़े धूमनगंज चौराहे पर हत्या कर दिया था। ठीक इसी प्रकार जब मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को मुहम्मदाबाद चुनाव कृष्णानंद राय ने हरा दिया था तब मुख्तार अंसारी ने अपने शूटरों मुन्ना बजरंगी अताउर्रहमान फ़िरदौस संजीव माहेश्वरी हनुमान पांडे द्वारा
भांवरकोल क्षेत्र में हत्या करवा दिया था। आश्चर्य की बात है कि हनुमान पांडे उर्फ राकेश ने मुख्तार अंसारी के कहने पर कृष्णानंद राय की चुटिया काट लिया था और मुख्तार अंसारी को गिफ्ट कर दिया था। खैर बाद हनुमान पांडे को यूपी एसटीएफ के एस एस पी अमिताभ यश ने एनकाउंटर में
यूपी की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है।दो लाख के इनामी आदित्य राणा के एनकाउंटर से कोई फर्क नहीं पड़ता है पर फर्क तब पड़ता है जब हमारे लोगों पर असर पड़ता है। अब यही देखिए कि "भद्र' परिवार से आने वाले ब्रिगेडियर उस्मान के नाती और गद्दार हामिद अंसारी के भतीजों
मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी को सजा दी गई है जबकि यह दोनों प्रख्यात समाजसेवी और गरीबों के मसीहा थे।बेटे अब्बास अंसारी को जेल में डाल दिया गया है। बेचारे की मां अफशां अंसारी भागी भागी फिर रही है।उस पर
७५ हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया गया है। एक और समाज सुधारक
अतीक अशरफ को पुलिस कस्टडी में मार डाला गया।पूरे परिवार को मिट्टी में मिला दिया है।बेटे असद और गुलाम का एनकाउंटर हो गया। समाजसेवी अम्मीजान शाइस्ता फरार है। कानून व्यवस्था अब इससे ज्यादा क्या खराब हो सकती है। मैंने तो सदन में मजाक मजाक में कह दिया था
#धर्मसंसद
आज का प्रश्न थोड़ा दीर्घ उत्तरीय था जिसका सम्यक वर्णन भाई बाबूलाल जी प्रेरक अग्रवाल नीलम मिश्रा बहन सत्यवती अशोक द्विवेदी ने विस्तार से किया है। शायद आप लोग भूल गए होंगे दो साल पहले मैंने देवयानी की अधूरी प्रेम कहानी पर एक विस्तृत लेख लिखा था।कथा तो
पढ़ ही चुके होंगे कि शर्मिष्ठा असुर राज बृषवर्वा की पुत्री और देवयानी उनके गुरु शुक्राचार्य की पुत्री थीं। मृग वंशी ऋषियों को मृत संजीवनी विद्या का ज्ञान था पर ऋषि भृगु ने इसे देते समय अपने पुत्रों को निषेध किया था कि इस विद्या का दुरुपयोग न करके केवल मानव कल्याण में
उपयोग किया जाए। भृगु के पुत्रों च्यवन और ऋचीक और ऋचीक के पुत्र जमदग्नि ने इस मर्यादा का ख्याल रखा पर दुर्भाग्य से असुर राज हिरण्यकश्यप की पुत्री दिव्या से उत्पन्न पुत्र शुक्राचार्य ने इस विद्या का भरपूर दुरुपयोग किया। इस विद्या से वे युद्ध में मृत असुरों को जीवित
क्या समलैंगिक विवाह को मान्यता दिए बगैर कुछ अधिकार दे सकते हैं?
- सुप्रीम कोर्ट
केंद्र सरकार के कड़े विरोध के बाद बड़े लार्ड साहब समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से थोड़ा पीछे तो हटे पर घुमा-फिरा कर प्रकारांतर से ऐसे संबंधों को मान्यता देने के लिए प्रयासरत हैं।
मी लॉर्ड ने कल सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा है कि क्या सरकार समलैंगिक विवाह को मान्यता दिए बगैर उन्हें कुछ सामाजिक अधिकार देने के लिए तैयार है? पीठ ने पूछा है कि क्या समलैंगिक जोड़ों को बैंक में संयुक्त खाता खोलने, खाते में नामित करने तथा बीमा पॉलिसी में
समलैंगिक साथी को नामित करने का अधिकार देने के लिए तैयार है। तुषार मेहता से कहा है कि सरकार से जबाव लेकर तीन दिन में कोर्ट को बताया जाय। बड़ा सवाल यह है कि आखिर मी लॉर्ड लोग चाहते क्या हैं। अगर केंद्र सरकार मी लॉर्ड के इन सुझावों को स्वीकार कर लेती है तो एक तरह से
एक सपने की मौत का मकबरा।
सुनकर आप लोग चौंक गए होंगे कि यह मकबरे की कौन सी श्रेणी है।
जी हां यह एक नई श्रेणी है। हमारे यहां समाधियां बनती रही हैं।मुगल आए तो मकबरे बनने लगे। एक नया कांसेप्ट बन गया। तुर्क और मुगल तो इतने उत्सुक होते थे कि अपने जीते जी अपना मकबरा
बनवा जाते थे। भारत में कुछ बड़े ही प्रसिद्ध मकबरे हैं जिन्हें देखने के लिए टिकट लगता है। जैसे कि दिल्ली में हुमायूं का मकबरा।शाह नजफ का मकबरा। आगरा में सिकंदरा में अकबर का मकबरा। फतेहपुर सीकरी में एत्माद्दौला का मकबरा आदि आदि।पर सबसे मशहूर मकबरा आगरे का ताजमहल है
हां ताजमहल एक मकबरा ही है जहां मुमताज महल और शाहजहां दफन हैं।यह सभी मकबरे इंसानों के हैं जो कभी किसी समय जीवित रहे। ताजमहल के जोड़ का एक और मकबरा 45 करोड़ रुपए में बनकर तैयार हुआ है जो दिल्ली की जनता के सपने का मकबरा है। जनता की सारी उम्मीदें इसी शीशमहल की दीवारों
सर्वेगुणाकांचनमाश्रयंति। मतलब पैसा है तो आपके पास सभी गुण हैं आप कुछ भी कर सकते। ऐसा ही हुआ कल वह भी बड़ी बेशर्मी के साथ। संजय सिंह की प्रेस कॉन्फ्रेंस में टाइम्स नाउ नवभारत के तीन पत्रकारों को केजरीवाल के बाउंसरों ने पीटकर भगा दिया।कहा कि सर जी ने टाइम्स नाउ नवभारत के
पत्रकारों को आने से रोक दिया है। भारत के नेताओं में केजरीवाल अकेले नेता हैं जो पुलिस एसपीजी पर भरोसा नहीं करते बल्कि अपनी सुरक्षा के लिए निजी सुरक्षा गार्ड रखते हैं।इन सुरक्षा गार्डों को अंग्रेजी में बाउंसर कहते हैं मतलब कि गुंडे।
कमाल देखिए कि तमाम चैनलों के
बेशर्मी से बैठे रहे। किसी ने नहीं कहा कि हमारी बिरादरी के पत्रकारों को क्यों पीटा जा रहा है और क्यों प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं आने दिया जा रहा है। पत्रकारों की दो संस्थाएं
एडिटर गिल्ड आफ़ इंडिया और प्रेस क्लब आफ इंडिया कान में तेल डाले बैठी रह गई। इन्हीं दोनों