टी वी पर 2014 में देखा था , आप कह रहे थे कि आपने इस देश को भोजन का अधिकार दिया.. #आप बड़े आदमी हैं। आप कह रहे हैं तो प्रामाणिक रूप से ही कह रहे होंगे..
परन्तु हे सोनियानन्दन..!
जहाँ तक मेरा विश्वास है, मैं और मेरा परिवार तो उस समय से भोजन
करता आ रहा है जब आपश्री का जन्म भी नहीं हुआ था..बल्कि आपके स्वर्गीय पिताजी का विवाह भी नहीं हुआ था...और मैं ही क्यों मेरे पिताजी भी रोज़ भोजन करते थे,उनके पिताजी भी करते ही होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है .. तो फिर आपने भोजन का अधिकार किसको दिया..?
हे नेहरुकुलभूषण..!
आप होते कौन हैं
हमें भोजन का अधिकार देने वाले..?जिस परमात्मा ने जन्म दिया है
उसने हमारे भोजन का भी प्रबंध कर दिया है ..बस आप तो यह ध्यान रखो कि हमारा भोजन आपकी पार्टी वाले न खा जाएँ ..
हे परमप्रतापी राजीवांश..!
आप में बहुत एनर्जी है, इसे यों जगह जगह घूम कर और वोटों के लिए चिल्ला चिल्ला कर खर्च
मत करो,
हे काँग्रेसकुलगौरव..!
मैं तो स्नेहवश आपको सावधान कर रहा हूँ..क्योंकि..
नेहरू के बाद इंदिरा,
इंदिरा के बाद
राजीव
और
राजीव के बाद #आप
परन्तु
..
आप के बाद कौन ? ज़रा अपनी परंपरा का भी ध्यान रखो..और अपने पार्टी के जवान बुढ्ढे नेताओ जैसे दिग्विजय सिंह , N. D. तिवारी , मनु
सिंघवी , राजीव शुक्ला का सम्मान करते हुए इनका अनुसरण करो ........')
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सौरभ किरपाल
देश में सुप्रीम कोर्ट के एक चीफ जस्टिस हुए भूपिंदर नाथ किरपाल (बी.एन.किरपाल) भारत के 31वें मुख्य न्यायाधीश थे,जो 6 मई 2002 से 7 नवंबर 2002 को सेवानिवृत्ति हुए थे।इन्ही जज साहब के घर पैदा हुआ एक नपुंसक बेटा सौरभ किरपाल उसके 2 भाई बहन भी हैं।सौरभ कृपाल की पूरी
शिक्षा विदेश से हुई और विदेश में रहते हुए इसके समलैंगिक संबंध एक विदेशी नागरिक से बन गए जो कि पिछले 20 सालों से अपने पार्टनर निकोलस जर्मेन बच्चन के साथ रिलेशनशिप में हैं। निकोलस एक यूरोपीय हैं और नई दिल्ली में स्विस फेडरल डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेन अफेयर्स में काम करता हैं यानि कि एक
जासूस है।सौरभ कृपाल इस व्यक्ति को अपना पति और खुदको उसकी पत्नी मानता है यहां तक तो सब ठीक था कोई दिक्कत नहीं थी किसी को लेकिन जज साहब के इस नपुंसक बेटे ने जिद पकड़ ली कि मुझे भी जज बनना है .और इसकी जिद के पीछे हैं वह विदेशी ताकतें जो हमारे कोर्ट और सिस्टम में घुसकर अपनी मनमर्जी
हिंदू लङकियाँ सतर्क रहें और सावधान रहें, वरना नई मुसीबत के लिए तैयार रहिएगा बहुतों को शायद ये पता न हो कि दरगाहो मे एक बेड़ी बाँधने और काटने की रस्म होती है। दरगाह मे जाकर मन्नत माँगने वाली लड़की के पैर मे काले रंग के धागे से बेड़ी बाँध दी जाती है।ये बेड़ी कथित मन्नत के पूरा
होने पर दरगाह मे जाकर खादिम से कटवाई जाती है, तब जाकर वो लड़की बेड़ी कटवाकर मुक्त होती है।
ये मजारों के खादिमों का नया टंटा है, जिसमे अधिकतर हिन्दू लड़कियां दरगाहों पर बेड़ी बँधवा रही हैं। इसकी शुरुआत कलियर शरीफ से हुई थी... यह भोली भाली हिन्दू लड़कियों को फ़साने का टोटका है जो
बहुत हद तक कामयाब हो रहा है।
आजकल हर छोटी बडी दरगाह मे यही बाँधने काटने का धंधा चाल रहा है। पैर के पास जहां पायल या धागा पहनते है उस जगह पर मंगल ग्रह का निवास माना जाता है और मंगल ग्रह को काली चीज पसंद नही इसलिए काला धागा पैरों में नही पहनना चाहिए। इससे अशुभ हो सकता है।कई लडकियों
अब जब देश की जनता जाग रही है हिंदू जाग रहा है तब इन विपक्षी नेताओं सेकुलर सूअरों तथाकथित वामपंथियों के मन में कितना प्यारा ख्याल आ रहा है कि देश में बेरोजगारी पर बहस नहीं हो रही है महंगाई पर बहस नहीं हो रही लेकिन नफरत फैलाने पर बहस हो रही है
इन्हीं दोगलो ने 8 साल तक टीवी बहस को
गुजरात को लेकर, आतंकी इशरत जहां को लेकर आतंकी सोहराबुद्दीन को लेकर इतना जहरीला बना दिया था आप जरा यूट्यूब पर पुराने बहस देख लीजिए
एनडीटीवी पर तो आशीष खेतान राणा अयूब तीस्ता जावेद जेतलवाड़ मुकुल सिन्हा हर्ष मन्दर, शबनम हाशमी आदि कितने जहर उगले जाते थे जरा याद करें
और यह सिर्फ
एनडीटीवी पर ही नहीं बल्कि सभी चैनलों पर जहर उगलते थे क्योंकि तब यह सारे चैनल अहमद पटेल के गुलाम हुआ करते थे
तब यह शरद पवार यह राहुल गांधी यह अखिलेश यादव और तमाम बुद्धिजीवी यह नहीं कहते थे कि भाई इतनी महंगाई है इतनी बेरोजगारी है उस पर बहस करो क्यों देश का माहौल इतना जहरीला कर
हिन्दू नाम की चिड़िया इस देश मे नहीं है , हिन्दू एक नहीं हैं , हिन्दुओ को एक करके एक ही आइडियोलॉजी पर लड़ोगे तो कभी नहीं जीतोगे वो राज्य जहाँ उनकी संस्कृति उनकी भाषा उनका खानपान रहन-सहन नहीं मानोगे , नहीं जीतोगे
मोदी गुजरात से जाके केरल नहीं जीत सकते , केरल जीतना
है तो केरल का ही व्यक्ति वहीं का पैदा व्यक्ति भाजपाई होना चाहिए मेरे सामने अभी वो बच्चे जो इंटर करके बीएससी बीटेक MBBS में एड्मिसन लेते हैं उनमें से अधिकतर इतिहास जानते नहीं वो यही समझते हैं मुगलिया सल्तनत सेक्युलर थी ..
मौलवियों को असली सन्त समझते हैं और पंडितों
को चोर , डाकू , बलात्कारी मनुवाद वालों का ट्रैक ही अलग चलता है तमिल नाडु में DMK की विजय हुई है जो सीधे सीधे ईसाइयों के टट्टू हैं एक बच्चा मेरी जान पहचान का शहर के एक नामी गिरामी क्रिश्चियन स्कूल में पढ़ता है,अभी ससुर 11वी में होगा पर मुझे ज्ञान देता है कि सेक्युलर
ये है साक्षी मलिक जिस ने बृज भूषण पर यौन शोषण का आरोप लगाया है, अगर ये शोषण करने वाले हैं तो इनके साथ इतने कंफर्टेबल हो के फोटो क्यों खींचवा रही है?जंतर-मंतर पर महिला रेसलर के धरना-प्रदर्शन करने में सारे मामले की जड़ कुश्ती फेडरेशन के चेयरमैन बृजभूषण सिंह के द्वारा किया गया वह
बदलाव है जिसमे कहा गया है कि इन्टरनेशनल रेसलर को राष्ट्रीय टूर्नामेंट को खेलना अनिवार्य कर दिया। और इन टूर्नामेंट के विजेता को ही इन्टरनेशनल टूर्नामेंट मे देश की ओर से खेलने की इजाजत होगी।जबकि धरने पर बैठी रेसलर का कहना है कि हम इन्टरनेशनल रेसलर हैं हम देश के घरलू टूर्नामेंट मे
भाग नही लेंगे जो इन घरेलू टूर्नामेंट का विजेता हो उससे हमारा मुकाबला करवा लो जो विजेता हो उसे आप इन्टरनेशनल टूर्नामेंट खिला दो।जबकि कुश्ती फेडरेशन के चेयरमैन बृजभूषण सिंह का कहना है कि यदि ये इन्टरनेशनल खिलाड़ी देश के घरेलू टूर्नामेंट मे खेलेंगी तो देश की प्रतिभावान खिलाड़ियों को