अभी पंजाब की सबसे बड़ी समस्या है अनाज को रखने की जगह की कमी. जगह की कमी के कारण किसानों को अपनी फसल खुले में फेंकने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है....वहीं मौसम की मार है.
इसीलिए किसान सड़को और श्मशान घाट जैसी जगहों पर अपनी फ़सल फेंकने को मजबूर होना 1/9
पड़ रहा है.. सरकार भी अनाज खरीद कर उसे उठाने में अक्षम है..इसलिए खरीदा गया गेहूं मंडियों में पड़ा हुआ है, जबकि राज्य के अपने साइलो और गोदाम कम उपयोग में हैं।
पहली तस्वीर में रमनदीप सिंह मान का ट्वीट है.... ये बहुत परेशान हैं, कि किसानों का अनाज रखने की व्यवस्था 2/9
नहीं है... ऊपर से अब बारिश भी होने वाली है.
ये मान साहब पिछले साल तक किसान आंदोलन के अगुआ थे....ये भाई साहब बकक्ल उतारने की बात करते थे.... मोदी को गाली दिया करते थे... दिल्ली को घेरने की बात करते थे.... ख़ालिस्तानी विचारधारा को बढ़ाने का काम करते थे.... लेकिन अब पिछले कुछ 3/9
समय से इनके ट्विटर handle पर किसानों की समस्या का बखान होता है.
अनाज रखने के लिए FCI के गोदाम होते हैं... लेकिन वो अपर्याप्त होते हैं.... सरकार सेंकड़ो की संख्या में Silos नहीं बना सकती, क्यूंकि उसमे सैकड़ों करोड़ खर्च होंगे.
ऐसे में एक ही उपाय है... Private 4/9
Sector को Silos बनाने का काम देना.... और सरकार वही कर भी रही थी... कई बड़ी बड़ी कंपनियों को ठेके दिए गए.. जिनमे अडानी group भी था.
सबको पता है us समय कितना बवाल किया गया था.... ऐसा बताया गया जैसे अडानी इनकी फ़सल पर कब्ज़ा कर लेगा... इनकी ज़मीने छीन लेगा. किसान बिल में 5/9
Silos बनाने के प्रावधान थे... Private sector की भूमिका निर्धारित थी.... लेकिन तब इन्होंने अडानी के Silos पर हमले किये... उसके Dry Port के बाहर धरना दिया और अंततः बंद ही करवा कर माने.
आज इन्ही लोगों को फसल रखने के लिए Silos चाहिए... क्यूंकि मंडी में जगह नहीं है.. क्यूंकि 6/9
राज्य सरकार अनाज खरीद नहीं कर पा रही है... खरीद रहे हैं तो उसे रखने की जगह नहीं है.
अगर आज Private players के Silos होते, तो किसान अपनी फसल ऊँचे दाम पर वहाँ बेच कर Store कर लेते.. और निश्चिंत रहते.... लेकिन आज बारिश के कारण लाखों टन अनाज के बर्बाद होने का खतरा है.
इसमें 7/9
नुकसान सिर्फ और सिर्फ किसानों का हुआ है.... बाकि जो कनाडा, अमरीका, और इंग्लैंड के लोग आये थे पिज़्ज़ा मसाज की दुकान लगाने....वह सब भाग गए..... जिन लोगों ने दिल्ली के चारों ओर टेंट के शहर बसा दिए थे...क्या वो अनाज रखने के लिए structure नहीं बना सकते???
अजी क्यों बनाएंगे....जो 8/9
मज़ा धरना करने में है, वो Constructive काम करने में कहाँ है.
खैर अपनज सहानुभूति हमेशा असली किसानों के साथ है.... जो हमेशा ही फर्जी आंदोलन जीवियों के कुकर्मो का शिकार बनते हैं.
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जब साक्षी ने गोल्ड मैडल जीता तब खुशी के मारे कोच सर ने साक्षी को गले से लगा लिया
एक पिता की भांति उसे अपनी बच्चे की तरह कंधे पर उठा लिया
देश के लिए गौरव पूर्ण इन क्षणों मे वह कोच भावुक हो ही जायेगा जिसका सिखाया हुआ बच्चा उसका और देश का नाम पूरे विश्व मे
रोशन कर दे
क्या इस प्रकार एक पिता तुल्य कोच का अपने पुत्र या पुत्री सरीखी खिलाड़ी को गोद मे उठा लेना उन विजयी क्षणों में, कंधे में बिठा लेना या प्यार से माथा चूम लेना शोषण की श्रेणी में आता है ?
मेरे हिसाब से तो यह शुद्ध प्रेम और भावुकता की निशानी है उस पिता तुल्य कोच की जिसके
एक बच्चे ने देश और उसका नाम रोशन किया हो
लेकिन कोई इसको यौन शोषण बता दे तो ?
कुछ ऐसे ही आरोप लगे हैं ब्रिज भूषण पर
इस प्रकार की घटनाओं को ही यौन शोषण बताया जा रहा है
1000 में से एक भी लड़कीं ने अब तक यह नही कहा कि ब्रिज भूषण द्वारा उन्हें कही किसी कमरे में बुलाया या अकेले