शंकराचार्य अमृतानन्द की चिट्ठी पढ़कर हिन्दुस्तानियों का खून खोल उठेगा ।
◆ भारत की जनता जानती है कि हिन्दूओं को बदनाम करने के लिए #कांग्रेस सरकार ने “भगवा आतंकवाद” के नाम से कई #हिंदुत्वनिष्ठों को झूठे आरोपों में फंसाया था और उनको #अमानवीय प्रताड़नायें भी दी । (1)
पर आज #तत्कालीन हिंदूवादी सरकार है लेकिन अत्याचार के सिलसिले लगातार हिन्दू संतों पर जारी है ।
वोट बैंक की लालच में BJP भी सेकुलरिज्म का ढोंग कर रही है । (2)
◆ मालेगांव ब्लास्ट में साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानन्द, कर्नल #पुरोहित का नाम तो खूब सुना ही होगा लेकिन कांग्रेस सरकार के इशारे पर #ATS ने एक ऐसा नाम छुपाया और उन्हें इतनी भयंकर प्रताड़नायें दी जिससे आज भी अधिकतर #हिन्दुस्तान की जनता अनभिज्ञ है । (3)
जैसे साध्वी प्रज्ञा ने जेल से चिट्ठी लिखी थी ऐसे ही जेल में बंद पीओके (कश्मीर) शारदा पीठ के शंकराचार्य #अमृतानंद देव तीर्थ ने भी #चिट्ठी लिखी थी लेकिन जनता तक पहुँच नही पाई ।
आइये आज हम उस #षड्यंत्र का खुलासा करते हुए उनकी चिट्ठी आपके सामने रखते हैं । (4)
जिसे पढ़कर आपका खून खोल उठेगा ।
पढ़िये पूरी चिट्ठी..
◆ शंकराचार्यअमृतानंद देव तीर्थ जी ने लिखा कि “भारत दुनिया का चौथा सबसे अधिक #आबादी वाला एकमात्र हिंदू राष्ट्र है, फिर भी एक विभाजित भारत, धर्मनिरपेक्षता के वजन तले दबा हुआ है, (5)
एक #हिंदू राष्ट्र होने के बाद भी दोषी महसूस करता है। पिछले 1200 सालों से, अपनी #एकजुट ताकत से अनजान, इस समाज में सच्चाई की बात करने के लिए साहस का #अभाव है और इतिहास के सबक से बचने में काफी अनुभव है, बहुत अपमान और #आक्रामकता से पीड़ित, अब अपनी पहचान के लिए खोज कर रहा है। “ (6)
◆ इस संम्बध में, मैं हिंदू समाज की पहचान और #विश्वास का प्रतीक हूँ, वर्तमान परिस्थितियों में जगद्गुरु शंकराचार्य, अनंतश्री बिभुशित स्वामी #अमृतानंद देव तीर्थ (जन्म से सुधाकर धर), शंकराचार्य, श्री शारदा सर्वज्ञ पीठ, जम्मू कश्मीर (पीओके), (7)
#हिन्दू समाज के बेकार, उदासीन, अविश्वास और #आस्थाहीन नेतृत्व पर नाखुश होकर यह पत्र लिख रहा हूँ । क्योंकि, मुंबई #आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के माध्यम से, हिंदू समाज #गुमराह किया जा रहा है और मेरे प्रति क्रूर और #अमानवीय अत्याचारों जैसे – (8)
मेरा
असली नाम हटाकर दयानंद पांडेय किया जो कि एक फर्जी नाम है, जो कभी मेरा नाम
नही था वो #जबरदस्ती रखवाया इसी नाम की पहचान का प्रचार करने से लेकर, मुझे स्वयं घोषित संत , महंत या पुजारी कहने तक रोका गया और मुझे कुछ #अपराधों के आयोग को (9)
1] मेरे भगवा वस्त्रों को हटा दिया गया और तीन दिनों के लिए #वातानुकूलित
कमरे में गीला रखा गया और बिजली के भयंकर #झटके दिए गए थे। (10)
2] “मेरे निजी पूजा के लिए इस्तेमाल किये गए श्री यंत्र और #धार्मिक पुस्तकें (जपजी साहिब सहित) को नाले में फेंक दिया गया ।”
3] तीन पुरुषों ने मेरे पैरों पर खड़े होकर मेरे पैरों के तलवों पर मुझे #बेल्ट के साथ मारा,जब तक मैं बेहोश ना हुआ तब-तक मारते रहे ।” (11)
4] “मांस मेरे #मुंह में धकेल दिया गया था और मुझे बताया गया था कि यह #गौ -मांस (बीफ) था।”
5] “मुझे कुछ लिपियों को पढ़ने के लिए मजबूर किया गया था, और फिर मेरी आवाज #डब की गई, और #ऑडियो-वीडियो टेप का उत्पादन किया गया।” (12)
6] “मुझे धमकी दी गई कि हिन्दू समाज में मुझे बदनाम करने के लिए , मेरी #अश्लील सीडी बनाई जाएगी [यानी, कंप्यूटर सिमुलेशन द्वारा]” “ये केवल कुछ उदाहरण हैं। मैं उनकी #हिरासत में 17 दिनों तक था, और आप इस बारे में कल्पना कर सकते हैं कि उन्होंने मेरे साथ क्या-क्या किया होगा !” “ (13)
यदि एटीएस के पास मेरे खिलाफ कोई #सबूत है, तो उन्हें मेरे खिलाफ #फर्जी प्रमाण बनाने की आवश्यकता क्यों थी?
◆ एटीएस ने कहा, ‘यहाँ हम तुम्हें मार देंगे, बाहर #मुसलमान तुम्हें मार देंगे; तुम्हें किसी भी हालत में मरना है, तो अपने #अपराधों को स्वीकार करो ‘। (14)
◆ उन्होंने मुझे सवालों के जवाब रटवाए, और फिर एक #नारको टेस्ट किया ‘.‘इनपरिस्थितियों में, मुझे उम्मीद है कि #हिंदू समाज इस पत्र को पढ़ेगा । और अपने #धर्माचार्यों के सत्य के प्रमाण के रूप में स्वीकार करेगा।’ (15)
“यहां उल्लेख करना उचित होगा कि #शंकराचार्य परंपरा की मूल और प्राचीन सीट,श्री शारदा सर्वज्ञ पीठ, ग्राम शारदी, तालुका अत्तुमकम, जिला नीलम,विभाजित भारत के उत्तरी राज्य #जम्मू कश्मीर के पाकिस्तान द्वारा जब्त 48% इलाकों में निहित है।” (16)
◆पाकिस्तानी जब्ती के कारण ना केवल इस सीट को खोना पड़ा, बल्कि पिछले 60 वर्षों में,
उस क्षेत्र के #लाखों हिंदुओं ने अपने मानव अधिकारों को खो दिया है, बुनियादी नागरिक सुविधाओं से #वंचित रखा है, और वे सामाजिक या सरकारी सहायता के बिना दर दर की #ठोकरें खा रहे हैं ।” (17)
“पाक-कब्जे वाले #कश्मीर को वापस लेने के तीन प्रस्तावों में धूल जमा हो रही है ।
#धर्मनिरपेक्ष सरकारों के इस दृष्टिकोण को इस्लामी राष्ट्र और #इस्लामी नेतृत्व जानते हैं । जिसके परिणामस्वरूप उत्पीड़न की नीति का पालन किया जा रहा है, और भारत में, (18)
इस्लामिक परिवर्तन पाकिस्तान और अन्य इस्लामिक देशों के #समर्थक हो रहे हैं।
नतीजा यह है कि 18-20 साल पहले,लाखों हिंदुओं को #कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर
किया गया; उन्होंने देश के अन्य #हिंदू राज्यों में शरण पायी । लेकिन आज,सात तटीय राज्यों में, हिंदू 10% से कम के अल्पसंख्यक हैं।(19)
अगर दूसरे राज्यों में भी #हिंदुओं की इसी प्रकार की उड़ान हो जाती है,तो वे शरण कहाँ
लेगे?”
◆ “इस भय-ग्रस्त समाज के प्रमुख विचारकों, काशी विद्वत परिषद, दंडी सन्यासी सेवा
समिति, काशी के #विश्वास-प्रेमी और प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने हाथ मिलाकर एक सार्वजनिक समारोह का आयोजन किया (20)
और फिर से श्री #शारदा सर्वज्ञ पीठ की लुप्त शंकराचार्य परंपरा को पुन: स्थापित किया ।”
पीओके के हिंदुओं के उत्पीड़न और उड़ान को रोकना, पीओके के निवासी हिंदुओं के
कष्टों को साझा करना और उन्हें न्याय और उनके #अधिकार प्राप्त करने में सहायता करना, (21)
#कश्मीरी पंडितों को घाटी में वापस करने के लिए प्रोत्साहित करना, और पीओके को पुनः प्राप्त करने के लिए तीन #संसदीय प्रस्तावों की सरकार को याद दिलाना, यह एक चुनौती थी।
◆ “इस प्रकार, 16 मई 2003 को, मुझे शंकराचार्य नियुक्त किया गया और मुझे इन (22)
जिम्मेदारियों का #उत्तरदायित्व दिया गया। तब से आज तक, सभी प्रकार के खतरों और खतरों से निपटते हुए, मैं अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहा हूँ । इस पर एक विशेष #रिपोर्ट आरएसएस मुखपत्र, आयोजक की 17 फरवरी 2008 संस्करण में पढ़ी जा सकती है। “ (23)
◆ “धर्म के आधार पर विभाजित भारत का जम्मू क्षेत्र, स्वतंत्रता के समय से, #धर्मनिरपेक्षता की कसौटी बन गया है। वहां शंकराचार्य की नियुक्ति आधिकारिक
धर्मनिरपेक्षता का #पर्दाफाश कर सकती है। इस डर से प्रेरित, तत्कालीन (24)
केंद्रीय और राज्य सरकारों ने अभिनव भारत कार्यक्रमों का इस्तेमाल करने की
मांग की है और कश्मीर शंकराचार्य के रूप में मेरी आधिकारिक क्षमता में,
साक्ष्यों को बनाने और मुझे अपमानित करने के लिए #एटीएस का इस्तेमाल किया
। (25)
◆ “इसलिए, हिंदू समाज के माध्यम से, मैं #आत्महत्या करने की अनुमति लेने के लिए
सम्मानित राष्ट्रपति और सम्मानित #न्यायपालिका से अपील करता हूं, क्योंकि
इस तरह के #अपमान के बाद मैं हर-दूसरे क्षण धीमे मौत मर रहा हूँ । (26)
और, उन
घटनाओं की वजह से, जिनका मुझे सामना करना पड़ा था, जिसे मैं समाज के सामने
आने वाले भारी खतरों के संकेत के रूप में लेता हूँ, मुझे उम्मीद है कि #हिंदू समाज और उसके नेतृत्व करने वाले सतर्क और #जाग्रत होंगे ।” (27)
◆ स्वामी अमृतानन्द देव तीर्थ जी के उपरोक्त पत्र से स्पष्ट है कि #हिंदुओं के दमन के लिए सरकार ने खूब प्रयास किये लेकिन वे सफल नही हो पाई और उनको जनता ने #उखाड़कर फेंक दिया लेकिन अभी वर्तमान सरकार का भी हिंदुओं के प्रति #उदासीन चेहरा देखकर हिंदुत्व #खतरे में ही लग रहा है ।
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
अजमेर में 100+ छात्राओं का बलात्कार: कॉन्ग्रेसियों और दरगाह के खादिमों की करतूत की सज़ा कब? 30 साल हो गए, कई अब भी फरार
राजस्थान (Rajasthan) के अजमेर शहर में आज से 30 साल पहले 1992 में एक वीभत्स सेक्स स्कैंडल हुआ था (1)
जिसे ‘अजमेर सेक्स स्कैंडल’ के नाम से जाना जाता है। इस घटना ने समूचे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस घटना में एक गर्ल्स स्कूल की 100 से अधिक स्कूली लड़कियों की अश्लील तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल कर उनका यौन शोषण किया गया था। (2)
इस कांड का असली गुनाहगार कॉन्ग्रेस नेता और अजमेर शरीफ दरागाह का खादिम था। मास्टरमाइंड था अजमेर शहर के यूथ कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष फारुक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती। (2)
वो सच जो #घीरे_घीरे उजागर हो रहा है
यह जो हाजी अली, साईं बाबा, अजमेर शरीफ, बहराइच गाजी बाबा जाकर नाक रगड़ने का हिंदुओं का चलन है यह कोई बहुत पुराना नहीं।
महज 60/70 साल पहले तक इन मुर्दों की कब्रों पर कोई हिंदू नहीं जाता था। (1 )
फिर शुरू हुआ सोचा समझा इस्लामी+वामपंथी+कांग्रेस की तिकड़ी का षड्यंत्र।
और इसका जिम्मा सौंपा गया हिंदी सिनेमा जगत को।
गाने शुरू हुए:-
किसी को बच्चा नहीं होता था :- या मोहम्मद भर दे मेरी झोली खाली। शिरडी वाले साईं बाबा आया है तेरे दर पर सवाली। (2)
चलो दरगाह पर गाना गाने:- 9 महीने की जगह 4 महीने में ही बच्चा दुनिया में आ गया।
हीरो बुरी तरह घायल होकर अस्पताल में..... हीरो की अम्मा दरगाह पर:-अली मोला अली मोला अली मोला।
डॉक्टर ने कहा हीरो की जिंदगी खतरे में। और अली मौला के चमत्कार से हीरो ने आंखें खोल दी। ( 3 )
बहुत से लोग इन्हें भूल गए होंगे..इस हिन्दू योद्धा को जिसकी माँ की अस्थियां अभी भी उनके खेतों में अपने पुत्र द्वारा विसर्जन की प्रतीक्षा में गड़ी हैं…
“दारा सिंह,” साल 1999 में बजरंग दल के विभाग संयोजक थे। ( 1 )
जब उड़ीसा में ग्राहम स्टेंस हत्याकांड हुआ था तब बजरंग दल के दारा सिंह पर आरोप लगे थे। सारे विश्व की ईसाई मिशनरी एकजुट हो गई, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का “सेकुलर कैबरे” हुआ… और दारा सिंह गिरफ्तार हो गए… (2)
आज 24 वर्षों के बाद भी दारा सिंह को कभी पैरोल या जमानत नहीं मिली… यहाँ तक की उनके माता-पिता की चिता को अग्नि देने के लिए भी पैरोल नहीं मिली… लाखों हिन्दुओं को ख़त्म कर देने वाले मिशनरी से लड़ाई लड़ने वाला योद्धा 24 वर्षों से जेल में बंद है। (3)
इसका मुख्य कारण सिर्फ RELIGIOUS HATRED नहीं था। इसका मुख्य कारण विज्ञान, चिकित्सा,गणित और अन्य विषयों पर कई प्राचीन संस्कृत और मलयालम वैदिक ग्रंथों को चोरी करना था, जैसा कि वे कर सकते थे। बाद में उन्होंने चोरी की गई सभी जानकारी का इस्तेमाल किया और इसे अपने नाम पर Patent करा लिया।
इस दौरान जबरदस्ती लोगों का धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें गौ मांस और सस्ती शराब (फेनी) का सेवन कराया गया। बहुत ही शातिर तरीके से उन्हें आलसी बनाया गया ताकि वे काम करना ही भूल जाए।
एक दस्तावेज भी जारी किया जिसके तहत कोई भी गोवा में मंदिर का निर्माण नहीं कर सकता था। और पहले से ही निर्मित अन्य सभी मंदिरों को नष्ट कर दिया जाएगा। इस आदेश के तहत लगभग 300 से ज्यादा मंदिरों को नष्ट कर दिया गया।
जो ईसाई मिसनारिया भारत भर में सेवा के नाम पर हिन्दू आदिवासियों और गरीबों के मसीहा बनाने का ढोंग कर रहें है इनका उद्देश्य केवल हिंदुओ का धर्मांतरण है।
एक समय ऐसा भी था गोवा में जब हिन्दू स्त्रियों को धर्म परिवर्तन न करने पर उनके स्तनों को धारदार हथियारों से काट दिया जाता था।
गरमा-गरम लाल चिमटों से शरीर के मांस निकाले गए । लाल गर्म सरिया महिलाओं की योनि और पुरुषों के मलद्वार में डाले गए। हिंदुओं के नाखूनों को दर्दनाक तरीके से निकाला गया। उंगलियों और अंगूठे को कुचलकर तोड़ दिया गया। उनके शरीर पर तेज़ाब डाला गया। उनके हाथ उबलते तेल और पानी में डाले गए। "
6 मई 1542 को, 'संत' फ्रांसिस ज़ेवियर गोवा में उतरे और गोवा की वास्तुकला से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने कहा "जिसने भी गोवा को देखा है उसे लिस्बन (पुर्तगाल की राजधानी) देखने की जरूरत नहीं है",लेकिन वह यह जानकर बहुत निराश हुआ कि हिंदुओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित करना आसान नहीं था।