#धर्मसंसद
आज कई दिनों बाद उत्तर देने की स्थिति बनी है। पिछले दो दिनों से कुछ अपरिहार्य कारणों से उत्तर नहीं दे सका तो कुछ खाली खाली सा लगा था।आप लोगों के उत्तर पढ़ता रहा पर स्वास्थ्यगत कारण से समीक्षा नहीं कर पा रहा था। आज भी आप लोगों विशेषकर प्रेरक अग्रवाल शशिबाला राय
नीलम मिश्रा सत्यवती ने इतना व्यापक विवरण दिया है कि कुछ और कहने की जरूरत नहीं है।बस औपचारिकता पूरी करते हुए केवल इतना ही कहना है कि दनु प्रजापति दक्ष की तीसरी पुत्री और ऋषि कश्यप की तीसरी पत्नी भी थीं। एक बात और प्रेरक अग्रवाल ने स्पष्ट कर दिया है कि असुर दैत्य
राक्षस ये तीनों अलग-अलग प्रजातियां थीं न कि एक है जैसी कि भ्रामक धारणा पाई जाती है। तीनों युगों सतयुग त्रेतायुग द्वापरयुग तक इनकी अलग-अलग शाखाएं चलती रहीं।इन सबका समापन महाभारत युद्ध के साथ ही हो गया था और सब मिलकर सनातन धर्म में समाहित हो गए। कदाचित महाभारत युद्ध का एक
बड़ा कारण यह भी रहा था।दनु से उत्पन्न ये दानव दिति के पुत्र दैत्यों के अधिक निकट रहते थे। बहुधा इसमें रोटी बेटी का संबंध हुआ करता था पर यह सब कुछ एकदम से एकतरफा नहीं था।इनका संबंध देवताओं और मानवों से भी समान रूप से था। दानव राज पुलोमा की पुत्री शची जिसे पौलोमी
भी कहते हैं का विवाह देवराज इन्द्र के साथ हुआ था। दानव राज शंबर एक और प्रतापी सम्राट हुआ था।दानव शब्द ध्यान में आते ही जिस व्यक्ति की छवि मन में उभरती है वह है मय दानव की।इस जाति के पुरुष स्त्री गोरे और सुंदर हुआ करते थे। इसका कारण यह है कि वरुण देव ने इन्हें स्थाई
रूप से बसने के लिए शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र दिया था।पंचकन्याओं में से दो मंदोदरी और तारा दानव कुल की ही थी। वैसे तो समूचे जंबूद्वीपे भारतखंडे इनका निवास स्थान था पर मुख्य रूप से आज का दक्षिणी यूरोप इनका मूल निवास स्थान था। यूरोप की सबसे बड़ी नहीं डैन्यूब नदी
दानव नदी का ही अपभ्रंश है। डेनमार्क को हम दानवार्क से तुलना कर सकते हैं। मुख्य रूप से यह एक शिल्पी जाति थी। इन्हीं के वंशज आज कल के शिल्पकार मूर्तिकार भवन निर्माता राज मिस्त्री बढई प्रजापति माने जो कुछ भी नया निर्माण करने वाले हैं सब इन्हीं के वंशज हैं।आज सब मिलकर
ऐसे एकाकार हो गए हैं कि अलग-अलग पहचान नहीं रह गई है। धन्यवाद जय
गांव देहात में एक कहावत कही जाती है कि जो गुड़ खाके मरता हो उसे जहर देने की क्या जरूरत है। कांग्रेस उसी को चरितार्थ कर रही है। कर्नाटक चुनाव में अच्छी खासी बढ़त हासिल थी पर पता नहीं कैसे चुल्ल मची कि अपनी पुरानी रणनीति को ताक पर रख दिया। सिद्धरमैया और शिवकुमार ने
बडी मुश्किल से रणनीति बनाया था और राहुल गांधी को भी राजी कर लिया था कि चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाएगा। मोदी को सीधे निशाने पर नहीं लिया जाएगा पर किसी नियम में बंधा रहे तो वह कांग्रेसी कैसा। मल्लिकार्जुन खड़गे खड़क गए और सीधे-सीधे मोदी को जहरीला सांप बता दिया।
मोदी तो इस विद्या के मास्टरमाइंड हैं सो ले उड़े। इतना ही कम नहीं था बल्कि लिखा कुछ और था। अपने चुनावी घोषणा पत्र बजरंग दल को बैन करने का वादा कर दिया जैसे कि बजरंग दल कोई आतंकवादी संगठन हो। हंगामा होना था वो हो गया।अभी तक भाजपा की युवा विंग बजरंग दल अलसाई पड़ी थी
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आज एक ट्वीट बहस में ऐसा फंसा कि देर हो गई। आप सभी नियमित लेखकों ने ने अच्छा उत्तर दिया है। सदैव ही की नीलम मिश्रा ने परिश्रम के साथ लिखा है।बहन शशिबाला राय सत्यवती गोविंद मिश्र प्रेरक अग्रवाल ने बहुत सुन्दर वर्णन किया है। विशेषकर प्रसंशा करना चाहूंगा
बहनों शशिबाला राय सत्यवती और प्रेरक अग्रवाल की क्योंकि यह लोग केवल गूगल सर्च पर आधारित नहीं रहते बल्कि उत्तर में वेदों पुराणों धर्म शास्त्रों का उद्धरण देते हुए सप्रमाण उत्तर देते हैं। थोड़ा सा प्रयास और लोग भी करें तो अच्छा होगा।जैसा विद्वान उत्तर दाताओं ने
बताया है कि विदुषी अपाला ऋषि अत्रि की पुत्री थी जो अंत तक माता-पिता के साथ रहीं। जानते ही होंगे कि महासती अनुसुइया की परीक्षा लेने ब्रह्मा विष्णु महेश आए थे।वरदान में माता अनुसूया ने कहा था कि आप तीनों मेरी कोख से जन्म लें। इस तरह ऋषि अत्रि अनुसुइया के तीन पुत्र
अतीक और मुख्तार अंसारी की कार्य प्रणाली में कुछ समानता थी तो कुछ अंतर भी था। दोनों ने अपने अपने प्रतिद्वंद्वी विधायकों की हत्या कर दिया था। इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा चुनाव में जब राजू पाल ने अतीक के भाई अशरफ को हरा दिया था उसके छ महीने के भीतर ही अतीक अहमद ने
राजू पाल की दिनदहाड़े धूमनगंज चौराहे पर हत्या कर दिया था। ठीक इसी प्रकार जब मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को मुहम्मदाबाद चुनाव कृष्णानंद राय ने हरा दिया था तब मुख्तार अंसारी ने अपने शूटरों मुन्ना बजरंगी अताउर्रहमान फ़िरदौस संजीव माहेश्वरी हनुमान पांडे द्वारा
भांवरकोल क्षेत्र में हत्या करवा दिया था। आश्चर्य की बात है कि हनुमान पांडे उर्फ राकेश ने मुख्तार अंसारी के कहने पर कृष्णानंद राय की चुटिया काट लिया था और मुख्तार अंसारी को गिफ्ट कर दिया था। खैर बाद हनुमान पांडे को यूपी एसटीएफ के एस एस पी अमिताभ यश ने एनकाउंटर में
यूपी की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है।दो लाख के इनामी आदित्य राणा के एनकाउंटर से कोई फर्क नहीं पड़ता है पर फर्क तब पड़ता है जब हमारे लोगों पर असर पड़ता है। अब यही देखिए कि "भद्र' परिवार से आने वाले ब्रिगेडियर उस्मान के नाती और गद्दार हामिद अंसारी के भतीजों
मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी को सजा दी गई है जबकि यह दोनों प्रख्यात समाजसेवी और गरीबों के मसीहा थे।बेटे अब्बास अंसारी को जेल में डाल दिया गया है। बेचारे की मां अफशां अंसारी भागी भागी फिर रही है।उस पर
७५ हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया गया है। एक और समाज सुधारक
अतीक अशरफ को पुलिस कस्टडी में मार डाला गया।पूरे परिवार को मिट्टी में मिला दिया है।बेटे असद और गुलाम का एनकाउंटर हो गया। समाजसेवी अम्मीजान शाइस्ता फरार है। कानून व्यवस्था अब इससे ज्यादा क्या खराब हो सकती है। मैंने तो सदन में मजाक मजाक में कह दिया था
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आज का प्रश्न थोड़ा दीर्घ उत्तरीय था जिसका सम्यक वर्णन भाई बाबूलाल जी प्रेरक अग्रवाल नीलम मिश्रा बहन सत्यवती अशोक द्विवेदी ने विस्तार से किया है। शायद आप लोग भूल गए होंगे दो साल पहले मैंने देवयानी की अधूरी प्रेम कहानी पर एक विस्तृत लेख लिखा था।कथा तो
पढ़ ही चुके होंगे कि शर्मिष्ठा असुर राज बृषवर्वा की पुत्री और देवयानी उनके गुरु शुक्राचार्य की पुत्री थीं। मृग वंशी ऋषियों को मृत संजीवनी विद्या का ज्ञान था पर ऋषि भृगु ने इसे देते समय अपने पुत्रों को निषेध किया था कि इस विद्या का दुरुपयोग न करके केवल मानव कल्याण में
उपयोग किया जाए। भृगु के पुत्रों च्यवन और ऋचीक और ऋचीक के पुत्र जमदग्नि ने इस मर्यादा का ख्याल रखा पर दुर्भाग्य से असुर राज हिरण्यकश्यप की पुत्री दिव्या से उत्पन्न पुत्र शुक्राचार्य ने इस विद्या का भरपूर दुरुपयोग किया। इस विद्या से वे युद्ध में मृत असुरों को जीवित
क्या समलैंगिक विवाह को मान्यता दिए बगैर कुछ अधिकार दे सकते हैं?
- सुप्रीम कोर्ट
केंद्र सरकार के कड़े विरोध के बाद बड़े लार्ड साहब समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से थोड़ा पीछे तो हटे पर घुमा-फिरा कर प्रकारांतर से ऐसे संबंधों को मान्यता देने के लिए प्रयासरत हैं।
मी लॉर्ड ने कल सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा है कि क्या सरकार समलैंगिक विवाह को मान्यता दिए बगैर उन्हें कुछ सामाजिक अधिकार देने के लिए तैयार है? पीठ ने पूछा है कि क्या समलैंगिक जोड़ों को बैंक में संयुक्त खाता खोलने, खाते में नामित करने तथा बीमा पॉलिसी में
समलैंगिक साथी को नामित करने का अधिकार देने के लिए तैयार है। तुषार मेहता से कहा है कि सरकार से जबाव लेकर तीन दिन में कोर्ट को बताया जाय। बड़ा सवाल यह है कि आखिर मी लॉर्ड लोग चाहते क्या हैं। अगर केंद्र सरकार मी लॉर्ड के इन सुझावों को स्वीकार कर लेती है तो एक तरह से