#बुद्ध_पूर्णिमा
मैं आज के दिन बड़ा भ्रमित रहता हूँ, जन्मोत्सव मनाऊं अथवा अप्पो दीपो भवः को साधने प्रयास करूँ अथवा अपने श्रद्धासुमन अर्पित करूँ
क्योंकि यह दिव्य संयोग ही है कि सिद्धार्थ गौतम आज ही के दिन जन्म लेते हैं, गौतम बुद्ध होकर आज ही के दिन स्वयं को प्रकाशित करते हैं
(1)
और आज ही दिन महात्मा बुद्ध होकर संसार से विदा लेते हैं!
लेकिन आज मैं इतिहास की बात नही करने वाला...गूगल बाबा से लेकर पुस्तकों तक में आप उन्हें पढ़ सकते हैं...इसलिए आज मैं वो कहने आया हूँ , जिसके लिए मुझे जाना जाता है..एक अलग दृष्टिकोण से किसी एक ही घटना को पढ़ने का प्रयास !
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मैं बात करूंगा...बुद्ध के ध्येय की...बुद्ध सामाजिक समरसता का प्रतीक हैं, जिन्होंने आजीवन सनातन की सेवा की और उसे अतिरिक्त पाखंडों एवं अंधविश्वासों सहित सामाजिक विद्वेषों से निःशस्त्र , अहिंसापूर्वक मुकाबला किया...पराजित भी किया...(3)
यहां कोई यह न समझे कि बुद्ध किसी समुदाय विशेष को लक्ष्य बनाकर कमजोर किया क्योंकि ऐसा होता तो फिर आपको मगध के महाकश्यप के बारे में प्रमुखता से पढ़ना चाहिए !
शरण में आये बिना तो अनेक नाम हैं जो बुद्ध से प्रभावित हुए...और तत्कालीन धर्म के प्रारूप को लेकर एकमत नही थे...
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इसलिए बुद्ध पर यह आक्षेप भी स्वीकार नही हो सकता
बुद्ध मनुष्य को मानवीय गरिमा प्रदान करते हैं, नर में नारायण के सिद्धांत के प्रबल समर्थक हैं ! फिर समस्या क्या है ??
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आज कुछ कट्टर-झट्टर जब बुद्ध के सिद्धांतों को लेकर आक्रामक होते हैं तो भूल जाते हैं कि तब उन्हें रोकने वाला भी कोई नही था...
व्यक्तिगत सभाओं की बात नही करूँगा क्योंकि बुद्धत्व का प्रसार इसकी चुगली करता है !
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बुद्ध ने शस्त्रों पर अपना पूरा नियंत्रण रखा और उन्हें त्यागा भी...यह उच्चतम क्षत्रिय दर्शन है यहां केवल वहीं दुखी होंगे जो क्षत्रिय को चौकीदार समझते हैं यहां पुनः याद कराना चाहूंगा कि बात हर वर्ग की है यहां , वर्ग विशेष की नही !
(7)
बुद्ध ने महात्मा अथवा संन्यासी होकर राजधर्म निभाया...उन्होंने क्षेत्र विशेष पर प्रभुत्व न जमाकर वंचितों को भी गले लगाया और उनपर अपना आधिपत्य स्थापित किया जो एक क्षत्रिय हेतु आवश्यक परीक्षा है ! इसमें वे सफल भी रहे !
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मैं तो हैरान होता हूँ कि धार्मिक एवं राजनैतिक षड्यंत्रों की बात छोड़कर मूल पर ध्यान दूँ तो पाता हूँ कि DNA वाली बात अपनी जगह बिलकुल सही है क्योंकि सामाजिक रूप से हाशिये पर आए एक पूरे वर्ण ने जब विद्रोह भी किया तो अंत में शरण किसकी पाई...एक क्षत्रिय की ही न !
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लेकिन हम तो केवल जंग की भाषा समझते हैं...इसलिए बिना मंथन किये तलवार भांजने लगते हैं...क्षत्रिय+शूद्र का यह गठजोड़ तो प्राचीन है...वे हम पर आश्रित थे और बुद्ध बस इसे एक महत्वपूर्ण आयाम दे रहे हैं ! फिर तुम किस बहकावे में विरुद्ध हो ! (10) #नमो_बुद्धाय
लगातार नकली खाप कि धौंस दिखाने वालो को असली खाप के बारे में बताना जरुरी हो गया है।
हरियाणा में आज भी जो सबसे बड़ी खाप है वो अम्बाला से लेकर करनाल के चौहान राजपूतो की है जिसके अधीन एक समय 1400 गांव थे. आज भी कम से कम 350 गांव से ऊपर इस खाप के राजपूतो के हैं. (1)
इसी तरह भिवानी और महेन्द्रगढ़ के तोमर राजपूतो के 1400 गांव में से आज भी लगभग 300 से ऊपर गांव बचे हैं.
दक्षिण हरियाणा के बिघोटो और राठ के चौहानो के अधीन 1400 से ऊपर गांव थे. आज भी 300 के करीब गांव में यहाँ चौहान राजपूतो की आबादी है. (2) @BajrangPunia@SakshiMalik@geeta_phogat
जाट लोग देशभर में फैले अपने एक गोत के सब गांवो को जोड़कर खाप घोषित कर देते हैं.
इस तरह अगर हम बात करने लगे तो दिल्ली के मात्र 200 किमी के radius में ही अकेले चौहान राजपूतो के 3 हजार से ऊपर गांव हैं जिसमे जरा भी अतिश्योक्ति नहीं. (3) @JAT_SAMAAJ@RakeshTikaitBKU@PrateekBhushan
First, allow me to wish you all on the auspicious occasion of Buddha Purnima. On this day Kshatriyas need to introspect upon their understanding of dhamma. What dhamma truly is ? (1) #बुद्ध_पूर्णिमा
My message focuses mainly on this question and unpacks the relevance of the Buddha Dhamma in our times and what kshatriyas can learn from it.
Buddha Dhamma, also known as Buddhism, is a philosophy and a way of life that originated in ancient India. (2)
It is based on the teachings of Sakya Muni Buddha, who lived in the 5th century BCE and was the scion of the Sakya clan of Kshatriyas. The Buddha Dhamma teaches us to follow the Middle Path, which is a balanced approach to life. It emphasizes compassion, mindfulness,
(3)
गौतम क्षत्रिय वंश जिसमे राजा सिद्धार्थ का जन्म हुआ था और बाद मे वो ही महात्मा बुद्ध बने थे
वंश- सूर्यवंश, इच्छवाकु, शाक्य
गोत्र- गौतम
कुलदेवी- चामुण्ङा माता, बन्दी माता, दुर्गा माता
देवता - महादेव योगेश्वर, श्री रामचन्द्र जी (1) #बुद्ध_पूर्णिमा
वेद - यजुर्वेद
प्रसिद्ध महापुरुष- भगवान बुद्ध (सिद्धार्थ)
गौतम वंश का महामंत्र--
रेणुका: सूकरह काशी काल बटेश्वर:।
कालिंजर महाकाय अश्वबलांगनव मुक्तद:॥
प्राचीन राज्य- कपिलवस्तु, अर्गल, मेहनगर, कोरांव, बारां(उन्नाव), लशकरपुर ओईया(बदायूं)
(2)
गौतम सूर्यंवंशी क्षत्रिय राजपूत हैं ये अयोध्या के सूर्यवंश से अलग हुई शाखा है इन्हें शाक्य वंश भी कहा जाता है
Note-Alexander Cunningham (1871:349) relates the Shakya to the modern Gautam Rajputs, who were residing in the contemporary Indian districts Nagar & Amoddha of U.P.
(3)
माननीय सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली पुलिस प्रशासन को इस वीडियो के आधार पर भी स्वयं संज्ञान लेना चाहिए।
यह विनेश फोगाट @Phogat_Vinesh इस वीडियो में स्वयं बता रही हैं कि इनका कभी भी यौन शोषण नहीं हुआ। विनेश फोगाट के साथ बजरंग पुनिया @BajrangPunia भी मंच पर बैठा हुआ है। 1/5
यह स्वयं कह रही हैं कि अगर कोई उनका यौन शोषण करने की कोशिश भी करता, तो फिर वह उसको सबक सिखा देतीं।
अब ऐसे खिलाड़ियों पर तुरंत कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। जो कुश्ती संघ की राजनीति में एक राजनेता और उद्योगपति का मोहरा बनकर कार्य कर रहे हैं। 2/5 @geeta_phogat@BabitaPhogat
इन फोगाट बहनों और उनके जीजा बजरंग पुनिया ने एक चरित्रवान राजनेता बृजभूषण सिंह का चरित्र हनन करने का प्रयास किया है। साथ ही साथ इन खिलाड़ियों ने देश के लोगों की आंखों में धूल झोंकने का कार्य किया है। 3/5 @BajrangPunia@SakshiMalik@aajtak
निर्विवादित रूप से हिन्दू इतिहास #राजपूतों का ही रहा है।
और इतिहास रहा नहीं, बनाया था पूर्वजों ने। प्रत्येक काल मे जो अपने को सिद्ध करता है वही राज करता है। पूर्वजों ने बहुत संघर्ष करकर राज स्थापित किये।
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चूंकि उस जमाने मे #तलवार के बल पर राज किया जाता था, तो उन्होंने स्वयं को सिद्ध करके रियासते स्थापित की। सिर्फ स्थापित ही नहीं कि, उनको बनाये रखने के लिए पीढ़ियों की कुरबानी दी। इसीलिए इतिहास अपना रहा।
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अध्यात्म के क्षेत्र में भी हमारे ही पूर्वजों ने रास्ता दिखाया- #रामदेव जी, #पाबु जी, #हडबू जी, #मेहा जी, #गोगा जी, #तेजा जी, #देवनारायण जी, #पीपा जी। पर तेजाजी खींची चौहान को जाट ले गए और देवनारायण जी सोलंकी को गुज्जर ले गए,
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