द केरल स्टोरी में जिस बारीकी से केरल की सुंदरता को फ़िल्माया गया है, उसे देखने के बाद लगता है कि कोई इतने सुंदर और अद्भुत स्थान पर जन्म लेकर भला किस मूर्खता में सीरिया और ईरान के रेगिस्तान में धूल फाकने जा सकता है?
फ़िल्म में यह देखकर भी एक घबराहट होती है कि इतने सुंदर स्थान को
कबाइली कैसे धीरे धीरे तहसील दर तहसील चट करते जा रहे हैं और इन सब परिस्थितियों से अंजान हिंदू समाज सेक्यूलरीज़म और कम्युनिजम की अफ़ीम पीकर मस्त हैं।मैंने जब से इस फ़िल्म को देखा है, मेरा दिमाग़ उसी में कई दिन से लगा हुआ है।मैं दावे के साथ कह रहा हूँ कि परसों फ़िल्मों के इतिहास में
वहीं कीर्तिमान बनने जा रहा है जो कश्मीर फ़ाइल ने बनाया था। सभी लोग इस फ़िल्म को बच्चियों को अवश्य दिखाएं। कुछ मित्रों ने यह पूछा है कि किस उम्र तक के बच्चियों को फ़िल्म दिखानी चाहिए? मेरा स्पष्ट मत है कि कालेज जाने वाली प्रत्येक बच्ची को यह फ़िल्म दिखाना आवश्यक है। फ़िल्म में दो
तीन जगह बलात्कार के दृश्य हैं लेकिन वह प्रत्यक्ष तौर पर नहीं हैं, हाँ उन दृश्यों को इस तरह से फ़िल्माया गया है कि उसे देखकर करुणा की भावना उत्पन्न हो। फ़िल्म में परिवेश का चित्रण भी अद्भुत है। इसे ज़रूर देखें। #The_Kerala_Story
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'द केरला स्टोरी' के ट्रेलर में एक हिंदू लड़की से पूछा जाता है कि कैसा है तुम्हारा गॉड शिवा जो पत्नी के मर जाने पर आम इंसानों की तरह रोता है?
लगभग ऐसा ही सवाल कुछ महीने पहले मुझसे भी एक लड़की ने पूछा था जब विकास दिव्यकीर्ति के प्रभु
राम पर दिए बयान वाला प्रकरण चल रहा था।
मैंने उससे कहा था कि क्या कभी तुमने ये सोचा है कि तुम हिंदू क्यों हो या तुमको हिंदू ही क्यों रहना चाहिए? क्या तुम्हारा हिंदुत्व ऐसी बातों पर अवलंबित है जिसको कुछ तार्किक आधार पर कमजोर किया जा सकता है या फिर तुम्हारा हिंदुत्व उन मूल्यों पर
है जो नैसर्गिक और शाश्वत हैं?
उसे मेरा सवाल समझ नहीं आया।
मैंने कहा, मान लो वाल्मिकी रामायण के उत्तर कांड में वर्णित सीता परित्याग का विषय या शंबूक वध का प्रसंग या शिव जी का सती के लिए विरह में रोने का प्रसंग या शिव जी का गणेश जी को नहीं पहचान पाना जैसे प्रसंग या फिर कृष्ण जी
दुनिया के सबसे बड़े नीच धूर्त गलीज इंसान को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने तमाचा मारते हुए रिपोर्टर भावना को रिहा करने का आदेश दिया जज ने पंजाब सरकार से पूछा कि जब भावना पीछे बैठी थी तब आपने उसके ऊपर क्यों केस दर्ज किया ? ड्राइवर के ऊपर केस क्यों नहीं दर्ज किया ? और जब भावना ई रिक्शा
ड्राइवर को जानती ही नहीं थी तब आपने sc-st एक्ट कैसे लगा दिया और घटना का सीसीटीवी फुटेज कहां है अब आप पूरी सच्चाई जानिए
अरविंद केजरीवाल लुधियाना में था टाइम्स नाउ की रिपोर्टर भावना उससे उसके शीश महल पर सवाल पूछना चाह रही थी अरविंद केजरीवाल उसके सवालों से घबरा गया और अपने गुलाम
भगवंत मान को आदेश दिया कि इस रिपोर्टर को फिट कर दो ताकि फिर कोई दूसरा रिपोर्टर मुझसे सवाल पूछने की हिम्मत ना कर सके फिर पूरी प्लानिंग की गई इलाके के सीसीटीवी फुटेज ऑफ किए गए और जिस इनोवा में भावना बैठी थी उसके सामने जानबूझकर एक दलित ई रिक्शा वाले को लाया गया और फर्जी एक्सीडेंट
पहले कहा हम सुप्रीम कोर्ट का ही फैसला मानेंगे... दरअसल वामपंथी गैंग ने फिल्म भरोसा दे दिया था कि सुप्रीम कोर्ट मैनेज हो जाएगा चीफ जस्टिस अपने ही गैंग के हैं
फिर 3 दिन में सुप्रीम कोर्ट पर बहस हुई सारे तथ्य रखे गए फिर सुप्रीम कोर्ट भी यह सुनकर हैरान रह गया यह लोग तो डायरेक्ट
ओलंपिक में खेलने की मांग कर रहे हैं इन्हें नेशनल लेवल पर नहीं खेलना है तब सुप्रीम कोर्ट ने इतना कहा कि हम आपकी एक मांग स्वीकार करते हैं कि बृजभूषण सिंह पर एफ आई आर दर्ज हो दिल्ली पुलिस जांच करें लेकिन बगैर किसी जांच के हम और कोई कार्रवाई के आदेश नहीं दे सकते
फिर यह गैंग जो अब
टुकड़े टुकड़े गैंग के हाथों खेल रही है वह कहने लगी कि हम देश के सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं बल्कि खाप पंचायत का फैसला मानेंगे
भाई यह खाप पंचायत तो जींस पहनने को मना करती है टीशर्ट पहनने को मना करती है मोबाइल फोन रखने को मना करती है खाप पंचायतें क्या क्या फैसला करती है वह सब
गढ़वाल राइफल क्या है इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगा लीजिये की सेना मे गये सिर्फ एक साल हुआ था और फौजी अकेले 72घंटे तक चीन की सेना से लड़ता रहा उसकी वीरता देख चीन ने उसका तांबे का सिर बना कर दिया।
1962 के युद्ध में भारत के पास एक ऐसा भी वीर था जिसकी वीरता को चीन ने भी सलाम किया|
मित्रों आज हम आपको एक ऐसे वीर की गाथा सुनाने जा रहे हैं जो अपनी मात्र भूमि के लिए वीर गति को प्राप्त हो गया और जिसने अकेले ३०० चीनी सैनिकों को मर गिराया| जी हाँ मित्रों ३०० सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था इस महावीर ने| इनका नाम है जसवंत सिंह रावत और यह एक उत्तराखंडी है|जसवंत
सिंह के नाम पर एक गाँव का नाम जसवंतपुर भी है| इन्हें इनकी बहादुरी के लिए महावीर चक्र भी दिया गया| जिस युद्ध में ये शहीद हुए वो था " बैटल ऑफ़ नूरानांग"| तेजपुर नूरानांग में रायफलमेन जसवंत सिंह के नाम का मंदिर चीन युद्ध में इनकी असाधारण वीरता का परिचायक है| यहाँ से गुजरने वाला हर
#प्रेम का स्मारक ताजमहल नहीं यह है..
चित्र में दिखाई गई महिला की फोटो को ज़ूम करके देखेंगे तो उनके गले में पहना हुआ एक बड़ा डायमंड दिखाई देगा ..... यह 254 कैरेट का #जुबली डायमंड है जो आकार और वजन में विश्व विख्यात "कोह-ए-नूर" हीरे से दोगुना है ...
ये महिला मेहरबाई टाटा हैं जो
जमशेदजी टाटा की बहू और उनके बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा की पत्नी थीं ...
सन 1924 में प्रथम विश्वयुद्ध के कारण जब मंदी का माहौल था और #टाटा कंपनी के पास कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं थे... तब मेहरबाई ने अपना यह बेशकीमती जुबली डायमंड *इम्पीरियल बैंक में 1 करोड़ रुपयों में
गिरवी* रख दिया था ताकि कर्मचारियों को लगातार वेतन मिलता रहे और कंपनी चलती रहे ...
इनकी ब्लड #कैंसर से असमय मृत्यु होने के बाद सर दोराबजी टाटा ने भारत के कैंसर रोगियों के बेहतर इलाज के लिये यह हीरा बेचकर ही टाटा मेमोरियल कैंसर रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी ...
ह्यूमन नेचर है लोग भूल जाते हैं सत्ता ग़लत हाथ में गई तो क्या हो सकता है. केजरीवाल द्वारा पंजाब पुलिस का इश्तेमाल कर भाई तज़िंदर पाल सिंह बग्गा का अपहरण करना सबके लिए सबक़ होना चाहिए कि नक्सलियों को सत्ता मिलती है तो क्या हो सकता है. अभी पंजाब की सत्ता नई मिली है तो पुलिस से
अपहरण करवाते हैं केजरी, देखिएगा पाँच साल बाद वह भी भैय्या जी की तरह सीधे गर्दन कटवा कर मंगाया करेंगे.
आप देखिए हर अखंड आपिए को योगी जी द्वारा मुख़्तार जैसे माफिया / हत्यारे के अवैध क़ब्ज़ों पर बुलडोज़र चलवाना लोकतंत्र की हत्या लगती थी. पर तज़िंदर बग्गा द्वारा केजरीवाल की
आलोचना करने पर पंजाब पुलिस के पचास सिपाही दिल्ली भेज उनके पिता की पिटाई कर बग्गा को अपहरण कर पंजाब ले जाने की अवैध कोशिश करने पर हर आपिया प्रशन्न मिलेगा.
नक्सलियों का यही बेसिक dna होता है.
शेष जिन पुलिस वालों ने केजरीवाल के बहकावे पर अपहरण किया है उन पर दिल्ली में अपहरण का