एक राजकुमार बुद्ध के पास दीक्षित हुआ, श्रोण। भोगी था बहुत, फिर त्यागी हो गया बहुत। क्योंकि आदत बहुत की थी। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता था कि बहुत क्या था। बहुत भोगी था। छोड़ दिया भोग, बहुत त्यागी हो गया। कहते हैं, कभी खाली पैर जमीन पर नहीं चला था। राह से गुजरता था, तो मखमल (1/18)
पहले बिछाई जाती, तब वह गुजरता था। फिर दीक्षित हुआ, साधु हो गया बुद्ध का। तब भिक्षु पगडंडी पर चलते थे, तो वह कंटकित, कांटे से भरे मार्ग पर चलता था। भिक्षु देख कर चलते थे कि रास्ते पर कांटे न हों; वह देख कर चलता था कि कांटे जरूर हों। पैर उसके घावों से भर गए। भिक्षु छाया (2/18)
में बैठते, तो वह धूप में बैठता। भिक्षु एक दिन में एक बार खाते, तो वह दो दिन में एक बार खाता। बहुत!
यह मजा है। भोग मन छोड़ सकता है, त्याग पकड़ सकता है; लेकिन अति नहीं छोड़ सकता। मन अति में जीता है। मन को अति चाहिए। उसकी बड़ी सुंदर काया थी, सोने जैसा उसका शरीर था, छह महीने (3/18)
में वह काला पड़ गया। सारे शरीर पर फफोले हो गए। सारा शरीर जल गया। बुद्ध को अनेक बार और-और भिक्षुओं ने आकर कहा, श्रोण महा तपस्वी है! हम तो उसके सामने कुछ भी नहीं हैं। बुद्ध हंसते और कहते कि तुम्हें पता नहीं, वह महा भोगी रहा, महा तपस्वी होना उसे आसान है।
छह महीने तक बुद्ध ने (4/18)
कुछ भी नहीं कहा। श्रोण अपने को गलाता चला गया, सुखाता चला गया। फिर एक सांझ बुद्ध उसके पास गए। और बुद्ध ने कहा कि श्रोण, मैं कुछ पूछने आया हूं, कुछ बात, जिसकी मुझे कम जानकारी है, लेकिन तुम्हें है, उस संबंध में कुछ जानने आया हूं।
श्रोण चकित हुआ और उसने कहा कि आप और मुझसे (5/18)
जानने आए हैं! क्या?
तो बुद्ध ने कहा, मैंने सुना है कि जब तुम राजकुमार थे, तो तुम बड़े कुशल वीणावादक थे। मैं तुमसे यह पूछने आया हूं कि वीणा के तार अगर बहुत कसे हों, तो संगीत पैदा होता है या नहीं?
तो श्रोण ने कहा, तार बहुत कसे हों, तो टूट जाएंगे; संगीत पैदा नहीं होगा। टूट (6/18)
कर सिर्फ बिखरा हुआ विसंगीत पैदा होगा; संगीत पैदा नहीं होगा। तार टूट जाएंगे।
बुद्ध ने कहा, तो श्रोण, तार अगर बिलकुल ढीले हों, तो संगीत पैदा होता है या नहीं?
तब श्रोण ने कहा, आप भी कैसी बातें पूछते हैं! तार ढीले हों, तो चोट ही नहीं पड़ सकती; संगीत कैसे पैदा होगा?
(7/18)
बुद्ध ने कहा, संगीत कब पैदा होता है?
श्रोण ने कहा कि तारों की एक ऐसी भी अवस्था है, जब न तो हम कह सकते कि वे कसे हैं और न कह सकते कि ढीले हैं। तार एक ऐसी समता में भी खड़े हो जाते हैं जब न कसे होते हैं और न ढीले होते हैं; तभी संगीत पैदा होता है।
तब बुद्ध ने कहा कि मैं (8/18)
तुमसे यही कहने आया हूं कि जो वीणा में संगीत के पैदा होने का नियम है, वही जीवन में भी संगीत के पैदा होने का नियम है। जीवन के तार ढीले हों भोग की तरफ, तो भी संगीत पैदा नहीं होता। और जीवन के तार विपरीत कस जाएं त्याग की तरफ, तब भी संगीत पैदा नहीं होता। जीवन के तारों की भी एक (9/18)
ऐसी अवस्था है श्रोण, जब तार न ढीले होते और न कसे। एक ऐसा क्षण भी है चेतना का, जब न भोग होता और न त्याग; जब आदमी न इस अति में होता है और न उस अति में, बीच में ठहर जाता है; तभी जीवन का परम संगीत पैदा होता है। उस परम संगीत का नाम ही समाधि है। तूने जो वीणा के साथ सीखा, जीवन (10/18)
के साथ भी कर। देखता हूं कि पहले तेरे तार बहुत ढीले थे, तब संगीत पैदा नहीं हुआ। अब पागल की तरह तार तूने इतने कस लिए हैं कि अब भी संगीत पैदा नहीं हो रहा है।
लाओत्से कहता है, ताओ हमेशा स्वयं को अति पूर्णता से, टू मच ऑफ परफेक्शन, वह अति पूर्णता से हमेशा अपने को बचाता है। (11/18)
वह सदा मध्य में रह जाता है। न इस तरफ, न उस तरफ, बीच में।
मन है अति... और जहां कोई अति नहीं होती, वहां मन नहीं होता। मन होता है या तो बाएं, या दाएं; मध्य में कभी नहीं। मन या तो होता है राइटिस्ट, या होता है लेफ्टिस्ट; बीच में कभी नहीं। बीच में मन होता ही नहीं।
अगर हम (12/18)
वीणा की ही बात को ठीक से समझें, तो ऐसा कह सकते हैं कि जब तार बिलकुल मध्य में होते हैं, तो तार होते ही नहीं। क्योंकि जब तक तार होगा, तब तक संगीत में बाधा देगा। लोग आमतौर से समझते हैं कि वीणा जब बजती है, तो तार से संगीत पैदा होता है। गलत है बात। तार से संगीत पैदा नहीं (13/18)
होता, तार की समता से संगीत पैदा होता है।
इसलिए वीणा बजाना सीखना तो बहुत आसान है, वीणा को ठीक तार की अवस्था में लाना कठिन है। वीणा तो कोई सिक्खड़ भी बजा सकता है, लेकिन साज को बिठाना बहुत कठिन है। क्योंकि साज को बिठाने का मतलब है कि तार को समता में लाने की कला चाहिए। और (14/18)
जब भी कोई कुशल हाथ तार को समता में ले आता है, तो बड़ा काम तो हो गया। संगीत पैदा कर लेना तो फिर बच्चे भी कर सकते हैं। लेकिन उस तार को समता में ले आना! ध्यान रहे, जब तार बिलकुल सम होता है, तो तार होता ही नहीं, संगीत ही रह जाता है। और तार जब विषम होता है, तो तार ही होता (15/18)
है, संगीत नहीं होता।
मन जब अति में होता है, तो मन होता है। और जब अति खो जाती है, मध्य होता है, तो मन होता ही नहीं। चैतन्य, चेतना, आत्मा ही शेष रह जाती है।
जो इस मध्य में ठहर गया, वह अमृत में ठहर जाता है। दोनों अतियों की मृत्यु है, मध्य की कोई मृत्यु नहीं है। दोनों (16/18)
अतियों पर तनाव है। तनाव है, इसलिए क्षय होगा। तार बहुत कसे हों, तो टूट जाएंगे और तार बहुत ढीले हों और कोई खींचतान कर संगीत पैदा करने की कोशिश करे, तो भी टूट जाएंगे। तार जितनी समता में होंगे, उतना ही टूटना असंभव है। तनाव नहीं है, (17/18)
मूवी मे एक लाइन बोली गई... हर हिंदू को इस पर विचार करना चाहिए।
जब लड़की अपने पिता से कहती है,
“पापा आपने मुझे अपने धर्म के बारे में क्यों नही बताया?”
हमारा हिंदू धर्म बहुत शानदार है दुनिया का एकमात्र ऐसा धर्म है जो पूरी तरह विज्ञान पर आधारित है हमने इस (1/12)
दुनिया को कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर और अजंता और एलोरा के विशाल शिव मंदिर दिए जो आज की टेक्नोलॉजी भी नहीं बना सकती है।
हजारों साल पहले की सभ्यता यानी सिंधु घाटी की सभ्यता हड़प्पा मोहनजोदड़ो की सभ्यता तक्षशिला जिस पर इन सब चीजों पर आज पाकिस्तान गर्व करता है वह हमारे (2/12)
पूर्वजों पूर्वजों की देन है।
पाकिस्तान के एक विद्वान हसन निगार ने जब एक चैनल पर कहा कि हमारे पूर्वजों की ऐसी क्या विरासत है जिस पर हम गर्व कर सकते हैं तब समूचे हाल में सन्नाटा पसर गया और उन्होंने कहा कि आज जो पूरे दुनिया के पाकिस्तानी दूतावास में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो (3/12)
एक आदमी और उसकी पत्नी चिड़ियाघर घूमने गए। पक्षियों और जानवरों को देखते-देखते वो बंदर के पिंजरे के पास पहुंचें। वहां उन्होंने देखा कि एक बंदर अपनी मादा के साथ बड़े जोश से खेल रहा था। यह देखकर पत्नी ने बड़े उत्साह से अपने पति से कहा: देखो, कितना (1/7)
रोमांटिक जानवर है। अपनी मादा के साथ कितने प्यार से खेल रहा है। पति चुप रहा।
पति-पत्नी आगे गए, तो उन्हें शेर का पिंजरा नज़र आया। वहां उन्होंने देखा कि शेर और शेरनी दूर-दूर बड़े आराम से बैठे थे। खामोश शेर एक कोने में अकेला बैठा था जैसे शेरनी का कोई अस्तित्व ही नहीं हो। (2/7)
यह देखकर पत्नी ने थोड़े दुखी मन से कहा: कैसा जानवर है। बिलकुल अलग ही बैठा है, जैसे शेरनी को जानता ही नहीं। इनका आपस में बिलकुल प्यार नहीं लगता। पति से रहा नहीं गया।
उसने अपनी पत्नी को एक पत्थर दिया और कहा: इस पत्थर को ज़रा शेरनी की तरफ फेंको। और जैसे ही पत्नी ने शेरनी (3/7)
इस फिल्म के एक सीन में पीड़ित लड़की आखिर में अपने पिता से पूछती है, "आपने हमें कभी अपने कल्चर के बारे में क्यों नहीं बताया?"
शायद वो ये भी पूछी होगी, "आपने हमें क्यों नहीं बताया कि अपनी "हिंदू आइडेंटिटी" को खोकर मैं क्या खो दूंगी?
प्रेमचंद की एक (1/10)
बड़ी मशहूर कहानी है 'जिहाद'। उसमें एक हिन्दू लड़की है 'श्यामा'। जिसे शायद उसे उसके मां बाप ने इन प्रश्नों का उत्तर दिया होगा, उसे अपने "हिंदू कल्चर" के बारे में बताया होगा, उसे बताया होगा कि हिंदू का होना और बचना क्यूं जरूरी है तभी उसका उल्लेख आज करने की जरूरत आन पड़ी (2/10)
है।
मैं ऐसा किसलिए कह रहा हूं इसको समझने के लिए आपको थोड़ा इस कहानी में उतरना होगा और मुझे उन पंक्तियों का अक्षरशः उल्लेख करना होगा जो उस युवती श्यामा ने हिन्दू धर्म छोड़ कर विधर्मी बने युवक धर्मदास से कही थी। ये वो धर्मदास था जो धनी भी था और सुदर्शन भी और जिस पर श्यामा (3/10)
अपने को बेपर्दा करते निर्लज्जता पर उतरे “पहलवान”। आंदोलन के मकसद सामने
आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की ऐसी तैसी, “खाप पंचायत” की चलेगी।
जैसे जैसे पहलवान हठधर्मिता पर उतारू होते जा रहे हैं, उनके आंदोलन के पीछे के मंसूबे भी सामने आ रहे हैं और वे स्वयं ही साबित कर रहे हैं कि (1/12)
उनका हैंडल कोई और ही घुमा रहा है। ऐसा न होता तो सुप्रीम कोर्ट के द्वारा उनका केस बंद करने पर विनेश फोगट के कहने का क्या मतलब है कि “सुप्रीम कोर्ट / हाई कोर्ट” से पहले हमारी “खाप पंचायतें और उसमें बैठे हमारे बुजुर्ग” फैसला लेते हैं और हम उसे ही मानेंगे।
इसके अलावा बजरंग (2/12)
पुनिया जोर जोर से कहता है सारे किसानों अपने अपने ट्रैक्टर ले कर आ जाओ, होटल प्लाजा में कहते हैं 64 कमरे बुक किए हुए हैं जिनमें जा कर ये पहलवान और बाहर से आने वाले समर्थक ठहराए जाते हैं और एक दिन का किराया हर कमरे का 7600/- रुपए है। ये होटल का प्रबंध किसी स्काई हॉलीडे के (3/12)
अप्रैल 2023 में भारत सरकार ने कुल ₹ 1.87 लाख करोड़ जीएसटी संग्रह किया जो संभवतः अभी तक का सबसे ज्यादा है।
बिहार का हिस्सा 1600 करोड़ है मतलब की आप समस्त भारत के कुल जीएसटी के 1% से भी कम हैं और समस्त भारत के कुल कर संग्रह का 10% आपको चाहिए या मिल रहा है (1/6)
क्योंकि आपका जन्मदर 3% है जिसे शिक्षा के आधार पर आप कम करना चाहते हैं। जो शायद राष्ट्रीय औसत आने में अगला 20 साल लग सकता है।
विकास को लेकर भय इस कदर व्याप्त है की आप स्कूल, कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज और मालूम नही कितनी अन्य संस्थाएं सिर्फ और सिर्फ सरकारी बनाना (2/6)
चाहते हैं। यह एक भय और जिद है। कहां से लायेंगे पैसा सबको मेंटेन करने के लिए?
कमाऊ राज्यों से? कर्नाटक केंद्र को 100 देगा तो उसे वापस 30 मिलेगा। महाराष्ट्र केंद्र को 100 देगा तो उसे वापस 23 मिलेगा। बिहार केंद्र को 100 देगा तो उसे वापस 1000 मिलेगा।
दक्षिण के राज्यों में सबसे ज्यादा आरक्षण है! सुप्रीमकोर्ट की रूलिंग है कि किसी भी राज्य में 50% से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता! यह जानकर आप हैरान होंगे कि दक्षिण के तमिलनाडु में कुल आरक्षण 70% तक पहुंच गया है!
आश्चर्य की बात यह भी है कि मुस्लिमों के सामान्य वर्ग में (1/7)
होते हुए भी दक्षिण के पांचों राज्यों में मुस्लिमों को भी आरक्षण दिया गया है! कर्नाटक में मुस्लिमों को मिला 4% आरक्षण सरकार ने वापस लेकर वह कोटा दलितों को दे दिया गया है! मुस्लिम आरक्षण समाप्ति, बजरंग दल पर प्रतिबंध और बजरंगबली ऐसे मुद्दों के रूप में सामने आए हैं, (2/7)
जिन्होंने कर्नाटक चुनाव की तस्वीर बदल दी है!
चुनाव का गणित कब बदल जाए, पता नहीं चलता। ऐसा पहले भी होता आया है। लेकिन चुनाव से एक हफ्ता पहले पलट जाए, ऐसा कम ही होता है। अब तक जितने भी ओपिनियन पोल आए, सभी ने कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनवाई थी। बजरंगबली के आते ही बाजी (3/7)