sharmass27@yahoo.in Profile picture
May 7 10 tweets 3 min read Twitter logo Read on Twitter
बजरंग दल
"बजरंग दल" राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तमाम छद्म संगठनों में से एक है, "विश्व हिन्दू परिषद" से भी उग्र यह संघ का सबसे हिंसक संगठन है जिसमें संघ बेहद कम उम्र के युवाओं की भर्ती करता है।
त्रिशूल और फ़रसा इसी संगठन में छोटे छोटे बच्चों से लेकर युवाओं तक बांटें जाते हैं और इसी "बजरंग दल" के लोग देश के सभी दंगों, शोभा यात्रा में मस्जिदों और मज़ारों पर आक्रमण या भगवा फहराते हैं। गोरक्षा के नाम पर, श्रीराम के नाम पर मुसलमानों की लिंचिंग करने वाले लगभग सभी
इसी संगठन के लोग होते हैं यह एक नहीं तमाम बार सामने आ चुका है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या करके लटका‌ देने वाले भी इसी संगठन के लोग थे। उड़ीसा में ग्राहम स्टेंस और उनके बच्चों को कार में जलाकर मार डालने वाले लोग यही थे त़ो शंभू रैगर भी इसी संगठन
का था।बाबरी मस्जिद को शहीद करने वाले लोग हों या गुजरात दंगों में शामिल सभी लोग इसी संगठन के लोग थे।
"बजरंग दल" के कारगुज़ारियों का पूरा लेखा जोखा महाराष्ट्र के पूर्व आईजी आईपीएस एस एम मुशरिफ़ की पुस्तक "करकरे के हत्यारे कौन" में इनके कृत्य का पूरा लेखा जोखा मौजूद है।
अटल बिहारी वाजपेई जब प्रधानमंत्री थे और दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने "सिमी और बजरंग दल" को प्रतिबंधित करने के लिए सबूतों के साथ उनके जुर्म का पूरा लेखा जोखा भेजा था।
मगर भारत की राजनीति में बिना दाग के सफेद कुर्ता पहने ही स्वर्गवासी होने वाले अटल बिहारी वाजपेई ने सिमी को तो प्रतिबंधित कर‌ दिया मगर बजरंग दल को छोड़ दिया।

वह अटल बिहारी वाजपेई जिन्होंने दाऊद इब्राहिम के साथ संबंधों के कारण टाडा में बंद बृजभूषण शरण सिंह को पत्र लिखकर
उन्हें सांत्वना देते रहे।
देश में किसी भी उग्र और हिंसक संगठन के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए, और "बजरंग दल" देश का सबसे हिंसक और उग्र संगठन है।

निश्चित रूप से इन जैसे सभी संगठनों पर प्रतिबंध लगना चाहिए, मगर हैरान हूं कि प्रधानमंत्री ऐसे संगठन को हनुमान जी से जोड़
कर कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं। तब जबकि बजरंग दल ना कोई धार्मिक संगठन है ना कोई आध्यात्मिक संगठन है नो उसका बजरंग बली से कोई संबंध है।
दरअसल सत्ता के लिए यह लोग कुछ भी कर सकते हैं। यह रावण की तरह कई मुख रखते हैं, हर मुंह अलग अलग बातें करते हैं |

० Bindo Singh
#आरएसएस #RSS #बजरंगदल #vss Image
Image

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with sharmass27@yahoo.in

sharmass27@yahoo.in Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @sharmass27yaho1

May 7
ये है इनकी नौ साल की उपलब्धि कि एक राज्य कर्नाटक का चुनाव जीतने के लिए इन्हें

केरल स्टोरी जैसी बाहियत प्रोपेगैंडा फिल्म, जिसमें एक पूरे राज्य केरल का अपमान किया गया है, का सहारा लेना पड़ रहा है।

और बजरंग दल तथा बजरंग बली को समान बताने का अपराध करना पड़ रहा है।
यहां तक कि डियर स्मृति ईरानी को दावा करना पड़ रहा है कि उन्होंने प्रियंका गांधी को नमाज पढ़ते हुए देखा।

डियर मोहन भागवत, इस तरह की हरकतों से तात्कालिक फायदा ये हो सकता है कि ये लोग कर्नाटक चुनाव जीत जाएं।

लेकिन दीर्घकाल के लिए तो ये संघ मुक्त भारत की नींव ही रखी जा रही है।
क्या आप उस समय की कल्पना कर पा रहे हैं मोहन जी, जब जनता धुर्वीकरण के जाल में फंसने से इंकार कर देगी? शायद नहीं।

ध्यान रखिए, जनता धुर्वीकरण के जाल में निरन्तर नहीं फंसती रहेगी। आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, परसों नहीं तो नरसों, उसकी समझ में आ जाएगा कि दूध में कितना पानी है।
Read 4 tweets
May 7
ग़लती मोदी जी की नहीं है ।
ठंढे दिमाग़ से सोचिए । अगर ६० लाख लोग कोरोना कुप्रंधन के चलते मर जाते हैं और आप फिर भी मोदी को वोट देते हैं, तो मोदी सरकार को स्वास्थ्य सेवा सुधारने की ज़रूरत क्या है?
यदि देश में पिछले ४५ सालों में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी है और आप फिर भी मोदी को वोट देते हैं, तो सरकार को रोज़गार पैदा करने की ज़रूरत क्या है?

अगर डॉलर के मुक़ाबले रुपया ऐतिहासिक स्तर पर कमज़ोर हुआ है और आप फिर भी अच्छे दिनों की आशा में मोदी को वोट देते हैं,
तो सरकार को अर्थव्यवस्था ठीक करने की ज़रूरत क्या है?

यदि देश भर में ६६ हज़ार स्कूलों के बंद होने से आपको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है तो सरकार को शिक्षा पर खर्च करने की ज़रूरत क्या है?
Read 6 tweets
May 7
सनसनाता हुआ विष - बाण उस आदमी की छाती पर जा लगा ।
लोग उसे वैद्यजी के यहाँ ले गये ।
आदमी वैद्यजी से कहने लगा कि इलाज से पहले यह निश्चय करना होगा कि >>> वह बाण किस दिशा से आया था ?
बाण चलानेवाला कौन था ?
बाण चलानेवाला किस जाति का था ?
वह पतला था या मोटा था , काला था या गोरा था ?
उसने बाण क्यों चलाया ? कैसे चलाया ?
यदि उसने बाण न चलाया होता , तो क्या होता ?
वह आदमी अपनी अकल चलाने लगा !
वैद्यजी बोले >> भले आदमी , एक पल भी बहुत कीमती है , अपनी अकल मत चला , एक पल की भी देरी हुई तो
तू मर जायेगा ! जीवन में फिर कभी समय मिले तो इन बातों पर बहस करते रहना ,इस समय तुझे इलाज की जरूरत है । इस समय इन बातों का कोई महत्त्व नहीं है !
ऐसी ही बात आज देश की है । देश के लोगों का जीवन नाना प्रकार की समस्याओं से ग्रस्त है , प्रशासन का ढाँचा जर्जर हो चुका है ,
Read 6 tweets
May 7
क्या कभी किसी प्रधानमंत्री ने किसी फिल्म का प्रचार किया था? फ़िल्म भी वो, जो झूठे तथ्यों पर बनी हो? कोई फ़िल्म अच्छा संदेश देती हो, तो उसका प्रचार करना बुरा नहीं है, लेकिन जो फ़िल्म समाज को बांटती हो, उसका प्रचार करना किसी प्रधानमंत्री के लिए कितना सही है?
पहले कहा गया कि फ़िल्म 32 हज़ार हिन्दू लड़कियों की कहानी है। जब जवाब देने के लिए कहा गया तो ये संख्या तीन रह गई। अब सुना है कि फ़िल्म की शुरुआत में कहा गया है कि इस फ़िल्म के सभी पात्र काल्पनिक हैं। ये कितना सही है, मुझे नहीं मालूम। प्रधानमंत्री से लेकर गोदी मीडिया तक
फ़िल्म द केरला स्टोरी का प्रचार कर रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने उसे टैक्स फ्री कर दिया है। कश्मीर फाइल्स के बाद द केरला स्टोरी दूसरी ऐसी फिल्म है, जो विशुद्ध रूप से साम्प्रदायिक आधार पर बनाई गई है।जब सरकारें ही प्रोपेगेंडा फिल्मों का प्रचार करेंगी तो समझ लीजिए किस एजेंडे पर काम
Read 4 tweets
May 7
मौखिक तंत्र से चलता शासन, तानाशाही और गंदी राजनीति का एक और नमूना

क्या इसपर उपराष्ट्रपति कुछ बोलेंगे? या फिर राष्ट्रपति जी कुछ बोलेंगी?

दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रॉक्टर ने कहा राहुल गांधी यूनिवर्सिटी में बिना परमिशन के आए थे, हम कार्यवाही करेंगे
लंदन में राहुल ने कहा था यूनिवर्सिटी में विपक्ष के नेताओं को नहीं जाने दिया जाता न ही प्रोग्राम में बुलाया जाता है

कल कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रावास के दौरे पर विश्वविद्यालय की प्रॉक्टर रजनी अब्बी कहती हैं, ImageImage
''हम विश्वविद्यालय को राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनाना चाहते हैं. इसके लिए जो भी जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।"

आगे कहती हैं: हमारी आपत्ति है कि राहुल गांधी ने अनधिकृत रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय का दौरा किया। ये कोई पब्लिक प्लेस नहीं है जो आप घूमते-घूमते पहुंचे हैं।
Read 8 tweets
May 7
मणिपुर के पहाड़ों और जंगलों में मिनरल की भरमार है..लाइमस्टोन, निकेल, कॉपर, क्रोमाइट और बहुत सारे मिनरल है जो दुनिया में मुश्किल से मिलते हैं..

मणिपुर के पहाड़ों और जंगलों में 'ईसाई आदिवासी रहते है..ये जंगल मणिपुर का 90% हिस्सा है..
थोड़ी बहुत माइनिंग कांग्रेस के वक़्त से हो रही है पर मोदी की भूक मिटने का नाम नहीं लेती..

मणिपुर में "धारा 371" लागू है और इस वजह से ग़ैर आदिवासी पहाड़ी ज़मीन नहीं ख़रीद सकते..यहाँ "ग़ैर आदिवासी" का मतलब "मितरों उद्योगपति" समझिए..
यकायक मणिपुर के हिंदुओं को "आदिवासी" बनाया गया..तो अब वो भी ज़मीन ख़रीदने के हक़दार बन गए.."मूल आदिवासियों" को खेल समझ आ गया..

एकबार अगर "नए आदिवासी" ज़मीन ख़रीदने लगे तो "मितरों उद्योगपति" अपना ख़ज़ाना खोल देंगे और मूल आदिवासीयों का जंगल से खदेड़ा होना तए है..
Read 4 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(