#धर्मसंसद
कल और आज के प्रश्न एक दूसरे के पूरक हैं। बिना कद्रू के विनता की और बिना विनता के कद्रू की कहानी अधूरी है।इन दोनों के विषय में कल से शुरू हो कर आज तक बहुत कुछ बताया जा चुका है। विशेषकर प्रेरक अग्रवाल जो अपनी वैज्ञानिक व्याख्या के लिए जाने जाते हैं ने बहुत
विस्तार से जानकारी दिया है।नीलम मिश्रा सत्यवती का उत्तर भी सराहनीय रहा है। कहानी तो पता ही है कि सूर्य के घोड़े की पूंछ काली है कि सफेद इसी पर छुआ खेला गया था और इसमें छल से बड़ी बहन कद्रू जीत गई थी जिसके कारण विनता को आजीवन कद्रू की दासी बनना पड़ गया था।इसी
दासत्व से मां विनता को मुक्त कराने के लिए गरुड़ जी को इंद्र से युद्ध करके अमृत कलश लाकर नागों को देना पड़ा था। यह और बात है कि नारद मुनि के सुझाव के अनुसार गरुड़ जी नागों को अमृत पीने नहीं दिया और वचन के अनुसार मां विनता को कद्रू के दासत्व से मुक्त करा लिया था।
दोनों सौतों का यह विद्वेष यह वैर भाव दोनों ही की संतानों पर सदैव के लिए पड़ गया।आज भी पक्षी और नाग एक दूसरे के शत्रु होते हैं। गरुड़ पक्षी तो आमतौर पर दिखाई नहीं पड़ते हां उनके प्रतिरूप मोर आज भी नागों को जहां भी देखते हैं आक्रमण कर देते हैं।अब यहां प्रश्न उठता है कि
प्रजापति दक्ष की कितनी कन्याओं का विवाह ऋषि कश्यप के साथ हुआ था। अधिकांश पुराणों से पता चलता है कि दक्ष की जिन १३ कन्याओं का विवाह कश्यप के साथ हुआ था उनमें विनता कद्रू पतंगी और यामिनी नहीं हैं। जबकि यह चारों दक्ष प्रजापति की कन्या थीं।इनका विवाह ऋषि कश्यप के साथ न होकर
तारक्ष्र्य कश्यप के साथ हुआ था। बहुत संभव है कि यह तार्क्ष्य कश्यप
मरीचि के पुत्र ऋषि कश्यप के भाई या भतीजे रहे होंगे। जो भी हो इन चारों का ही सृष्टि रचना में विशिष्ट योगदान रहा है। यहां एक और बात पर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि यह गरुड़ अरुण और नाग कोई
पक्षी अथवा सरीसृप (raptile) प्रजाति के जीव नहीं बल्कि संपूर्ण रूप से मानव ही थे। किसी भी प्राणी का जन्म बिना स्त्री पुरुष संसर्ग से संभव नहीं है। आधुनिक विज्ञान भी इस अवधारणा को नहीं मानता। प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि कद्रू के जिन आठ पुत्रों का उल्लेख मिलता है उनके नाम
क्रमशः शेष, वासुकी, अनन्त, कर्कोटक पद्म महापद्म शंख और तक्षक हैं।इन सभी ने सतयुग से लेकर द्वापरयुग तक बड़े-बड़े साम्राज्य स्थापित किए थे। काशी नगरी के अधिपति कभी नाग ही हुआ करते थे। कश्मीर के सम्राट ललितादित्य मुक्ता पीड और विनयादित्य जयापीड इसी कर्कोटक वंश के थे।
गुप्त काल में पद्मावती नागों की एक और प्रमुख राजधानी हुआ करती थी जिसे आजकल पुवायां तहसील कहते हैं।कभी मथुरा अवंतिका विदिशा भी नागों के अधीन था।इनके वंशज आज भी पाए जाते हैं जो अब सनातन धर्म की चारों शाखाओं में समाहित हो चुके हैं। धन्यवाद। जय
आखिरकार केजरीवाल अपने रहने के लिए ४५ करोड़ रुपए का शीशमहल क्यों न बनवाएं जब उन्हें पता है कि वे आजीवन दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और मरने के बाद उनके वंशजों का ही दिल्ली पर राज रहेगा।2 करोड़ की आबादी वाले दिल्ली में मुख्य निवासियों की संख्या केवल 15% है।
35% पाकिस्तानी शरणार्थी और पंजाबी रहते हैं जिनमें पंजाबी ब्राह्मण खत्री जाट गूजर वैश्य और सिक्ख लोग रहते हैं। यह लोग मुख्य रूप से चाणक्य पुरी मयूर विहार बसंत विहार ग्रेटर कैलाश जैसी दिल्ली की पाश कालोनियों में एसी कमरों में रहते हैं जो कभी भी वोट नहीं देने जाते हैं।
शेष ५० लाख यूपी बिहार के दिहाड़ी मजदूर और ४०लाख रोहिंग्या बंग्लादेशी मुस्लिम रहते हैं जिन्होने ने २०० युनिट बिजली और
२०० लीटर मुफ्त पानी के लिए अपने स्वाभिमान को केजरीवाल के हाथों गिरवी रख दिया है।याद रखें कि पूर्वांचल और बिहार के यह वही मजदूर हैं जिन्हें कोरोना के समय
कहानी 'तेरे बाप ने मेरे बाप को गाली दिया था' । एक पहाड़ी नहीं के ऊपर की ओर एक भेड़िया पानी पी रहा था और नीचे की तरफ एक मेमना (भेंड़ के बच्चे को मेमना कहते हैं) । भेड़िया मेमने को खाना चाहता था इसलिए बहाना ढूंढ रहा था। कुछ देर सोचकर उसने मेमने से कहा कि मैं तुम्हें
खा जाऊंगा क्योंकि तुम मेरा पानी जूठा कर रहे हो। मेमने ने कहा हुजूर मैं तो धारा के नीचे पानी पी रहा हूं तो आपका पानी जूठा कैसे हो गया? निरुत्तर भेड़िया केजरीवाल की तरह डीठ था और तुरंत नया बहाना बनाया कि ६ महीने पहले तुमने मुझे गाली दिया था। मेमने ने फिर कहा हुजूर ६ महीने पहले
तो मेरा जन्म ही नहीं हुआ था। मैं तो अभी ३ महीने का हूं। अब तो भेड़िया एकदम बेहयाई पर उतर आया और कहा कि तूने नहीं बल्कि तेरे बाप ने मेरे बाप को गाली दिया था यह कहकर मेमने को खा गया। यह कहानी त्रेतायुग की है जो कलयुग में बदलकर हो गई है तेरे बाप ने मेरे को जज बनाया था
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आज कई दिनों बाद उत्तर देने की स्थिति बनी है। पिछले दो दिनों से कुछ अपरिहार्य कारणों से उत्तर नहीं दे सका तो कुछ खाली खाली सा लगा था।आप लोगों के उत्तर पढ़ता रहा पर स्वास्थ्यगत कारण से समीक्षा नहीं कर पा रहा था। आज भी आप लोगों विशेषकर प्रेरक अग्रवाल शशिबाला राय
नीलम मिश्रा सत्यवती ने इतना व्यापक विवरण दिया है कि कुछ और कहने की जरूरत नहीं है।बस औपचारिकता पूरी करते हुए केवल इतना ही कहना है कि दनु प्रजापति दक्ष की तीसरी पुत्री और ऋषि कश्यप की तीसरी पत्नी भी थीं। एक बात और प्रेरक अग्रवाल ने स्पष्ट कर दिया है कि असुर दैत्य
राक्षस ये तीनों अलग-अलग प्रजातियां थीं न कि एक है जैसी कि भ्रामक धारणा पाई जाती है। तीनों युगों सतयुग त्रेतायुग द्वापरयुग तक इनकी अलग-अलग शाखाएं चलती रहीं।इन सबका समापन महाभारत युद्ध के साथ ही हो गया था और सब मिलकर सनातन धर्म में समाहित हो गए। कदाचित महाभारत युद्ध का एक
गांव देहात में एक कहावत कही जाती है कि जो गुड़ खाके मरता हो उसे जहर देने की क्या जरूरत है। कांग्रेस उसी को चरितार्थ कर रही है। कर्नाटक चुनाव में अच्छी खासी बढ़त हासिल थी पर पता नहीं कैसे चुल्ल मची कि अपनी पुरानी रणनीति को ताक पर रख दिया। सिद्धरमैया और शिवकुमार ने
बडी मुश्किल से रणनीति बनाया था और राहुल गांधी को भी राजी कर लिया था कि चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाएगा। मोदी को सीधे निशाने पर नहीं लिया जाएगा पर किसी नियम में बंधा रहे तो वह कांग्रेसी कैसा। मल्लिकार्जुन खड़गे खड़क गए और सीधे-सीधे मोदी को जहरीला सांप बता दिया।
मोदी तो इस विद्या के मास्टरमाइंड हैं सो ले उड़े। इतना ही कम नहीं था बल्कि लिखा कुछ और था। अपने चुनावी घोषणा पत्र बजरंग दल को बैन करने का वादा कर दिया जैसे कि बजरंग दल कोई आतंकवादी संगठन हो। हंगामा होना था वो हो गया।अभी तक भाजपा की युवा विंग बजरंग दल अलसाई पड़ी थी
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आज एक ट्वीट बहस में ऐसा फंसा कि देर हो गई। आप सभी नियमित लेखकों ने ने अच्छा उत्तर दिया है। सदैव ही की नीलम मिश्रा ने परिश्रम के साथ लिखा है।बहन शशिबाला राय सत्यवती गोविंद मिश्र प्रेरक अग्रवाल ने बहुत सुन्दर वर्णन किया है। विशेषकर प्रसंशा करना चाहूंगा
बहनों शशिबाला राय सत्यवती और प्रेरक अग्रवाल की क्योंकि यह लोग केवल गूगल सर्च पर आधारित नहीं रहते बल्कि उत्तर में वेदों पुराणों धर्म शास्त्रों का उद्धरण देते हुए सप्रमाण उत्तर देते हैं। थोड़ा सा प्रयास और लोग भी करें तो अच्छा होगा।जैसा विद्वान उत्तर दाताओं ने
बताया है कि विदुषी अपाला ऋषि अत्रि की पुत्री थी जो अंत तक माता-पिता के साथ रहीं। जानते ही होंगे कि महासती अनुसुइया की परीक्षा लेने ब्रह्मा विष्णु महेश आए थे।वरदान में माता अनुसूया ने कहा था कि आप तीनों मेरी कोख से जन्म लें। इस तरह ऋषि अत्रि अनुसुइया के तीन पुत्र
अतीक और मुख्तार अंसारी की कार्य प्रणाली में कुछ समानता थी तो कुछ अंतर भी था। दोनों ने अपने अपने प्रतिद्वंद्वी विधायकों की हत्या कर दिया था। इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा चुनाव में जब राजू पाल ने अतीक के भाई अशरफ को हरा दिया था उसके छ महीने के भीतर ही अतीक अहमद ने
राजू पाल की दिनदहाड़े धूमनगंज चौराहे पर हत्या कर दिया था। ठीक इसी प्रकार जब मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को मुहम्मदाबाद चुनाव कृष्णानंद राय ने हरा दिया था तब मुख्तार अंसारी ने अपने शूटरों मुन्ना बजरंगी अताउर्रहमान फ़िरदौस संजीव माहेश्वरी हनुमान पांडे द्वारा
भांवरकोल क्षेत्र में हत्या करवा दिया था। आश्चर्य की बात है कि हनुमान पांडे उर्फ राकेश ने मुख्तार अंसारी के कहने पर कृष्णानंद राय की चुटिया काट लिया था और मुख्तार अंसारी को गिफ्ट कर दिया था। खैर बाद हनुमान पांडे को यूपी एसटीएफ के एस एस पी अमिताभ यश ने एनकाउंटर में