‘‘ठीक है माफ किया!’’
‘‘जी चाहता है गर्दन पर उस्तरा चला दूं!’’
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2- ‘‘क्या बकते हो?’’
‘‘बापू आपकी नहीं, बकरी की!’’
‘‘मतलब!’’
‘‘वह मेरा हरिजन अखबार खा गई, उसमें कितनी सुंदर बात आपने लिखी थी!’’
‘‘भई कौन से अंक की बात है??
‘‘बापू आपने लिखा था कि "छल से बाली का वध करने वाले राम को भगवान तो क्या मैं इनसान भी मानने को तैयार नहीं हूं.." और..
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3- आगे लिखा था.."सत्यार्थ प्रकाश जैसी घटिया पुस्तक पर बैन होना चाहिए, ऐसे ही जैसे शिवा बावनी पर लगवा दिया है मैंने!’’
आंखें लाल हो गई थी पुन्नीलाल की!
‘‘तो क्या बकरी को यह बात बुरी लगी??"
‘‘नहीं बापू.. अगले पन्ने पर लिखा था "सभी हिन्दुओं को घर में महाभारत नहीं रखनी..
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4- चाहिए, क्योंकि इससे झगड़ा होता है और रामायण तो कतई नहीं, लेकिन कुरान जरूर रखनी चाहिए!"😏
पुन्नीलाल सोच रहा था.."बकरी तो इसलिए अखबार खा गई, कि हिन्दू की बकरी थी ना, सोचा हिन्दू के घर में कुरान होगी तो कहीं मेरी संतान को ये हिन्दू भी बकरीद के मौके पर काट कर न खा जाएं!!’’😜
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5- पुस्तक :- मधु धामा लिखित, इतिहास की अनकही प्रामाणिक कहानियां, का एक अंश..!!🙏🙏
■ वो जो शिवाला है ना ? मेरे परदादा के दादा ने 250 साल पहले बनवाया था!
■ वो जो धर्मशाला है ना ? मेरे दादाजी के पिता ने 100 साल पहले बनवाया था!
■ वो जो तालाब है ना, मेरे दादा जी ने गांव भर के साथ मिलकर इसमें श्रमदान किया था ?
■ यह जो इमली का..
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2- बाग है ना ? मेरी नानी ने लगवाया था! जिसके फल आज हम-तुम खा रहे हैं!
■ और अपनी बता अब्दुल..
■ मेरे परदादा के इकलौते बाप ने औरंगजेब के कहने पर धोती उतार सलवार पहनी थी!
■ फिर वो औरंगजेब के "गुसलखाना गुमाश्ता" बन गए!
■ मेरी नानी के 27 बच्चे हुए, उनकी औलादों से यह..
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3- यह मोहल्ला बसा, आज हम 27000 हैं!
■ मेरे बाप की चार अम्मी हैं, उनमें से एक बांग्लादेशी घुसपैठन और दो पाकिस्तानी हैं! अफगान अम्मी का निकाह मामू से हो गया है, अब मामीजान हैं!
■ मेरे नाना जी "पाकिस्तान" की बुनियाद डालने वाले जिन्नाह साहब के जूते पोंछते थे!
1- सनातनी शास्त्रों में हमें लोभ और अहंकार आदि से दूर रहने की चेतावनी दी गई है..
साथ ही ये बताया गया है कि.. ये दोनों हमारे विनाश का कारण है..👌👍
यहाँ ध्यान देने योग्य बात है कि.. हमारे शास्त्र हिन्दी नहीं बल्कि संस्कृत में लिखे गए हैं..
तो, शास्त्रों में लोभ या अहंकार..
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2- शब्द नहीं बल्कि 'मोह' और "मद" शब्द लिखा गया है..🤔
इस तरह उसे सही अर्थों में पढ़ने से पता चलता है कि हमारे शास्त्र "मोह+मद" से हमें दूर रहने को बता रहे हैं और उसके बारे में चेतावनी दे रहे हैं कि अगर उन्हें नहीं त्यागा तो वे तुम्हारे सर्वनाश का कारण बन सकते हैं..
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3- अब चूँकि... शास्त्र काफी पुराने हो चुके हैं और "मोह+मद" के काफी अनुयायी भी हो चुके हैं..
इसीलिए, अब शास्त्रों की उक्ति को "मोह+मद एवं उनके अनुयायियों को त्यागने" के संबंध में समझा जाना चाहिए..!!😳😜
वो क्या है न कि.. ज्ञान प्राप्त करने हेतु हर समय रात के अंधेरे में..
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