आर्मी के हेडक्वार्टर मे पब्लिक घुस गई, देश भर मे इमरजेंसी के हालात है। बम फूट रहे, आंसू गैस चल रही, जनजीवन अस्तव्यस्त है।
पूरी तहरीके इंसाफ पार्टी सड़कों पर है।
मजा आ गया, भई वाह, कितना ही रोबस्ट विपक्ष है।
विपक्ष ऐसा दमदार होना चाहिए। एक हमारे यहां है, साला, एक नंबर का चोमू विपक्ष। जिसका लीडर सजायाफ्ता-अयोग्य हो चुका है, भ्रस्टाचार, शोषण, बलात्कार, अपहरण देशद्रोह के लिए नही ...
इसलिए कि वो चोर को चोर बोल देता है।
उसके साथ इतना बड़ा अन्याय हो गया, कांग्रेस ने चूं न किया।
कल को जेल चला जाएगा, तो भी फुनगा न उखडे़गा। आखिर शिक्षा के मसीहा मनीष सिसोदिया को जेल भर दिया, तो आम आदमी पार्टी के समर्थकों ने कौन से आपातकाल के हालात बना दिये??
भई। भारत मे दमदार विपक्ष तो 1974 मे था,
एकदम्मे जिंदा कौम, जो 5 साल का इंतजार नही करती।
5 तो छोड़, 1 साल मे ही इलेक्शन था, मगर इंतजार को तैयार न थी। ट्रेने फूंकी, बस जलाई, हड़ताले की, तालाबन्दी की, विधानसभा घेरी..
सेना पुलिस से सरकार की हुक्मउूदली का आव्हान किया।
रेलमंत्री को बम ब्लास्ट मे मार दिया भाई .. और कितना सशक्त विपक्ष चाहिए।
अच्छा विपक्ष अराजकता का आवाहन करता है। मंच से कविता पढ़ता है - सिंहासन खाली करो जनता आती है
और जनता (पार्टी) सत्ता मे आ जाती है।
टुईं!!
दरअसल जैसे एक "मैच्योर सत्ता" होती है, वैसे "मैच्योर विपक्ष " भी होता है। यूरोप मे आप वो मैच्योरिटी देखते है।
वहां एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन से सत्ता बात को समझ लेती है, तुरंत समाधान करती है।
मगर इमेच्योर सत्ता, जब तक सिर पर हथौड़ा न मारा जाए, सड़को पर दौड़ा कर कुत्ताघसीटी न की जाए, वह बात समझने को तैयार नही होता। पाकिस्तान मे सत्ता और विपक्ष दोनो इम्मेच्योर है। यह अच्छा कांबिनेशन है।
भारत मे सत्ता इमेच्योर है, विपक्ष मैच्योर।
जरा खराब कांबिनेशन है।
मैच्योर विपक्ष समझता है कि जनता को अराजकता, हिंसा और कानून के डिसरिगार्ड के लिए प्रेरित करना ,राष्ट्र की उम्र घटाता है, व्यवस्था को कमजोर करता है। एक दिन इस व्यवस्था को हैण्डओवर लेना है ही है..
तो जनता को इसके डिसरिगार्ड की आदत क्यो लगाऐ।
मगर मैच्योर विपक्ष और इमैच्योर सत्ता का कांबिनेशन, बड़ा धीरज मांगता है। राहुल ने वो धीरज दिखाया है।
इसलिए यह सीन जो तहरीके इंसाफ पाकिस्तान मे दिखा रही है, भारत मे कांग्रेस नही दिखा सकती।
इसलिए कि इमरान के विपरीत, राहुल कभी भी, अपनी पार्टी और जनता से सड़को पर आकर..
आगजनी का आह्वान नही करेंगे।
श्रद्धेय पैदल यात्रा पर थे।
राह में उन्हें प्यास लगी।
श्रद्धेय ने देखा कि एक बुढ़िया कुएं से पानी खींच रही है।
श्रद्धेय बोले :- "डोकरी! पानी पिलाओ बड़ा पुण्य होगा" !
स्त्री बोली :- मैं तुम्हें जानती नहीं. अपना परिचय दो।
मैं अवश्य पानी पिला दूंगी।
श्रद्धेय ने कहा :- मैं 'पथिक' हूँ, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री बोली :- "तुम पथिक कैसे हो सकते हो" ? , पथिक तो केवल दो ही हैं सूर्य व चन्द्रमा, जो कभी रुकते नहीं ! हमेशा चलते रहते हैं। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ।
श्रद्धेय बोले:- अरे डोकरी!
मैं पथिक हूं!
हीरामंडी का पथिक।
हमेशा हीरामंडी या जीबी रोड की यात्रा पर रहता हूं।
इन दोनो जगह मेरी मेहमान की तरह आवभगत होती है।
मैं इतना हठी हूं कि पुलिस चौकी के सामने होने पर भी जीबी रोड के कोठा नंबर 64 में घुस जाता हूं।
11 मई।सुबह से अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा इसी दिन 1998 में भारत के (दूसरे) परमाणु परीक्षण पर पोस्ट पर पोस्ट पढ़ रहा हूँ…कमाल ये कि ज़्यादातर याद भी ना कर रहे हैं कि भारत ने पहला परमाणु परीक्षण 1974 में ही कर लिया था और विश्व की गिनी चुनी परमाणु शक्तियों में शामिल हो गया था!
वाजपेयी वाले ने तो बस पाकिस्तान को भी परमाणु राष्ट्र बन जाने का मौक़ा दिया था! यूँ संघियों ने हमेशा पाकिस्तानपरस्ती की है- हद यह कि वाजपेयी कारगिल के बाद भी पाकिस्तान गए थे! आज वाले तो बिना बुलाए पहुँच लेते हैं!
ख़ैर, इस पर मुझे हमेशा अल्बर्ट आइन्स्टायन याद आते हैं- दुनिया में बस दो चीजें असीमित हैं- पहली मानव मूर्खता और दूसरी ब्रह्मांड- और दूसरे के बारे में मैं निश्चित नहीं हूँ ।
सो बात हो रही थी भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण की। 11 मई 1998 को तो वो हुआ, हफ़्ते भर बाद पाकिस्तान ने
नंगेली का नाम केरल के बाहर शायद किसी ने न सुना हो....किसी स्कूल के इतिहास की किताब में उनका ज़िक्र या कोई तस्वीर भी नहीं मिलेगी !
लेकिन उनके साहस की मिसाल ऐसी है कि एक बार जानने पर कभी नहीं भूलेंगे, क्योंकि नंगेली ने स्तन ढकने के अधिकार के लिए अपने ही स्तन काट दिए थे !
केरल के इतिहास के पन्नों में छिपी ये लगभग सौ से डेढ़ सौ साल पुरानी कहानी उस समय की है जब केरल के बड़े भाग में ब्राह्मण त्रावणकोर के राजा का शासन था !
जातिवाद की जड़ें बहुत गहरी थीं और निचली जातियों की महिलाओं को उनके स्तन न ढकने का आदेश था !
उल्लंघन करने पर उन्हें 'ब्रेस्ट टैक्स' यानी 'स्तन कर' देना पड़ता था !
केरल के श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में जेंडर इकॉलॉजी और दलित स्टडीज़ की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. शीबा केएम बताती हैं कि ये वो समय था जब पहनावे के कायदे ऐसे थे कि एक व्यक्ति को देखते ही उसकी जाति की
केरला स्टोरी…..
"राजनीति अक्सर नजर को धुंधला कर देती है और दिमाग को कुंद। राजनीति से उत्त्पन्न इस दृष्टि दोष को हायपरमेट्रिया कहा जाता है। इसमें नजदीक की चीज धुंधली और दूर की चीज साफ नजर आती है।"
अभी आयी फ़िल्म केरला स्टोरी को लेकर मुझे अचानक ये दृष्टि दोष याद आ गया। देश के सुदूर कौने में घटी घटना ने लोगों को उद्वेलित कर दिया। क्योंकि ये एक खास वर्ग से सम्बंधित थी और इसे खास मकसद से बनाया गया लगता है। लेकिन ऐसे व्यक्तियों को अपने आस पड़ोस में घटने वाली
घटनाओं की खबर नही होती और न ही पड़ोस की घटनाएं उन्हें उद्वेलित करती हैं।
जैसे प्रसिद्ध व्यक्ति लाइम लाइट में बने रहने के लिए कुछ न कुछ करते रहते हैं वैसी ही सरकारें भी हैं। ये भी ऐसी फिल्मों को, बयानों को प्रमोट कर लोगों का ध्यान वास्तविक समस्याओं से हटाती रहती है।
चिंटू - मास्टर जी, ये बीजेपी पिछले 60 साल का हिसाब क्यों नहीं दे रही है ? कब देगी ?
मास्टर जी - अयं !! अरे चिंटू 60 साल का हिसाब तो कोंग्रेस देगी न। बीजेपी कैसे दे देगी ?
चिंटू - मास्टर जी, क्या बेवकूफ बना रहे हो मुझे। हिसाब तो बीजेपी देगी। कोंग्रेस क्यों देने लगी ?
मास्टर जी - अरे चिंटू, सत्ता में तो 60 साल तक कोंग्रेस थी न। तो 60 साल में जो घोटाले कोंग्रेस ने किये है उनका हिसाब तो कोंग्रेस ही देगी न ?
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चिंटू - अरे, किसने कहा आपसे ये ?
मास्टर जी - अरे सभी यही कह रहे है, कोंग्रेस को अपने 60 साल के घोटालो का हिसाब देना चाहिए।
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चिंटू - मास्टर जी, दुनिया में कोई ऐसा आदमी मिलेगा जो खुद ही घोटाले करे और खुद ही उनका खुलासा भी कर दे !!!
मास्टर जी - नहीं ऐसा तो कोई नहीं करेगा।
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चिंटू - तो बस। फिर आप कोंग्रेसियो को इतना फ़रिश्ता समझते हो क्या कि वे अपने घोटालो का हिसाब खुद जनता को देंगे ?
WE INDIANS CAN'T IGNORE GODS & GODDESSES OF EGYPT: IS HINDUTVA IN DANGER NOW?
हम दो साल से मिस्री भगवान, देवी, देवताओं और सभ्यता पर लिख रहे हैं और अब यह 'हिन्दुस्तान अखबार' भगवान शिव और देवी सेकमेत का #मज़ार भी निकाल लिया।
मिस्र के 5,000-7,000 साल पूराने मंदिरों मे आज भी शिव जी और उन की पत्नी सेकमेत जो मिस्र के सब से बडे भगवान और देवी थे उन की मूर्ती और तस्वीर है।मगर यह हिन्दुस्तान अखबार 367-366 ईसा पूर्व लिख रहा है और क़ब्र निकाल दिया!
इराक़ मे इब्राहिम अलैहिसल्लाम के वालिद बहुत बडे मूर्तीकार थे।मगर वहॉ उस समय जो पुरूष बहुत ताक़तवर,या बडा राजा या बहुत गुणी होता था वह भी भगवान हो जाता था और पूजे जाते थे।अरब के ज्यादा तर देवी या देवता इसी तरह के थे मगर मिस्र की सभ्यता मे सूरज देवता और समुंदर मंथन से भगवान शिव जी