नसे गर्व आंगी सदा वीतरागी।
क्षमा शांति भोगी दयादक्ष योगी॥
नसे लोभ ना क्षोभ ना दैन्यवाणा।
इहीं लक्षणी जाणिजे योगिराणा ॥१३४॥
#मनाचे_श्लोक
“Shri Manache Shlok” — Shloka/Verse 134 — a Dialogue With Our Mind
ज्याच्या अंगी गर्व नसतो, जो निरिच्छ असतो, ज्याच्याकडे दया, क्षमा आणि शांती उदंड असतात, ज्याला कशाचाही राग, लोभ नसतो आणि तरी पण जो दीनवाणा नसतो, अशी सर्व लक्षणे असणारा खरा योगीराज जाणावा.
Il जय जय रघुवीर समर्थ ll
Meaning
The one who does not have any pride or ego, does not have passions or desires for earthly pleasures, and who rejoices in pardon and peace, is always compassionate, does not have greed, nor anger,
but still is not pitiable, know that these are the signs of the royal amongst the yogis.
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
‘गले में, छाती में अथवा पेट में जलन होना, पेशाब में जलन होना, शरीर पर फुंसियां आना; आंखें, हाथ अथवा पैर गरम होना, मासिक धर्म के समय अधिक रक्तस्राव होना, शौच के मार्ग से रक्त गिरना ।
२. घरेलु औषधियां
अ. चाय का १ चम्मच सब्जा के (अथवा तुलसी के) बीज एक पाव कटोरी पानी में ८ घंटे भिगो दें । तदुपरांत उसे कपभर दूध में डालकर शाम को पीएं
#Thread
आयुर्वेद की औषधियां एवं उनकी समाप्ति तिथि (एक्सपायरी डेट)
आयुर्वेद के चूर्ण, गोलियां, दंतमंजन, केश तेल इत्यादि औषधियों पर निश्चित समाप्ति तिथि (एक्सपायरी डेट) लिखी होती है । इस दिनांक के उपरांत औषधि लेने पर, उसका कुछ दुष्परिणाम होता है क्या ?
मान लीजिए अमुक वर्ष की ३१ जुलाई को यह दिनांक किसी औषधि की समाप्ति तिधि हो, तो उस वर्ष १ अगस्त को वह औषधि लेने पर क्या वह विष बन जाएगी ?
1.Pain or itching in the throat, and any type of cough
‘1 – 2 tablets of ‘Chandramrut Ras’ medicine should be chewed slowly 2 to 3 times in a day.’ – Vaidya Meghraj Madhav Paradkar, Sanatan Ashram, Ramnathi, Goa
2. Dry cough (Vataj Kas)
‘Sometimes we experience continuous strokes dry cough; but there is no phlegm or even if there is, only little phlegm comes out.
In this type of cough it feels as if, ‘the trachea has been peeled from the inside’.
#Thread
छोटे बच्चों की रोगप्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि होने हेतु आयुर्वेद के निम्न उपचार करें !
प्रत्येक अभिभावक के मन में छोटे बच्चों की रोगप्रतिरोधक शक्ति बढाने के विषय में जिज्ञासा रहती है । रोगप्रतिरोधक शक्ति अच्छी रहने के लिए शरीर का बल और पाचनशक्ति उत्तम होना आवश्यक है ।
१ से १२ वर्ष की आयु के बच्चों की रोगप्रतिरोधक शक्ति उत्तम रहे, इसलिए हम आयुर्वेद के अनुसार निम्न
उपचार कर सकते हैं ।
१. नियमित रूप से अभ्यंग करें, अर्थात सुबह स्नान करने के पूर्व पूरे शरीर की शुद्ध तिल के तेल से अथवा नारियल के तेल से मालिश करें ।
२. छोटे बच्चों को प्रतिदिन १ – २ घंटे खेलना चाहिए अथवा व्यायाम करना चाहिए ।
शरीर की गर्मी न्यून करने हेतु शारीरिक स्तर पर करने योग्य उपचार !
१ अ. तुलसी के बीजों का सेवन करना
तुलसी के पत्ते गरम व बीज ठंडा होता है । गर्मी न्यून करने हेतु १ चम्मच तुलसी के बीज आधा कटोरा पानी में भिगोएं और सवेरे उसमें १ कटोरा गुनगुना दूध मिलाकर खाली पेट सेवन करें । ऐसा ७ दिन करें ।
१ आ. दूर्वा का रस पीना
दूर्वा बडी मात्रा में शीतल होती है; इसलिए दिन में २-३ बार दूर्वा का रस निकालकर उसे पीएं
अर्थात् : अष्टांग हृदय के भाष्यकार अरुणदत्त आगे विस्तार से बताते हैं कि ये आहार आयु या जीवन काल को बढ़ाने के लिए दिनचर्या कि जाती हैं।
प्रातः उठनेसे लेकर रातको सोनेतक किए गए कृत्योंको एकत्रितरूपसे ‘दिनचर्या’ कहते हैं
आ. महत्त्व
आ १. प्रकृतिके नियमोंके अनुरूप दिनचर्या आवश्यक : सम्पूर्ण मानव जीवन स्वस्थ रहे, उसे कोई भी विकार न हों, इस दृष्टिसे दिनचर्यापर विचार किया जाता है ।
कोई व्यक्ति दिनभरमें क्या आहार-विहार करता है, कौन-कौनसे कृत्य करता है, इसपर उसका स्वास्थ्य निर्भर करता है । स्वास्थ्यकी दृष्टिसे दिनचर्या महत्त्वपूर्ण है । दिनचर्या प्रकृतिके नियमोंके अनुसार हो, तो उन कृत्योंसे मानवको कष्ट नहीं; वरन लाभ ही होता है ।