मुझमें कृष्ण ढूढिए पर राधा बनकर.... वरना छैला बिहारी ही नजर आएगा...
और #हॉं_मै_पुरुष_हूँ...अत: अहम टकराता भी है...‼️‼️
मेरी खोज तो तुम्हे पाकर सम्पूर्ण हो चुकी है
इतना स्पष्टीकरण सिर्फ इसलिए क्योकि मैं पुरुष हूँ..शायद पुरुषवादी भी.पर स्त्रीत्व का चीरहरण करके मुझे अपनी वादिता को शिखर तक पहुँचाना भी नहीं.‼️
हममे राम ढूढने से पहले स्वयं मे सीता की प्रतिकृति लाइये, मुझमे शिव ढूढने से पहले सती की छवि अपने अन्तस से बाहर निकालिएगा...‼️
.... पर इतना विश्वास खुद पर है कि जब इतने सारे रुप मे किसी स्त्री को मेरे व्यक्तित्व से कोई परेशानी नही हुई... (यह इसलिए कह रहा क्योकि मुझे कभी नही हुई) तो पत्नी को भी नही ही होगी....!!!! #हां_मै_पुरूष_हूँ
#मैं_पुरुष_हूँ
मै यह दावा भी नही करता कि मैने कन्याओं पर कटाक्ष नही किए.मैने किए हैं.पर जो एक बात दावे से कहता हूँ..छिछोरापन नहीं किया.स्त्री का हर रुप देखा.माँ,बहन,दादी, नानी,मामी,बुआ,मौसी,दीदी,चाची,मित्र, प्रेयसी, सहयात्री,भाभी,भावज,पडोसी हर रुप बस नही देखा तो पत्नी का रुप.
पर जो एक बात तय है वह यह कि किसी के कहने मात्र से ही मै उसका परित्याग नही करुंगा... वह कैसी भी विवशता हो कैसी भी मजबूरी हो मै उसे छोड नही सकता....‼️‼️ #हां_मै_पुरुष_हूँ
मैं #पुरुष हूँ...
एक बार फिर से #मर्यादा_पुरुषोत्तम_राम नहीं.... मै उसके ना होने पर विक्षिप्त नही हो पाऊँगा, मैं पेड पौधों, पशु पक्षियों से उसका पता नही पूछ पाऊँगा, मै शायद सागर पर सेतुबन्ध भी नही कर पाऊँगा..उसके वियोग मे शायद जल समाधि भी नही ले पाऊँगा... continue
मैं पुरुष हूँ.
पर मेघदूतम यक्ष नहीं...
मैं पुरुष हूँ.पर भृगुदूतम् का राम नहीं.मेरा सन्देश बादल और भ्रमर नहीं ले जा सकते शायद मेरा प्रेम उस स्तर का ना हो,परन्तु मैं मोबाइल के की पैड पर ऊँगलिया चलाकर अपना समाचार वहॉं तक पहुँचा ही दूँगा.‼️ शायद अपना ना कहकर केवल उसका ही
सुनूँ..‼️
मैं पुरुष हूँ..
पर मै #महाराजा_अज नहीं कि #रानी_इन्दुमती के मृत्योपरान्त ही प्राण त्याग दूँगा,मै जीवित रहूँगा,पर जब रोज की भागदौड,रोज की व्यस्तता से वापस अपने घर पहुचूंगा तो वहॉ से मेरे तिल तिल घटने की प्रक्रिया शुरु होगी,यकीन करिए कोई और जान भी नही पाएगा क्योकि मै पुरुष हूँ.‼️
मैं पुरुष हूँ....
लेकिन फिर भी मैं #पुरुरवा नही हूं... कि उर्वशी के प्रेम में उत्तराखन्ड की भूमि नापता रह जाऊँ...मेरा प्रेम मेरी प्रेमिका के लिए सच्चा होगा... परन्तु वह इतना बलशाली नही होगा कि मेरी जिम्मेदारियो से मुझे विमुख करके सिर्फ अपनी तरफ खींच ले जाय...‼️‼️
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एक चतुर नार: अनेक गीतों से प्रेरणा लेकर पड़ोसन का बहुचर्चित क्लासिक बना.
इस गाने को बनाने के पीछे की कहानी काफी मजेदार है।
हर कृति के पीछे उसकी एक अंतर्कथा उपलब्ध है। अपने देश के क्लासिक्स यूं ही नहीं बनते, उनके पीछे ढेर सारा परिश्रम और थोड़ी प्रेरणा अवश्य रहती है।
अब बॉलीवुड को अक्सर ही हम “कॉपीवुड” कहते हैं, क्योंकि या तो वह विदेशी गीतों से ट्यून उठाता है या अपने ही किसी क्लासिक गीत का अस्थि पंजर कर देता है। परंतु अगर कोई विभिन्न स्त्रोतों से प्रेरणा लेकर एक अद्भुत रत्न उत्पन्न करें, तो?
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे पड़ोसन के सबसे अद्भुत गीतों में से एक को तीन विभिन्न गीतों से प्रेरित होकर पिरोया गया था।
जिसने “पड़ोसन” नहीं देखी,वह भारतीय सिनेमा का जानकार होने का दावा बिल्कुल नहीं कर सकता। 1968 में प्रदर्शित इस ब्लॉकबस्टर में सुनील दत्त और सायरा बानू
हमने ऐसे किसी भी शक्तिपुंज को अपना देवता नहीं माना जो हमें भयभीत करता हो। किसी का देवत्व उसकी क्रूरता से सिद्ध नहीं होता, देवत्व करुणा से सिद्ध होता है।
भगवान शिव जब पत्नी का शव उठाये बिलख रहे होते हैं, तभी उनकी करुणा उभर कर आती है,
और दिखता है कि संसार का सबसे शक्तिशाली पुरुष अंदर से कितना कोमल है। उनके भीतर की यही कोमलता सामान्य मनुष्य के अंदर यह विश्वास जगाती है कि वे कृपालु हैं, करुनानिधान हैं, और इसी कारण हम मानते हैं कि वे पूजे जाने योग्य हैं।
ऐसा केवल महाशिव के साथ नहीं है।
अयोध्या की प्रजा राजकुमार भरत के साथ वन में उस महान योद्धा को वापस लाने गयी थी जिन्होंने ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों का वध किया था। पर जब उन्होंने भरत से लिपट कर बिलखते राम को देखा, तो जैसे तृप्त हो गए। राम की करुणा उनके रोम रोम में बस गयी। वे राजा लाने गए थे,
●शीला रमानी
. स्टारडम ऐसा कि सड़क पर चलना हो जाता था मुश्किल और जब फिल्में छोड़ी तो मिली गुमनामी की मौत
देव आनंद के साथ 'फंटूश' और 'टैक्सी ड्राइवर' जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम कर चुकीं 50 के दशक की अभिनेत्री ,
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शीला रमानी ने देव आनंद के साथ 'फंटूश' और 'टैक्सी ड्राइवर' जैसी फिल्मों में काम किया। टैक्सी ड्राइवर के बाद शीला रातों रात स्टार बन गईं। उनका स्टारडम कुछ ऐसे वक्त से साथ बढ़ता चला गया कि सड़क पर चलना मुश्किल हो गया। वो जहां जातीं फैंस की भीड़ उन्हें घेर लेती थी।
शीला रमानी की 1953 से 1962 तक मां बेटा (1962),रिटर्न ऑफ मिस्टर सुपरमैन (1960), जंगल किंग (1959), अंजलि (1957),सुल्ताना डाकू (1956), गुलाम बेगम बादशाह (1956), गुरु घंटाल (1956) जैसी फिल्मों के साथ विशेष संकलित सूची , टैक्सी ड्राइवर (1954), मीनार (1954), कलाकर (1954) नौकरी (1953)
#टाटा_बिड़ला_और_डालमिया ये तीन नाम बचपन से सुनते आए है मगर डालमिया घराना न कही व्यापार में नजर आया और न ही कहि ओर ,
डालमिया घराने के बारे में जानने की बहुत इच्छा थी
लीजिए आप भी पढ़िए की नेहरू के जमाने में खरब पति डालमिया को साजिशो में फंसा के नेहरू ने कैसे बर्बाद कर दिया
राष्ट्रवादी खरबपति सेठ रामकृष्ण डालमिया को नेहरू ने झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भेज दिया तथा कौड़ी-कौड़ी का मोहताज़ बना दिया ।
दरअसल डालमिया जी ने स्वामी करपात्री जी महाराज के साथ मिलकर गौहत्या एवम हिंदू कोड बिल पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर नेहरू से कड़ी टक्कर ले ली थी । लेकिन नेहरू ने हिन्दू भावनाओं का दमन करते हुए गौहत्या पर प्रतिबंध भी नही लगाया तथा हिन्दू कोड बिल भी पास कर दिया
बुद्ध एक कल्पना है बुद्ध एक कल्पना है। या
☺️ जिसे कनिष्क ने अपने समय स्थापित किया । असल में महावीर जैन ही बुद्ध है 😌 #एक_सवाल
बुद्ध का प्रमाण सिर्फ पत्थरों के स्तम्भ और बौद्ध ग्रंथो में ही मिलते है जो सिर्फ एक पत्थर पर कल्पना होनें के प्रमाण है नाकि बुद्ध के वास्तविक होने के!
बुद्ध का पूरा का पूरा Concept महावीर स्वामी से चुरा लिया गया है एवं जीवनी हिन्दू और जैन ग्रंथों से चुराया,
महावीर स्वामी का जन्म बुद्ध से पहले का है,आप भी देखे कैसे काल्पनिक बुद्ध को पैदा करवाया गया।
🤔1-महावीर स्वामी के पिता का नाम सिद्धार्थ था तो बुद्ध का नाम भी सिद्धार्थ था।
🤔2-महावीर स्वामी इक्षवाकु वंश में पैदा हुए तो
बुद्ध को भी इक्षवाकु वंश में पैदा करवा दिया।
🤔3-महावीर स्वामी ने शादी के बाद राज,मोह,पत्नी, पुत्र त्याग करके संन्यास लिया तो
बुध्द ने भी शादी के बाद राज,मोह, पत्नी, पुत्र त्याग करके संन्यास लिया,न।
【गांधी जी की हत्या के वर्षो बाद सुब्रमण्यम स्वामी जी ने देश की संसद में ऐसे सवाल उठाए थे जिनका जवाब आज तक कोई कोंग्रेसी नेता न दे पाया
【प्रश्न 1】गांधी जी को गोडसे ने जिस इटालियन बरेटा पिस्टल से गोली मारी थी, वह सिर्फ अंग्रेज सैनिकों को उपलब्ध थी । फिर वह गोडसे के पास कैसे आई
इस बात की जांच क्यों नहीं करायी गयी।
【प्रश्न 2】 जब 20 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या के प्रयास में गोडसे को गिरफ्तार किया गया था तो माउंटबेटन ने उसकी जमानत क्यूं करवायी ।
【प्रश्न 3】हत्या के बाद महात्मा गांधी की लाश का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था,
इससे आधिकारिक तौर पर पता नहीं चल सका कि आख़िर नाथूराम ने उन पर कितनी गोलियां चलाई थीं। हालांकि गोडसे ने अपने बयान में कहा था कि वह गांधी जी पर दो ही गोली चलाना चाहता था, लेकिन तीन गोली चल गई, जबकि गांधी जी को तीन नहीं, कुल चार गोलियां लगी थीं।