बुद्ध एक कल्पना है बुद्ध एक कल्पना है। या
☺️ जिसे कनिष्क ने अपने समय स्थापित किया । असल में महावीर जैन ही बुद्ध है 😌 #एक_सवाल
बुद्ध का प्रमाण सिर्फ पत्थरों के स्तम्भ और बौद्ध ग्रंथो में ही मिलते है जो सिर्फ एक पत्थर पर कल्पना होनें के प्रमाण है नाकि बुद्ध के वास्तविक होने के!
बुद्ध का पूरा का पूरा Concept महावीर स्वामी से चुरा लिया गया है एवं जीवनी हिन्दू और जैन ग्रंथों से चुराया,
महावीर स्वामी का जन्म बुद्ध से पहले का है,आप भी देखे कैसे काल्पनिक बुद्ध को पैदा करवाया गया।
🤔1-महावीर स्वामी के पिता का नाम सिद्धार्थ था तो बुद्ध का नाम भी सिद्धार्थ था।
🤔2-महावीर स्वामी इक्षवाकु वंश में पैदा हुए तो
बुद्ध को भी इक्षवाकु वंश में पैदा करवा दिया।
🤔3-महावीर स्वामी ने शादी के बाद राज,मोह,पत्नी, पुत्र त्याग करके संन्यास लिया तो
बुध्द ने भी शादी के बाद राज,मोह, पत्नी, पुत्र त्याग करके संन्यास लिया,न।
🤔4- महावीर स्वामी की पत्नी का नाम यशोधरा था तो
बुद्ध की पत्नी का नाम भी यशोधरा ही था।
🤔5-महावीर स्वामी की 1 संतान थी तो
बुद्ध की भी 1 संतान थी।
🤔6-महावीर स्वामी की भविष्यवाणी हुई सन्यासी बनने की ,बुद्ध की भी भविष्यवाणी हुई सन्यासी बनने की।
🤔7-महावीर स्वामी की माता बचपन मे गुजर गईं थी
बुद्ध की माता भी बुद्ध के पैदा होते ही गुजर गई।
🤔8-महावीर स्वामी जी ने एक महिला के हाथों एक कटोरी खीर खाई ज्ञान प्राप्त करने के लिए तो बुद्ध ने भी एक कटोरी खीर सुजाता नामक महिला से खाई ज्ञान प्राप्त करने के लिए।
🤔9-महावीर स्वामी को एक पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ जो नदी किनारे था,बुद्ध को भी एक पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ जो नदी किनारे था।
🤔10-महावीर स्वामी बिम्बसार के बाग में ठहरे थे तो बुद्ध भी बिम्बसार के बाग में ठहरे थे।
🤔11-महावीरस्वामी जी का एक शिष्य अग्निहोत्र ब्रामण था,
तो बुद्ध का भी शिष्य अग्निहोत्र ब्राह्मण था।
🤔12-महावीर-स्वामी को साँप ने काटा तो उनके शरीर से दूध निकला तो बुद्ध को भी साँप ने काटा उनके शरीर से भी दूध निकला।
🤔-13एक किस्सा आता है जैन-इतिहास में चंदवती ने मंगावती साध्वी को इसलिए डाटा की वो पूरी रात महावीर के संघ में रही थी।
वही ललित विस्तार(बौद्ध ग्रंथ)के अनुसार चंद्रवती नाम की स्त्री ने मंगावाती को इसलिए डाटा की वो सारी रात बुद्ध के संघ में सोई रही।
🤔14-महावीर स्वामी जी के बाल घुंगराले
बुद्ध के भी बाल घुंगराले थे।
🤔15-जैन धर्म का मुख्य ग्रंथ त्रिरत्ना है तो
बुद्ध धर्म का ग्रंथ त्रिपिटक है।
🤔16-महावीर स्वामी का कार्य क्षेत्र मगध था तो
बुद्ध का भी कार्य क्ष्रेत्र मगध ही कर दिया।
🤔17-जैन धर्म प्रचारक भिक्षुक(श्रमण) कहे जाते थे तो
बुद्ध धर्म प्रचारक भिक्षुक(श्रमण) कहे जाते थे।
🤔18-महावीर स्वामी जी को भगवा पहना दो तो बुद्ध ही बन जाएंगे।
🤔19-अंगुलिमाल की कहानी भगवान वाल्मीकि जी की कहानी से मिलती है।
🤔20-हनुमान जी सबसे पहले उड़कर लंका गए
बुद्ध ग्रंथ महावंश और दिपवंश के मुताविक बुध्द भी उड़कर श्री लंका गए थे ज्ञान बाटने।
🤔21- महावीर स्वामी के कान लंबे थे तो बुद्ध के कान भी लंबे थे।
इन्होंने ने जैन धर्म का चक्र भी नही छोड़ा जिसें धर्म चक्र बता दिया,इतने सारे समानता कोई इतफाक नही हो सकता!
मेगस्थनीज जो यूनानी यात्री था जो भारत मे 1.5 साल चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन काल मे रहा उसकी बुक इंडिका में भारत के जलवायु ,7 प्रकार के वर्ग,58 नदिया,
हवन और यह तक तक छोटे-छोटे जीव जंतु का उल्लेख है पर विश्व विख्यात बुद्ध का कोई उल्लेख्य नही
भारत के पुरात्तव विभाग ने गौतम बुद्ध का कोई भी जन्म का पुरतात्विक प्रमाण नही देता है जैसे की (बोन) Bones
और जो बुद्ध के जन्म का बुद्ध ग्रंथ से जो प्रमाण मिलता है वो भी चीन थाईलैंड,श्रीलंका
कंबोडिया और भारत के अलग-अलग है
भाई यह कल्पना कपटी ब्रामणो,नकली जैन भिक्षुक और ब्राह्मण मा के पुत्र अशोक का किया हुआ है उस समय की मांग हो या कोई राजनीतिक कारण हो जो जैन धर्म के सामने नया धर्म लाने की कोशिश की, अशोक ने एक साथ 18000 जैन मुनि का कत्ल किया
(अशोकवदान) के कथा के अनुसार एक बार जब एक गरीब व्यक्ति ने बुध्द को महावीर स्वामी के सामने हाथ जोड़कर खड़े रहते हुए चित्र बनाया तो ये बात अशोक को सहन नही हुई और अशोक ने उस चित्रकार को परिवार समेत जिंदा जला दिया ये उस चित्रकार का नाम शम्भुक था,यही शम्भुक की कहानी
(बौद्ध ग्रन्थ अशोकवदान )उत्तर रामायण में मिलावट की गई इन बौद्धों द्वारा, इसी कारण भूतकाल में भारतीयों ने इस भन्तेवादी पाखण्ड,पिटकवादी सोच और नकली बौद्ध धर्म को नकार दिया था,,
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सूर्यकुमार यादव को वानखेड़े स्टेडियम में IPL का पहला शतक लगाता देखने के लिए पूरा परिवार मौजूद था। वही परिवार, जिसने सूर्यकुमार यादव को 10 साल तक अंधेरों में घुटते हुए देखा। नाउम्मीदी ऐसी की दुनिया का सबसे बड़ा T-20 बल्लेबाज क्रिकेट छोड़ देना चाहता था।
सूर्या ने गुजरात के खिलाफ 49 गेंदों पर 11 चौकों और 6 छक्कों की मदद से ताबड़तोड़ 103* रन बना दिया। अपने धमाकेदार प्रदर्शन से मुंबई को 27 रनों से मुकाबला जिता दिया। वह खिलाड़ी जो अगर 10 साल पहले टीम इंडिया में चुन लिया गया होता तो बात ही कुछ और होती।
12 साल पहले 20 वर्ष की उम्र में 2010 में रणजी क्रिकेट में डेब्यू के बाद रोहित शर्मा के साथ 73 रनों की मैच विनिंग पारी और मैन ऑफ द मैच का खिताब। 2011-12 के सत्र में मुंबई की तरफ से ताबड़तोड़ 754 रन। फिर लगातार घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में जलवा लेकिन टीम इंडिया में सिलेक्शन नहीं।
मेघालय: दुल्हन की नहीं बल्कि दूल्हे की विदाई होती है
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मेघालय ऐसा राज्य हैं जहां पर दुल्हन की नहीं बल्कि दूल्हे की विदाई होती है. बता दें कि मेघालय की तीनों जनजातियों- गारो, खासी एवं जयंतियां में विवाह के पश्चात दुल्हन की जगह दूल्हे की विदाई होती है.
रिवाज के अनुसार लड़का विवाह के पश्चात लड़की के घर जाकर रहता है. यहां के लोग कहते है कि ये प्रथा पूर्वजों के समय से निभाई जा रही हैं.
पुत्री के जन्म लेते ही मनाया जाता हैं जश्न खासी समुदाय में यदि किसी घर में पुत्री जन्म लेती है तो काफी धूमधाम से खुशियां मनाई जाती है.
यहां लड़की के नाम पर ही वंश चलता है. इस समुदाय में माता-पिता की जायदाद पर पहला हक बेटी का होता है. रिवाज के मुताबिक, परिवार की सबसे छोटी पुत्री को सम्पति मिलती है. हालांकि यदि वो चाहे तो वो अपनी इच्छा से जायदाद में अपने भाइयों को भी भाग दे सकती हैं.
एक चतुर नार: अनेक गीतों से प्रेरणा लेकर पड़ोसन का बहुचर्चित क्लासिक बना.
इस गाने को बनाने के पीछे की कहानी काफी मजेदार है।
हर कृति के पीछे उसकी एक अंतर्कथा उपलब्ध है। अपने देश के क्लासिक्स यूं ही नहीं बनते, उनके पीछे ढेर सारा परिश्रम और थोड़ी प्रेरणा अवश्य रहती है।
अब बॉलीवुड को अक्सर ही हम “कॉपीवुड” कहते हैं, क्योंकि या तो वह विदेशी गीतों से ट्यून उठाता है या अपने ही किसी क्लासिक गीत का अस्थि पंजर कर देता है। परंतु अगर कोई विभिन्न स्त्रोतों से प्रेरणा लेकर एक अद्भुत रत्न उत्पन्न करें, तो?
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे पड़ोसन के सबसे अद्भुत गीतों में से एक को तीन विभिन्न गीतों से प्रेरित होकर पिरोया गया था।
जिसने “पड़ोसन” नहीं देखी,वह भारतीय सिनेमा का जानकार होने का दावा बिल्कुल नहीं कर सकता। 1968 में प्रदर्शित इस ब्लॉकबस्टर में सुनील दत्त और सायरा बानू
हमने ऐसे किसी भी शक्तिपुंज को अपना देवता नहीं माना जो हमें भयभीत करता हो। किसी का देवत्व उसकी क्रूरता से सिद्ध नहीं होता, देवत्व करुणा से सिद्ध होता है।
भगवान शिव जब पत्नी का शव उठाये बिलख रहे होते हैं, तभी उनकी करुणा उभर कर आती है,
और दिखता है कि संसार का सबसे शक्तिशाली पुरुष अंदर से कितना कोमल है। उनके भीतर की यही कोमलता सामान्य मनुष्य के अंदर यह विश्वास जगाती है कि वे कृपालु हैं, करुनानिधान हैं, और इसी कारण हम मानते हैं कि वे पूजे जाने योग्य हैं।
ऐसा केवल महाशिव के साथ नहीं है।
अयोध्या की प्रजा राजकुमार भरत के साथ वन में उस महान योद्धा को वापस लाने गयी थी जिन्होंने ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों का वध किया था। पर जब उन्होंने भरत से लिपट कर बिलखते राम को देखा, तो जैसे तृप्त हो गए। राम की करुणा उनके रोम रोम में बस गयी। वे राजा लाने गए थे,
●शीला रमानी
. स्टारडम ऐसा कि सड़क पर चलना हो जाता था मुश्किल और जब फिल्में छोड़ी तो मिली गुमनामी की मौत
देव आनंद के साथ 'फंटूश' और 'टैक्सी ड्राइवर' जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम कर चुकीं 50 के दशक की अभिनेत्री ,
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शीला रमानी ने देव आनंद के साथ 'फंटूश' और 'टैक्सी ड्राइवर' जैसी फिल्मों में काम किया। टैक्सी ड्राइवर के बाद शीला रातों रात स्टार बन गईं। उनका स्टारडम कुछ ऐसे वक्त से साथ बढ़ता चला गया कि सड़क पर चलना मुश्किल हो गया। वो जहां जातीं फैंस की भीड़ उन्हें घेर लेती थी।
शीला रमानी की 1953 से 1962 तक मां बेटा (1962),रिटर्न ऑफ मिस्टर सुपरमैन (1960), जंगल किंग (1959), अंजलि (1957),सुल्ताना डाकू (1956), गुलाम बेगम बादशाह (1956), गुरु घंटाल (1956) जैसी फिल्मों के साथ विशेष संकलित सूची , टैक्सी ड्राइवर (1954), मीनार (1954), कलाकर (1954) नौकरी (1953)
#टाटा_बिड़ला_और_डालमिया ये तीन नाम बचपन से सुनते आए है मगर डालमिया घराना न कही व्यापार में नजर आया और न ही कहि ओर ,
डालमिया घराने के बारे में जानने की बहुत इच्छा थी
लीजिए आप भी पढ़िए की नेहरू के जमाने में खरब पति डालमिया को साजिशो में फंसा के नेहरू ने कैसे बर्बाद कर दिया
राष्ट्रवादी खरबपति सेठ रामकृष्ण डालमिया को नेहरू ने झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भेज दिया तथा कौड़ी-कौड़ी का मोहताज़ बना दिया ।
दरअसल डालमिया जी ने स्वामी करपात्री जी महाराज के साथ मिलकर गौहत्या एवम हिंदू कोड बिल पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर नेहरू से कड़ी टक्कर ले ली थी । लेकिन नेहरू ने हिन्दू भावनाओं का दमन करते हुए गौहत्या पर प्रतिबंध भी नही लगाया तथा हिन्दू कोड बिल भी पास कर दिया