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सिंधु घाटी बनाम हिन्दू घाटी ..
तो पहले बताइये कि सिंधु घाटी के अवशेषों को जब आपने बचपन मे पढ़ा, तो क्या समझा था? आपने सवाल भी परीक्षा में हल किया होगा- सिंधु घाटी के शहरों के प्रमुख गुण बताइये।
उत्तर लिखा- यहां अन्न के गोदाम थे, बंदरगाह थे, समकोण पर काटती सड़कें,
उनके किनारे दोनों तरफ जल निकासी की नाली, स्नानागार थे, बाजार थे, प्रशासनिक शहर अलग था, सीलें थी, नर्तकियां थी, बैलगाड़ी थी।

तो क्या सिंधु घाटी सभ्यता बड़े बड़े गांव की सभ्यता थी??

शहरीकरण एक सभ्यता का पिनाकल है-
सबसे उत्कृष्ट फल।
शहर का मलतब आसपास के गांवों का एक केंद्र। जो आसपास के गांव, बस्तियो, दस्तकारों और खेतों की उपज का एक्सचेंज करने वाला इंटरफेस।

शहर में खेत नही होते। तब फैक्ट्री नही होती थी। सब कुछ आसपास के गांवों से आता। यहां भंडारण होता, बल्किंग और ग्रेडिंग होती। देश विदेश भेजा जाता।
याने सिर्फ शहर नही, आसपास बडी मात्रा में गांव बसे थे, पूरी व्यवस्था थी। गांव के अवशेष खत्म हो जाते हैं। शहरों के अवशेष रह गए।

- सील बताती है कि हुंडी, याने बैंकिंग सिस्टम चलता था।
- व्यापार पर चुंगी दी जाती याने, सिटी की एक गवरमेंट थी।
- ऑर्गनाइज्ड शहर बताते हैं कि बसाने वाले आर्किटेक्चर समझते थे।
- जल जनित रोग और स्वास्थ्य से वाकिफ थे।
- सामूहिक स्नानागार सोशल मीडिया थे, जहां लोग पानी मे डूबे गपियाते थे।
- तकरीबन सभी शहरों में ईंटों का आकार एक जैसा है। याने कोई सेंट्रल गवरमेंट भी थी।
- जो बंदरगाह थे, वे नदियों के पास थे, याने नहर खोदकर विशाल तालाब और उसके किनारों पर बंदरगाह बनाने की विद्या, तकनीक, फाइनांस और गवर्मेंट मौजूद थे। जाहिर है यह निर्माण निजी नही होगा। तो सरकार का ध्यान वेलफेयर पर था।
इस तरह आधुनिक युग मे, आप जो वेलफेयर गवरनेन्स से अपेक्षा करते है, वह सब कुछ सिंधु घाटी सभ्यता में दिखता है।
तो मान लीजिये दुनिया जब कांसे और पत्थर से जूझ रही थी, भारत मे एक पूरा विकसित देश मौजूद था। इसके बाद एकाएक ...

सब कुछ नष्ट हो जाता है। गायब
इतिहास फिर से शुरू होता है। एक नया भारत बनता है, जहां सोसायटी प्रिमिटिव स्टेज में जा चुकी है। गौ पूजा, यज्ञ हवन, (ऋग्वेद) जादू- टोना (अथर्ववेद) में लौट गई।

इनमे जंगल मे बसने वाले छोटे छोटे कबीलों, उनकी बेसिक मिनिमल लाइफ का विवरण मिलता है।
सभ्यता यहां से वह फिर जीरो से शुरू करती है।
ग्राम, विश्, जन, जनपद, महाजनपद .. कोई एक हजार साल बाद एक ऑर्गनाइज्ड नगर मिलता है। बिम्बिसार का लड़का उदायिन, मगध के करीब नई राजधानी बसाता है - राजगृह

ऐसा क्या हुआ, जो भारत की सभ्यता एकाएक गायब हो जाती है। जिस जगह पर वह थी, उसी
बिंदु पर लौटने में एक हजार साल लगते है??

सिंधु घाटी सभ्यता में एक दाढ़ी वाले की तस्वीर मिली है।

उसकी नाक कटी हुई है। हो न हो, मुझे लगता है कि इस आदमी ने ही जरूर कुछ गड़बड़ की होगी।

कोई लिखित प्रमाण तो नही, मगर इतिहास अगर भविष्य की झलक देता है, तो वर्तमान से भी इतिहास की
झलक देखी जा सकती है। आखिर तीन हजार साल बाद भी एक दाढ़ी वाले को हिन्दू सभ्यता का नाश करते देख ही रहे हैं। तो सिंधु सभ्यता में ऐसा क्यों नही हो सकता।

दो हजार साल बाद भारत की खुदाई से बन्द पड़े कारखाने, खाली गोदाम, बेतरतीब विशाल शहर, और ऑक्सीजन के अभाव में मरे लोगो के कंकाल से
भरे मन्दिर और राजप्रासाद मिलेंगे,
तो उसके साथ एक दाढ़ी वाले की अनगिनत तस्वीरे भी मिलेंगी। मोर को दाना खिलाते हुए... तब इतिहासकारों के सामने प्रश्न होगा। ये कौन सी सभ्यता है??
सिंधु सभ्यता या हिन्दू सभ्यता !!!
@RebornManish
#स्वतंत्र Image

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May 17
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May 17
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मै तो मनमोहन सिंह के इस काम को ईमानदारी मे भी नहीं रखता. कोई विरला शख्स ही होगा, जो ऐसा करता होगा. शायद मनमोहन सिंह, ईमानदारी से ज्यादा अपनी आत्मा की आवाज
को सुनने मे ज्यादा विश्वास करते होंगे..

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May 17
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May 17
खिचड़ी को जो भी कहो ये ट्रम्प कार्ड है, खिचड़ी पूरी तरह सेक्युलर है और हर भारतीय को प्रिय है।
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दरअसल खिचड़ी उन चंद उर्दू लफ़्ज़ों में से है जिनकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई।
खिच्चा मतलब चावल और दाल,इसी से खिचड़ी शब्द की उत्पत्ति हुई।सिकन्दर के मंत्री सेल्यूकस ने खिचड़ी का उल्लेख किया है इसा पूर्व।तेरहवीं सदी में इब्न बतूता और अन्य यात्रियों ने खिचड़ी
का उल्लेख किया।इसा पूर्व भारत में ज्वर,बाजरा,कोदो,रागी,मुंग,उड़द, चना वगैरह आम जनता खाती थी।
मुगलों ने इसमें गोश्त मिला दिया।बहुत तरह की खिचडिया बनती हैं।कर्नाटक का बिसिबेलेभाथ हो या तमिल पोंगल या बीफ या गोश्त के साथ पकी हलीम या हरयाणा का बाजरे का खीचड़ा,
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May 17
क्या आप जानते हैं की समयसूचक AM और PM का उद्गगम भारत में ही हुआ था …??

लेकिन हमें बचपन से यह रटवाया गया, विश्वास दिलवाया गया कि इन दो शब्दों AM और PM का मतलब होता है :

AM : Ante Meridian
PM : Post Meridian
एंटे यानि पहले, लेकिन किसके? पोस्ट यानि बाद में, लेकिन किसके? यह कभी साफ नहीं किया गया, क्योंकि यह चुराये गये शब्द का लघुतम रूप था।काफ़ी अध्ययन करने के पश्चात ज्ञात हुआ और हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा ने इस संशय को साफ-साफ दृष्टिगत किया है। कैसे? देखिये...
AM = आरोहनम् मार्तण्डस्य
PM = पतनम् मार्तण्डस्य

सूर्य, जो कि हर आकाशीय गणना का मूल है, उसी को गौण कर दिया। अंग्रेजी के ये शब्द संस्कृत के उस वास्तविक ‘मतलब' को इंगित नहीं करते।

आरोहणम् मार्तण्डस्य यानि सूर्य का आरोहण या चढ़ाव। पतनम् मार्तण्डस्य यानि सूर्य का ढलाव।
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May 17
एक बादशाह ने अपने यहां " रफूगर " रखा हुआ था !

रफूगर का काम सिलाई करना नहीं था बल्कि बादशाह की बातों को रफू करना था !

दरअसल वह रफूगर बादशाह की हर बात की मरम्मत इस तरह करता कि जनता वाह वाह करती और तालियां बजाती ..!
एक दिन बादशाह दरबार लगाकर जनता को अपने जवानी की शिकार का किस्सा सुना रहे थे ..?

जोश में आकर कहने लगे ....

एक बार तो ऐसा हुआ कि मैंने आधे किलोमीटर दूर से एक हिरन पर निशाना लगाया ..! तीर सनसनाता हुआ गया और..
हिरन की बायीं आंख में लगकर दायें कान से होता हुआ पिछले पैर की
दायीं टांग के खुर में लगा ...

बादशाह को उम्मीद थी कि जनता वाह वाह करेगी !

परन्तु ये क्या !?
चारों तरफ शांति ..

बादशाह भी समझ गया कि मैंने ज्यादा लम्बी छोड़ दी ..!

बादशाह ने तुरंत रफूगर की ओर देखा ..!

रफूगर उठा और बोला :- हजरात में इस वाकए का चश्मदीद गवाह हूं !..
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