फ़िल्म #गैंग_ऑफ़_वासेपुर
खलनायक #रामाधीरसिंह का स्पष्ट मानना था की #हिंदुस्तान में जब तक #सनीमा है,लोग #टूचिया बनते रहेंगे
डायरेक्टर,पूरी फ़िल्म में ईमानदारी से कई दृश्यों में बताता है की समाज में फ़िल्मों का कितना गहरा असर है।लोग किस कदर मूर्खता में हो फ़िल्मी हो जाते हैं
फ़िल्में सच नहीं होती। दृश्य कथानक कई बार हद दर्जे की मूर्खता की पूरी पौध तैयार करते हैं। अमर अकबर ऐंथनी में दृश्य है की 3 लोग एक औरत को रक्तदान करेंगे।
“रक्त हो गया की पानी का पाइप हो गया। तीनों के हाथ से निकाल कर एक बोतल में डाल कर उस बोतल से कनेक्शन औरत के हाथ में दे दिया …”
अब बताओ, आज तक किसी संगठन ने किसी सरकारी एजेंसी ने इस दृश्य पर आपत्ति दिखाई? कोई एक्शन हुआ? क्या फ़िल्म का दृश्य फ़िल्माते हुए वहाँ खड़े लोगों को पता नहीं था की हम ये क्या जलेबी का अचार बना रहे हैं? सब जानते थे की महान इलॉजिकल बात है.. लेकिन .. दृश्य फ़िल्माया गया ..
दिखाया गया .. हिट इतना हुआ की इस फ़िल्म के तीनों एक्टर प्रसिद्धि की बुलंदी पर पहुँच गये।
तीनों ने सारी ज़िंदगी ऐशो आराम की ज़िंदगी जी। 2 मर गये 1 अभी भी आनंद ले रहा है, कोई कमी नहीं उसको! एक के बाद एक बिना सिर पूँछ की बातों को जोड़ तोड़ कर फ़िल्में बनी।
अभिनय करने वालों के मंदिर बन गये।
ढीशूम भीषूम टीढीष टेन टेनेन हो गया लॉजिक का।
हमने हर पीढ़ी के लोगों को यही दिलासा देते देखा
“फ़िल्में देखते हुए अक्ल का इस्तेमाल करना एक सामाजिक अपराध है”
लेकिन राजनीति के रामाधारी जानते हैं की फ़िल्मों से जनता को जितना मर्ज़ी चुतिया बनाओ।
जब आज तक लोगों ने कोई सवाल नहीं उठाया तो अब क्या?
फ़िल्म के आगे लिखना है फ़िल्म काल्पनिक है, इसका जीवित मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं।
और फ़्रिक्शन के नाम पर लोगों को ऑडियो वीडियो ग्राफ़िक्स का जो मर्ज़ी …टुईं … दिखाओ
अब ये सब मनोरंजन के लिए करने पर इतना घातक है की कई नाइयों की दुकान चल गई, अभिनेताओं के मंदिर बन गए, चुनाव जीत गये, चुनावों में भीड़ जुट गई, कई गाने सुन कर लोग मर गये, लड़के लड़कियाँ घर से भाग गये, शक्तिमान देख के बच्चे छतों से कूद गये …
तो रामाधारी जानता है .. प्रॉपगैंडा तो ज़बरदस्त काम करेगा।
रामाधारी लगातार पिछले कई सालों से फ़िल्में बना कर तुम्हारे अंदर का अमिताब बच्चन जगा रहा है .. पर तुम साला शसी कपूर बने बैठे हो ! 😜🤣
cp
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एक बड़े मजे की बात है,कि भाजपा को हार वहां मिलती है, जहां वह खुद को मजबूत समझ रही हो।
जहां वह खुद को कमजोर समझती है, वहां जीत जाती है। किसान आंदोलन के बाद विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी की 100 सीटों पर उसका जीतना, कहीं से डाइजेस्टेबल नही, जहां उसके लोगो को दौड़ाया जा रहा हो।
खट्टर का रिपीट होना नही पचता। पंजाब में आप को 95 सीट आना नही पचता। हालिया गुजरात मे 150 सीटें नही पचती। कर्नाटक, राजस्थान, छतीसगढ़, यूपी में शत प्रतिशत लोकसभा जीतना नही पचता। दो बार सरकार बनाने वाले पिनरायी विजयन को केरल से एक भी लोकसभा सीट आना नही पचता।
एसपी बीएसपी गठबंधन में सपा को 5 सीट, बसपा को 10 आना नही पचता।मने ये सब स्वीकार करना, इंसान की आम इंटेलिजेंस की तौहीन है, जिसे हम लोग बर्दाश्त कर रहे हैं।
सामान्य समझ कहती है, कि एक प्रोग्रामेबल मशीन, जिसके प्रोग्राम के बारे में किसी को कुछ नही पता, जो वेरिफायबल नही,जिसे वेरिफाई
एक भ्रम है कि हिन्दुओ ने इस्लामी आक्रांताओं के सामने बड़ी आसानी से घुटने टेक दिये। सचाई यह है कि इस्लाम को सबसे कड़ी टक्कर...
अगर कहीं मिली, तो हिंदुस्तान में मिली।।
इस्लाम धार्मिक रूप से अरब में पैदा हुआ। वही उनका सैन्य संगठन बना और उन्होंने अपना विस्तार शुरू किया।
सबसे पहले हमला सीरिया में हुआ।
-महज एक साल, याने 636 ईसवीं में सीरिया जीत लिया गया।
-अगले साल याने 637 में इराक ने घुटने टेके,
- 643 में उन्होंने फारस को जीत लिया।
याने दस साल लगे, मिडिल ईस्ट को जीतने में, और उनकी सीमा भारत से आ लगी।
इस वक्त मध्य भारत मे हर्षवर्धन का राज्य था।
सन 650 आते आते मध्य एशिया याने अभी का उज्बेकिस्तान, ताजीकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान जीता। याने तुर्कमान, उज्बेक, औऱ मंगोलों की लड़ाकू नस्लों को जीतने में उन्हें 8 साल लगे।
कृष्णन अय्यर यमये
फ़िल्म शक्ति (1982) में सदी के महानायक नायिका से फरमातें हैं -
"जाने कैसे कब और कहां इकरार हो गया
हम सोचते ही रह गए और प्यार हो गया"...
ऐसा ही होता है जब किसी के मिलने पर हमारे ब्रेन के 'प्लेज़र सेंटर्स'' एक्टिवेट होते हैं और उनमें से कुछ रसायनों
जैसे डोपामाइन, एड्रेनलिन, नोरएपिनेफरीन, फिरामोन्स और सेरोटोनिन का स्राव होने लगता है। हम सोचते ही रह जाते है और हमें प्यार हो जाता है। जब ये केमिकल्स रिलीज होते हैं तो....
"मुझे दर्द रहता है, दिल में दर्द रहता है
मुझे भूख नहीं लगती, मुझे प्यास नहीं लगती
सारा दिन तड़फती हूँ, सारी रात जगती हूँ
जाने क्या हुआ मुझको, कोई दे दवा मुझको"...(दस नम्बरी, 1976)
यह सब तो गीतों के डॉक्टर डॉ 'मजरूह सुल्तानपुरी' जी ने बताया ही। इसके अतिरिक्त गाल गुलाबी हो जाते हैं, उत्तेजना आती है, हथेलियों में पसीना आता है,
- "एक पंडित जी और मुल्ला जी में गहरी दोस्ती थी, लेकिन खाने-पीने के मामले में एक-दूसरे के बिलकुल विपरीत।
एक दिन मुल्ला जी को पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। घर में भारी फंक्शन हुआ। पंडित जी को भी न्यौता गया।
पंडित जी पधारे। बच्चे को आशीर्वाद दिया - बहुत बड़े आदमी बनो।
लेकिन पंडित जी ने भोजन से इंकार कर दिया - हम ठहरे शुद्ध शाकाहारी। मांसाहारी लोगों के भोजन नहीं करते हैं।
मुल्ला जी ने बहुत इसरार किया - आलू की सब्जी है। पूड़ी और रायता भी है।
पंडित जी दोस्ती के नाम पर तैयार हो गए।
लेकिन वास्तव में आलू अलग से नहीं बने थे बल्कि मट्टन में थे।
मुल्ला जी बहुत चालाकी से उसमें से आलू निकाल कर पंडित जी को सर्व करने लगे। लेकिन गलती से एक छोटी सी बोटी कटोरी में आ गयी।
मुल्ला जी ने क्षमाप्रार्थना करते हुए चम्मच से बोटी को निकालना चाहा।
Gori Shankar Agarwal
मोदी सरकार पर चार लाख करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
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केंद्र की मोदी सरकार पर इस कार्यकाल के दौरान हुए सबसे बड़े भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप लग रहा है. आरोप है कि सरकार ने देश भर में कच्चे लोहे और दूसरे अयस्कों की
358 खदानों की लीज यानी पट्टे का समय बढ़ा दिया. इसके लिए खदानों का वैल्यूएशन यानी उनकी कीमत का आंकलन भी नहीं किया गया. इससे सरकार को 4 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. इसे मनमोहन सिंह की सरकार के समय हुए 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले जैसा ही माना जाए. इसके लिए बाकायदा सुप्रीम कोर्ट में
जनहित याचिका दाखिल की गई है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके पूछा है कि क्यों न इन माइनिंग लीज को रद्द कर दिया जाए?
याचिका में क्या आरोप लगाए गए हैं?
सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका एडवोकेट एमएल शर्मा ने दाखिल की है.
मैने कहा बिलकुल कमाई भी बढ़ी है जिसको दस हजार मिलते थे उसको पंद्रह हजार मिलते हैं....
वह यह सुनकर बाग बाग हो गया.....
उसने दो कड़क चाय और 2 समोसा का आर्डर दे दिया
मैंने समोसे पर जल्दी से हाथ सफा किया और चाय सुड़कते हुए कहा...
यार पहले 10 हजार में से 2 हजार बचा लेता था अब 15 हजार मिलने पर 2 हजार का कर्ज माथे पर चढ़ जाता है...
कट्टर हिन्दू दोस्त का मुंह सुकड़कर चुहा सा हो गया....
मैंने उससे कहा चल यार चुना है तो सहन करना ही होगा
हम रेस्टोरेंट से निकले ही थे रेस्टोरेंट वाला बोला....
रामधन जी आपका बहुत लंबा हिसाब हो गया.....
5 हजार से ऊपर का हिसाब हो गया, हमको भी बाजार से नगद में सामान लाना होता है ऐसे कैसे चलेगा....