भारतीय इतिहास भरा पड़ा है, नकली और जानबूझकर गढ़े गये किरदारो से। जिसका हकीकत से कोई सरोकार ही नहीं है।

एक से एक जंगजूओ की कहानियाँ सुनी और पढ़ी है हमने। मगर "संता जी घोरपडे" जैसा योद्धा, ना हिस्ट्री मे पैदा हुआ है, और ना होगा।

12 मुगल सेनापतियों को एक एक करके (1/14) Image
इस जंगजू ने महाराष्ट्र की मिट्टी में दफन कर दिया। खुद मुगल इतिहासकारो ने लिखा है, कि जो भी संताजी से टकराया, या तो मारा गया, नहीं तो घायल होकर, सब कुछ पीछे छोड़कर भागा।

संताजी की एक ही कमजोरी थी। हद से ज्यादा उजड्ड और अभिमानी होना। किसी की ना सुनना, और दुश्मन चाहे (2/14)
मराठा हो या मुगल, उन्हे तड़पा तड़पा कर मारना। अपने सैनिकों को भी छोटी सी गलती के लिए भी, भयानक कठोर मृत्युदंड देना।

खुद छत्रपति राजाराम को सीधे ही बोल दिया कि, तुम अगर छत्रपति हो तो मेरी बाजुओं के ताकत के दम पर। मेरे बगैर तुम्हारा वजूद भूसे के तिनके से ज्यादा कुछ (3/14)
नहीं। मैं जिसको चाहूँ छत्रपति बनाकर बैठा दूँगा।

पूरा मराठा साम्राज्य, सारे जंगी सरदार, संताजी घोरपडे के खून के प्यासे हो गये, खुद "धन्नाजी जाधव" भी। एक तरफ पूरा मराठा साम्राज्य किसी भी कीमत पर उनकी जान के पीछे पड़ा था, दूसरी तरफ मुगल सेनापतियों ने उन्हे पकड़ने के अभियान (4/14)
चलाये। हर कोई उनसे नाराज था। हर कोई नफरत करता था, किसी ने कोई मदद नहीं की, क्योंकि सीधे छत्रपति राजाराम को ही चैलेंज किया था।

फिर भी, जो भी संताजी से टकराया, मिट्टी में मिल गया। सेनापति धन्ना जी जाधव को हराकर भागने पर मजबूर कर दिया और छत्रपति राजाराम को भी कैद कर लिया। (5/14)
मगर अगले ही दिन माफी माँगकर रिहा भी कर दिया। कई प्रमुख मराठा सरदारों को संताजी ने हराकर, उन्हे हाथी के पैरो तले कुचलवा दिया।

ये आदमी सिर्फ और सिर्फ जंग के लिए पैदा हुआ था, उसे ना राजनीति मे रत्ती भर दिलचस्पी थी, और ना उससे चापलूसी आती थी... ना दरबारियों के हथकंडे। उसे (6/14)
केवल और केवल दुश्मन का बेदर्दी से सिर कुचलना आता था। फिर चाहे उसके सामने कोई मुगल हो, या फिर मराठा सरदार। जो सामने आया, वो सीधा ऊपर गया।

ये बंदा पैदाईशी मिलिट्री जीनियस था, और बड़ी से बड़ी मिलिट्री फोरमेशन की हैंडलिंग का मास्टर भी। केवेलरी के बिजली के तेजी से होने वाले (7/14)
धावों का जनक, छापामार युद्ध नीति का सबसे बड़ा जानकार। दुश्मनो के लिए क्रूर और हद दर्जे का बेरहम। माफी शब्द जिसके शब्दकोष में ही नहीं था।

अंत में, पूरा महाराष्ट्र उसके खिलाफ, सारे चापलूस दरबारी उसके खिलाफ, सारे मराठा जंगी सरदार उसके खून के प्यासे। दूसरी तरफ, औरंगजेब ने (8/14)
तीन तीन जनरलों को केवल संताजी का पीछा करके, उनका खात्मा करने के काम पर लगा दिया।

अंतत: एक संयुक्त मराठा मुगल फौज ने, घने जंगल में मौका पाकर, नहाते समय नितांत अकेले संताजी की हत्या कर दी। और मुगलों ने उनका सिर काटकर औरंगजेब को भेजा। तत्कालीन मराठा साम्राज्य के सर सेनापति (9/14)
"धन्नाजी जाधव" जो कभी उनके साथी रहे थे, उन्होने भी हर बार संताजी का सामना होने पर, मुँह की ही खाई थी। मगर ऐसा जंगजू, कभी कभी पैदा होता है इस धरती पर।

बाजीराव पेशवा की आक्रामक युद्ध नीति, बमवर्षा स्टाईल के हमले, बिजली की तेजी, Ganimee Kawa यानि छापामार युद्ध की विशेष (10/14)
शैली, दुश्मन के दिमाग में अपना खौफ पैदा करके, उन्हे मनोवैज्ञानिक तौर पर तोड़ देने और हतोत्साहित करने की नीति, दरअसल संताजी घोरपडे द्वारा ईजाद और परिष्कृत की गई थी, जिन्हे बाद में बाजीराव द्वारा हूबहू अपनाया गया।

तान्हाजी मालसुरे, धन्नाजी जाधव, बाजीप्रभु देशपांडे और (11/14)
आखिर में पेशवाओं का नाम फिर भी हिस्ट्री में सुनाई पड़ता है। मगर मुश्किल दौर में, हर किसी के दिमाग में खौफ तारी कर देने वाला जबरदस्त मराठा, ताकत का पुलिंदा जंगजू, एक महान योद्धा, खुद मराठा इतिहास में जानबूझकर भुला दिया गया।

दरबारी राजनीति, और स्वार्थ की भेंट चढ़ गया, (12/14)
संताजी घोरपडे, सर सेनापति के पद से हटा दिया गया। पूरी मराठा ताकत से अकेला टकराया, और उसी वक्त में मुगलों के सबसे तोपखान सेनापतियों को भी रगड़ा और अपनो की नफरत के चलते, मुगलों के हाथों निपटवा दिया गया।

हिंदू केवल आज ही "आत्मघाती" नही बने। ये लोग हमेशा से ऐसे ही हैं। (13/14)
दूसरों के चरण चाटुकार बनकर जूते चाट लेंगें, मगर अपने उन योद्धाओं को खुद ही ठिकाने लगवा देंगें, जो अपने आत्मविश्वास, ताकत, और बहादुरी के चलते, इनकी आँखो में खटकने लगेगा।

#साभार
(14/14)
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May 20
2016 में जब नोटबन्दी हुई थी तब आपको नोटबन्दी की जरूरत बताई थी। इसमें काला धन, पाकिस्तान पर चोट आदि शामिल नही थे। बस भारत के आर्थिक हालात जो कांग्रेस कर चुकी थी उसे समझाया गया था। तो पेश है पुनः पोस्ट आपकी खिदमत में।

अर्थशास्त्र का एक अंग होता है वित्त। वित्त ही (1/27) Image
अर्थशास्त्र नही होता। अर्थशास्त्र संसाधनों के समूह को कहते है और संसाधन, प्रकृति के स्रोत से मिलता है। मतलब इकोलॉजी से निकलता है इकोनॉमिक्स और इकोनॉमिक्स से निकलता है फाइनेंस।

भारत मे हम इस पर कंफ्यूज रहते है, क्योंकि हमने संसाधन से अर्थशास्त्र को अलग कर दिया है। एक समय (2/27)
मे सोने से मुद्रा तय होती थी, आज सरकार अपनी पावर से मुद्रा तैयार करती है। मैं धारक को 100 रुपये अदा करने का वचन देता हूँ। उस वचन का आधार सरकारी संवैधानिक शक्ति है, ना कि संसाधन।

कई बार हम सोने से या डॉलर से तुलना कर उसे नोट में परिवर्तित समझते हैं, लेकिन ऐसा नही है। सरकार (3/27)
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May 20
मोदीजी दूसरों को कुछ नही कहते, बस अपनी लकीर लंबी करते रहते हैं।

नेहरू के मामले में ही देखो तो हर कोई जानता है कि वो फर्जी प्रधानमंत्री था इस देश का। तो अब नेहरू का क्या करें? चलो एक काम करते हैं। पटेल को धोखा देकर पीएम बना था ना? तो बना डालो पटेल की सबसे ऊंची मूर्ती... (1/7) Image
मूर्ती बन गयी तो इतिहास तो मूर्ती के साथ बाहर आ ही जायेगा।

लेकिन हुजूर उससे बड़े वाला धोखा नेताजी को भी दिया था ये नेहरू...

तो एक काम करो 21 अक्टूबर को लाल किले में तिरंगा लहरा दो और बताओ सबको कि भारत की पहली सरकार 1943 में 21 अक्टूबर को बनी थी जिसके प्रधानमंत्री (2/7)
नेताजी थे।

एक काम और करो कि लालकिले के पास नेताजी और उनसे संबंधित म्यूजियम बना डालो जिससे लोग लाल किला देखने आए तो इतिहास जान सकें।

अच्छा इससे मन नहीं भर रहा तो एक काम करो... 26 जनवरी को उनकी सेना को भी परेड में शामिल करो और उन्हें सलामी दिलवाओ... लोग खुद ही आजाद हिंद (3/7)
Read 9 tweets
May 20
पूर्व अमेरिकी राजनयिक ज़ल्माय खलीलज़ाद जो इराक, UN और अफगानिस्तान में अमेरिका की राजदूत रह चुके हैं, आज उन्होंने अपनी स्रोत से पाकिस्तान को लेकर एक रिपोर्ट साझा किया है, जो ये इंगित करती है कि, पाकिस्तानी सेना प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच गृह युद्ध के कगार पर खड़ा है। और एक (1/8) Image
परमाणु शक्ति संपन्न देश के लिए अच्छी खबर नहीं है, जो वित्तीय रूप से फिलहाल दिवालिया हो चुका है, और संयुक्त राष्ट्र में नामित आतंकवादियों की सबसे बड़े पनाहगाह है।

मैं कई दिनों से पाकिस्तान में हो रहे हर गतिविधियों पे बारीकी से नज़र रख रहा हूं!! और उसमें 'सेना प्रमुख' के (2/8)
एक हालिया भाषण ने मुझे विश्वास दिलाया है कि चीजें वास्तव में भयानक हैं। सियालकोट में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उसके बंद कमरे की नाराज़गी बहुत "डराने वाला" था!? लेकिन उसमें दो बातें उभरकर सामने आईं हैं। सबसे पहले... उसने अपने आलोचकों की पत्नियों और बच्चों को धमकाया। (3/8)
Read 10 tweets
May 20
केंद्र ने जारी किया अध्यादेश, दिल्ली सरकार से एलजी को वापस मिले अधिकार।

अब रो जोर से 😂😂

केजरीवाल सरकार जिस प्रकार अफ़सरों को धमकी देने, गाली गलौज, करप्शन की फ़ाइलों को नष्ट करने में लगी थी, उसे देखते हुए ये निर्णय अत्यंत आवश्यक था।

दिल्ली में केंद्र सरकार ने (1/4) ImageImage
अध्यादेश लागू कर दिया है... अब से सभी अफसरों का ट्रांसफर और पोस्टिंग केंद्र ही करेगा... वैसे भी ये अधिकांश अफसर केंद्र के ही होते हैं।

अब यह अध्यादेश अगले 6 महीने लागू रहेगा...।इस समय सीमा में इसे संसद से पास करवाना पड़ेगा, अन्यथा अध्यादेश रद्द हो जाता है। केंद्र सरकार (2/4)
6 महीने बाद अध्यादेश को फिर से लागू कर सकती है... और कई बार कर सकती है।

इसमें सुप्रीम कोर्ट भी कोई दखल नहीं दे सकता।

अब होगा क्या? अब अगले कुछ महीनों में दिल्ली में हुए ढेरों भ्रष्टाचार के मामले सामने आने वाले हैं... और जल्दी ही तिहाड़ में कई मंत्री जाने वाले हैं।

आपको (3/4)
Read 6 tweets
May 20
दिल्ली सरकार के कई घोटालो की जांच कर रहे थे विजिलेंस सेक्रेटरी राजशेखर।

11 मई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केजरीवाल सरकार उन्हें हटाना चाहती थी... अब ऐसे कैसे हटाए?

जुगाड़ निकाला गया।

एक NGO है अभिनव समाज... उसके लेटर हेड का इस्तेमाल करके राजशेखर के विरुद्ध (1/5) ImageImageImage
कार्यवाही करने के लिए एक लीगल नोटिस भिजवाया गया। उस लीगल नोटिस का सहारा ले कर दिल्ली सरकार ने राजशेखर के ऑफिस में छापा मार कर ढेरों दस्तावेज़ उठा लिए, गायब करवा दिए... और उनका ऑफिस बंद कर दिया।

दिल्ली सरकार ने राजशेखर को भ्रष्ट बताना शुरू कर दिया... उनका चरित्र हनन करना (2/5)
शुरू कर दिया।

कल उस NGO अभिनव समाज के CEO जीके गुप्ता ने केजरी सरकार को नोटिस भेजकर कहा है कि मैंने विजिलेंस सेक्रेटरी राजशेखर की कोई शिकायत नहीं की... हमारी संस्था ने कोई लीगल नोटिस नहीं भेजा। मैंने 1999 में उनके अंडर काम किया है और वो एक ईमानदार अफसर हैं, और मैं उनसे (3/5)
Read 7 tweets
May 20
कल गोडसे जयंती पर बताया गया कि वीर सावरकर जयंती यानि 28 मई को नई संसद देश को समर्पित होगी। सुनने में आया है कि उस दिन सावरकर परिवार भी उपस्थित होगा।

क्या आपने कांग्रेसियों और छर्रों के मुंह पर पड़ा थप्पड़ महसूस किया?

नई संसद न सिर्फ न्यू इंडिया का प्रतिनिधित्व करेगी (1/3) ImageImageImage
बल्कि इसकी क्षमता पुरानी लोकसभा के 550 सीट से बढ़कर 888 सीट तक हो गयी है। राज्य सभा की 384 और संयुक्त सांसद अधिवेशन की 1272 सीट हैं अर्थात आने वाले समय मे लोकसभा और राज्य सभा की सीटें भी बढ़ने वाली हैं जिसका मतलब देश की पूरी राजनीति ही नए परिसीमन के बाद बदल जाएगी। ये (2/3)
परिसमिन 2026 के बाद किये जाने का प्रस्ताव है।

#साभार
(3/3)
Read 5 tweets

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