क्या कोई यूनाइटेड किंगडम में 19 दिन केवल एक लाख रुपए में बिता सकता है? समीर वानखेड़े के खिलाफ एनसीबी के विजिलेंस जांच में पता चला की वानखेड़े ने यूनाइटेड किंगडम के 19 दिन का खर्च केवल एक लाख रुपए बताया..इस विजिलेंस रिपोर्ट में और भी कई चौंकाने वाली चीजें मौजूद हैं.. (1/8)
कोर्डिलिया ड्रग्स क्रूज मामले में ऐन मौके पर आर्यन खान और अरबाज मर्चेंट का नाम वानखेड़े ने जोड़ा था और ऐसे लोग जिनके पास से रोलिंग पेपर भी मिला था, उन्हें क्लीन चिट देकर जाने दिया गया..
किरण गोसावी को नियमों का उल्लंघन करने की।खुली छूट वानखेड़े ने दी थी! (2/8)
जिस रात आर्यन खान को एनसीबी दफ्तर लाया गया, रिपोर्ट के अनुसार उस रात की सीसीटीवी फुटेज करप्ट है.. साथ ही जो हार्ड कॉपी और डीवीआर कॉपी एनसीबी की जांच टीम को सौंपी गई, दोनों अलग अलग हैं!
वानखेड़े के विदेश यात्राओं को लेकर भी कई खुलासे एनसीबी के रिपोर्ट में हुए हैं (3/8)
2017 से 21 तक वानखेड़े अपने परिवार के साथ 6 बार विदेश यात्रा पर गया था और इन यात्राओं में 55 दिन तक विदेश में रहने के बावजूद कुल खर्च केवल 8.75 लाख रुपए बताए, रिपोर्ट के अनुसार इतने पैसे में केवल हवाई यात्रा के खर्च पूरे होते हैं.. इन यात्राओं का सही ब्योरा नहीं दिया गया (4/8)
करीब 22.5 लाख रुपए की सोने की रोलेक्स घड़ी वानखेड़े ने विरल जमालुद्दीन राजन नामक एक शख्स से 17 लाख में उधार में खरीदी! कोई आखिर 22.5 लाख की घड़ी 17 लाख में क्यों बेचेगा? वो भी उधार में? कहीं पर कीमत 22.5 लाख बताई गई, कहीं 20.53 लाख.. इस घड़ी की सही कीमत भी नहीं बताई गई (5/8)
वहीं जब वानखेड़े ने खुद के 4 घड़ी बेचे तो उसे तुरंत इसी विरल जमालुद्दीन राजन से 7.40 लाख रुपए मिले.. यानी जब खुद घड़ियों को बेचा तब तुरंत पैसे मिले वहीं दूसरी ओर खुद 22 लाख की घड़ी उधार में खरीदा.. 7.40 लाख में बेचे इन घड़ियों की जानकारी वानखेड़े ने अपने विभाग को नहीं बताया
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1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2020 के अनुसार समीर वानखेड़े और उनकी पत्नी क्रांति रेडकर की कुल आय 45 लाख 61 हजार 460 है। केवल मालदीव ट्रिप और एक रोलेक्स घड़ी जो ली गई, केवल उसका खर्च 29 लाख 30 हजार रुपए है! ऐसे में जिन चीज़ों का जिक्र इस रिपोर्ट में है, वो चौंकाने वाले हैं (7/8)
एनसीबी के इसी रिपोर्ट के आधार पर अब सीबीआई ने एफआईआर दर्ज किया है और मामले की जांच की जा रही है.. जो शख्स खुद अबतक लोगों को अपने दफ्तर में बुलाता था, वो अब खुद जांच के घेरे में है.. इसमें से अधिकांश चीजों का खुलासा #nawabmalik ने उसी समय किया था और सारे आरोप गंभीर हैं! (8/8)
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यह @Dev_Fadnavis का फरवरी 2021 का वीडियो है..तब उनका कहना था कि संजय राठोड के खिलाफ कई सबूत मौजूद हैं और उन्हें सज़ा दी जानी चाहिए..आज यह मंच पर ताली बजाकर संजय राठोड को मंत्री बनाया रहे थे.. अब इन सब का कहना है कि राठोड को क्लीन चिट दी गई है..सवाल है कि क्या पूजा को न्याय मिला??
28 फरवरी 2021 का यह वीडियो है... विधानसभा सत्र के एक दिन पहले तब @Dev_Fadnavis कह रहे थे कि महा विकास आघाडी सरकार का आशीर्वाद संजय राठोड को है और इसलिए वो इस्तीफा नहीं दे रहे हैं.. महिला सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर नहीं है और बीजेपी इस मुद्दे को उठाएगी, यह भी उन्होंने कहा..
2 मार्च 2021 का यह वीडियो महाराष्ट्र विधानसभा का है.. इस वीडियो में @Dev_Fadnavis बता रहे हैं कि गैरकानूनी तरीके से एबॉर्शन कराया गया,पुलिस ने कार्रवाई नहीं की..यह सब तब जब संजय राठोड इस्तीफा दे चुके थे.. जाते जाते फडणवीस ने कहा कि आपको रात को नींद कैसे आती है...
महाराष्ट्र में लगातार चल रहे लाउडस्पीकर, अज़ान, हनुमान चालीसा और हिंदुत्व जैसे मुद्दों के बीच आज आपको कृष्णा तुसामड की कहानी बता रहा हूँ.. कृष्णा एक कृत्रिम गहने बनाने वाली कंपनी में सफाई का काम करते थे जहाँ 7 मई को गहने चोरी करने के शक पर उनकी पीट पीट कर हत्या कर दी गई.. (1/7)
कृष्णा को एक कुर्सी पर बाँधा गया, करीब ढाई घंटों तक उसे बैट, लोहा, सरिया और लकड़ियों से पीटा गया.. माँ ने अपने बेटे को अस्पताल में देखा, वो बता रही हैं कि बेटे की हालत क्या थी... (2/7)
परिवार हरियाणा का रहने वाला है और वाल्मीकि समाज से आता है।पूरा परिवार सफाई का काम करता है..कृष्णा को 4 बच्चे हैं जिसमें सबसे छोटी 6 महीने की बिटिया है..अब कमाने वाला कोई नहीं रहा..कृष्णा के पिता को अपने पोतों के भविष्य की चिंता है..घरवालों को पता है कि गरीब की कोई कीमत नहीं (3/7)
जब मजदूरों को पलायन करना पड़ा था,तब सोचा नहीं था कि जिस मुद्दे को लेकर हम सभी का सिर शर्म से झुक जाना चाहिए, कभी इसपर भी राजनीति की जाएगी.. ट्रेन और बस तो बहुत देरी से शुरू हुईं, माननीय प्रधानमंत्री @narendramodi जी, लोग पहले ही भूख के कारण सड़कों पर पैदल चलने लगे थे..
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8 महीने की गर्भवती महिला इसलिए सड़क पर नहीं थी कि कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, इसलिए सड़क पर थीं, क्योंकि इनके पास रहने और खाने के पैसे नहीं थे। इन्हें अपने किराए के मकानों से किराया नहीं देने पर निकाला जा रहा था, इनकी मदद करने वाला कोई नहीं था, दो साल बाद इसपर राजनीति हो रही है
भूख और बेरोज़गारी ने मजदूरों को सड़कों पर चलने को मजबूर किया। रात को यह चलते थे और दिन में आराम करते थे। @narendramodi जी अगर आपको लगता है कि मामले बढ़ने के वजह से बाहर निकले तो शायद आपको सही जानकारी नहीं दी गई, हर किसी का कहना था कि कोरोना से मरें ना मरें, भूख से मर जाएंगे..
पिछले कुछ दिनों में मजदूरों की परेशानी बताई है, अबतक जो समझ में आया उसके अनुसार यह सब कर उनकी परेशानी खत्म तो नहीं, पर कम कर सकते हैं
1: मजदूरों के लिए ट्रक या बस की व्यवस्था की जाए.. मजदूर दिन रात चल रहे हैं, बस में या ट्रक में 12 घंटे खुशी खुशी खड़े रहकर वो चले जाएंगे (1/5)
2: सड़क पर चल रहे मजदूर सोशल डिस्टेन्स वैसे भी नहीं रख रहे, इसलिए बस में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को बिठाया जाए, गाँव पहुंचने पर क्वारंटाइन किया ही जाएगा
3: हाइवे पर जगह जगह पर पानी के टैंकर रखे जाएं, मजदूरों को 24 घंटे में एक बार खाना नसीब हो रहा है, पानी से मदद मिलेगी (2/5 )
4: संभव हो तो प्रशासन जगह जगह पर खाना दे, बिस्कुट खाकर चलते जा रहे मजदूर बहुत कमजोर हो चुके हैं
5: शौचालय की व्यवस्था करें, महिलाएं अंधेरा होने का इंतज़ार कर रही हैं शौच में जाने के लिए, दिनभर चाह कर भी कहीं नहीं जा पा रही हैं, (3/5 )