किस्सा 1995/96 का..
मेरे चाचा सुबेदार अलादीन खां ग्वालियर से पूरी फोर्स 73 Armd के साथ बीकानेर आ गये पूरी ट्रेन बुक थी टेंक भी साथ थे लालगढ रेल्वे स्टेशन यार्ड में ट्रेन लगी थी मैं खुद स्तकबाल करने गया था...
वैसे मैं ग्वालियर भी जाकर आया था छावनी में...
मेरी दुकान K.K. जूस सेंटर जबरदस्त चल रही थी ....चाचा जी कुछ दिन बाद जब छावनी में सट हो गए तो फौजी गाड़ी लेकर अपने अफसरों के साथ मेरी दुकान में आए थे जिसमें एक ड्राईवर और कुछ फौजी जवान थे....
चाचा जी और अफसरों को मैने उपर फैमिली केबिन में बिठा दिया था...मशहूर बील शेक और स्पेशल लस्सी भेजी ....पैसे तो मैं लेता नहीं और वह देने वाले भी नहीं थे क्योंकि मेरे चाचा सुबेदार हाजी अलादीन खां कंजूस ही नहीं महाकंजूस थे और है।
उपर से एक फौजी मेरे पास नीचे आया वह टेंक आपरेटर था.आया बैठा.मुलाकात की.और भीड़ थी बोल न पाया..क्योंकि में बहुत ज्यादा गुस्से में भी रहता था क्योंकि हर चीज व्यवस्थित रखना साफ सफाई एक मख्खी को भी न टिकने देना हर गिलास गर्म पानी सर्फ से धोना मेरी नजरें चारों ओर सचेत सावधान रहती थी
वह फौजी खामौशी से बैठा रहा...कुछ भीड़ कम हुई और माहौल शांत हुआ मुझे शांत देखकर उसने मुझ से मुलाकात की और हम बातचीत करने लगे....
उपर सब लस्सी रबड़ी बील शेक के फ्रि का आनन्द ले रहे थे।
फौजी साहब ने पूछा की खान साहब कोई धंधा कारोबार बताओ रिटायरमेन्ट के बाद क्या करें....
मैने कहा जनाब मैं अनपढ क्या बताऊंगा मैं तो खुद ये काम इसलिए कर रहा हूं और कुछ समझ में नहीं आया...
फिर मैने कुछ सोचकर कहा की आजकल बिल्डिंग मटीरियल और बिजली पलम्बर का काम कामयाब है और रिस्क भी नहीं मेरे काम में रिस्क मेहनत परेशानी बहुत ज्यादा है।
तो फौजी साहब ने कहा नहीं नहीं एसे वैसे काम नहीं वो बताओ जिसमें बेशुमार दौलत आए....
मैने सोचा मन में अगर एसा काम मुझे पता होता तो में गिलास कप न धोता बर्तन खुद न मांझता. ..
मैने कहा नहीं जनाब एसे काम की मुझे कोई जानकारी नहीं है...
और वह शख्स किसी सोच में डूब गया ..में अपने काम में डूब गया गुस्सा करने डांट फटकार में लग गया..
चाचा सुबेदार अलादीन खां और अफसर खा पीकर डकार मारकर नीचे आ गए और बिना बिल पूछे रवाना हो गए जो मुझे एसी ही उम्मीद थी..मगर मैने खिलाने पिलाने में कोई कंजूसी नहीं की ..चाचा भी और साढू भी.
अब इस कहानी का मैन मकसद सुनिए...जो शख्स मुझ से अकूत धन कमाने का गुर पूछ रहा था वह वाकई में बेशुमार दौलत कमाने लग गया ...दूर दूर से लोग उसके पास आते हैं पूरा हरियाणा राजस्थान पंजाब यूपी तक लोग आते हैं....और हींग लगे न फिटकरी रंग भी आए चोखा...
सिर्फ अपने थूक से करोड़ों रुपए का कारोबार शुरू कर लिया....ये वही शख्स था जो मेरी दुकान में बील शेक पीते हुए मुझ से अकूत धन कमाने का राज पूछ रहा था...
😭 काश यह गुर मुझे पता होता तो ....😜
😛 म्हारो बाबो थार बागेश्वर से कम कोनी....यकीन न हो तो जाकर पता कर लेना जाबासर झूंझनू राजस्थान 🙏जय हो बाबा जाबासर धाम की....
B. A. Khan. K.K. रामगढ सेठान हाल:-बीकानेर।
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कालाधन और जाली नोट रोकने में मो+दी फेल
2000 रुपये के नोट चलन से वापस लेने से साफ पता चलता है कि यह सरकार कालेधन और जाली नोट के धंधे पर लगाम लगाने में फेल हो गई है। नोटबंदी के समय मोदी और उनके चाटुकार भले ही यह अंदाजा लगाने में नाकाम रहे कि बड़े नोट नकद लेन-देन में ज्यादा उपयोगी
होने से न कालेधन का कारोबार रोका जा सकेगा और न ही जाली नोट छापना बंद हो जायेगा लेकिन सारे देश की जनता को यह भली-भांति मालूम था।
जिस दो हजार रुपए के नोट पर जटिल सिक्योरिटी फीचर्स होने से उसकी अनधिकृत छपाई असम्भव प्रचारित की गई, उसकी धज्जियां मोदी के गृहराज्य गुजरात में एक
पखवाड़े के भीतर ही जालसाजों द्वारा भारी संख्या में जाली नोट छापकर उड़ा दी गईं थीं। इसके अलावा चंडीगढ़ के दो युवा नौसिखिया भाई-बहन ने एक महीने में दो हजार के डेढ़ करोड़ रुपए के जाली नोट छाप कर उनमें से कुछ बाजार में चला भी दिये थे।
क्या आप सोचते हैं कि नोटबंदी का कदम मोदी सरकार का मूर्खतापूर्ण कदम था? तो मोदी नहीं आप अपनी मूर्खता का जश्न मनाईये , नहीं तो दिमाग की बत्ती जलाइये और सोचिये कि इस नोटबंदी से कौन कमजोर हुआ और कौन मजबूत हुआ? तब आपकी आँखे खुल जायेगी कि मोदी मूर्ख है कि नहीं लेकिन आप की मूर्खता
पर कोई शक नहीं होना चाहिये. संघ का लक्छ्य दिल्ली की सरकार पर इस संविधान के तहत काबिज होना नही है बल्कि किसी की सरकार रहे जिसमे मनुस्मृति सोच मजबूत हो। अंत मे समय आने पर मनुस्मृति का चितपावनी संविधान लागू हो.दूसरी बात इनके लिये व्यक्ति प्रधान नही , इनके लिये सोच प्रधान है.
गोलवलकर को पढ़िये उनकी आर्थिक सोच क्या थी ? देश की दो चार लोगों के पास होनी चाहिये, जिनपर सरकार या शासक का कब्जा हो, आम आदमी केपास सामान्य जीवन जीने से ज्यादा धन नही होना चाहिये।
उसी सोच का पहला कदम नोटबंदी था और वह कदम रूका नहीं है चल रहा है उसका दूसरा कदम 2000 की वापसी।
नोटबंदी २ के बाद जब दोनो नरक में पहुंचे तो चारो तरफ शोर हुआ,"चिप वाले आ गए,,,चिप वाले आ गए,,,"
चित्रगुप्त बाहर निकलकर प्रहरी से पूछे,,क्या दोनो आ गए,,?
जी महाराज,,।
ठीक है, दोनो को खास वाला सम्मान देकर यहां लाओ,, उनका हिसाब अभी ही करना है। बही खाता पहले से तैयार है।
जी महाराज,,
और फिर दोनो को खास वाला सम्मान अर्थात गले में माइक की तार लपेट कर घसीटते हुए ले गए चित्रगुप्त जी के पास,,,,।
आओ आओ चिप वालों,, आओ
दोनो खुश भी हुए की प्रहरी भले ही ना पहचानते हों, गले में तार लपेट कर घसीट कर लाए,,, किंतु चित्रगुप्त जी पहचानते हैं। जान बचेगी।
चित्रगुप्त जी बोले,, तुम्हारे सभी गुनाह माफ कर दिए गए हैं, तुम्हारे सारे पाप, झूठ सभी माफ कर दिए गए हैं। क्योंकि तुम्हारे एक खास गुनाह के सामने अन्य सारे गुनाह तुच्छ साबित हुए। अतः माफ़,,,,,,।
तुम्हारे द्वारा पत्रकारिता के दौरान बोले गए झूठ,,,तुम्हारी मक्कारी,,,
एक होती है गुफा, एक होता है मानव ..गुफा में मानव होता है तो उसे गुफा मानव कहते है। अंग्रेज उसे केवमैन कहते है। इंडियन उसे बाबाजी समझते है।
केव मैन कहिये, या बाबाजी .. गुफा में प्राकृतिक जीवन का आनंद प्राप्त करते है। फालोवर्स उनके सुख में सुखी होते है।
इस तरह मिलजुलकर, सौजन्य से एक शुद्ध और बेहतर समाज का विकास होता है।
मगर विकास की प्री कंडीशन होती है अन्वेषण।
विकास का अविष्कार होता हैखोज होती है। मनुष्य का विकास से पहला एनकाउंटर तब हुआ,जब गुफा मानव ने आग खोज निकाली। फिर उसने वीड एनर्जी खोजी,और दम लगाकर आग लगाने निकल पड़ा।
यह बात अधिक पुरानी नही है। आपको पता है 2014 तक हम गुफा से बाहर नही आ पाए थे।
तो साहबान, वो गुफा मानव जो था, पत्थरों के बीच रहता था। अपने दिल की बाते पत्थरो पर लिखता, चित्र बनाता, जो जी मे आता, लिख लेता, रंग देता, गोद देता।
2018 में राहुल गांधी का "लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स" (LSE) में दिया गया भाषण भारतीय अर्थव्यवस्था पर आजतक की सबसे सटीक भविष्यवाणी थी..आज भी यूट्यूब पर सुन सकते है👇
1. राहुल गांधी ने LSE में बोला था कि भारत मे "स्ट्रक्चरल मंदी" आ चुकी है..यानी डिमांड सप्लाई का हर रिश्ता खत्म..
2. भारत की अर्थव्यवस्था का "बेसिक स्ट्रक्चर" 2016 में नोटबन्दी के द्वारा मोदी ने तहसनहस कर दिया है..आज सामने है..
3. नोटबन्दी/GST के कारण भारत मे "स्ट्रक्चरल बेरोजगारी" पैदा होगी..यानी दशकों तक बेरोजगारी रहेगी..आज?
4. राहुल ने 4 मुख्य रास्ते सुझाए थे
- NYAY योजना
- 7 करोड़ MSME को बचाना
- कृषि/इंफ्रास्ट्रक्चर/शिक्षा पर ज्यादा खर्च
- खाली सरकारी पदों की भर्ती करना
5. राहुल गांधी को 32 देशों के छात्रों ने सवाल पूछा था..एक सवाल के जवाब में राहुल ने कहा था : भारत को तय करना है कि "BM" चाहिए या "AM" चाहिए