#धर्मसंसद
सूर्पनखा- रावण की बहन और रामायण की असली खलनायिका। वैसे कुछ लोग मुख्य खलनायिका कैकेई को मानते हैं पर मैं ऐसा नहीं मानता। इसके विषय में काफी कुछ जानकारी तो सबको पता होगी। कुछ अन्य बातें जानिए।इसका नाम सूर्पनखा नहीं था।यह तो मजाक में रखा गया था जो कालांतर में
प्रसिद्ध हो गया।इसका वास्तविक नाम बज्रमणि था।इसकी आंखें बड़ी सुंदर थीं और इसीलिए इसकी इसकी नानी सुकेशी ने बचपन में इसका नाम मीनाक्षी रखा था। यह अपने समय की फैशनेबल महिला थी। बड़े-बड़े नाखून रखना और उसे प्राकृतिक रंगों से रंगना इस महिला का शौक था। इसीलिए मजाक मजाक में
लोग इसे सूर्पनखा कहने लगे। रावण बड़ा अहंकारी था यह इससे सिद्ध होता हैं कि उसने अपनी दोनों बहनों के विवाह के विषय में सोचा ही नहीं। मंदोदरी आदि द्वारा समझाए जाने पर कहता था कि मेरे बराबर वीर कोई असुर दैत्य दानव यक्ष किन्नर नाग वंश में है नहीं और मनुष्यों और देवताओं को
मैं पसंद नहीं करता।उसी समय एक घटना घटती है। दैत्यों की अन्य शाख कालकेय नाम से उभर रही थी। यह कालकेय मुख्य रूप से समुद्र के द्वीपों पर रहा करते थे।कुशल नाविक और नौसैनिक हुआ करते थे। समुद्री उत्पाद जैसे मछली सी फूड मूंगा मोती और नमक का व्यापार किया करते थे। योद्धा
तो थे पर कुशल व्यापारी भी होते थे।इन कालकेय दैत्यों की राजधानी लंका से कुछ योजन दूर जहां आजकल मालदीव है हुआ करती थी। इन्हीं कालकेय दैत्यों के प्रमुख सेनापति का पुत्र था विद्युजिह्व। यह अक्सर अपने व्यवसाय व्यापार के सिलसिले में लंका आया करता था।बाद में चलकर दोनों
में प्रेम हो गया।रानी मंदोदरी भी इस संबंध के लिए सहमत थी पर भयवश रावण से कह नहीं सकी।इसी बीच रावण अपनी विशाल नौसेना के साथ दिग्विजय के लिए पश्चिम एशिया के देशों की ओर चला गया। इसी दिग्विजय यात्रा में रावण ने यम कुबेर शनि वरुण अग्नि सूर्य और चन्द्र आदि के राष्ट्रों
पर विजय प्राप्त की और इनमें से कुछ को बंदी बनाकर लंका के कारागार में डाल दिया जिनका उद्धार हनुमानजी ने लंका दहन के समय किया था।इसी समय मंदोदरी की सहमति से सूर्पनखा अपने प्रेमी
विद्युज्जिह्व के साथ लंका से निकल भागी और कालकेय द्वीप पर जाकर रहने लगी। जब रावण दिग्विजय से लौट
आया तो उसे सारी कहानी पता चली। लंका में उस समय केवल छोटे भाई विभीषण रह गए थे। कुंभकर्ण मेघनाद आदि सभी प्रमुख सेनापति रावण के साथ चले गए थे। लौटने के बाद रावण के क्रोध की सीमा न रही और उसने कालकेय द्वीप पर आक्रमण कर दिया।घोर युद्ध हुआ पर कालकेयों की छोटी सी सेना
रावण का कब-तक प्रतिरोध करती। परिणामस्वरूप विद्युज्जिह्व मारा गया। सूर्पनखा को लेकर रावण लंका लौट आया पर इससे सूर्पनखा का दुःख कम नहीं हुआ।तब रावण ने उसका मन राजकार्यों की मोड़ दिया। सूर्पनखा को दंडकारण्य का राज्यपाल नियुक्त कर दिया। उसकी सहायता के लिए अपने मौसेरे भाइयों
खर और दूषण के नेतृत्व में १४०००
सैनिकों की एक टुकड़ी रख दिया।शेष कथा तो जानते ही होंगे कि कैसे उसने राम से प्रणय निवेदन किया और नाक कट जाने पर लंका पहुंच कर राम लक्ष्मण से बदला लेने के लिए भाई रावण से कहा। परिणामस्वरूप लंका का विनाश हो गया। धन्यवाद जय
किसी पुरानी हिंदी फिल्म का गाना है "
तुम जो इतना मुस्कुरा रहे हो
कौन सा गम है जो छुपा रहे हो।
कुछ पार्टियों और नेताओं का आज यही हाल हुआ है। इनमें प्रमुख हैं ममता बनर्जी नीतीश कुमार तेजस्वी यादव हेमंत सोरेन अखिलेश यादव और के चंद्रशेखर राव। कुछ हद तक जगनमोहन रेड्डी भी है
पर अभी उनके यहां समस्या इतनी गंभीर नहीं हुई है। और यह समस्या पैदा हुई है कर्नाटक चुनाव से। हालांकि इसका प्रभाव लोकसभा चुनाव पर नहीं पड़ेगा पर प्रदेशों के चुनाव में तो पड़ेगा ही। ऐसा नहीं है कि कर्नाटक में भाजपा इसलिए हारी है कि उसे कम वोट मिला है। भाजपा का 36% वोट तो
उसके साथ इंटैक्ट रहा। गड़बड़ी जद एस के वोट में हो गई। अभी तक जद एस की जीत के आधार दो तरह के वोटर रहे वोक्कालिंगा और मुस्लिम। अबकी बार ऐसा हुआ कि जदद एस के 5 % मुस्लिम वोट खिसककर कांग्रेस की ओर चले गए और कांग्रेस के वोट 37 से बढ़कर
42% हो गया। सीधा सा मतलब है कि
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जितने भी नियमित लेखकों ने उत्तर दिया अच्छा और विस्तृत उत्तर दिया। आज का प्रश्न किसी ऐसे महत्वपूर्ण पात्र के विषय में नहीं था जिसका उल्लेख किसी ग्रंथ में किया गया हो। वज्रज्वाला रावण के भाई कुंभकर्ण की पत्नी थी। राजा बलि की पुत्री तथा बाणासुर की यह बहन
अपने समय की वैज्ञानिक प्रतिभा संपन्न महिला थी। कुंभकर्ण के विषय में यह जो भ्रांति है कि वह छः महीने तक सोता था गलत है।
रामचरितमानस में तो संक्षेप में वर्णन किया गया है पर वाल्मीकि रामायण में कुंभकर्ण की मृत्यु के बाद रावण का सुनने लायक है। वहां रावण रोते हुए
कहता है कि भाई तुम तो मेरी दायीं भुजा थे। मेरे हर विजय अभियान में मेरे साथ रहे। राज्यों को जीत कर लंका की प्रतिष्ठा बढ़ाने में हमेशा बढ़-चढ़कर भाग लेते रहे। यदि एक क्षण के लिए मान लिया जाए कि कुंभकर्ण छः महीने सोता था तो फिर प्रश्न उठता है कि रावण के साथ दिग्विजय
क्या आप जानते हैं कि शिवकुमार के बजाय सिद्धारमैया को कर्नाटक का मुख्यमंत्री क्यों बनाया गया है?
तो ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि डीके शिवकुमार एक बड़े हिंदू हैं।वे पूरी भक्ति भाव से मंदिर मंदिर जाते हैं। उन्होंने चुनाव बाद कर्नाटक के हर जिले में हनुमान मंदिर
बनवाने का संकल्प लिया था। इसके विपरीत सिद्धारमैया की विचारधारा गांधी परिवार से अधिक मिलती है। गांधी फेमिली की ही तरह सिद्धारमैया कट्टर कम्युनिस्ट और नास्तिक हैं। इससे भी बढ़कर एक योग्यता और है कि वह कट्टर हिन्दू द्रोही हैं। तुष्टिकरण के वोट इसीलिए कांग्रेस को मिला था
कि उन्हें भरोसा दिया गया था कि उनके प्रिय नेता सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बनेंगे। बाकी तो वोक्कालिंगा समुदाय को घिस्सा देने के लिए नौटंकी हो रही थी। यह बात चुनाव के पहले ही तय हो चुकी थी। प्रचंड बहुमत के कारण शिवकुमार चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते। यही फार्मूला अगले आम चुनाव
दमड़ी की हांडी गई कुत्ते की जाति पहचानी गई।२००० के नोट तो वैसे ही चलन में नहीं थे क्योंकि इसकी छपाई ही 2018 में बंद हो गई थी और बैंकों को निर्देश दिया गया था कि जितने भी ऐसे नोट आएं उन्हें फिर किसी को न दिए जायं। सीधे आरबीआई को वापस कर दिया जाय। कुल 6.30 लाख करोड़ के
नोट छापे गए थे जिसमें से करीब आधे नोट बैंक में वापस आ गए थे।बचे थे केवल 3 करोड़ 19 लाख नोट जिसका पता नहीं चल रहा था कि यह नोट हैं कहां। ज्यों ही आरबीआई ने घोषणा किया कि दो हजार के नोट अब 30 सितंबर के बाद नहीं चलेंगे कि बिल में पानी घुस गया। कीड़े मकोड़े की तरह
बिलबिलाते हुए नेता सामने आ गये। फिर वही पुराना रोना-धोना शुरू हो गया कि अर्थव्यवस्था बिगड़ जाएगी। उद्योग व्यापार चौपट हो जाएगा। कोई नेता यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि अगले चुनाव के लिए रखे गए इन नोटों का क्या होगा।पुरानी बात रही भी नहीं जब लोग सोचते थे कि चलो
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प्रश्न इतने सुपरिचित पात्र पर था कि जबाव देने की बहुतों ने आवश्यकता नहीं समझी। फिर भी नियमित लेखकों प्रेरक अग्रवाल सत्यवती शशिबाला राय नीलम मिश्रा ने विस्तृत रूप से उत्तर दिया है। जैसा कि आप लोगों ने रामायण सीरियल में देखा होगा या रामचरितमानस में पढ़ा
होगा कि सुलोचना रावण की पुत्रवधू और मेघनाद की पत्नी थीं। यह नागराज वासुकी की कन्या थी। अब यह मत सोचिए कि एक सरीसृप प्रजाति के प्राणी वासुकी नाग की कन्या एक सुंदर स्त्री कैसे हो सकती है? जान लीजिए और और जरूरत पड़ने पर वामपंथियों को जबाव देने लायक ज्ञान पाइए कि नाग
कौन थे। यह एक मानव जाति थी जो प्रकृति पूजक थी।नाग इनके कुलदेवता होते थे।नाग पालना उसके विष से अनेकों प्रकार के अस्त्र शस्त्र बनाना और विष से औषधि बनाना इस जाति का मुख्य उद्यम था।आज के भर खरवार केवट मल्लाह इन्हीं नागों के वंशज हैं। इतिहास उठाकर देखेंगे तो पाएंगे कि
माननीय सुप्रीम कोर्ट के तीन फैसले जो इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखे जाएंगे। किसी ने शायद ही ध्यान दिया होगा कि हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने तीन ऐतिहासिक महत्व का फैसला सुनाया है जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी।
१- केरला स्टोरी पर फैसला। बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने
फिल्म द केरला स्टोरी पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार की दलील नकारते हुए फिल्म पर प्रतिबंध को रद्द कर दिया। सबसे बड़ी बात सुप्रीम कोर्ट का यह कहना रहा कि हम लोग भी फिल्म देखेंगे।आप फिल्मों में पंडितो
पुजारियों का मज़ाक उड़ाते हैं तो अच्छा लगता है और कोई मुस्लिम आतंकवादी की आलोचना करे तो बुरा क्यों लगता है।
२- तमिलनाडु में जलीकट्टू और महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ पर २०११
से लगा प्रतिबंध हटा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सब त्योहार देश की संस्कृति के लिए