कई बार हम लोग मोदी सरकार की उपलब्धियों को निर्धनता उन्मूलन, आतंकियों से निपटना,अनुच्छेद 370 एवं 35A हटाना, बैंक NPA एवं भ्रष्टाचार में कमी लाना, उत्तम रेल,सड़क,बंदरगाह एवं हवाई इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना,राम मंदिर निर्माण,केदारनाथ-बद्रीनाथ तीर्थ क्षेत्र विकास इत्यादि के सन्दर्भ में👇
आंकते है।
लेकिन इन सब से भी महत्वपूर्ण घटनाक्रम आपके, हमारे घरो के अंदर घटित हो रहा है
सोशल मीडिया से स्पष्ट है कि केरल स्टोरी देखने के बाद माता-पिता अपने बच्चो, विशेषकर किशोरियों, से सनातन धर्म के बारे में संवाद कर रहे है। साथ ही दूषित विचारधारा के छल-प्रपंच, क्रूरता, वहशीपना,
इस कुत्सित विचारधारा की उत्पत्ति, इस घिनौनी विचारधारा के निर्दोष पीड़ितो के बारे में बतला रहे है।
मेरा मानना है कि समाज में बदलाव तभी संभव है जब परिवार में जागरूकता आए।
जब हमारे त्योहारो के ठीक पूर्व कभी कपड़ा धोने का डिटर्जेंट, कभी ज्वेलरी के विज्ञापनों इत्यादि के द्वारा
सनातनी आस्था पे चोट की जाती है; हमारे आराध्यो के जीवन का भद्दा, द्वेषपूर्ण एवं शरारती मंचन किया जाता हो; तो एक तरह से हमारे परिवार,हमारी आस्था के मूल्यों पर चोट की जा रही थी
जैसे पूर्व में वहशी अक्रान्ताओ ने हमारे मंदिरो को खंडित किया गया था; ठीक वैसे ही हमारे मूल्यों को पिछले
कुछ दशकों से खंडित किया जा रहा था। और इस विखंडन को सेकुलरिज्म के नकली मुखौटे के नाम पर प्रमोट किया जाता था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक बड़ी उपलब्धि यह है कि अब #केरल_स्टोरी, #कश्मीर_फाइल्स जैसी फिल्मे ना केवल बन रही, बल्कि रिलीज़ भी हो रही है और भारी लाभ कमा रही है।
अगर
कोई अन्य सरकार होती तो ऐसी फिल्मे कभी बन ही नहीं सकती थी। अगर बन जाती तो रिलीज़ नहीं होती। उन्हें सेंसर, कोर्ट-कचहरी के मकड़जाल में फंसा दिया जाता।
क्या हम अपने अपने गौरव की, अपने वैभव की पुनर्स्थापना बिना परिवार के अंदर एक सार्थक संवाद के कर सकते है?
इस पारिवारिक संवाद को
सुलभ बनानेके लिए #मोदी_सरकार को क्रेडिट नहीं दिया जाना चाहिए?
आजमगढ़ जिला के कस्बा सगड़ी स्थित
बाबा भोजनाथ प्राचीन शिव मंदिर जहां रविवार और मंगलवार को स्नान कर लेने से सभी प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं आज का नया वीडियो हमारे यूट्यूब चैनल धर्म ज्ञान पर
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छत्तीसगढ़ की विधानसभा का उद्घाटन न छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने किया न छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने किया, न छत्तीसगढ़ के किसी विधायक या सांसद ने किया।
कोई बताये की राहुल गाँधी व सोनिया गाँधी तो छत्तीसगढ़ से सांसद भी नहीं थे उन्होंने किस हैसियत से छत्तीसगढ़ विधानसभा का उदघाटन किया था?
भ्रष्ट कांग्रेस ने पूरे भ्रष्टाचारी विपक्ष को ऐसा लॉलीपॉप पकड़ा दिया है कि इनको लगता है माननीय प्रधानमंत्री जी उनके कहे अनुसार काम करें, अपने निर्णय ना लें, एक पंगु प्रधानमंत्री बन कर देश का संचालन करें।
जैसे कभी मौनी प्रधानमंत्री जी देश को कांग्रेस ने दिए थे।
अपने धर्मग्रंथों को पढ़िए ये सारे राक्षसों के वध से भरे पड़े हैं.
राक्षस भी ऐसे-२ वरदानों से प्रोटेक्टेड थे कि दिमाग घूम जाए
एक को वरदान प्राप्त था कि वो न दिन में मरे, न रात में, न आदमी से मर न जानवर से, न घर में मरे, न बाहर, न आकाश में मरे,न धरती पर👇
तो दूसरे को वरदान था कि वे भगवान भोलेनाथ और विष्णु के संयोग से उत्पन्न पुत्र से ही मरे.
तो, किसी को वरदान था कि... उसके शरीर से खून की जितनी बूंदे जमीन पर गिरें ,उसके उतने प्रतिरूप पैदा हो जाएं.
तो, कोई अपने नाभि में अमृत कलश छुपाए बैठा था.
लेकिन.हर राक्षस का वध हुआ.
हालाँकि
सभी राक्षसों का वध अलग अलग देवताओं ने अलग अलग कालखंड एवं भिन्न भिन्न जगह किया...
लेकिन... सभी वध में एक बात कॉमन रही और वो यह कि... किसी भी राक्षस का वध उसका वरदान विशेष निरस्त कर अर्थात उसके वरदान को कैंसिल कर के नहीं किया गया...
ये नहीं किया गया कि, तुम इतना उत्पात मचा रहे
यह सब अपने अपने धर्म के प्रचारक हैं सभी अपने धर्म की खूबियाँ बताते हैं अगर आपको टेरेसा से नफरत नहीं है जाकिर नायक से नफरत नहीं है तो फिर बाबा बागेश्वर की इस तरह से आलोचना क्यों करते हैं?
कुछ तो बात है 25 वर्ष के युवा में जिसे देखने सुनने के लिए 10 लाख की भीड़ जमा हो जाती है कुछ👇
तो चमत्कार उन लोगों के जीवन में होने वाला है जिसे महसूस करने के लिए इस भीषण गर्मी में लोग खींचे चले आ रहे हैं।
चंगाई के नाम पर होने वाले ड्रामे पर किसी मीडिया ने कभी कोई ऑब्जेक्शन उठाया? कभी जाकिर नाइक के झूठे लेक्चर को चैलेंज किया?नहीं न
कीड़ा सिर्फ सनातन के नाम पर काटता है और
वहाँ काटता है जहाँ रोज सुबह दर्द होता है।
आँखे और दिमाग दोनों खोलिए बाबा बागेश्वर अपना कर्तव्य कर रहे हैं आप भी अपना कर्तव्य करें।
रुद्रष्टाध्यायी
सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:|
रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीज योनिर्जनार्दन:||
यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन: |
ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत् ||
रुद्राष्टाध्यायी
यजुर्वेद का अंग है
और वेदों को ही सर्वोत्तम ग्रंथ बताया गया है👇
वेद शिव के ही अंश है।
वेद: शिव: शिवो वेद: ||
अर्थात्
वेद ही शिव है तथा शिव ही वेद हैं।
वेद का प्रादुर्भाव शिव से ही हुआ है।
भगवान शिव तथा विष्णु भी एकांश हैं तभी दोनो को हरिहर कहा जाता है।
हरि अर्थात् नारायण और हर अर्थात् महादेव वेद और नारायण भी एक हैं।
वेदो नारायण:
साक्षात्
स्वयम्भूरिति शुश्रुतम् ||
यही कारण है कि
भारतीय संस्कृति में वेदों का इतना महत्व है तथा इनके ही श्लोकों सूक्तों से पूजा यज्ञ अभिषेक आदि किया जाता है।
शिव से ही सब है
तथा सब में शिव का वास है
"शिव" "महादेव" "हरि" "विष्णु" "ब्रह्मा" "रुद्र" "नीलकंठ" आदि सब ब्रह्म के पर्यायवाची हैं
आओ लौट चलें वेदों की ओर जानिए वेद की आज्ञाओं के उलंघन का कितना भयंकर परिणाम हो सकता है ? भारत की दुर्गति के पीछे वेद की आज्ञाओं का उलंघन ही था ।
पहली आज्ञा :
अक्षैर्मा दिव्य: (ऋ १०|३४|१३)
अर्थात् "जुआ मत खेलो ।" इस आज्ञा का उलंघन हुआ । इस आज्ञा का उलंघन धर्मराज कहें जाने👇
वाले युधिष्टर ने किया ।
परिणाम :एक स्त्री का भरी सभा में अपमान महाभारत जैसा भयंकर युद्ध जिसमें लाखों,करोड़ों योद्धा और हज़ारों विद्वान मारे गए आर्यवर्त पतन की ओर अग्रसर हुआ दूसरी आज्ञा:मा नो निद्रा ईशत मोत जल्पिः (ऋ ८|४८|१४)
अर्थात् "आलस्य, प्रमाद और बकवास हम पर शासन न करें ।
लेकिन इस आज्ञा का भी उलंघन हुआ । महाभारत के कुछ समय बाद भारत के राजा आलस्य प्रमाद में डूब गये ।
परिणाम : विदेशियों के आक्रमण ।
तीसरी आज्ञा :सं गच्छध्वं सं वद्ध्वम (ऋ १०|१९१|२)
अर्थात् "मिलकर चलो और मिलकर बोलो वेद की इस आज्ञा का भी उलंघन हुआ जब विदेशियों के आक्रमण हुए तो देश
काल भैरव
शिवजी का दूसरा नाम
ऊँ श्री काल भैरवाय नमः ||
भगवान् शंकर के अवतारों मे
भैरवजी का अपना ही एक विशिष्ट स्थान है।
"भैरव"
भ : विशव का भरण
र : रमेश
व् : वमन
अर्थात
सृष्टि की उत्पत्ति पालन और सहांर करने वाले शिव ही काल भैरव हैं।
भैरव यंत्र की बहुत विशेषता मानी गई है।
भैरव👇
साधना अकाल मौत से बचाती है तथा भूत प्रेत काले जादू से भी हमारी रक्षा करता है।
शिव महापुराण के अनुसार
परमेश्वर सदाशिव ने
मार्गशीष के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भैरव रूप में अवतार लिया था।
अतः उन्हें साक्षात् भगवान शंकर ही मानना चाहिए।
भैरव भगवान शिव का दूसरा रूप हैं।
भैरव का अर्थ
भयानक तथा पोषक दोनों हैं।
इनसे काल भी सहमा रहता है।
इसलिए इन्हें "काल भैरव" कहा जाता है।
जय महाकाल