#RasbihariBose क्रान्तिकारी रासबिहारी बोस / जन्म दिवस - 25 मई
बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में प्रत्येक देशवासी के मन में भारत माता की दासता की बेडि़याँ काटने की उत्कट अभिलाषा जोर मार रही थी। कुछ लोग शान्ति के मार्ग से इन्हें तोड़ना चाहते थे, तो कुछ जैसे को तैसा वाले मार्ग को अपना
कर बम-गोली से अंग्रेजों को सदा के लिए सात समुन्दर पार भगाना चाहते थे। ऐसे समय में बंगभूमि ने अनेक सपूतों को जन्म दिया, जिनकी एक ही चाह और एक ही राह थी - भारत माता की पराधीनता से मुक्ति।
25 मई, 1885 को बंगाल के चन्द्रनगर में रासबिहारी बोस का जन्म हुआ। वे बचपन से ही
क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आ गये थे। हाईस्कूल उत्तीर्ण करते ही वन विभाग में उनकी नौकरी लग गयी। यहाँ रहकर उन्हें अपने विचारों को क्रियान्वित करने का अच्छा अवसर मिला, चूँकि सघन वनों में बम, गोली का परीक्षण करने पर किसी को शक नहीं होता था।
रासबिहारी बोस का सम्पर्क दिल्ली, लाहौर
और पटना से लेकर विदेश में स्वाधीनता की अलख जगा रहे क्रान्तिवीरों तक से था। 23 दिसम्बर, 1912 को दिल्ली में वायसराय लार्ड हार्डिंग की शोभा यात्रा निकलने वाली थी। रासबिहारी बोस ने योजना बनाई कि वायसराय की सवारी पर बम फंेककर उसे सदा के लिए समाप्त कर दिया जाये। इससे अंग्रेजी शासन में
जहाँ भय पैदा होगा, वहाँ भारतीयों के मन में उत्साह का संचार होगा।
योजनानुसार रासबिहारी बोस तथा बलराज ने चाँदनी चौक से यात्रा गुजरते समय एक मकान की दूसरी मंजिल से बम फेंका; पर दुर्भाग्यवश वायसराय को कुछ चोट ही आयी, वह मरा नहीं। रासबिहारी बोस फरार हो गये। पूरे देश में उनकी तलाश
जारी हो गयी। ऐसे में उन्होंने अपने साथियों की सलाह पर विदेश जाकर देशभक्तों को संगठित करने की योजना बनाई। उसी समय विश्वकवि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर जापान जा रहे थे। वे भी उनके साथ उनके सचिव पी.एन.टैगोर के नाम से जापान चले गये।
पर जापान में वे विदेशी नागरिक थे। जापान और अंग्रेजों
के समझौते के अनुसार पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर भारत भेज सकती थी। अतः कुछ मित्रों के आग्रह पर उन्होंने अपने शरणदाता सोमा दम्पति की 20 वर्षीय बेटी तोसिको से उसके आग्रह पर विवाह कर लिया। इससे उन्हें जापान की नागरिकता मिल गयी। यहाँ तोसिको का त्याग भी अतुलनीय है। उसने रासबिहारी के मानव
कवच की भूमिका निभाई। जापान निवास के सात साल पूरे होने पर उन्हें स्वतन्त्र नागरिकता मिल गयी। अब वे कहीं भी जा सकते थे।
उन्होंने इसका लाभ उठाकर दक्षिण एशिया के कई देशों में प्रवास कर वहाँ रह रहे भारतीयों को संगठित कर अस्त्र-शस्त्र भारत के क्रान्तिकारियों के पास भेजे। उस समय
द्वितीय विश्व युद्ध की आग भड़क रही थी। रासबिहारी बोस ने भारत की स्वतन्त्रता हेतु इस युद्ध का लाभ उठाने के लिए जापान के साथ आजाद हिन्द की सरकार के सहयोग की घोषणा कर दी। उन्होंने जर्मनी से सुभाषचन्द्र बोस को बुलाकर ‘सिंगापुर मार्च’ किया तथा 1941 में उन्हें आजाद हिन्द की सरकार का
प्रमुख तथा फौज का प्रधान सेनापति घोषित किया।
देश की स्वतन्त्रता के लिए विदेशों में अलख जगाते और संघर्ष करते हुए रासबिहारी बोस का शरीर थक गया। उन्हें अनेक रोगों ने घेर लिया था। 21 जनवरी, 1945 को वे भारत माता को स्वतन्त्र देखने की अपूर्ण अभिलाषा लिये हुए ही चिरनिद्रा में सो गये।
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
कल दुबई में चार्टर्ड अकाउंटेंट और दुबई स्टॉक एक्सचेंज में कंसल्टेंसी करने वाले एक मित्र से व्हाट्सएप पर बहुत लंबी चर्चा हुई।उन्होंने बताया की यह जो तथाकथित राम कथा कहने वाले लोग हैं या भागवत कथा कहने वाले लोग हैं और इनकी कथाओं को जो कंपनियां स्पॉन्सर करती हैं आप कुछ सालों के बाद
उन कंपनियों की बैलेंस शीट देखिए वह कंपनी अचानक से इतनी ग्रो कैसे करने लगती है??
उन्होंने मुझे दो तीन कंपनियों का नाम भी बताया हालांकि मैं बगैर प्रूफ के उन कंपनियों का नाम नहीं लिखूंगा लेकिन यह कंपनियां राजस्थान और गुजरात की ही है और मैं खुद अपनी आंखों से देखा हूं कि 15 साल पहले
तक उन कंपनियों का कोई वजूद नहीं था लेकिन मात्र 15 साल में वह कंपनी आज 600 करोड़ से लेकर 800 करोड़ तक की टर्नओवर करने लगी है और कई प्रोडक्ट बनाने लगी है ।।
उन्होंने मुझे पूरा गणित बताया
ये तथाकथित संत यह तथाकथित कथावाचक दुबई आते हैं यहां पर सऊदी अरब के बहाबी लोगों के साथ उनकी
#स्थान: श्री हनुमान गढ़ी मंदिर अयोध्या जी मंदिर। #समय: साल 1998 का एक अघोषित दिन।
मंदिर परिसर में लगे ठंडे पानी की मशीन के पास बैठा एक छोटा सा वानर मुंह में दो बिजली के तारों को लिए चबाए जा रहा था,मानों कोई फल हो।पूरा मंदिर खाली करा लिया गया था,एक एक श्रद्धालु और एक एक दर्शनार्थी
केवल पुलिस बल और बम निरोधक दस्ता वहां उस समय हनुमान गढ़ी मंदिर के भीतर था, और वे सभी के सभी उस छोटे से वानर को बिजली का तार चबाते हुए देख रहे थे।
पर मंदिर पूरा खाली क्यों था और पुलिस के साथ में बम निरोधक दस्ता वहां क्या कर रहा था?
इसे थोड़े से में बता रहा हूं क्योंकि 1998 में
घटी ये सत्य घटना आज तक किसी अखबार या न्यूज चैनल में ये घटना दिखाई नही गई है अयोध्या के अति संवेदनशील होने के कारण।साल 1998 में करीब बीस किलो आरडीएक्स अयोध्या में आने की खबर उत्तरप्रदेश की एसटीएफ यानी विशेष पुलिस दस्ते को लगी थी, जिसमे से अधिकांशतः आरडीएक्स को समय रहते पुलिस
पश्चिमी रेगिस्तान की भूमि भले ही बंजर हो, लेकिन प्रकृति ने इस क्षेत्र को भी कुछ अनमोल सौगातें प्रदान की हैं। प्रचंड गर्मी की शुरुआत होते ही रेगिस्तान में विषम हालात पैदा हो जाते हैं। कई बार तापमान 50 डिग्री भी पार कर जाता है।
गर्मी की तीव्रता बढ़ने के साथ ही यहां कुछ ऐसे फल
उगते हैं, जो न केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि अत्यधिक गर्मी से शरीर की रक्षा भी करते हैं। इन्हीं में एक फल है 'पीलू'।
रंग-बिरंगे पीलू से लदे वृक्ष बरबस ही लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।
पीलू के पेड़ को स्थानीय भाषा में जाल के नाम से भी जाना जाता है। इसी जाल के पेड़ पर छोटे
छोटे रसीले पीलू के फल लगते हैं। यह फल मई व जून तथा हिन्दी के ज्येष्ठ व आधे आषाढ़ माह में लगते हैं। इसकी विशेषता यह है कि रेगिस्तान में जितनी अधिक गर्मी और तेज़ लू चलेगी पीलू उतने ही रसीले व मीठे होंगे। लू के प्रभाव को कम करने के लिए यह एक रामबाण औषधि मानी जाती है।
इसे खाने से
शालिनी उन्नीकृष्णन नर्सिंग कॉलेज में दाखिला लेती है जहां उसकी रूम मेट होती हैं गीतांजलि, नीमा मैथ्यूज औरआसिफा।
शालिनी एक धार्मिक परिवार से है जिसके परिवार में मां और दादी है।
गीतू के पिता एक communist है तो नास्तिक होने के कारण किसी भगवान को नहीं मानते,वही प्रभाव गीतू पर भी है।
नीमा एक क्रिश्चियन लड़की है और उसका जीसस पर पूरा विश्वास है।
जबकि दोनो हिंदू लड़कियों को अपने धर्म के बारे में कुछ भी नही पता।
हमारे धर्म में क्या क्या अच्छा है और हर चीज के पीछे क्या लॉजिक है, इस बारे में इन्हे किसी ने नहीं बताया और इसी का फायदा उठाती है आसिफा जिसका काम है
लड़कियों को बहला फुसला कर अपने मजहब में ले के आना ..
वो कहती है कि तुम्हारा एक भगवान हर किसी के साथ रास लीला करता फिरता है, एक भगवान इतना कमजोर है कि उसकी बीवी को एक राक्षस उठा के ले जाता है और उसे बंदरों की मदद लेनी पड़ती है और तुम उन बंदरों को भी पूजते हो ..
वो कहती है कि