Why the Ancient Vedic Rishis created the Gotra system, why did they bar marriage between a boy and a girl belonging to the same Gotra and why only son carries the gotra of father why not daughter ?
The Gotra is a system which associates a person with his most ancient or root ancestor in an unbroken male lineage. So Gotra refers to the root person (मूल पुरुष) in a person's male lineage.
The word Gotra is formed from the two Sanskrit words Gau (Cow) and Trahi (meaning Shed).
So Gotra means Cowshed, where in the context is that Gotra is like the Cowshed protecting a particular male lineage.
A Bride and a Bridegroom belonging to the same Gotra are considered to be siblings. The reason given was since they belonged to the same ancestor,.
it will be like a brother marrying a sister which is known to cause genetic disorders in their offspring
Humans have 23 pairs of Chromosomes and in each pair one Chromosome comes from the father and the other comes from the mother. So in all we have 46 Chromosomes in every cell,
of which 23 come from the mother and 23 from the father.
Of these 23 pairs, there is one pair called the “Sex Chromosomes” which decide the gender of the person. During conception,
if the resultant cell has XX sex chromosomes then the child will be a girl and if
it is XY then the child will be a boy.
X chromosome decides the female attributes of a person and Y Chromosome decides the male attributes of a person.
Since only men have Y Chromosomes, son always gets his Y Chromosome from his father and the X Chromosome from his mother.
On the other hand daughters always get their X Chromosomes, one each from both father and mother.
So the Y Chromosome is always preserved throughout a male lineage, while the X Chromosome is not preserved in the female lineage because it comes from both father and mother.
Women never get this Y Chromosome in their body. And hence Y Chromosome plays a crucial role in modern genetics in identifying the Genealogy ie male ancestry of a person.
hence the Gotra of a woman is said to be that of her husband after marriage.
The Vedic Rishis had observed the degeneration of the Y Chromosome and they wanted to maintain as many individual healthy unique Y Chromosome lineages as possible. That would give a fair chance for males to continue to exist because Y Chromosomes get passed on
over generations with almost negligible change in their genetic combinations, as they do not take part in mix and match with other Chromosome.
So if the Rishis could devise a mechanism where in a given Y Chromosome had very little chance of adding more genetic defects in it,
then they could probably succeed in either slowing down further degeneration of the Y Chromosome or even probably completely stop any further degeneration of the Y Chromosome.
And the only way to stop that was to ensure that the 5% of the Y chromosome which can be
mixed and crossed over with its X counterpart be protected so that the remaining 95% which does not take part in the mix and match process stays healthy.
Now we know even in modern Genetics that marriages between cousins will increase the risk of causing genetic disorders.
That is because, say suppose there is a recessive dangerous gene in one person. What this means is that say a person is carrying a dangerous abnormality causing gene in one of his chromosome, but whose effect has been hidden in that person (or is not being expressed)
because the corresponding gene in the pairing Chromosome is stronger and hence is preventing this abnormality causing gene from activating.
So if the Vedic Rishis had allowed marriages within the same Gotras, then there were chances that the resulting male can be a victim of
such defective gene expression, and any such gene expressions which took place in the 5% exposed area of the Y Chromosome would be fatal for the continuity of that Y Chromosome. Even after hundreds of generations there would still be chances of any defective genes being
propagated within these successive generations, and marriage within the same Gotra would provide a golden opportunity for these genes to express themselves, there by causing the genetic abnormality in the offspring.
And hence the ancient Vedic Rishis created d Gotra system where they barred marriage between a boy and a girl belonging to the same Gotra no matter how deep the lineage tree was,in a bid to prevent inbreeding n completely eliminate all recessive defective genes from the human DNA
This is called the amazing Bio-Science by our Maharishis. Our Rishis had the "GENE MAPPING" sorted out thousands of years ago. 🙏🚩
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
A Hindu temple is a divine and yogic representation of a human being with the Deity in the temple representing the God as indweller in humans and all beings.
👆🏼This analogy is shown through the representation of various chakras namely ‘Moolaadhara’ to ‘Sahasraara’ in the body to various locations in the temple.
The yogis' who peered deep into this human instrument, beheld seven important chakras known
as Moolaadhaara, Swaadhishthaana, Manipura, Anaahata, Vishuddhi, Aajnya, and Sahasraara.
These centres are like seven gateways to experience the divine power within us.
सेंगोल क्या है !! हर किसी को ये सवाल पूछना चाहिए क्यूँकि आम भारतीय जनता आज तक इसके बारे में “पं नेहरू को भेंट, सुनहरी छड़ी” से ज़्यादा और कुछ नहीं जानती थी ! जो की इसका सच नहीं था
फिर 1947 से आज तक इसके सच को क्यूँ छुपाया गया?
ये किस परम्परा का प्रतीक थी और बाद में उसका पालन बाद में क्यूँ नहीं किया गया?
महान चोल राजाओं के समय सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक, जिसके शीर्ष पर विराजमान हैं महाराज "नन्दी"। नन्दी अर्थात् वृषभ को शास्त्रों में धर्म का स्वरूप माना गया है। सेंगोल को भगवान शिव के आशीर्वाद का प्रतीक
माना जाता है। पर प्रश्न यह है की धर्म और सत्ता हस्तनान्तरण के इस प्रतीक को मात्र एक वक्तिगत भेंट के रूप में क्यूँ नेहरू के प्रयागराज स्थित आवास ( जो की अब एक म्यूज़ियम है) में सजा कर क्यूँ रख दिया गया और आम लोगों को इसके महत्व इस प्रतीक से वंचित रखा गया
और कहते हैं की इन भिखारियों ने भारत निर्माण में सहयोग दिया था!
जिस जौहर कुंड में 16000 क्षत्राणियों और वीरांगनाओं नें अपने धर्म और मर्यादा की रक्षा के लिए धधकते अग्निकुंड में जौहर स्नान किया।
उस जौहरकुंड की राख से अल्लाउद्दीन ख़िलजी ने "सवा चौहत्तर मन सोना" (1 मन= 40kg) लूटा था
जौहर की गाथाओं से भरे पन्ने, भारतीय इतिहास की अमूल्य धरोहर हैं। ऐसे अवसर एक नहीं, कई बार आये हैं जब हिन्दू वीरांगनाओं ने अपनी पवित्रता की रक्षा के लिए “जय हर-जय हर” कहते हुए हजारों की संख्या में सामूहिक अग्नि प्रवेश किया था। यही उद्घोष आगे चलकर ‘जौहर’ बन गया।
जौहर की गाथाओं में सबसे चर्चित वर्णन चित्तौड़ की रानी पद्मिनी का है, जिन्होंने 26 अगस्त, 1303 को 16,000 वीरांगनाओं के साथ जौहर किया था।
जौहर की ज्वाला शांत होने के बाद अलाउद्दीन ने उस विशाल चिता को भी नहीं छोड़ा।
युद्ध में विजय की सम्भावना ख़त्म होने पर सभी राजपूतानियाँ
इस विषय की गंभीरता को पढ़ें और समझें।
यदि कोई mazहबी व्यक्ति सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हो जाता है तो उसकी मृत्यु के बाद शरिया के अनुसार उसकी 4 पत्नियाँ हैं, तो उसे पेंशन कैसे दी जाती है?
उत्तर- नामांकनों को देखा जाता है और यह तय किया जाता हैकि किसको कितना प्रतिशत देना है।
यदि कोई नामांकन नहीं होता है, तो चारों के बीच 25% वितरित किया जाता है।
यदि पत्नियों में से एक की मृत्यु हो जाती है, तो अन्य तीन को 33.33 प्रतिशत भुगतान करना होगा।
यदि दूसरी पत्नी की मृत्यु हो जाती है, तो शेष दो का 50% हिस्सा होता है।
अगर तीसरी पत्नी की मृत्यु हो जाती है, तो
बाद वाली को 100% पेंशन मिलती है।
अब सोचो!
वह यदि पहली पत्नी की आयु ६० वर्ष, दूसरी की ५० वर्ष, तीसरी की ४० वर्ष की तथा चौथी की ३० वर्ष की है, और यदि सभी की जीवन आयु ७० वर्ष है, तो उनकी कुल पेंशन वर्ष -
आसिफ़ा बीबी ने अपने Religion की इन खूबियों को तो बताया ही नहीं ?
शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज के मरने के बाद अपनी बेटी जहाँनारा को अपनी पत्नी बनाया! क्या आपने इस्लाम की इन खूबियों के बारे में कभी इतिहास में कहीं पढ़ा?
नहीं! #TheKeralaStory
क्यूँकि ये अपने धर्म की इन घिनौनी सच्चाईयों को कभी नहीं बतायेंगे
देखिए कैसे कुछ अति विशिष्ट श्रेणी के इतिहासकारों ने हवस में डूबे मुगलों को प्रेम का मसीहा बताया जिसमे से एक शाहजहाँ को प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया जाता रहा है और किया भी क्यों न जाए,
आठ हजार औरतों को अपने हरम में रखने वाला अगर किसी एक में ज्यादा रुचि दिखाए तो इनके हिसाब से उसे प्यार ही कहा जाएगा।
आप यह जानकर हैरान हो जाएँगे कि मुमताज का नाम मुमताज महल था ही नहीं, बल्कि उसका असली नाम ‘अर्जुमंद-बानो-बेगम’ था और तो और
एक आदमी अपने सुअर के साथ नाव में यात्रा कर रहा था।उस नाव में अन्य यात्रियों के साथ एक दार्शनिक भी था।
सुअर ने पहले कभी नाव में यात्रा नहीं की थी, इसलिए वह सहज महसूस नहीं कर रहा था।
ऊपर और नीचे जा रहा था, किसी को चैन से बैठने नहीं दे रहा था।
नाविक इससे परेशान था और चिंतित था कि यात्रियों की दहशत के कारण नाव डूब जाएगी।अगर सुअर शांत नहीं हुआ तो वह नाव को डुबो देगा।
वह आदमी स्थिति से परेशान था, लेकिन सुअर को शांत करने का कोई उपाय नहीं खोज सका।
दार्शनिक ने यह सब देखा और मदद करने का फैसला किया।
उसने कहा: "यदि आप अनुमति दें, तो मैं इस सुअर को घर की बिल्ली की तरह शांत कर सकता हूँ।"
दार्शनिक ने दो यात्रियों की मदद से सुअर को उठाया और नदी में फेंक दिया।
सुअर ने तैरते रहने के लिए ज़ोर-ज़ोर से तैरना शुरू कर दिया।यह अब मर रहा था और अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहा था।