#मास्टर_स्ट्रोक (सायकिल गर्ल )
निवेदन = ये कहानी समसामयिक घटना पर लेखक की कल्पना मात्र है । इसे कहानी के रूप में ही पढ़ा और समझा जाय ।
“का रे बिरजू काहे एतना हँफा रहा है गाम में कौनो मर गवा का रे !”
“अरे नाहीं नेताजी कौनो मरा नई है । लेकिन एगो बिस्फोटक खबर है ।“
बिरजू अपनी उखड़ी हुई सांस को संयत करने की कोशिश करते हुए कहता है ।
“तो फिर जल्दी बोल बेटी,,,,,,, का बिस्फोटक खबर लाया है ।“ नेताजी ने रौब दिखाते हुए कहा ।
बिरजू अपनी उखड़ी हुई सांसों पर काबू पा चूका था । फिर भी उत्तेजित अवस्था में ही कहता है “ऊ हुजूर जो मोहन रहा ना अपने गाम में जो हरयाणा गिया रहा कमाए खातिर ।“
“हां ऊ लंगड़ा का हुआ उसको!”
“हुआ कुछ नहीं माई बाप ऊ लौट आया है गाम में”
“तो तू काहे हाँफ रहा है बे कौनो कर्जा खाया है का तू उसका”
“अरे नेताजी हमरा पुरा बात तो सुन लो महाराज पहिले ।“
“ठीक है साला एक सांस में पूरा बात बोल रुकना नहीं बीच में एक्को बार”
बिरजू बोलने से पहले एक गहरी सांस लेता है फिर बोलना शुरु करता है ।
“ ऊ का है की मालिक आप तो जनबे करते हैं की देश में ई बखत लाकडाउन है गाड़ी घोड़ा कुच्छो नहीं चल रहा है, मजूर सब दिल्ली बम्बे से पैदल आ रहा है अपना गाम घर और ई सब टीवी में भी दिखा रहा है । तो हुआ ई की अपना मोहन का खबर भी टीवी पर दिखाया आज की कैसे
उसका बेटी पिंकीया उसको सायंकिल पर बैठा कर 1200 किलोमीटर दूर से गाम ले कर पहुंची है ।“ इतना कह कर बिरजू नेताजी की तरफ देखता है ।
“ साला ई खबर है तो बिस्फोटक बे लेकिन ई खबर से हमको का फायदा हो सकत है ।“ नेताजी सोचने लगते हैं ।
तभी बिरजू फिर बोलने लगता है ।
“फायदा छोड़ो हुजूर जहां तक हम टीवी में देखे हैं ई बात का आपको नुक्सान ज्यादा होने वाला है, टीवी पर एगो दाढ़ी वाला आदमी कह रहा था की इसमें सरकार की नाकामी है जो मजदूर लोग को पैदल आना पड़ रहा है,
छोटी बच्ची को 1200 किलोमीटर सायंकिल चलाना पड़ रहा है ।“
“तू ऊ ससुरा दाढ़ी वाला को छोड़ ऊ जरुर कौनो बामपंथी दल्ला होगा ऊनका कामे यही रहता है । तू ई बता ऊ टीवी का एंकरवा का बोल रहा था उसका बात मायने रखता है ।“ नेताजी अपनी बत्तिसी दिखाते हुए पूछते हैं ।
“हुजूर नाकामी वाला बात ऊ भी मान रहा था लेकिन साथ में पिंकीया का तारिफ भी कर रहा था की कतना बहादूर लैकी है मात्र 14 साल का उमिर में 1200 किलोमीटर सायंकिल चला कर बीमार बाप को घर लाई है धन्य है भारत की बेटी ।“
“हां ई बात ठीक है बे बाकी ई सरकार का नाकामी वाला बात बकवास है अब देख ई सरकार का राज में ही ना खा पीकर पिंकीया एतना मजबूत हुई की अपना बाप को सायकिल में बैठा कर लाने लायक हुई । है की नहीं ऊ सरकार के टाईम हम देखे रहे थे पिंकीया को छ: सात साल की कमजोर सी
बच्ची रही तब ऊ । रही की ना रही तू बोल” नेताजी बिरजू की आँखोँ में देखते हुए कहते हैं ।
“रही तो मालिक ! ऊ सरकार का राज में तो आप भी ललुआ रहे अभी देखिये कैसे नेता लल्लन सिंह हुए गये हैं ।“ बिरजू मुसकराते हुए कहता है ।
“चुप कर भो#$,,,,,, और हम को सोचने दे की ई बात को अपना हक़ में कैसे करें” नेताजी जिनका की नाम लल्लन सिंह है कुछ सोचने लग जाते हैं ।
और सोचते सोचते खुशी से उछल पड़ते हैं ।
“वाह दिमाग में एक ठो ब्लंडर आइडिया आया है सुन बिरजू कल सवेरे तैयार रहना विधायक जी
से मिलने चलेंगे ।“
सुबह नेताजी और बिरजू तय समय पर मिलते हैं नेताजी अपना बुलेट भी लेकर आए हैं ।
“चल बैठ जा आज तुमको हवा का सैर कराते हैं ।“ नेताजी बुलेट स्टार्ट करते हुए कहते हैं बिरजू बुलेट पर बैठ जाता है और दोनों चल पड़ते हैं शहर की तरफ जहां
विधायक जी का आवास है ।
जल्दी ही दोनों विधायक जी के आवास पर पहुंच जाते हैं । नेताजी बुलेट को स्टैंड पर लगाते हैं और अंदर की तरफ चल पड़ते है । गेट पर खड़ा सिक्यूरिटी गार्ड लल्लन सिंह को पहचानता है इसलिए वो उससे कहता है । “लल्लन सिंह जी थोड़ी देर बैठक में इन्तजार
किजीये विधायक जी अभी अभी गरीबों में राशन बंटवा कर आये हैं, नहा धोकर बैठक में आयेंगे ।“ नेताजी और बिरजू जाकर बैठक में बैठ जाते हैं । “देखा बे बिरजू विधायक जी का गार्ड हमसे कैसा इज्जत से बात कर रहा था धाक है अपना विधायक आवास में, बहुत्ते खुशनसीब है तू भी
जो विधायक आवास में बैठा है । विधायक जी आयें तो दंडवत प्रणाम करीयो का समझे ।“ बिरजू हां में मुंडी हिलाता है । थोड़ी देर में विधायक जी बैठक में प्रवेश करते हैं । दोनों लोग अभिवादन करते हैं लल्लन सिंह हाथ जोड़कर और बिरजू दंडवत होकर ।
“बोल लल्लन कैसे आना हुआ आज इधर तुमरा गाँव में सब ठीक ठाक है ना राशन पानी का व्यवस्था सब ठीक चल रहा ना ।“ विधायक जी लल्लन सिंह से पूछते हैं ।
“सब ठीक है हुजूर आपके राज में भला का तकलीफ़ हो सकत है ।“ लल्लन सिंह खींसे निपोरता है ।
“फिर का कारण है इधर आने का” विधायक जी नेताजी को घुरते हुए पूछते हैं ।
“ऊ पिंकीया हुजूर”
“कौन ऊ सायकिल वाली लैकी जो हरियाणा से अपना बाप को लेकर आई है ।“ विधायक जी नेताजी को बीच में रोकते हुए कह उठते हैं ।“
“हां हुजूर बड़ा हल्ला है उसका गाम में और पूरा देश में
भी, टीवी पर भी आ रहा है सब कुछ ई बिरजू कह रहा था इससे आपका सरकार को भी खतरा है ।“ लल्लन सिंह अपने हिसाब से अपनी बात रखते हैं । “बात तो इसका ठीक है टीवी से ज्यादा साला सोशल मीडिया वाला परेशान कर रहा है जल्दी कूछ करना पड़ेगा ।“ विधायक जी चिंता जाहिर करते हैं ।
“वही हुजूर हम वही कहने आये थे देखीये अभी मामला ताजा है अभिये कुछ करना होगा इसका लिये हमरे पास एक ठो प्लान है आज्ञा हो तो बतायें ।“ लल्लन सिंह लगभग फुसफुसाते हुए कहता है ।
“ठीक है बताओ तुमरा प्लान आखिर मैटर भी तुमरा गाँव का है ।“
फिर लल्लन सिंह विधायक जी को अपना प्लान बताता है, विधायक जी ध्यान से सुनते हैं । पुरी बात सुनकर विधायक जी कहते हैं “वाह लल्लन सिंह तुमरा दिमाग तो अच्छा काम करता है भाई पार्टी का बड़ा नेता लोग भी यही लाईन पर चल रहा है खूब तारीफ हो रहा है पिंकीया का चारों तरफ
यही मौका है जब तुमरा प्लान पर चल कर कुछ किया जाय ताकि लोकल बिरोधी लोग का मुंह भी बंद हो जाय ।“
“तो हुजूर अब आज्ञा दिजीये थोड़ा बहुत तैयारी भी करना है ।“ लल्लन सिंह हाथ जोडते हुए कहता है
“रुको दो मिनट” कह कर विधायक जी किसी को आवाज लगाते हैं अगले ही मिनट एक आदमी
हाजिर होता है । “जाकर मून्शी जी से एक ठो पन्सौआ वाला गड्डी लेकर आओ” विधायक जी आदेश देते हैं । आदमी फौरन अंदर जाता है और थोड़ी देर में एक पांच सौ की चमचमाती गड्डी लेकर वापस आता है । विधायक जी उसमें से चार नोट निकालकर बिरजू को पकड़ाते हैं और बाकी लल्लन सिंह को देते
हुए कहते हैं । “कोई कमी ना होना चाहिये काम में इलेक्शन आने वाला है इसलिए दु चार हजार ज्यादा खर्चा हो तो पैसा का मुंह मत देखना ।“ लल्लन सिंह और बिरजू विधायक जी का अभिवादन करते हुए निकल पड़ते हैं । बुलेट स्टार्ट करते हुए नेताजी बिरजू से कहते हैं “देखा बे बिरजू कैसे
साला तुमरा भी फायदा हो गिया इसिलिए कहते हैं साला हमरे साथ रहा करो ।“ बिरजू हां में मुंडी हिलाता है और दोनों गाँव की तरफ चल पड़ते हैं ।
दोपहर तक लल्लन सिंह की तैयारी पुरी हो चुकी थी बिरजू भी साथ साथ था तैयारी थी एक टेम्पो जिसमें कुछ राशन के पैकेट भरे थे और चार पांच
नेताजी के छुटभैया चमचे साथ में एक माइक और एक भोंपू । नेताजी के मार्गदर्शन में सभी लोग चल पड़ते हैं पिंकी के घर की तरफ । पिंकी के घर के पास पहुंचते ही नेताजी और विधायक जी के नाम के नारे लगने शुरु हो जाते हैं, साथ ही राशन के पैकेट बंटने शुरु हो जाते हैं ।
धीरे-धीरे काफिला पिंकी के घर की तरफ बढ़ जाता है, पिंकी के घर पर पहुंचते ही, देश की बेटी, भारत की बेटी गाँव की बेटी जैसे नारे लगने शुरु हो जाते हैं ।
शोर सुनकर पिंकी की माँ बाहर आ जाती है । ^^आ गये सब अभी नारा लगाबे जब हमर लैकी परेशान थी तब कौनो नहीं आया था मदद करने
रस्ता में मर खप जाती तो कौनो लोग पूछने भी नहीं आता ।^^ पिंकी की माँ अपने मन में सोचती है मगर कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाती है । इतने में नेता लल्लन सिंह कह उठते हैं “ कहां है मोहन भैया और पिंकी बेटी को भी बुलाइए गाम का नाम रोशन कर दिया है अपना पिंकी बेटी विधायक जी
बहुत्ते खुश हैं उसका उपलब्धी पर हमको पिंकी का सम्मान करे खातिर भेजे हैं ।“ नेताजी के चुप होते ही लौंडे फिर नारा लगते हैं । *पिंकी कुमारी जिन्दाबाद देश की बेटी कैसी हो पिंकी कुमारी जैसी हो* तब तक पिंकी खुद ही घर से निकल कर आ जाती है उसको देखते ही नेताजी लपक कर जाते हैं
और माला पहना कर स्वागत करते हैं । पिंकी की माँ वितृष्णा से देखती है मगर कहती कुछ नहीं है । नेताजी एक माला मोहन को भी पहनाते हैं । इतनी देर में एक चमचा माइक लाकर नेताजी के हाथ में देता है । और फिर नेताजी माइक में बोलना शुरु करते हैं ।
“गाँव के सभी भाइयों बहनों आज जो साहसिक काम गाम की बेटी पिंकी ने किया है उसका दुनिया में कहीँ जोड़ नहीं है पूरा देश को गर्व है पिंकी पर और हम सबको खुशी है की पिंकी अपना गाम की बेटी है । जब से हमारी पार्टी सत्ता में है तब से सब अच्छा ही हो रहा है, हो रहा है की नहीं !
अब देखिये गाम की बेटी का नाम अमेरिका तक फैल गया है । एक मजबूत सरकार होने का यही तो फायदा है । पिंकी का उपलब्धी से विधायक जी भी बहुत खुश हैं और उन्होने अपना विधायक निधि से पांच हजार रुपया पिंकी को भेजा है ।“ लड़के सब जोर जोर से ताली बजाते हैं ।
नेताजी आगे बोलते हैं “ यही नहीं हमारी पार्टी के बड़े नेता भी जल्दी ही कुछ करेंगे पिंकी के लिये अब क्योंकी पिंकी जैसा होनहार लड़की हमारे गाम में है तो हमारा भी फर्ज बनता है की आगे पिंकी के भविष्य के लिये हम हू कुछ करें तो हम ये निर्णय लिये हैं की पिंकी को हमारी पार्टी का
प्राथमिक सदस्यता दिया जाय ।“ नेताजी पार्टी का चिन्ह और नाम छपा हुआ एक शॉल लेकर आगे बढ़ते हैं तब तक चमचे लोग पिंकी को एक चेयर पर बैठा देते हैं । नेताजी शॉल उढ़ा कर पिंकी की पार्टी में सदस्यता की घोषणा करते हैं । चमचे एक बार फिर जोर जोर से नारा लगाते हैं ।
इधर बिरजू का दोस्त श्यामू बिरजू से पूछता है “बिरजू भाई हमरा भाई और उसका बीवी भी जयपुर से पैदल चलकर गाम पहुंचे हैं क्या ऊ बहादूरी का काम ना रहा?” बिरजू तिरछी नजर से श्यामू की तरफ देखता है “चुप रहो बे अगर तुमरा भाई का काम बहादूरी वाला होता तो टीवी पर नहीं दिखाते का बड़ा बड़ा
नेता लोग तारिफ नहीं करते का मोबाइल में भाटसप में भी नहीं दिखाया तुमरा भाई को तुम चुप रहो !” बिरजू जेब में पड़े चार नोटों की गर्मी को महसूस करते हुए कहता है ।
इधर नेताजी पिंकी के पिता को पांच हजार रुपया राशन के दो पैकेट देते हुए फोटो वोटो खिंचाते हैं और फिर अपना काफिला लेकर चले
जाते हैं इधर पिंकी के पिता खुश होते हुए पिंकी की माँ से कहते हैं “देखो आज पिंकी के कारण कैसे हमारा सिर गरव से उंचा हुई गिया है ।“ पिंकी की माँ घृणा भरी नजरों से मोहन को देखते हुए कहती है “पिंकी का कारण जान बचा है तुमरा उसका खुशी मनाओ बाकी ई गर्व तुमरा तबे तक
है जब तक ई पांच हजार रुपिया है ।“ कह कर पिंकी की माँ अपने काम में लग जाती है ।
रात को बिरजू और नेताजी की मुलाकात होती है बिरजू नेताजी से पूछता है “नेताजी का इतना सब से हो जायगा सब ठीक ।“ नेताजी के मुंह पर एक कूटिल मुस्कान आती है वो बिरजू की तरफ गौर से देखते हुए कहते हैं
“देख बिरजू अब पिंकी अपना पार्टी में शामिल हो गयी है माने अब ऊ हमारा पार्टी का लैकी है, तो अब विपक्ष का उस पर से सहानूभूति हट जायगाऔर सब उसके लिये सवाल करना भी बंद कर देंगे और इधर गाम वाले भी ई सब देखकर बहुत्ते खुश हुए हैं तो इलेक्शन में इसका फायदा भी हमीं को मिलेगा जम कर गाम में
प्रचार करवायेंगे पिंकी कुमारी से इलेक्शन से पहले उसको एक ठो नया सायकिल और दिला देंगे बस, अब बोल साला है ना 'मास्टर इस्टरोक '।“
बिरजू हां में मुंडी हिलाता है और दोनों मिलकर जोर जोर से हँसते हैं ।
समाप्त ।
Sagar Singh
बाद की कहानी आज देख चुके हैं आप
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शायद अब भारत में भी जागरूकता आने लगी है.....
आज से लगभग 12 साल पहले दुनिया भर में एक क्रांति हुयी, जिसमे सोडियम लाइट का सामान्य चिरपरिचित पीला प्रकाश क्रिस्प सफ़ेद रौशनी वाली एल ई डी स्ट्रीट लाइट से बदल दिया गया । इसमें कोई शक नहीं कि इन ऊर्जा दक्ष एल ई डी
स्ट्रीट लाइट ने कार्बन उत्सर्जन और ऊर्जा संरक्ष्ण के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। परन्तु जैसे हर आने वाली तकनीक के साथ होता है अनेक फायदों के साथ साथ नुकसान की एक लम्बी फेहरिस्त भी साथ मिलती है। ''Science'' पत्रिका के एक अध्ययन के अनुसार 2011 से 2022 के बीच
एक सामान्य औसत रात्रिकालीन आकाश की चमक में 9.6 % में वृद्धि हो गयी है। ये वृद्धि विशेषज्ञों द्वारा आंकी गयी वृद्धि से कहीं ज्यादा रही। मौसम उपग्रहों को एल ई डी स्ट्रीट लाइट से उत्पन्न नीली रौशनी रुपी नए प्रकाश प्रदुषण ने लगभग अँधा बना दिया है।
fb.watch/dboVJe6zDU/
बीसवीं कड़ी: बुढापा वरदान... या अभिशाप ??जापान: चौथा भाग
जापान के लोगों की उम्र लंबी क्यों होती हैं, उसका सबसे बड़ा कारण है जापान की लाइफ स्टाइल और साथ ही उनका खानपान,
जबकि अमेरिका के लोग खानपान और लाइफ स्टाइल के मामले में बिलकुल ही उलटे हैं.
खाओ-पीओ और मौज करो, बीमार हो जाओ तो डाक्टर के पास जाओ और दवा ले लो, ज्यादा बीमार हो जाओ, तो सर्जरी द्वारा अपना अंग बदलवा लो....
ये अमेरिका की लाइफस्टाइल है, और जापानी खानपान और लाइफ स्टाइल बिलकुल विपरीत.
हमारे जीवन में टेक्नोलॉजी का बहुत बड़ा महत्व है.
एक और जहां पर टेक्नोलॉजी हमारे लिए बहुत ही ज्यादा सुविधाजनक है. वहीं दूसरी तरफ यह टेक्नोलॉजी हमें बहुत हानि भी पहुंचा रही हैं क्योंकि आज की आधुनिक टेक्नोलॉजी के कारण हमारे शरीर की एक्टिविटी बहुत कम होती है. इसलिए हमारे शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो जाती है,
अगर सांविधान इस देश की रीढ़ है। तो संसद इस देश का शरीर जहां विचार विमर्श द्वारा देश की जनता के हित में नियम बनाये जाते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से संसदीय लोकतंत्र को लगातार कमजोर किया जा रहा है। अध्यादेश और बिना बहस किये बिलों को पास करने की
परंपरा विकसित हो रही है। आज संसद में विपक्ष की भूमिका गौण होती जा रही है।
आंकड़े कभी झूठ नही बोलते। आज आंकड़ों के माध्यम से संसद की एक तस्वीर बनाने की कोशिश होगी। अब ये आप पर निर्भर करता है कि इन आंकड़ों से आप क्या निष्कर्ष निकालें?
1) लोकसभा की घटती अवधि - 1952 से लेकर 1970 तक वर्ष में औसतन 121 दिन लोकसभा की कार्यवाही हुई। लेकिन 1970 के बाद ये औसत घट कर केवल 68 दिन हो गया। 2020- 21 में लोकसभा में केवल 34 दिन कार्य हुआ। ये आजतक के लोकसभा के इतिहास में सबसे कम है। विंटर सेशन भी पूरा नही हुआ।
"The Telegraph" ने मणिपुर में नरसंहार की असलियत का ख़ुलासा किया है
1. मणिपुर में "एथनिक क्लींजिंग" चल रही है 2. मेइती मणिपुर के 10% हिस्से में रहतें हैं 3. कुकी, नागा 90% हिस्से में रहतें हैं
मणिपुर में 44 आदिवासी ज़ाती रहती है 4. मणिपुर में धारा 371 लागू है
5. ग़ैर आदिवासी ज़मीन नहीं ख़रीद सकते 6. मेइती को ST बनाया गया 7. ताकि ग़ैर आदिवासी/बाहरी ज़मीन ख़रीदे 8. लगभग 250 चर्च तबाह किए गए हैं 9. मंदिरों के तबाह होने की भी ख़बर है 10. पूरा सामाजिक तानाबाना ख़त्म है
- शुरू' में मेइती ने आदिवासियों को मारा
- अब आदिवासी इन्तिक़ाम ले रहें हैं
- आदिवासियों को आतंकी बताया जा रहा है
- आदिवासियों को "ड्रग कारोबारी" बोला गया
- मणिपुर में लगभग हर गांव श्मशान बन गया
- लाशें पड़ी है पर संस्कार नहीं हो रहा है
- सरकार अब भी जंगलों में फौज भेज रही है
1. मेडल तो बहुत छोटी सी बात है..ये पहलवान अगर ख़ुद को भी गंगा में बहा दें तो किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता..
2. कोई "गंगा सभा" है जो कह रही है कि गंगा पाक है, पवित्र है..गंगा पर सियासत नहीं करने देंगे..ये गंगा सभा वाले किधर थे जब गंगा किनारे लाखों लाशें सड़ रही थी..
3. रहा सवाल यौन शोषण का तो सावरकर, आडवाणी, मोदी, प्रमोद महाजन जैसे बीजेपी के सबसे बड़े लीडरान पर ये इल्ज़ाम लगें हैं..ये सारे देशभक्त बन गए..
4. बिलक़ीस बानो का गैंगरेप, उनके मुज़रिमों को छोड़ा जाना, उत्तराखंड की अंकिता को वेश्यावृत्ति में धकेला जाना और उसका क़त्ल,
आए दिन बीजेपी/आरएसएस के लोगों का सेक्स रैकेट में नाम आना : कुछ हुआ? आप हिंदु बन गए!!
5. ये पहलवान भी तो आजतक बीजेपी से जुड़े हुए हैं..मोदी के ख़िलाफ़ एक लफ़्ज़ नहीं बोला..जब लड़ाई ही अधूरी है, सोच में ही खोट है तो उसका नतीजा सिफ़र ही रहेगा..