नज़ीर अकबराबादी के "आदमीनामा" नज़्म को थोड़ा सा बदलने का गुनाह किया है..आख़िरी 3 लाइन नहीं बदली है..सबकुछ वही हो रहा है जो नज़ीर साहेब लिख गए..👇
हिंदुस्तान में बादशाह है, सो है, वह भी आदमी
और बादशाह नीच सा है, सो है, वो भी आदमी
अडानी चोर है, सो है, वो भी आदमी
जो तुम्हारा खा रहा है, सो है, वो भी आदमी
जो उद्योगपतियों के टुकड़े चबा रहा है, सो है, वो भी आदमी
मसजिद, मन्दिर भी आदमी ने बनाई है यां मियां
मस्जिद को जलाता है, सो है, वो भी आदमी
गाय को खाता है, सो है, वो भी आदमी
गाय के नाम पर क़त्ल करता है, सो है, वो भी आदमी
और बादशाह ही प्रेस से चुराता है नज़रें
मुल्क को लुटता है, सो है, वो भी आदमी
गोदिमीडिया सुब्ह ओ शाम झुट बोलता है, सो है,
जो ग़ुमराह हो जाता है वो भी आदमी
यां 'औरत पै जान को वारे है आदमी
और अपनी 'औरत को छोड़ कर भागे है आदमी
पहलवानों की आबरू भी उतारे है आदमी
गोदिमीडिया चिल्ला के हमे उकसाए है आदमी
और "बिलक़ीस" की सुनके जो नहीं दौड़ता है, सो है, वो भी आदमी
अच्छा भी बुरा आदमी ही कहाता है ए "नज़ीर"
और पुलवामा में जवानों का ख़ून पीए है, सो है, वो भी आदमी
तुम्हारा मुक़द्दर संवारेगा एक आदमी
जिसे तुमने नकारा है वो भी आदमी
नंगा खड़ा उछलता है होकर जलीलो ख़्वार।
सब आदमी ही हंसते हैं देख उसको बार-बार
और वह जो मसखरा है सो है वह भी आदमी
जापान में डॉ. वाडा 70 साल से अधिक उम्र के लोगों को 'बुजुर्ग लोगों' के बजाय "भाग्यशाली लोग" कहने की वकालत करते हैं।।
डॉ. वाडा ने 70 साल के लोगों के "भाग्यशाली व्यक्ति" बनने के रहस्य को "36 वाक्यों" में इस प्रकार समझाया:
01. चलते रहो।
02. जब आप चिड़चिड़ा महसूस करें, तो गहरी सांस लें। 03. योग प्राणायाम व्यायाम करें, ताकि शरीर में अकड़न महसूस न हो। 04. गर्मियों में एयर कंडीशनर चालू होने पर अधिक पानी पिएं। 05. आप जितना चबाएंगे, आप का शरीर और मस्तिष्क उतना ही ऊर्जावान होगा।
06. याददाश्त उम्र के कारण नहीं, बल्कि लंबे समय तक मस्तिष्क का उपयोग न करने के कारण कम होती है। 07. ज्यादा दवाइयां लेने की जरूरत नहीं है। 08. रक्त चाप और रक्त शर्करा के स्तर को जान बूझ कर कम करने की आवश्यकता नहीं है। 09. केवल वही काम करें, जिससे आप प्यार करते हैं।
लंदन में सुभाष को खबर हो गयी थी कि वे सर्वसहमति से कांग्रेस के अगले अध्यक्ष होंगे। निवर्तमान अध्यक्ष जवाहरलाल दो कार्यकाल गुजार चुके थे। इस बार अधिवेशन हरिपुरा में होना था।
सुभाष कांग्रेस के 51 वे अध्यक्ष थे। साहब की सवारी आयी। 51 बैलगाड़ियां, 51 स्वागत द्वार, और 51 सजी धजी बालिकाओ द्वारा स्वागत हुआ। किसी कांग्रेस अध्यक्ष का यह पहला राज्याभिषेक था।
भारतीय राजनीति का यह संक्रमण काल था।
कांग्रेस 11 में से 9 राज्यों में सरकार बना चुकी थी। याने विपक्ष की राजनीति याने "हाय हाय, विरोध, असहयोग" से आगे अब गवर्नेंस के इशूज से उलझ रही थी।
सत्ता, जिम्मेदारी होती है, इसके तौर तरीके भी अलग होते हैं। कांग्रेस सरकारें, अपने मेनिफेस्टो के अनुसार चलने की
"The Telegraph" ने मणिपुर में नरसंहार की असलियत का ख़ुलासा किया है
1. मणिपुर में "एथनिक क्लींजिंग" चल रही है 2. मेइती मणिपुर के 10% हिस्से में रहतें हैं 3. कुकी, नागा 90% हिस्से में रहतें हैं
मणिपुर में 44 आदिवासी ज़ाती रहती है 4. मणिपुर में धारा 371 लागू है
5. ग़ैर आदिवासी ज़मीन नहीं ख़रीद सकते 6. मेइती को ST बनाया गया 7. ताकि ग़ैर आदिवासी/बाहरी ज़मीन ख़रीदे 8. लगभग 250 चर्च तबाह किए गए हैं 9. मंदिरों के तबाह होने की भी ख़बर है 10. पूरा सामाजिक तानाबाना ख़त्म है
- शुरू' में मेइती ने आदिवासियों को मारा
- अब आदिवासी इन्तिक़ाम ले रहें हैं
- आदिवासियों को आतंकी बताया जा रहा है
- आदिवासियों को "ड्रग कारोबारी" बोला गया
- मणिपुर में लगभग हर गांव श्मशान बन गया
- लाशें पड़ी है पर संस्कार नहीं हो रहा है
- सरकार अब भी जंगलों में फौज भेज रही है
- जंगल आदिवासियों का घर है
कुछ बूढ़ों को जब मैं देखता हूँ तो मुझे उन पर श्रद्धा नही तरस आता है। तरस इसलिए की इस चला चली की बेला में, जब पैर कब्र में लटके हों, तब भी इंसान कुछ खोने को तैयार नही, सच के साथ खड़े होंने का हौसला नही। सारा जीवन जो कुकर्म किये। अंत समय मे थोड़ा सत्कर्म कर अपनी
आत्मा पर पड़े बोझ को थोड़ा कम करने का साहस भी नही। बहुत कमजोर होते हैं ऐसे बूढ़े।
इनमें सबसे पहला नाम रथ यात्रा निकालने वाले का है। पूरे देश को दंगों की आग में झोंक देने वाले को कभी इसके लिए प्रायश्चित करते नही देखा। कभी इन्हें इस बात का अफसोस नही हुआ।
देश हित से ऊपर इन्होंने पार्टी हित को रखा। किसी समय पार्टी में प्रथम स्थान पर रहने वाले का जो हश्र हुआ, उसके विरोध में कभी मुंह खोल विरोध करते नही देखा। प्रधान जी के सामने हाथ जोड़े इनकी तस्वीर में ये बहुत दयनीय लगते हैं। ये बात पार्टी के समर्पित कैडर के रूप में तो इन्हें
पंजाब 'सिंध' गुजरात मराठा ......हिंद से गायब सिंध !
राष्ट्रगान में आए सभी भाषाई प्रांत भारत में हैं बस सिन्ध को छोड़कर। अनेक सिंधियों को इस बात का अफ़सोस है कि भारत की आज़ादी ने सिंधियों की पहचान छीन ली । सिंधी भाषा देश की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से एक है
परन्तु देश के ज्यादातर लोग सिंधियों के बारे में ज़्यादा नहीं जानते क्योंकि सिंधी संस्कृति का संरक्षण कोई राज्य सरकार नहीं कर रही है ।
सिंध प्रांत पाकिस्तान में है और सिंधी भुट्टो परिवार के दो सदस्य - पिता ज़ुल्फ़िकार अली और बेटी बेनज़ीर - पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी रहे
( अन्त दोनों का दु:खद ही रहा ) परन्तु सत्ता की भागीदारी में सिंधी समुदाय हाशिये पर ही रहा और समय - समय पर सिंध के पाकिस्तान से पृथक होने की आवाज़ें भी उठती रही हैं । प्रांत की राजधानी कराची में पाकिस्तान के धनी वर्ग ने बड़ी - बड़ी जमीनें खरीदकर सिंधियों का प्रभुत्व कम कर दिया ।