8 मई, 2021 दिन शनिवार को अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के सईद अल शुहादा विद्यालय में शिया अबोध छात्राएं आयु मात्र 11-18 वर्ष स्कूल की छुट्टी के उपरांत घर जाने के लिए बाहर निकल रही थी, वे बुरका पहने हुयी थी; कंधे पे स्कूल बैग; हाथों में पुस्तक एवं पानी की बोतल थी।
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(उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में तो शिया के अतिरिक्त कादियानी/अहमदिया, जांनिसारी, शियापोश काफिर, सब को काफिर होने का फतवा है।)
तभी बारूद से भरी एक कार में भयंकर विस्फोट हुआ। छात्राओं ने भय एवं हड़बड़ाहट में बम ब्लास्ट वाले स्थल से भागना शुरू किया। तभी थोड़ी दूरी पर (2/15)
खड़ी दो अन्य कारों में भी विस्फोट हो गया। जिहादियों ने उक्त कार के दोनों ओर कुछ दूरी पर विस्फोटक से लदी दो अन्य कारे भी खड़ी कर रखी थी। जिसके कारण लगभग 90 अधिकांशतः शियाओं की (अधिकतर कन्याएं) मृत्यु व 150 लोग घायल हो गए।
इन अभागी बच्चियों का केवल इतना ही दोष था कि वे (3/15)
शिया थी, उसपर भी उन्होंने शिक्षा ग्रहण करने का दुःसाहस किया था। इसपर मुल्ला शमशुद्दीन का एक फतवा है, "शिया मुसलमान नहीं है, बल्कि काफिरों से भी बदतर है।"
पर भारत का मीडिया विशेषकर शिया महिला पत्रकारों ने इस्लाम के नाम पर बालिकाओं की घृणित हत्या पर रहस्यमयी चुप्पी साध (4/15)
रखी है। इन्होंने सुदूर भूमि पर इजराइल फिलीस्तीन को तो लेकर आसमान सिर पर उठा रखा है, जबकि पड़ोसी देश में हुए शिया अबोध बालिका नरसंहार पर रहस्यमयी चुप्पी साध रखी है।
इतिहास में दर्ज शियाओं के शोषण का एक संक्षिप्त वर्णन:
1387 ई में तैमूर लंग ने शिया ईरान को विजित किया। (5/15)
लगभग 1,00,000 गुलाम पकड़े गये जिनमें अधिकतर सुन्दर स्त्रियां थीं। ईरानी शियों को दास के रूप में बेचना एक समस्या थी क्योंकि कुरान के अनुसार एक मुसलमान द्वारा दूसरे मुसलमान को दास नहीं बनाया जा सकता।
मुल्ला शमशुद्दीन ने इसका हल एक फतवा देकर किया, "शिया मुसलमान नहीं है, (6/15)
बल्कि काफिरों से भी बदतर है।"
इस फतवे के बाद शिया गुलाम समरकन्द और बुखार में बेचे जाने लगे। मध्य एशिया के तुर्कमीनिया के तुर्क व उजबेक, किर्गीज और तातर के सुन्नियों के पास अब कोई काम नहीं था सिर्फ शिया बस्तियों को लूटना और गुलाम पकड़कर बेचना।
मौलाना भी कुरान हाथ में (7/15)
लेकर इधर-उधर की बस्तियों और घुमन्तू कबीलों में यह फतवा देते घूमते थे कि, "शियाओं की औरतें और माल, सुन्नियों के लिए हलाल है। यह जिहाद है और हर सुन्नी इस नेक काम में शामिल हो। यह इस्लाम की खिदमत है।"
कुछ दिनों में ही लूट और औरतों के लालच में हजारों लुटेरों की भीड़ इक्कठी (8/15)
हो जाती थी और योजनाबद्ध तरीके से वे शाम के वक्त बस्तियों पर टूट पड़ते थे। भयंकर हत्याकांड के बाद गुलाम पकड़ लिए जाते थे और उन्हें जानवरों की तरह हांकते ले जाया जाया था।
महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें फतवा दिया जाता था, कुरान, और रसूल का वास्ता दिया जाता था, इसे जिहाद (9/15)
बताया जाता था। 400 वर्ष तक यह धंधा चला... मध्य एशिया से शिया बस्तियां समाप्त हो गई... ईरान बराबर तक लुटता रहा। यह बन्द हुआ जब रूस के जार ने 1877 ई. में खीवा, समरकन्द और बुखारा को विजित किया।
AIMIM के प्रमुख औवेसी जैसे शिया नेता को अबोध शिया बालिकाओं के नरसंहार की घोर (10/15)
निंदा करते हुए जिहादियों के सिर कलम करते हुए भारत के प्रमुख शहरों व चौराहों पर पोस्टर लगाने चाहिए थे। पर राजनीतिक महत्वाकांक्षा व स्वार्थ के चलते वहाबियों के कुकृत्यों पर रहस्यमयी चुप्पी साध रखी है।
पर पूर्व में औवैसी के पार्टी AIMIM की ओर से कानपुर, उत्तर प्रदेश में (11/15)
शुक्रवार की नमाज से पूर्व स्वामी नरसिंहानंद सरस्वती (हिन्दू काफिर) और वसीम रिजवी (शिया मुस्लिम काफिर) राष्ट्रवादियों के सर कलम दर्शाते हुए पोस्टरों से मुख्य चौराहे व सड़कें पाट दी।
वसीम रिजवी जैसे राष्ट्रवादी मुसलमान यदि कुरानी विचारधारा की निंदा करते हैं, तो वे क्या (12/15)
इस्लाम के अस्तित्व के लिए खतरा हैं?, शायद इसलिए उनका सिर कलम हुए पोस्टर पर दर्शाया गया है।
दूसरी ओर, नरसिंहानंद सरस्वती जैसे काफिर कुरानी विचारधारा को जान व समझ लेते हैं, तो वे भी क्या इस्लाम के अस्तित्व के लिए खतरा हैं? शायद इसीलिए उनका भी सिर कलम हुए वसीम रिजवी जी के (13/15)
साथ पोस्टर पर दर्शाया गया है।
वहाबियों के अनुसार दोनों ही स्थितियों में कत्ल अनिवार्य व जायज है।
जरूरत है वहाबियों/कट्टरपंथी मुस्लिमों की बर्बर, जहालिया, मध्ययुगीन कार्यशैली से मुकाबला करने के लिए 135 करोड़ भारतीयों को एकजुटता से जिहादियों के कुकृत्यों का विरोध व (14/15)
भर्त्सना करनी चाहिए। साथ ही साथ वसीम रिजवी जैसे राष्ट्रवादी मुसलमानों को सहयोग करने की आवश्यकता है, ताकि जिहादियों के मंसूबों को रौदा जा सके।
लेख बडा है तो भी आपको समय निकाल कर पढना चाहिए क्योंकि ज्ञान की कोई सीमा नही होती। इसे पढिए।
मेरे सभी मित्र थोडा समय देकर इस अनमोल लेख को अवश्य पढे...
राम कथा के दर्शन थाई लैंड से:
भारत के बाहर थाईलेंड में आज भी संवैधानिक रूप में राम राज्य है। वहां भगवान राम (1/24)
के छोटे पुत्र कुश के वंशज सम्राट “भूमिबल अतुल्य तेज” राज्य कर रहे हैं, जिन्हें नौवां राम कहा जाता है।
भगवान राम का संक्षिप्त इतिहास:
वाल्मीकि रामायण एक धार्मिक ग्रन्थ होने के साथ एक ऐतिहासिक ग्रन्थ भी है, क्योंकि महर्षि वाल्मीकि राम के समकालीन थे, रामायण के बालकाण्ड (2/24)
के सर्ग, 70 / 71 और 73 में राम और उनके तीनों भाइयों के विवाह का वर्णन है, जिसका सारांश है।
मिथिला के राजा सीरध्वज थे, जिन्हें लोग विदेह भी कहते थे उनकी पत्नी का नाम सुनेत्रा (सुनयना) था, जिनकी पुत्री सीता जी थीं, जिनका विवाह राम से हुआ था। राजा जनक के कुशध्वज नाम के (3/24)
मोदी जी को कोसना बंद कीजिए और इस लेख को ध्यान से पढिये।
कंजकिरो टू कोरेगांव...
देश का मानस आज दो भाग में बंट गया है; मोदी समर्थक और मोदी विरोधी!
मोदी समर्थक में वैसे भी लोग हैं, जिन्हें न तो राजनीति से मतलब है और न ही राष्ट्रीय स्वयं संघ से! वे (1/55)
निष्पक्ष हैं लेकिन मोदी में उन्हें आशा दिखती है! वर्षों की तुष्टिकरण, भ्रष्टाचार और राजनैतिक अपराध से निराश लोगों में मोदी एक हिम्मत जगाते हैं! नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए मोदीजी अपने समर्थकों में विश्वास भी जगा चुके हैं!
अब आइए, मोदी विरोधी कौन से लोग हैं! मोदी (2/55)
विरोधी केवल विपक्ष की राजनीति या भाजपा विरोधी नेता ही नहीं हैं! एक बड़ा वर्ग गैर राजनीतिक लोगों का है, जिसे जानते तो सभी हैं लेकिन स्पष्ट विवरण या तस्वीर नहीं होने के कारण मूल तक नहीं पहुंच पाते! विरोध के गैर राजनीतिक वर्ग पर नजर डालें...
राजीव गांधी द्वारा बोये गए ज़हर की फ़सल काट रहा है भारत। ज्यादा नहीं केवल 4 दशक पहले तक के भारत नेपाल सम्बन्धों के इतिहास को खंगालिए तो दोनों देशों के सम्बन्धों की अपार प्रगाढ़ता के अनेक साक्ष्य प्रमाण आपको मिल जाएंगे।
इन सम्बंधों में दरार शुरू (1/17)
हुई 1985 से जो 1990 तक बहुत गम्भीर हो गयी। इसमें नेपाल का कोई दोष नहीं था। इस दरार को डालने और उसे बहुत बढ़ा देने का पूरा श्रेय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को जाता है। स्पष्ट कर दूं कि यह मेरा आंकलन या विश्लेषण नहीं है। उपरोक्त तथ्य की पुष्टि के लिए देश की (2/17)
सर्वोच्च खुफिया एजेंसी रॉ के स्पेशल डायरेक्टर रहे अमर भूषण जी की पुस्तक 'INSIDE NEPAL' पढ़िए।
दिसंबर 1988 में राजीव गांधी ने नेपाल का दौरा किया था। सोनिया गांधी साथ में थी। राजीव गांधी जब पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन करने गए तो मंदिर के पुजारियों ने सोनिया गांधी को मंदिर (3/17)
व्यासपीठ को एक नये श्रीराम व गो कथावाचक मिले हैं फ़ैज़ खान...
व्यास पीठ का अर्थ है...
महर्षि वेदव्यास के प्रतिनिधि का वह आसन जिस पर विराजमान होते ही व्यक्ति महर्षि वेदव्यास का प्रतिनिधित्व करता है। इस आसन पर बैठते ही व्यक्ति वैदिक सनातन धर्म का श्रीमुख हो जाता है...
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जहां तक मेरी जानकारी है व्यास आसन पर सिर्फ वैदिक ब्राह्मण (कर्मणा) ही आसीन हो सकता है...
फ़ैज़ खान मुस्लिम है, वो गो भक्त हैम इसने एक हिन्दू लड़की से विवाह भी किया है जिसे सरल भाषा मे लव जेहाद कहा जाता है। वो जालीदार टोपी भी पहनता हैं और रमजान में रोजे भी रखता हैं।
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फिर फ़ैज़ खान कैसे हमारी व्यासपीठ पर आसीन हो सकता हैं?...
फिर व्यासपीठ की महत्ता और पवित्रता क्या रही?...
मुस्लिम कहते हैं कुरान को जानना है तो पहले कुरान पढ़ो, इस्लाम को जानना है तो पहले मुसलमान बनो सच्चे मुसलमान बनो।
फिर यही नियम फ़ैज़ खान पर भी लागू होता है। आपको (3/7)
मैं ताहिर हुसैन के जाफराबाद वाली दिल्ली की बात नहीं कर रहा। वैसे वहां भी एक लाख रुपये वर्ग गज से क्या कम होगा! पर मैं बात कर रहा हूँ उस दिल्ली की जिसके कारण दिल्ली को देश की राजधानी कहा जाता है।
मैं बात कर रहा हूँ ITO पुल से (1/6)
लेकर पुराने यमुना पुल तक वाली VVIP दिल्ली की। एक तरफ 240 फुट चौड़ी रिंग रोड और लालकिला तो दूसरी तरफ कल कल बहती यमुना। अब सोचिए यहाँ क्या रेट क्या होगा जमीन का? कम से कम एक लाख रुपये वर्ग फुट! इससे ज्यादा ही होगा।
नकली... गांधी परिवार के नाम पर इतनी कीमती जमीन क्यू (2/6)
कब्जा रखी है? वो भी दो चार हजार गज नहीं पूरी 105 एकड़... मतलब लगभग 46 लाख वर्ग फुट।
नेहरू के शांतिवन के नाम पे 45 एकड़, इंदिरा के शक्तिस्थल के नाम पे 45 एकड़ और राजीव की वीरभूमि के नाम पे 15 एकड़।
क्या मंदिरो के सोने और संपत्ति के पीछे पड़े हो कांग्रेसियो? वो सोना तो हम (3/6)
राष्ट्र की समस्या का समाधान, प्रत्येक हिंदू का व्यक्तिगत लक्ष्य
राष्ट्र शब्द का प्राचीनतम प्रयोग सृष्टि के उषाकाल की पहली पुस्तक ऋग्वेद में आया है। राजनैतिक रूप से पचीसों राज्यों में विभक्त होने पर भी मोटे तौर पर अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, वर्तमान भारत, नेपाल, (1/17)
थाइलैंड, बर्मा, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि को भारत या हिन्द समझा जाता रहा है। 712 ईस्वी में भारत के एक राज्य सिंध पर इस्लामी आक्रमणकारियों का आक्रमण उनके रिकॉर्ड में हिन्द पर हमला लिखा गया है। ग़ज़वा-ए-हिंद की चर्चा जिस काल की इस्लामी पुस्तकों में हिन्द के नाते है, तब भी (2/17)
भारत एक राजनैतिक इकाई नहीं था। कोई इसे जैसे चाहे देखे, मगर भारत को नष्ट करने अर्थात सांस्कृतिक रूप से बदलने की सदियों से कुत्सित योजनायें बनाने वालों के लिये सांस्कृतिक भारत ही सम्पूर्ण भारत यानी हिन्द है।
हिंद यानी हम पर आक्रमण सम्पत्ति धन लूटने, स्त्रियों के अपहरण (3/17)