ऊपर जो तस्वीर है वो पंडित नेहरू के "कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी" के छात्रों को भाषण देते वक़्त की है..उस ज़माने में उस दिन कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी में कुछ हज़ार छात्र मौजूद थे..
यूरोप और अमेरिका की शायद ही कोई यूनिवर्सिटी हो जहां नेहरुजी का भाषण नहीं हुआ हो..
स्वर्गीय इंदिरा गांधी, स्वर्गीय राजीव गांधी और डॉ मनमोहन सिंह ने दुनिया की बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटी में भाषण दिया..
इन भाषणों में इन PM ने कभी भी किसी टैलिप्राम्प्टर का इस्ते'माल नहीं किया और छात्रों के सीधे सवालों के जवाब दिए..
इन यूनिवर्सिटी में दुनिया के 100 अलग अलग देशों के छात्र ता'लीम हासिल करते हैं..ज़ाहिर है कि ये छात्र दुनिया के सबसे दानिशमंद छात्र माने जाते हैं
राहुल गांधी भी कांग्रेस और गांधी परिवार की उसी रिवायत को आगे बढ़ा रहें हैं..वही यूनिवर्सिटी, ना कोई टैलिप्राम्प्टर,
ना कोई लिखा हुआ भाषण और छात्रों के तीखे सवाल..यही हिंदुस्तान का डंका है..
आप बीजेपी/आरएसएस के किसी एक शख़्स का नाम बता दीजिए जिसने आजतक इन यूनिवर्सिटी में से किसी एक मे क़दम भी रखा हो? #कृष्णनअय्यर कृष्णन अय्यर काँग्रेस पेज
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शानदार अभिनेता किशन कुमार "बेवफा सनम" नाम की फ़िल्म में नजर आये थे। यह फ़िल्म पाकिस्तानी गायक अताउल्लाह खान के जीवन की सच्ची घटना पर आधारित थी।
इसमे नायक, अपनी बेवफा प्रेमिका को, गोली मारकर फांसी चढ़ जाता है। अपने हिंदी सिनेमा की आल टाइम ग्रेट,
ब्लॉकबस्टर मूवी थी। इसे कई ऑस्कर पुरस्कार मिले थे।
इस फ़िल्म का गाना " इश्क में हम तुम्हे क्या बतायें, किस कदर चोट खाये हुए है" तो 3 बाफ्टा एवार्ड और चार गोल्डन ग्लोब पुरस्कार मिले थे। यह फ़िल्म कान्स फ़िल्म फेस्टिवल में हर साल दिखाई जाती है।
किशन कुमार की अभिनय क्षमता का लोहा, अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन भी मानते थे। इसका खुलासा उन्होंने अपनी आत्मकथा "थ्री लेग्स ऑफ माई रूस्टर" में किया है। हॉलीवुड अभिनेता ग्रेगरी पैक और क्लिंट ईस्टवुड कई बार अपने सीन्स के लिए किशन कुमार से सलाह लिया करते थे।
What's on your mind. वैसे तो आज माइंड में बहुत कुछ चल रहा है । मगर सब कुछ बताना सम्भव भी कहाँ है । सुबह सुबह उठकर नहा धोकर घर से करीब 30 किलोमीटर दूर 'रिसड़ा' गये थे कुछ काम से वाहन था tata ace वही जिसे प्यार से लोग छोटा हाथी कहते हैं
। वैसे पता नहीं आप लोगों को पता भी है की नहीं हाथी जब पैदा होता है उस वक्त भी वो एक भैंसे के बराबर ही होता है । आज कल जे सी बी का बड़ा शोर है , मगर जब जे सी बी नहीं थी तब हाथी से ही जे सी बी का काम भी लिया जाता था । जे सी बी, से याद आया की हाइवे से आते हुए
रास्ते में मैने ढेरों जे सी बी देखी मगर अफसोस की बात ये है की किसी भी जे सी बी , के सामने भीड़ नहीं थी जबकी आज छुट्टी का भी दिन था । शायद मेरे शहर में अब जे सी बी, की अहमियत खत्म हो गई है । खैर काम से फ़ारिग होकर मैं करीब 12 बजे घर पहुँचा ।
देखिए कितना सुकून मिलता हैं, जब सारे पुलिस वाले अपने साथी की ग़लती के लिए घुटनों पर बैठ कर शर्मिन्दा हैं, और प्रदर्शनकारियों से माफ़ी माँग रहे हैं!
दोनों की आँखें नम हैं ... कैसे माफ़ नहीं कर सकेंगे आप?
अमेरिका ने कोरोंना से भी ज़्यादा ख़तरनाक इस नस्लभेद को माना और इंसानियत जीत ली। भले कुछ लोग पॉज़िटिव निकले पर उन्होंने इसकी चिंता नहीं की और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल क़ायम की। गर्व हैं हमें ऐसे लोगों पर लिंकन के अमेरिका पर। और जिसको भी इंसानियत पर गर्व होगा,
उसे आज अमेरिका पर गर्व होगा।
दूसरा पहलू हमारे यहाँ ठीक उलटा हैं। जाति, धर्म, समुदाय देख कर अपराध निर्धारित किया जाता हैं। और माफ़ी माँगना अपनी जनता से, ये तो हमने कभी सिखा ही नहीं, हमनें तो अभी तक भीड़ को कुचलना ही लोकतंत्र समझा हैं। याद कीजिए CAA के प्रोटेस्ट में कितनी लाठियाँ
औरत अपनी माहवारी की शर्म छुपाती है।
काली थैली में सेनेट्री पैड लाती है। अपने अंडर गारमेंट्स उसी दुकान से ख़रीदती है जहां महिला सेल्समैन हो। घर में कपड़े सुखाती है तो ध्यान रखती है की अधो वस्त्र खुल्ले आम ना सूखे।
औरत बच्चों को दूध पिलाती है तो शर्म करती है कोई कोना ढूँढती है।
पान खाती है लेकिन पान की दुकान पर चढ़ते हुए शर्म करती है। किसी शराब की दुकान पर कोई लड़की या महिला गई हुई हो तो उसका वीडियो बन कर वाइरल हो जाता है।
औरत अपने साथ हुई छेड़छाड़ को बताने से हिचकिचाती है। वो लड़ाई होने से ज़्यादा बदनाम होने से डरती है।
ये सब औरत हमारे घर में ही होती है।
फिर भी ऐसे घर में औरत से पैदा हुए कुछ बेहद गिरे हुए लोग ये समझ नहीं पा रहे की महिला पहलवानों के साथ हुए यौन दुर्व्यवहार की शिकायत पर कार्यवाही होनी चाहिए,उन्हें महिला पहलवानों के बारे में अंट शंट अनर्गल टिप्पणी कर के किसी भारी आपराधिक रिकॉर्ड
नंगा राजा 🤔🤔🤔
(अपने आप को राजा समझने वाले का नंगापन 1 साल बाद और भी अधिक बढ़ गया है)
👇👇👇👇
नंगा राजा, नंगे भाट,
आंखें मूंद, रहे सब चाट,,
लूट, झूठ और सूट के सिवा,
बुद्धि-ज्ञान से 'सप्पनपाट',,
बड़ी तिजोरी, ऊंट की मोरी,
जिधर चलें, सब इनके हाथ,,
ज्ञान की महिमा, मूत्र व गोबर,
गंदा नाला बना, पावन घाट,,
भांड, चूनमंगे और चिलमची,
'चाट - चूस' सब ले रहे ठाठ,, #अच्छे_दिनों के फेर में जनता,
उन #बुरे' दिनों की जोहती बाट,,
सबकी नहीं, कुछ 'खास' की चिंता,
'इन्हीं' की चिंता में नींद उचाट,,
एक मुखिया के चालीस चोर,
मिले 'इशारा', मचाते शोर,,
बन रहे साधु, निपट स्वादु,
ढूंढें बंगले, कुटिया छोर,,
कोई नंगा, कोई अध-नंगा,
भगवां रंग में 'धंधा' चंगा,,
जनता के हेतु, 'त्याग' उपदेश,
और खुद बनते, घोषित 'इन्द्रेश',,
जन भारी, दुनिया दुखियारी,
'घटें', तो इनके कटें कलेश,,
सब 'नारद', बोलें एक ही बानी,
सरकारी सम्पत्तियांऔने-पौने दामों पर अपने मित्रों के हवाले करने,उनके अरबों-खरबों रुपए के कर्ज़े माफ करनेउद्योग-धंधे चौपट करने, निर्यात घटने, सरकारी धन को अपने निजी प्रचार पर फूंकने जैसे विभिन्न कारणों से सरकारी खजाना खाली होता जा रहा है और देश बड़ी तेजी से कंगाली की ओर बढ़ रहा है,
इसकी तस्दीक केंद्रीय वित्त मंत्रालय की एक चिट्ठी से होती है।
मंत्रालय ने इस पत्र में उत्तराखंड की राज्य सरकार से कहा है कि उसे 'वाह्य सहायतित योजना' (EAP) की परियोजनाओं के लिए आबंटित की जाने वाली केंद्रीय सहायता में कटौती कर दी गई है।
पत्र के अनुसार मंत्रालय ने साल 2026 तक के लिए EAP यानी वाह्य सहायतित योजना की परियोजनाओं के लिए धनराशि की सीलिंग करीब 9,900 करोड़ रुपए तय कर दी है अब EAP के तहत राज्य सरकार इससे ज्यादा धनराशि की परियोजनाएं मंजूरी के लिए नहीं भेज सकेगी। मतलब यह कि राज्य सरकार