श्रद्धेय अटल बिहारी पूरी ज़िंदगी स्वर्गीय श्रीमती राजकुमारी कौल के साथ "लिवइन" रिश्ते में रहे..श्रीमती राजकुमारी कौल शादीशुदा थी..अटल ने राजकुमारी कौल के शौहर प्रोफेसर बृजनारायन कौल को भी साथ रखा..
श्रीमती राजकुमारी कौल के पति ने कभी अटल पर कोई इल्ज़ाम नहीं लगाया..सोचिए,
मा'शूक़ का शौहर भी एक छत के नीचे ही रहे..पर कोई कॉन्ट्रोवर्सी/क़ज़्ज़िया नहीं हुई..
वैसे भी अटल के साथ उनकी महिला मित्राणियों के रिश्ते बहुत सहज थे..कभी कुछ ग़लत किया ही नहीं..सबकुछ आपसी रज़ामन्दी और एहतिराम का नतीजा था..
अटल लाहौर के तवाइफ़ों के पूर्व मुहल्ले हीरामंडी भी गए तो कितनी सादगी थी..हीरामंडी में अटल का अपनापन एक इतिहास है..अटल जहाँ भी गए निशानी छोड़ आए..
🙏 आज जब बीजेपी नेताओ पर यौन शोषण के इल्ज़ाम लगते है तो शायद अटल की रूह को तकलीफ़ होती होगी..आज के बीजेपी नेताओं को अटल की समाधि पर जा कर हीरामंडी को ओर चेहरा कर 1 लाख बार "सदैव अटल" का जाप करना चाहिए.. #कृष्णनअय्यर कृष्णन अय्यर काँग्रेस पेज
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यो भाई जिम्बाब्वे से है, चीता एक्सपर्ट है, 27 चीते इसके दोस्त हैं, मगर एक खुद के साथ रखता,सभी 27 को टर्न वाई टर्न लेकर आता !!
कहानी शुरू जब हुई,जब यह बच्चा था, स्कूल जाता था, 8 किमी रोज वो भी जंगल के रास्ते !!
एक दिन इसे एक घायल चीता का बच्चा दिखा, उसकी मां उससे दूर बैठी थी,इस
बच्चे ने इस घायल बच्चे को उठाया और साथ लेकर घर चल दिया, घर पहुंचकर देखा तो चीता मां भी इसके पीछे आ गई,
गांव में घायल बच्चे को जंगली जङी बूटी से दो हफ्ते में फिट कर दिया, चीता मां रोज रात में आती और बच्चे को दूध पिलाकर वापस जंगल चली जाती !
जब शावक एकदम ठीक हो गया तो यह बच्चा उसे जंगल में उसी जगह छोङ आया !
रात में चीता मां व शावक इसके घर रोज आते, वहीं शावक को दूध पिलाकर सुलाकर वापस जंगल !!
कुछ हफ्तों बाद परिवार के मुखिया ने देखा कि घर के बाहर तीन चीते और वो शावक सो रहे हैं, यह क्रम रोज चलता, कभी दो,
यहां स्त्री का चीरहरण होता है
यहां भीष्म चुप्पियां मार बैठे होते हैं
यहां गुरु द्रोण देखते सब हैं लेकिन सत्ता से बंधे हैं
विदुर यहां नौकरी करते अपनी रीढ़ दरबार मे छोड़कर आते हैं
यहां दुःशासन चीर हरण करते हैं
दुर्योधन अट्टहास करते हैं नैतिकता पर
शकुनि पांसे में फांस लेते हैं न्याय
कर्ण दोस्ती को तरजीह देते हैं अस्मिता को नही
गांधारी न देखने का अभिनय करती है
कौरव सभा है यह
जहां सत्ता ही खेल है
जनता रखैल है
सत्ता सब है
सत्ता रब्ब है
और रब्ब कोने में खड़ा देख रहा है नंगई
कौरव सभा है यह
जनता जहां नदारद है
दबी है किसी जुए के नीचे
और दरबार को जूए से फुरसत नही
कौरव सभा है यह
कि स्त्री ने न्याय की गुहार लगाई है
स्त्री ने सबको पुकारा है एक एक करके
स्त्री ने अंधे राजा से बार बार कहा है
तुम अंधे हो बहरे नही हो
भीतर तक तुम्हारे कोई आह तो पहुंचती होगी
कोई तो चीत्कार सुनो राजन
#एक्सपर्ट्स का मानना है कि #प्रथम_दृष्टया गलती #मालगाड़ी की थी जो #लुपलाइन मे खड़ी थी, ट्रेनों का काम होता है चलना और चलते रहना लेकिन वो खड़ी थी ! दूसरी ये कि जब #कोरोमण्डल एक्सप्रेस का मूड हुआ कि उसको #मेनलाइन पर नहीं चलना है लूप लाइन में जाना है तो मालगाड़ी ने वहां से हट
जाना था,लेकिन वो ढीठ की तरह वहीं डटी रही!
फिर तीसरी गलती ये कि तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा होता है तो #अपशकुनी#तीसरा_ट्रैक वहां बनाया किसनेउसको पकड़ना चाहिएऔर तो और कोरोमण्डल एक्सप्रेस के वो नालायक डिब्बे जिनको मालगाड़ी से भिड़ना था वो नासपीटे तीसरे ट्रेक पर सेल्फी लेने निकल लिए !
अब #बेंगलुरु तो बेंगलुरु है वो कब किसके लिए रुकती है जो डिब्बे देखकर रुक जाती उड़ा दिया !
तो कुल मिलाकर गलती ट्रेनों की है, उनके लड़ाई झगड़ों के लिए हमने सरकार से कहकर एक अलग न्याय विभाग बनाने की मांग की है !
#लोहपथ गामिनी अंतरकलह वाद निवारण न्याय विभाग !
जय हिंद जय श्री राम
कमजोर
(वर्तमान भारतीय परिदृश्य में विचारणीय अन्तोन चेख़फ़ की एक मशहूर कहानी)
हाल ही में मैंने अपने बच्चों की अध्यापिका यूलिया वसिल्येव्ना को अपने दफ्तर में बुलाया। मुझे उनसे उनके वेतन का हिसाब-किताब करना था। मैंने उनसे कहा, "आइए...आइए...बैठिए। आपको पैसों की जरूरत होगी,
पर आप इतनी संकोची हैं कि जरूरत होने पर भी आप खुद पैसे नहीं मांगेंगी। खैर..हमने तय किया था कि हर महीने आपको तीस रूबल दिए जाएंगे।"
"चालीस"
"नहीं...नहीं...तीस।तीस ही तय हुए थे। मेरे पास लिखा हुआ है।वैसे भी मैं हमेशा अध्यापकों को तीस रूबल ही देता हूं। आपको हमारे यहां काम करते हुए दो
महीने हो चुके हैं...।"
"दो महीने और पांच दिन हुए हैं।"
"नहीं, दो महीने से ज्यादा नहीं। बस, दो ही महीने हुए हैं। यह भी मैंने नोट कर रखा है। तो इस तरह मुझे आपको कुल साठ रूबल देने हैं। लेकिन इन दो महीनों में कुल नौ इतवार पड़े हैं। आप इतवार को तो कोल्या को पढ़ाती नहीं हैं,
धर्म को सत्ता की सीढ़ी बनाने वालों ने मंदिर की जमीन खरीदी से लेकर उसके निर्माण और मूर्तियां बनाने तक में भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्रत्येक हिंदू घर से जो ईंट मंगवाई गई थीं, वे कहां गईं? इसका उत्तर देने को उस अभियान से जुड़ा
कोई भी व्यक्ति या तथाकथित साधू-संत देने को तैयार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिस तरह राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में जमीन खरीदी में करोड़ों रुपए की घपलेबाजी की गई, वह सर्वविदित है।
मध्यप्रदेश में उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर परिसर में सप्त-ऋषियों की मूर्तियां
बनाने और उन्हें स्थापित करने में जैसा अनाचार किया गया है, उसकी पोल पट्टी हवा के एक मामूली झौंके ने खोल दी है। उसके बाद से तो इसमें हुई घपलेबाजी के अनेक रूप प्रकट होते जा रहे हैं।
मूर्तिपूजा के कुछ नियम निश्चित किये गये हैं जिनका पालन करना ये धर्म के धंधेबाज आवश्यक नहीं समझते
बर्कले स्क्वेयर पर क्लाईव का भव्य मकान था। बड़े लोगो से दोस्ती की। जनता में क्लाईव ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर हो गए।
वो बचपन से ही लार्ड बनना चाहते थे। मगर लार्ड का ओहदा तो, ब्रिटिश किंग देता है। क्लाईव तो वह स्वयम्भू baron बन गया।
कहीं भी जाता, एक चमचा चिल्लाता- बा अदब, बा मुलाहिजा, होशियार, .. बंगाल के भूतपूर्व गवर्नर, बैरोन ऑफ प्लासी, जनरल रॉबर्ट क्लाईव जी पधार रहे हैं।
मगर लड़े बगैर क्लाईव को डिप्रेशन आ जाता। यहाँ उसका दुश्मन ईस्ट इंडिया कम्पनी का डायरेक्टर लॉरेंस सुलिवान था।
क्लाईव ने प्रधानमंत्री पिट को चिट्ठी लिखी-
"ईस्ट इंडिया कम्पनी के मामलात इंडिया में बड़े हो रहे हैं। किसी कम्पनी को यह सब सम्हालने नही देना चाहिए। अच्छा होगा कि कम्पनी को हटाकर, ब्रिटिश क्राउन बंगाल का शासन हाथ मे लेले। अगर आप ऐसा करते हैं, तो मैं हिंदुस्तान