राजा परीक्षित अर्जुन के पोते और अभिमन्यु के पुत्र थे। संसार सागर से पार करने वाली नौका स्वरूप भागवत का प्रचार इन्हीं के द्वारा हुआ।पांडवों ने संसार त्याग करते समय इनका राज्याभिषेक किया था।
इन्होंने नीति के अनुसार पुत्र के समान प्रजा का पालन किया।
एक बार राजा परीक्षित आखेट हेतु वन में गये। वन्य पशुओं के पीछे दौड़ने के कारण वे प्यास से व्याकुल हो गये तथा जलाशय की खोज में इधर उधर घूमते घूमते वे शमीक ऋषि के आश्रम में पहुँच गये।
ऋषि शमीक के आश्रम में उनके पुत्र श्रृंगी एवं अन्य ऋषि कुमार एक साथ रहकर अध्ययन करते थे। सभी विद्यार्थी जंगल गए हुए थे तो शमीक ऋषि आश्रम में समाधि में लीन बैठे हुए थे, उसी समय प्यास से व्याकुल होते हुए राजा परीक्षित आश्रम में पहुचे।
राजा ने आश्रम में इधर-उधर काफी पानी तलाश किया और शमीक ऋषि जो समाधि में बैठे हुए थे, उनके पास गए और बड़ी विनम्रता के साथ कहने लगे कि मुझे प्यास लगी है कृपया पानी दीजिए।
राजा ने अपने वचन तीन चार बार लगातार दोहराए लेकिन ऋषि समाधि में लीन थे इसलिए वह उठे नहीं।
राजा को लगा कि ऋषि समाधि में लीन होने का ढोंग कर रहे हैं इस बात पर राजा को गुस्सा आ गया और पास ही पड़े एक मरे हुए साँप को उठाकर ऋषि के गले में डाल दिया। आश्रम से जाते हुए राजा परीक्षित को एक ऋषि कुमार ने दूर से देख लिया।
सभी ऋषि कुमार राजा के स्वागत के लिए उसी क्षण आश्रम में पहुंचे लेकिन जब आश्रम में पहुंचे तो राजा आश्रम से जा चुके थे। साधना में लीन बैठे शमीक ऋषि के गले में सभी ने मरा हुआ सांप देखा इतना देख कर उनके पुत्र
श्रृंगी को क्रोध आ गया और हाथ में जल लेकर राजा को श्राप देते हुए कहा कि मेरे पिताश्री का अपमान करने वाले राजा परीक्षित की मृत्यु आज से 7 दिन के बाद नागराज तक्षक के काटने से ही होगी।
इस बीच अन्य ऋषि कुमारों ने शमीक ऋषि के गले से मरा हुआ साँप निकाला तभी शमीक की साधना टूट गई।
जब ऋषि शमीक ने उनसे बात पूछी तो उन्हें सारी बातें विस्तार से बता दी गई। उनकी बात सुनकर शमीक बोले बेटा एक साधारण से अपराध के लिए राजा परीक्षित को सर्पदंश से मृत्यु का श्राप देना उचित नहीं है।
यह बहुत ही बुरा है, यह हमें शोभा नहीं देता, बेटा अभी तुम्हें इन बातों का ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ है इसीलिए तुम ईश्वर की शरण जाओ और अपने अपराध की क्षमा याचना करो।
राजा परीक्षित को भी राजभवन पहुंचते पहुंचते अपनी गलती का एहसास हो गया।
ऋषि शमीक का एक शिष्य राजा परीक्षित के पास गया और कहने लगा हे राजन ब्रह्म समाधि में लीन शमीक ऋषि की ओर से आपका उचित आदर सत्कार नहीं हुआ जिसके लिए उन्हें अत्यंत खेद है। लेकिन आपने जो मरे सर्प को उनके गले में डाल दिया था,
जिसके कारण उनके पुत्र ने आपको आज से 7 दिन के बाद मृत्यु का श्राप दिया उनका यह श्राप असत्य नहीं होगा।
अतः आपसे निवेदन है कि आप अपने इन 7 दिनों तक सच्चे मन से ईश्वर की आराधना में लगाएं ताकि मोक्ष मार्ग का आपको रास्ता मिले।
श्राप की बात सुनकर राजा परीक्षित व्यासपुत्र शुकदेव मुनि के पास गए जहां राजा परीक्षित को शुकदेवजी ने सात दिन तक लगातार भागवत-कथा सुनाई थी, तभी से पुण्यप्रद श्रीमद् भागवत कथा 1 सप्ताह होने की परंपरा प्रारंभ हो गई।
🙏🌺
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
🌺।।How the Moon influences your life and choices as per Vedic Astrology।।🌺
The Moon is the basic strength of your life, it's a life force, a basic nutrition, a food which keeps alive all the powerful yogas in your birth chart, It is also your cash money/liquidity,
if it's weak or afflicted then you may not get the full pleasures of things around you -
-Mental anxiety or trouble.
-Lack of mother's happiness or conflicts with mother.
-Cold and phlegm issues.
-Feeingl hard to come over from your past memories.
-Mostly feel to take sleep.
-Dark circles around eyes.
-Irregularity in Menstruation.
-Imbalance of cold and kapha.
-Water Imbalance.
-Hair turning grey in early ages.
- Headache and Sinus Problems.
-Body odour.
-Feeling frequently thirsty.
-Deficiency of calcium.
Hinduism identified three principal deities.They r Grama Devata(Village Deity) Kula Devata(Family Deity) and Ishta Devata(Favourite Deity).Of these the first two r fixed at the time of his birth and the third one is selected by him.
Even within the land of Bharata, different traditions, call upon different forms of the same deity.
In many of the Grama Devata temples, you would realize the deities are just “localized and simplified” versions of the Moola Devatas of Shiva, Vishnu, Devi and Shasta.
The agamic traditions, have very specified rules and regulations on temple creation and maintenance as do sadhana paths of the various devatas.
Indian culture is laden with the basic principle of humility, i.e. service to others before the self.
⚜️माता सीता का उनकी ही निंदा करने वाले धोबी से पूर्व जन्म में क्या सरोकार था जो उन्हें प्रभु राम से बिछड़कर चुकाना पड़ा?⚜️
मिथिला नाम की नगरी में महाराज जनक राज्य करते थे। उनका नाम था सीरध्वज।
एक बार वे यज्ञ के लिए पृथ्वी जोत रहे थे उस समय फाल से बनी गहरी रेखा द्वारा एक कुमारी कन्या का प्रादुर्भाव हुआ। रति से भी सुंदर कन्या को देख कर राजा को बड़ी प्रसन्नता हुई और उन्होंने उस कन्या का नाम सीता रख दिया।
परम सुंदरी सीता एक दिन सखियों के साथ उद्यान में खेल रहीं थीं। वहाँ उन्हें एक शुक पक्षी का जोड़ा दिखाई दिया,जो बड़ा मनोरम था। वे दोनों पक्षी एक पर्वत की चोटी पर बैठ कर इस प्रकार बोल रहे थे ,‘पृथ्वी पर श्री राम नाम से विख्यात एक बड़े सुंदर राजा होंगे।
🌺निधिवन वो जगह है जहाँ कान्हा आज भी रचाते है रास।और इस बात के कई साक्ष्य आज तक मिलते रहते हैं।आइए जानें ऐसी ही एक कथा के बारे में।🌺
5200 वर्ष पूर्व वृन्दावन की इसी धरा पर कान्हा जी ने राधारानी और गोपियों संग महारास रचाया था।
द्वापर युग से आज तक हर रात राधे-कृष्ण यहां साक्षात प्रकट होते हैं। निधिवन में स्थित 16108 वृक्ष गोपियों में तब्दील होकर रातभर कान्हा संग महारास रचाती हैं।सूरज की पहली किरण फूटने से पहले ही गोपियां वृक्ष का आकार ले लेती हैं और भगवान कृष्ण राधिका रानी के संग अन्तर्धान हो जाते हैं।
एक बार कलकत्ता का एक भक्त अपने गुरु की सुनाई हुई भागवत कथा से इतना मोहित हुआ कि वह हरसमय वृन्दावन आने की सोचने लगा उसके गुरु उसे निधिवन के बारे में बताया करते थे और कहते थे कि आज भी भगवान यहाँ रात्रि को रास रचाने आते हैं।पर उस भक्त को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था।
🌺।।सनातन धर्म में संख्या 108को बहुत पवित्र माना जाता है।आइए जानें क्या है संख्या 108का रहस्य व महत्व।।🌺
ॐ का जप करते समय 108प्रकार की विशेष भेदक ध्वनीतरंगे उत्पन्न होतीहैं जो किसीभी प्रकारके शारीरिक व मानसिक घातक रोगोंके कारणका समूल विनाश व शारीरिक,मानसिक विकास का मूल कारण है।
108 यह अद्भुत व चमत्कारी अंक बहुत समय ( काल ) से हमारे ऋषि -मुनियों के नाम के साथ प्रयोग होता रहा है।